Book Title: Jain Dharm Gyan Prakashak Pustak
Author(s): Nana Dadaji Gund
Publisher: Nana Dadaji Gund
Catalog link: https://jainqq.org/explore/010224/1

JAIN EDUCATION INTERNATIONAL FOR PRIVATE AND PERSONAL USE ONLY
Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ THE FREE INDOLOGICAL COLLECTION WWW.SANSKRITDOCUMENTS.ORG/TFIC FAIR USE DECLARATION This book is sourced from another online repository and provided to you at this site under the TFIC collection. It is provided under commonly held Fair Use guidelines for individual educational or research use. We believe that the book is in the public domain and public dissemination was the intent of the original repository. We applaud and support their work wholeheartedly and only provide this version of this book at this site to make it available to even more readers. We believe that cataloging plays a big part in finding valuable books and try to facilitate that, through our TFIC group efforts. In some cases, the original sources are no longer online or are very hard to access, or marked up in or provided in Indian languages, rather than the more widely used English language. TFIC tries to address these needs too. Our intent is to aid all these repositories and digitization projects and is in no way to undercut them. For more information about our mission and our fair use guidelines, please visit our website. Note that we provide this book and others because, to the best of our knowledge, they are in the public domain, in our jurisdiction. However, before downloading and using it, you must verify that it is legal for you, in your jurisdiction, to access and use this copy of the book. Please do not download this book in error. We may not be held responsible for any copyright or other legal violations. Placing this notice in the front of every book, serves to both alert you, and to relieve us of any responsibility. If you are the intellectual property owner of this or any other book in our collection, please email us, if you have any objections to how we present or provide this book here, or to our providing this book at all. We shall work with you immediately. -The TFIC Team. Page #2 --------------------------------------------------------------------------  Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SAHAYAVANAYANAMATAJANANANAAAAAAAAVe SAAAAAAAAAAAAAAAAAAAASE SRANANAAAAAAAAA VIATITI ARTHATANTNNAINAINAJALJAAJAANAJAJAJAJAMINAISHAINAAAAARVA WEAAAAAAAAAMANAAAAAAAAAAAAAAA NAVODAlan ई मा ना य नमः -:: ::साधु मुनिराजका आचार तथा श्रावक श्राचार नपर अने. क दृष्टांत युक्त दुहा ढा ला, बोल, थोकडा वगैरेकी श्रावक लोकांरी पोथी. श्री जैन धर्म ज्ञान प्रकाशक पुस्तक ओ पुस्तक पुना माहे नाना दादाजी गुंड इणनें "सौजन्यमित्र " छापायंत्रमांहे छपायोछे संवत १९४७ का मित्ती बेसाख बर १० सोमवार ओ पुस्तक पुना पेठ नानाकी आठे भाई भगवानशासजी केशरचंदजी नाहारका दुकान उपर पील सी. किंमत १२ थाना JAMODNAAPla) LAMRAVATAUNAINA YEVANA बालकामत ARTHI मालोजकममलमा नामजासकामाखमाजमा SAPNPATI AN SPITTAIHIFALHAN . INTUN Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ************************************** *******************************x । जैनधर्म संबंधी गपेलां पुस्तकोन सचीपत्र. १ श्री जैन धर्म ग्यान प्रदिपक पुस्तक किंमत १॥ रुग्या. २ श्री चिवध रतन प्रकाश पुस्तक किंमत १२ अणे. ३ हंसराज बंछरानको राप्त किंमत ५ आणे. ४ अंजनाको तथा राणी पदमावतीको रास किंमत ०६ आणे. ५ सतधारी राजा हरीचंदकी चोपाई किंमत आणे. ६ धन्ना साळलद्र शठकी चौपाई किमत ४ अणं. ७ मेणरहयानी चोपाई किंमत ३ भाणे. १२२१ - मंगळ कळसकी चोपाई. किंमता ४ आणे. ९ देवकी राणीको रास (छ लाइनो रास ) किंमत ४ आणं. १०लिलावती राणीकी चौपाई किंमत ४ आणं. ११अमरसन जयसेन राजाकी चोपाई किंमत ४ आणे. १२चंदन मलीयागीरीकी चोपाई किंमत ४ आणे. १३ परदेशी राजाको रास किंमत ४ आणे. १४ चंदराको रास किंमत १ रुपया १५पंडित देवचंद्रजीमहाराजकृत चोवीसी किंमत १॥ आणा १६पंडित आनंदवनजी महाराजकृत चोवीसी किंमत १।। आणा १७मानतुंग मानवतीकोराम किंमत ४६ आणे. १८महिपती राजा अने मतिसागर प्राधनकी चोपाई किंमत ४ाणे १९कांनड कठीयाराकी चापाई कर्म बंधन रास किंमत आणे.* २० स्तवन समाय संग्रह प्रत्येकलाग किंमत ८४ आणे * २१श्री जैन छंदसंग्रह किंमत आडीच आणं २२क यवन्ना शाहको रास किंमत ४ आण. २३श्री जैन लावणी संग्रह किंमत आडीच आणे. * २४ श्रीपाल राजाकोरास चार खंडको किंमत १० आणे. * २५स्नात्र पुना तथा वीस थानकी पुजा किंमत ४ आणे. * २६ नैन धर्म सिद्धांत सार पुस्तक किंमत १। रुपया. * २७ जैन गहूली सग्रह किंमत अडीच आणे ******************************** Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रस्तावना. . मनुष्य जन्म आर्य देव तथा उत्तम कुल पाम वो अत्यंत दुर्लन ते पामीने. देव अरिहंत गुरु नीग्रंथ, धर्म,केवळी, नाख्यो,ए तीन रत्न अ मूल्य बे एहनी अोलखान करणेके वास्ते धर्म शास्त्र शिखणो ए नत्तम साधन धर्म ते जिन श्राज्ञा मांहे. ते श्री जिन अाज्ञातो निरवद्य करणीनी साधु श्रावकने आज्ञा आपे पिण सा वद्य करणीनी अापे नही. अने ज्याहां श्राज्ञा ने त्याहां धर्म जिन अाज्ञा नहि त्याहां अध म एहवं जाणी देव श्री बीस बेहेरमान अरि हंत बारे गुणे करी सहित केवल ज्ञान केवल दर्शन करी सहित पंच महाविदेह देत्र विषे विराजमान ने तेवोने देव करी मानवा. अने गुरु निग्रंथ जे पंच महाव्रतना धारक पंच सूम तिने समिता, तीन गुप्तिने गुप्ता तेणे गुरु करी मानवा. पंच नरत क्षेत्रने विपे साधु साधवी श्राद देईने धर्म केवळी नगवंतनो प्ररुप्यो के अहिंसा माहे धर्म, व्रतमाहे धर्म . ते धर्माद रीने शुद्ध मारगे चालवो. अन्य कुदेव, कुगुरु, कुध Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मन मानवो नही. ते विषे तथा साधु मुनिरा जनो तथा श्रावकनो शुद्ध प्राचार जे जिन श्राज्ञामे तेनो तथा साधु आधाकरमि क्रीया करे एटले जिन आजा बाहेर वर्ते ते विषे इण पुस्तकमे अनेक दृष्टांत उपर दाखलो बतायोडे ते देखीने शुद्ध मार्गे चालवो जदी साधु श्राव कने मोहरो साधन मिलसी. ___ इण पोथी मांहे प्रथम सामायीक व्रत पड़े श्रावकारा बारा व्रत अनेक द्रष्टांत सहीत पडे ढंढण मुनिको चोढाळीयो पजे साधु आचारनो चोढाळीयो शिवाय अनेक प्रकारना साधु श्राव क श्राचारना निन्न निन्न प्रकारना स्तवनो, स जायो, बूटा बोल थोकडा, इण शिवाय साधुने बावीस परिसहकी फोज प्राविने घरो देवे ते टा ळवाने अनेक द्रष्टांत दाखलाको रस्तो ढाळ यु क्त वर्णन करयो. इण पोथीने बाच्यासु तथा शिख्यासु धर्म मारगरो जाणपणो मिले ने घटमाहे ज्ञानरोप काश हुवेतिणसुंइण पोथीरो नाम "धर्म ज्ञानप्रका श" दिनो सुंबाचणहार घणा जतनसुं राखजो. Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . प्रष्ट ॥ अथ पुस्तकरी खतावणी ॥ विषय श्री पंचपद नवकार मंत्र २. श्रावकरो सामायीक व्रत विधि ३ सामापीक पारचानी विधि .: श्रावकरा बाराव्रतारी बाराढाळा ५. ढंढण रिखजीनो चोढाळीयो ६.. साधु मनिराजना अाचारको चोढाळीयो ६२ ७. सवैया 6 स्तवन सजाय अधिकार १. पंच पद नवकारको स्तवन १० उपदेशी सजाय 1.जिवने शिखामण सजाय १२ कायाउपरे सजाय १३ काय नपरे सजाय ४दस प्रकारना दाननी सजाय साधु आचार अोलखामपनी सजाय १०० साधु प्राधाकरमी स्थानकसेवेते सजाय१०५ १७ श्रावक आचारनी सजाय १०९ १८अल्प प्रावुखो बंधे ते सजाय ११२ Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९९ १९ नवतत्वका तेरे द्वार ११७ २० सत्तावीस बोलनो थोकडो १४४ २१ तारणीका छटा बोल २२ नवतत्वका बुटा बोलनो थोकडो १६३ २३ साधु बावीस परिसह सहे तीणरी ढाळा बावीस १७३ २४ ग्यानरा दुहा नव २५जिन धर्मका सवैया दोय २०० ॥ इति खतावणी समाप्त. ॥ . इण पुस्तक माहे घणा नपयुक्त घणा बिस्ता र युक्त अनेक दृष्टांत सहित जिनधर्म आज्ञा केयळी नाखीत शुद्ध साध श्रावकने जाणवाने योग्य इसा पचीस विपय अधिकार लिख्यावे. तिणने नणशी गणशी तथा जिन प्राज्ञामांहे चालशी तिणारे कायारो कल्याण इशी. __ ा पोथी शुद्ध कराईने उपाई पीण है स्त दोष अथवा नजर चकसुंदर काना मा त्रा बत्ति अथवा कमती हुवेतो सुज्ञ जनोए सु धारीने बाचजो इसी हमारी सूचना. नाना दादाजी गुंड Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवीन पुस्तक पावणारे. प्रगान सही देवणारने किंमत १ जैन धर्म ग्यानप्रदिपक पुस्तक मोठी श्रावती ४ थी पाना ३०० की उप अगा उ किंमत १॥ रुपया टपाल खर्च ३ श्राणा. २ श्री जैन कथारतन कोश. साधजी महा राज श्री श्री १००८ श्रीसोनागमलजी महा राज कृत किंमत १२ अाना. ३ देवाधि देव रचना तथा मुनी वंदनमा ला किंमत ८ श्राना ४ मोठी पंचपदारी बंदणा. साधुजी महारा ज श्री श्री १००८ श्री तिलोकरिखजी महारा कृत किंमत ३ श्राना. ५ दाळसागर ग्रंथ किंमत १॥ रुपया. ६ नक्तांबर किंमत ६ आणे. ७ श्रेणीकराजाको रास किंमत ६ आणे. ८ सिलोका संग्रहमोठो नाग किंमत १ रुपया ९ ख्यालतमासा संग्रह १२ ख्याल को पुस्तक किंमत २ रुपया. १० जैनहोरीको संग्रह किंमत २॥ आणा. Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पोपीया तयार के तीणरी याद १ श्रीरामचरित्र (जैनरामायण) किंमत रु. २ चंद राजाको रास किंमत १ रुपया. ३ श्रीजैन धर्म सिद्धांत सार किंमत १ रुपया ४ लक्ष्मण बोध नाटक जैन किंमत १२आना ५ श्रीजैन धर्म ज्ञानप्रकाश किंमत १२ाना ६ श्रीपाळराजाको रास किंमत १० श्राना. ७ बिबधरतन प्रकाश किंमत १२ आना, ८ चोवीसी तथा प्राणुपूर्वी किंमत ८ आना ९ चोवीसी कपडाका कव्हरवाली किं.६आना १० अनुपूर्वी कपडाका कव्हरवाली किंमत १आ. ११ अनुपूर्वी साधी पोथी किंमत पाउण आणा १२ सिद्ध चक्र नगवान को पाटो किंमत २ आणा १३ चोवीसीकी बबी पाटो किंमत ४ आणा. १४सिद्ध चक्र जीकोपितळकोगटोकिंमत टा. १५श्रीजैन धर्म ग्यानप्रदीपक पुस्तक आरती ३ री पाना २१४ वाळी पोथी १ री किंमत १॥ रुपया टपाल खर्च २ आणा. पोथी घणी थोडी रही. Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ श्री वर्द्धमान स्वामिच्यो नमः ॥ C:*:00:*: ॥ अथ श्रावकरो सामायकविधि लिख्यते ॥ ॥ अथ नवकार पंच मंगलरूप ॥ नमो अरिहंताणनमो सिद्धाणं ॥ नमो आय रिश्राएं॥नमो उवकाया ॥ नमो लोए सब साहूणं ॥ तिखुत्तो याहिणं पयाहिणं वंदामि नमोसामि सक्कारेमि समाणेमी कल्याणं मंगलं देवयं चेइयं प जुवा सामि मचएण वंदामि || करेमिनंते सामाइ यं सावऊ जोगं पञ्चखामि जावनियम एकमुहुर्त पजुवासामि दुविहं तिविहेां नकरेमि नकारवेमि मनसा वयसा कायसा तस्सनं ते पक्किमा मि निंदामि ग्रहामि अप्पा वोसिरामि ॥ इरिया वहियाए विराहणाए गमणागमणे पाणक्कमले बीक्कम हरियकम नसाडलिंग पणगद्ग म मक्कासंतापा संकमणेजे मे जीवाविराहिया ए गेंदिया बे इंदिया ते इंदिया उचरिंदिया पंचेंदि या हिया वत्ति लेसिया संघाइया संघ हिया परियाविया किलामिया उदविया ठापान १ Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ठाणं संकामिया जीविया ववरोविया तसमिना मि दूकड।तस्सउत्तरी करणेणं प्रायश्चित करणे णं विसोही करणेणं विसल्ली करणेणं पावाणं क म्माणं निघायणठाए ठामिकाउस्सग्गं अन्नन उ ससिएणं निस्ससीहेणं खासिएणं बिएणं जंना इएणं उद्दविएणं वायनिसग्गेणं नमलिये पित्तमु बाए सुहुमेहिं अंग संचालहिं सहमेहिं दिठि सं चालहिं सुहुमहिं खेलसंचालहिं एवमाइएहिं आगारेहिं अनग्गो अविराहिन हुङिमे कान स्सग्गो जाव अरिहंताणं नगवंताण नमुकारे णं नपारेमि ॥ तावकायं ठाणेणं मोणेणं जाणेणं अप्पाण वोसिरामि ॥ ए इरिया वहियानो का उस्सग्ग करवो पी नमो अरिहंताणं कहिने लोगस्स कहेवा ॥ अथ लोगस्स ॥ लोगस्सनकोअगरे ॥धम्मतिबयरेजिणे ॥ अरिहंतेकित्तइस्सं ॥ चनवी संपिकेचलि॥१॥ नसनमजिअंचवंदे. संनव मनिणंदणंचसमइंच ॥ पनमप्पहंसुपासं, जिणंच चंदप्पहवंदे ॥२॥ सुविहिंचपुप्फदंतं, सीअल सिऊंचवासुपुऊंच ॥ विमलमणंतंचजिणं, धम्म Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संतिंचवंदामि ॥ ३ ॥ कुंथुअरंचमलिं, वंदेमुणि सूबयनमिजिणंच ॥ वंदामिरिठनेमि ॥ पासंतहव इमाणंच ॥ ४ ॥ एवंमएअनिथुआ, विहुयरयम लापहीणजरमरणा ॥ चनविसंपिजिणवरा, तिब यरामेपसीयंतु ॥ ५॥ कित्तियवंदियमहिया, जे एलोगस्सनत्तमासिद्धा ॥ आरूग्गबोहिलानं, स माहिवरमुत्तमंदितु ॥६॥ चं देसुनिम्मलयरा, आइश्वेसुअाहियंपयासयरा ॥ सागरवरगंनीरा, सिद्धासिद्धिममदिसंतु ॥ ७॥ इति ॥ अथ नमुहुणं ॥ ॥ नमुहुणं, अरिहंताणं, जगवंताणं, आईगराणं. तिजयराणं सयंसंबुद्धा णं, पुरिसुत्तमाणं, पुरिससीहाणं, पुरिसवर पुंडरि आणं, पुरिसवरगंधहबीणं, लोगुत्तमाएं, लोगना हाणं, लोगहिआणं, लोगपईवाणं लोग पजोय गराणं, अनयदयाणं चखुदयाणं मग्गदयाणं, सरण दयाणं, बोहिदयाणं, धम्मदयाणं धम्मदे सयाणं, धम्मनायगाणं, धम्मसारहीणं, धम्भव र चाउरंत चकवट्ठीणं, दीवोताणंसरणगइ पई. ठा, अप्पमिहयवरनाणं. दंसणं धराणं, विप्रह बजमाणं, जिणाणं जावयाणं. तिनाणं तारयाणं, Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बुद्धाणं, बोहयाणं, मुत्ताणं, मो गाणं, सवनूगं सवदरसिणं, सिवमयल मरुय मांत मखय महाबाह, मपुणराविति सिद्दिगई, नामधेयं, ठा णं संपत्ताणं नमोजिलाएं जीवनयाएं | प्रथ सामायक पारवानी पाटी लिख्यते नवमा सामायक वेरमान व्रतके विखे जे को ई अतिचार लागो होय ते आळवं ॥ सामायकमे मन बचन कायाना जोग पारुवा ध्यान परिवरताया होय ॥ सामायकमे समता न कीनी होय पुगी पारि होय || दस मनका दस बचनका बारे कायाका बत्तीस दोख माहेलो दोख लागो होय तस मिचामि दुक्कडं ॥ ६ ॥ सामायकमे राजकथा देसकथा स्त्रीकथा नातकथा चारकथा माह्यलीविगता कीनी होय त समिवामि दुकडं - सामायकना पचखाण || फा सियं पारियं तिरियं ॥ किटियं सोहियं राहियं ॥ पालियं जंचना पालियं तसमिष्ठामि दकमं ॥ इतो कहींने तीन नवकार कावा कहीने सामायक ठिकाणे करवी ॥ ॥ इति सामायक व्रत विधि समाप्त ॥ Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ अथ श्रावक रा बा रा व्रत लि ख्य ते ॥ दुहा ॥ पांच अणुव्रतपरवरचा, तीनगुणवत सार सिख्याव्रतच्यारेचतुर, तेहतणोकरोबिचा र ॥१॥ पहिलामाहिहिंसातजै, दूजैकुठपरिहा र ॥ तीजैअदत्तचोथैअखन, पांचमैतजैधनसार ॥२॥ पहेलोगुणवतदिसतणो, दूजैनोगपचखांण ॥ तीजैअनरथपरिहरे, एतीनुगुणवतजा ण ॥ ३ ॥ सामायकपहलोसिख्या, दूजोसंवरजां ॥ तीजोपोषदकहीजीये, चोथोसाधनैदान ॥ ॥४॥ एबाराहिव्रतांतणो, कहिये बिसतार ॥ नावधरिनवियणसुणो, मनमेंणीबिचार॥५॥ ढाल ॥ १ ली। श्रावकनाव्रतबार, पालेनि रतीचार ॥ तेदुरगतनहीपडेए, नवसायरतिरेए ॥१॥ पहिलोबतइमजाण, तिणमहिंस्याना पचखाण ॥ हिंस्यातसतणीए, विजीथावरजणीए ॥२॥बसताग्रहस्तावास, हिंस्याहुवेतास॥प्रा रंनविणकरीए, पेटकेमनरीए ॥३॥ करुतस तणांपचखाण, थावरनोपरमाण ॥ नेदतसतणां ए, ग्यानीकह्याघणाए ॥४॥ कोईमोनेघालेघा Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ त, महारोअपराधीसादात ॥ खमतादोहिलोए, नहींमोनेसोहिलोए ॥ ५॥सातो देनेलेजाय, आ वालटैपाय ॥खनकरेजरांए. ससनहींतरांए। ॥६॥विणअपराधीहोय. तिणारहिंस्यादोय ॥ मारेजांणतांए, बळे अजाणताए॥७॥म्हारेधां नजोवणरोकांम, गामीचढजावूगाव ॥ खेतीहल खडुए, सूमनिनांणकरूंए ॥ ८॥ तिहांबहूजीव हणाय, किमपालुमुनिराय ॥ नहीसजेईसोए, ग्र हवासेवस्योए ॥ ९॥ प्राकटीनेसांम, जीवमार परोकांम ॥ व्रत जाणताए, नहींअजाणताए । ॥१०॥ महारिइमडीहरजानांहि, चालुंअंधारा माहि ॥ बसतजोवूपंजुनहीए, लेवूमुकुंसहीए ॥ ॥११॥ थाथीलावीरानेम, मोठीसुचाले केम ॥ चोपदहाकणांए, दुपदहटकणाए ॥ १२॥ इमकरताजीवमराय, जीवकायाजुदाथाय ॥ हवा बुधनहींकरीए. बिनाबुधमरीए ॥ १३॥ हणवा बुधहोय, जीवनमाकोय ॥ सेउपयोगकरीए.ऐ सीविगतधरीए ॥१४॥ हिंस्यानांपचखाण. में कीधापरमाण ॥ जावजीकरीए. करणजोगधरी ए ॥ १५॥ धनजेलेबैराग. ज्यांरेसर्वहिंस्यारा Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ त्याग॥प्रसथावरतणीए. अपकंपाघणीए ॥१६॥ हुंग्रहस्थमुनिराज. माहारेआरंनरोकाज ॥ इब्र तबहुघणोए. सथावरतणीए ॥ १७॥ धिन धिनसाधुमुनिराज, तेसुमतासुमतिथाय ॥ जी वे ज्यांनणीए. नचूकेअणीए ॥ १८॥ धिगधिगर हस्थावास. झोरेमोटोपडियोफास ॥ हिंस्याबहुध पीए. नहींहितमोजणीए ॥ १९ ॥ ज्ञानादिक आंकसलाय. मननेापीठाय ॥ हिंस्याटालसुंए. दयापालस्युंए ॥ २० ॥ धनधनसाधुसूर. ज्यांनवफरोकीयोदूर ॥ तिणबिधमोपतए. खांतोनहीखतेए ॥२१॥ दुहा ॥ दूजोत्रतश्रावकतणो, करेफूठतणोपर माण ॥ त्यागेमाठोजांणने, पालैजिणवरण ॥ ॥१॥ कुठाबोलामानवी, नहीज्यारीपरतीत ॥ मिनखजमारोहारने, नरकांहोयफजित ॥२॥ . ढाल ॥२॥ जिणनाख्यापापअढारएदेशी॥ "कुठतणांपचखाण, नानांमोटाजांण ॥ पचखेमोट काए, कांयकगेटकाए॥१॥गेटोनेबोलूंकेम,महारे गृहवासेसुप्रेमाविणजसोदाकरूंए,मनमेंलोनधरूं ए॥२॥ माठोपांचप्रकार, तेहनोकरुंपरिहार॥ Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व्रतकरुऐसोए, मोसुनिनेसोए ॥३॥ किना लीगवालीजांण, तीजीनोमपिगंण ॥ थापणमो सोकरीए, कडीसाख्यनरीए॥४॥ कंन्यारानेद अपार, करणोर्मुसविचार ॥ बरसांगेटकीए, ते नकहणीमोटकीए ॥५॥ गेहलीगुंगीहोय, आ ख्यानहाय, काणीमीमणीए ॥ अांख्याचीपडीए॥ ॥६॥ कालीकोमालीनार, कानांनसुलिगार॥ थुटीपांगुलीए. बोलेतोतलीए॥ ७॥रोगघणोघ टमाहि, जीवणरीत्रासानहींकाई ॥ बलेजरोतेज़ रोए, आवेएकंतरोए ॥ ८॥ बलेरोगखेन, जी वनपामेचेन ॥ रगतपीत्ततणीए, दुरगंधअतीग पीए ॥९॥ कबीडूबीहोय, वामीवांकीजोय॥बो टीबामणीए, अांख्यानांमणीए॥१०॥हीणबस नीहोय, तिन्यरीजातनजाणेकोय ॥ प्रातोजावेज ठेए, साखननरेकठेए॥११॥रूपरोगनेगेड, बलेब रसदेतोड ॥ अतोनहींनाखणोए, हुवेजिमदाख जोए ॥१२॥ यांबोलोरोसांम, आयपमेको ई. कांम ॥ घरमंडेजठेए, कुठनबोलुंतथेए ॥ १३ ॥ हांसीमसकरीकाज, महारेसोंसनहीमुनिराज ॥ पालतांदोहिलोए. नहीमो नेसोहीलोए ॥ १४ ॥ Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इत्यादिकपरमांण में कीधापचखाण | इमहीज पुरपतपीए. कन्याज्युनापणी ॥ १५ ॥ इमही गुवालीजांण, दूधतणोपरमांण ॥ बेतनउबारणो ए, हुवेज्युदापणो ॥ १६ ॥ नुमालीघरे नेहाट, बळेबादनेघाट ॥ धरतीवावणतणीए, इत्यादिक घणी ॥ १७ ॥ कोईधनसुंपेय, हुंराखुघरमां ह्य ॥ श्रयनेमागेजरेए, ननहींतर ॥ १८ ॥ मागेधणीज्योय, बापनाईनेमाच ॥ बोहरा यडे, राजारी केजराए । १९ ॥ जबकुठंवो लपरोनेम, रासुंबरतसुं प्रेम ॥ चोखोपालसूए, दोषनटालसुंए ॥ २० ॥ मागेअनेरोमाय, तोनटजावुंमुनिराय ॥ पुंसनहीं कीयोए, लोनेचित्त दीयोए ॥ २१ ॥ साखनरावेमोय, कुठनबोलुं कोय । तेपि मोटकीए, नहीं बोटकी ॥ २२ ॥ जोहुँबोलुंबाय, घरपेलासेजाय ॥ नाखाटालणी ए पाबेबोलणी ॥ २३ ॥ करेकुठराभेद, त्यागोमेद || मनोर्थजदफलेए, कुठबोटोटलेए ॥ २४ ॥ करणजोगघाली नेएम, करेकुठरानेम ॥ व्रत करेइसोए, पोते निनेजिसोए ॥ २५ ॥ दुहा ॥ तिजोव्रतश्रावकतणो, करे प्रदत्तरोत्या Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग॥मनमेंसमताप्रांणीने, चौ मेनाववैराग॥१॥इ हलोकेजसप्रतिघणो, परलोकेसुखथाय ॥ नाव सहितश्राराधियां, जन्ममरणमिटजाय ॥२॥ चोरीकरे तेमानवी, गयाजमारोहार ॥ मिनखत पोनवखोयने, नरकांखावेमार ॥३॥ __ ढाल ३ जी॥ देशी तेहीज ॥ तीजोव्रतएम, करेअदत्तरोनेम ॥ नकरेमोटकीए, बळेबोटकीए ॥१॥न्हानीहीकिमत्यागुंस्वाम, म्हारेघासइंध. गरीकांम ॥ खिणखिणकिण कहुंए, किहांकिहां अग्याले उए ॥२॥ न्हानीत्यागेतेधन्य, पिणम्हारोनहींमन्न ॥ चीतचोखोनहींए, कर्मघणास हीए ॥ ३॥ सांथोदेगाठमीगेड धामोकरतालो तोम॥ बस्तमोटीअए धणीजाण्यांपए ॥४॥ इस्याप्रदत्तरात्याग,मेंपचख्याांगबैराग॥ सेपि पापरतणीए, नहींघरतणीए ॥ ५॥ म्हारेकुटंबा दिकमेमाल, मोमेपमेहवाल ॥ नीडघणीसहीए, मो नेयेनहींए ॥६॥ जबतालोलेउतोड, बळेगांठमीगेड ॥सांथोदेचोरसए. खोससजोरसए ॥७॥ इतरामोनेागार, तेनरकतणांदातार॥ रमणीवसपज्योए, जंजीराजज्योए ॥८॥राजा Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लेवेदंड, होयलोकमेनंड ॥ चोरीनहींकरूंए, इ स्योव्रतधरुंए ॥ ९ ॥ ऐसोपलेमुनिराय, मोनेधोपचखाय ॥ जीवुजीहांनणीए, व्रतचोरीतणो ए॥१०॥ चोरीकरमचंडाल, तिथीपडेहवा ल ॥ दुःखनरकांतणाए, सहेअतिघणांए ॥११॥ चोरले वेपरमाल, तिणमेपडेहवाल ॥ नरकनिगो दातणाए, दुःखहुवेघणाए ॥ परधनलेवेताहि, दे वेपेलोरेदाह ॥ तेनरकनापविणाए, न्यातलजाघणांए ॥ १३॥ इहलोकउदेहुवेपाप, तोदुखनो गवेआपोआप ॥ मारघणीपडेए, विणायुमरे ए ॥ १४ ॥ तिणराकाटेहाथनेपाय, वलिसूलीदे वेचढाय ॥ नकटोवुचोकरेए, बळेमारबेणीपडेए ॥ ॥१५॥ मूंबापडेचोररीकाय, नांखेखामामाह्य ॥ तिहांकुत्ताआयनेए, विंगाडेकायनेए ॥ १६ ॥ बळेकागांचांचसुमार, तिपरामीयाकाढेवार ॥ स रीरतिणतणोए, बिकरालदिसेघणोए ॥ १७॥ तिसरादेखेमायनेतात, मनमेघणोसिदात ॥ इण चोरीकरीपरतपीए, लजायाम्हांनपीए॥१८॥लो ककरेचोरीरीबात, तेसुणेमातनेतात ॥ बोलेजरो वताए, नीचोजोवताए ॥ १९॥ चोरीसुंदुःखम Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२ नंत, तिरोकहितानावे अंत || चहुंगतिमेनट कावणोए, तेपापचोरीतो ॥ २० ॥ इमसांजलनेनरनार, चोरीमतकरोलिगार ॥ समतारस ने, त्यागोजांणने ॥ २१ ॥ कोणी मनबैराग, सर्वथकी देत्याग ॥ करजोगांकरीए मनसमताधरी || २२ || कोइसोसकरेदेनांग तिणराघणां निकलसीसांग ॥ महापापी मोटकोए करमांदीनोधको ॥ २३ ॥ चोखापालेजेसोंस, त्यांरीपुरीजेमनरीहोल || जासीदेवलोकमेए, केइ जासीमोरुमे ॥ २४ ॥ दुहा ॥ मिनखतो नवपायने, नरपालेसीला शिवरमणीबेगावरे, रहेमुगत में लीन ॥ २ ॥ सा धूत्यागेसर्वथा, गृहचारीपरनार ॥ पाठीनीजरजोवेनही, तिरोखेोपार ॥ २ ॥ एकएकश्राव करहवा, मनवैराग ॥ जेगजाऐवीखसार खा, घरनारी देत्याग ॥ ३ ॥ ढाल ४ थी || देशी तेहीन ॥ चोथोव्रतइमजा ण, अवनतणांचखांण। देवंग मिनखणीए, व्या गेतिरजंचणीए ॥ १ ॥ बळेपोतारीनार, तेहनो करे विचार ॥ तजेदिनरातरीए, परणीहाथरीए ॥ Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥२॥ पंखीयादिकनानेम, नरतोपालेएम ।। मा हणीपरहरेए, आतमबसकरेए ॥ ३॥ कोईसर्व थकी देत्याग, प्राणीमनवैराग ॥ विखेअनधरेए, मनसमताधरेए ॥४॥ महारेघरनारीसुंनेह, ति पनेकिमदेह ॥ प्रातमांबसनहीए, कर्मघणां सहीए ॥ ५॥ करंदिवसतणांपचखाण, रातत पांपरजाण ॥ संतोखादरुंए, विखेपरहरूंए । ॥६॥ परनारीसुंप्रेम, मेकीधोने नेम ॥ सूइदो रेकरीए, ऐसीविगतधरीए ॥ ७॥ जेसेवेपरना र. देगयाजमारोहार ॥ नरकामाहीपडेए, ढील नहीकारेण ॥ ८॥ चोथोव्रतघणोश्रीकार, सारां बरतारोसिरदार ॥ बरतारोनायकोए, मुगतरोदा यकोर॥९॥ सीलव्रत मोटारतन, तिणराक रोजतन ॥ तेातमनहरोए, सिवरमणीवरोए । ॥१०॥ एव्रतपालेनिरदोष, त्याने नेमी मोद॥ तिणमेशकानहीए, श्रीजिणमुखसुंकहीए ॥११॥ च्यारजातरादेवकरे, ब्रह्मचारीरीसेव ॥ बळेसि सनमावताए, वांदेगुणगावंतांए ॥ १२ ॥ जिण चोथोव्रतदियोनांग, त्यांराघणांनिकलसीसांग ॥ तेनरकांमांहीपमेए, घणारमबडेए ॥ १३ ॥ इह Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४ लो केफिटहोय, परलोकेदुरगतजोय ॥ तिणजन्म विगाडीयोए, मानवनवहारीयोए ॥ १४॥ जा तवंतकुलवंत, तेत्रातमनितदमंत ॥ तिणेव्रतपा लीयोए, ऊलकुजवालीयोए ॥१५॥ नहीजात चंतकुलवंत, बळेरसगीरधीअत्यंत ॥ तेविखेमेफ सीयोए, तिणबरतबिपांसीयोए ॥ १६॥ निर लजलकारहीत, बळेविखेविकारसहीत ॥ तिपत्र तकापीयोए, तेमोटोपापीयोए ॥ १७॥ ब्रह्मत्र तरानांजणहार, धिगत्यारोजमवार ॥ ते नित्यल जावणाए, दरगतनोपावपाए॥१८॥घणाला कां रेमांद्य, चस्वरबोल्योनहीजाय ॥ श्राखामी मोटीघणीए, व्रतनांजणतणीए ॥ १९ ॥ कोइए मोटोकरेअकाज, लज्जावंतनेआवेलाज ॥ निर लालाजेनहीए, सलगएसोहीजेए॥२०॥ इण सीलनांजपरोसोय, कहवतमेमिटेनकोय ॥ प्रा. मोटीमोहपीए, जीवेज्यांनपीए ॥ २१॥ इणपा पीकीयोकाज, अजेअनावेलाज ॥ तोइबो लेगाजतोए, निरलजनहीलाजतोए ॥ २२॥ यवततणोकरेनंग, तिणरोकदेनहीकीजेसंग ॥ कुकरममांहिनिलियोए, करमाहेकलापए ॥२३॥ Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जेसे वेपरनार, तेगयाजमारोहार ॥ लजावेन्यात नेए. पडियामेथ्यातमेए ॥ २४॥ परनारिमाबे हनसमांन, त्यांसुनकरेमाठोध्यान ॥ चितचोखो कीयोर, ब्रह्मव्रतलीयोए ॥ २५॥ कोइबो डेस रमनेलाज, त्यांसुइकरेअकाज ॥ तेनिरलऊनही लाजीयोए. माकीबाजीयोए ॥ २६ ॥ करमजो गजायेनाज, विणकेइकांनेावेलाज ॥ केईलाजेनहीए, बेसरमीसहीए ॥ २७॥ केइपिसतावे मनमांय, म्हेंमहोटोकीयोअन्याय ॥ पितायो घणोए, खोटाकीरतवतणोए ॥ २८॥ जिणरो. चोथोव्रतगयोनांग, तिणरोपुरोअनाग्य ॥ तेना गोनिरलजोए, तिणमेनहीमजोए ॥ २९॥ ब्रह्मव्रतनववाड, तेपाले निरतीचार ॥ अडगसे ठोघणोए, मनजोगांतणोए ॥ ३० ॥ जिणलोप दीधीवाड, तिणरोहुवेविगाड ॥ खराबीहुवेघणी ए, ब्रह्मव्रतनांजणतपीए ॥३१॥ व्रतनांगसे वेपरनार, तेगयाजमारोहार ॥ फिटफिटहुवेघणो ए, कुजसतिणतणोए ॥३२॥ चोखेचीत्तपालेसी ल, तेरहेमुगतलीन ॥ राखिनीशभासताहे, पा मेसुखसास्वताए ॥ ३३ ॥ दीनदीनतेचढतोरंग, Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पालेव्रतबंन ॥ मनसमताधरेए, तेसिवरमणी वरेए ॥ ३४ ॥ ब्रह्मत्रतनेश्रीजगदीश, नपमाक हीबत्तीस ॥ दसमाअंगमेकहीए, तेसूरापालेसहीए ॥ ३५॥ करणजोगसुजाण, विवरासुधपीग पाचोखेचितपालज्योए.दोखणटालजोए॥३६ ॥ दुहा॥ पांचमोव्रतत्यागेपरिगृहोते. परिगृहेम गजाण ॥ तिणसंनिरंतरजीवरे, पापलागेमा ॥ ॥ १॥ एमोटोपापपरिग्रहो, तिथीगोता खाय ॥ सांसोहुवेतो देखज्यो तीनमनोरथमांध ॥२॥ एअनर्थज्ञानीनाखीयो, नरकलेजावतां ण ॥ जतीमारगनोनंजणो, नखेध्योइमजाण ॥ ॥३॥ खेत्रवथुहिरणसोवणतणां, धनधान्यबळे जाण ॥ दोपदधेचोपदतणो, कुंनीधातुतणांप्रमा ण ॥४॥ खेतुतेउघाडीनुमका, वयुहाटहवेली जाण ॥ रूपानेसोनातो. करेसगतसारूपचखां ण ॥५॥ सचित प्रचितमिश्रहुवे, यांसगकारोकरे प्रमाण ॥ राख्यातेसगलाईअवरतने, बाकीसगलारापचखाण॥६॥एनवइजातरो, बा हिजपरिग्रहोजाण ॥ मुरगअनितरपरिग्रहो. ति णसुंपापलागेण ॥ ७॥ बाहिजपरिग्रहोन Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वजातरो, ममताकरगृह्यो ताण ॥ तिणसुंयानेप रिग्रहकह्यो, तिणयासुंपापनलागेण ॥ ८ ॥ __ढाल ५ मी ॥ देशी तेहीज ॥ परिग्रहनोप रिहार, सिख्याकरेविचार ॥ ममताउरधरेए, नव नेदेकरेए । खेत्रबथुएह, सोनोरूपोतेह ॥ धन धान्यदोयपदाए. कुबीधातूचौपदाए॥२॥एनव विधसंख्याथाय, बंगदीयनिटाय ॥ सनापरह रेए, मनसमाताधरेए ॥३॥ ममतावुरीबलाय, चनगतिमेनटकाय ॥ घणोरडवडेए, नहीजक पडेए ॥४॥ मनसुंकरोविचार, एनरकतणोदा तार ॥ एहनेटालवोए, व्रतनेपालवोए ॥ ५॥न वजातरोपरिग्रहोताहि, विचारकरीमनमांहि ॥ मू परिग्रहोए, एमारगनहीए ॥६॥ एमोटोप्र तिबंधपास, करेबोधबिजरोनास ॥ मारग कुग तिरोए, फरसोमुगतिरोए॥ ७॥परिग्रहोमोटो फंद, कर्मतणो बंध ॥ नरकनचावेसहीए, ति. हामारघणीकहिए ॥ ८॥ परिग्रहोमाहाविक्राल, नोटोमायाजाल ॥ तिणमेखुतासहीए, धर्मपावे नहींए ॥९॥ कनककामनीदोय, त्यासंदुरगत होय ॥ फंदळेमोटकाए, त्यांसुखावेधकाए॥१०॥ Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८ कनक कामिनीदोय, पेलाने पकडावेकोय ॥ तिप फंदमेनाख्यो सहीए, नीकलसकी के नहीए ॥११॥ परिग्रहो दीधा कहे धर्म, तेनूला ज्ञानीजर्म ॥ क घणांसहीए, समज पडेनहीए ॥ १२ ॥ इपरिग्रहतपादलाल, त्यांपिणहोसीहवाल ॥ दुःख नरकांतांए, सहसिच्प्रतिघणार ॥ १३ ॥ एरा ख्यालागे बेकर्म, रखायापि नहीधर्म || तिनकर सारखाए, तेकीजो पारखाए || १४ || एपरिग्र हानादातार, त्यांरासावजजोगव्यापार ॥ मारग नहींमोदरोए, गंदोलोकरो ॥ १५ ॥ सना दिकच्या आहार, श्रावकरे परिगृहामकार ॥ ते खावेखवावेसहीए, तिमेपिणधर्म नहीए ॥१६॥ श्रावक मांहो मांहि, देवेलेवे बेतांहि ॥ तेसगलो हिपरिग्टहोए, तेसंकामतधरो ॥ १७ ॥ रुचित मिश्रदर्व, तिमेागेपावेसर्व ॥ सगलोही परि गृहोए, तेममतामां हिखरोए ॥ १८ ॥ सचितअ चितसगलाहिताहि, गृहस्थरेपरिग्रहमांहि ॥ क ह्यो जववाइ उपांग मेंए, बळे सुगमा अंगमे ॥ १९ ॥ त्यांरोसरावग की यो परमाण, त्याग्यारव्रतपिगं - ए ॥ वाकीइव्रत मेराखीयोए, सुत्रबेसाखीयोए ॥ Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥२०॥ परिगृहदीयोधर्महेत, तेजिणगन्या देत ॥ केही केहीनेदिरावताए, एधर्मकरावताए ॥२१॥ इणधनथीअनरथहोय, धर्मधूरानहीचालेकोय ॥ नवनवनटकावताए, दुरगतपोहो चावताए ॥ २२ ॥ धनीधर्मनथाय, तीनकालकेमांड ॥ साचोकरजांणज्योए, संकामतां पज्योए ॥ २३ ॥ इणपरिग्रहामांहिरत्त, त्यांने आवेनहींसम्यक्त ॥ मरवातिणमेसहीए, समज पमेनहीए ॥ २४ ॥ ज्यारेपरिग्रहासुपरतित, ते तोहोसीघाफजीत ॥ नरकाजावसीए, जोखां खावसीए ॥२५॥ इणथीबधेसंसार, जावेनरकनिगोदामजार ॥ घणोरमवमेए, जकनहीपडेए ॥ २६ ॥ सचितअचितद्रव्यताहि, गृहस्थरेइब रतमांहि ॥ ज्यांरोत्यागकीयोनहींए, त्यारोपाप लागेसहीए ॥ २७ ॥ तीनकरणालागेपाप, ति णसुंदुःखनोगवेआप ॥ त्यानेत्याग्यांविरतहुसी ए, जबहुसीमुखीए ॥ २८ ॥ करणजोगघालीजे जांण, की जेसुधपचखाण ॥ चोखेचितपालीयो ए, दोखणटालीयोए ॥ २९॥ दुहा ॥ पांचअणुव्रतधारतां, मोटीबांधीपा Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ल ॥ बोटारीइबरतरही, तेपापावेदगचाल ॥ ॥१॥ तिणअविरतनेमेटवानणी, पहिलोगुण व्रतदेख ॥ दसमरजादामांडले, टालेपापविशेख ॥२॥ माहिलीइव्रतमेटवा, दूजोगुणवतधार ॥ द्रव्यादिकत्यागनकरे, नोगादिकपरिहार ॥ ३॥ जेदरबादिकराखीया, जेहनीवरतजण ॥ अर्थ दंमबुटेनही, अनर्थदंमपचखांण ॥४॥ बठोत्र तश्रावकतणो, करे दिशातणोपरमाण॥ हिंस्यादि कत्यागेउदिसतणी, मनमा हिमुमताप्राण ॥५॥ ___ ढाल ६ठी ॥ इणपुरकंबलकोइनलेसी एदेशी ॥ चीनीचीदिसकोसबेच्यार, तिणबारेसा वजनांपरिहार ॥ त्रिीदीमपांचसोपरमाण, इ पाबिधिदिसतणोपचखांण ॥१॥ प्रथिवियादि कजीवनमारे, गेटाइफूठतणोपरिहार ॥ चोरीन करेमइथुनटाले, धनसुममतापानीवाले ॥२॥ मांहिबेठांपिणबारलोलेवोने देवो, तिणरापिणत्या गकरेसमयेवो ॥ बारलीबस्तमांहिमंगावेनाहि, माहिलीबस्तबारनदेकिन्हेइ ॥३॥ जानतोएक आश्रवत्यागेकोइ, उत्कृष्ठाआश्रवत्यागेपांचूंइ ॥ एककरणनेतीनजोगसुजाण, बारलाआश्रवनाक Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रेपचखांण ॥ ४ ॥ कोइदोयकरणतीनजोगसुंजां , त्यागकर नेरेबरतदेवे मिटाइ ॥ कोइतीनकर एतीनजोगांसुजांण, पांचप्राश्रवनांक रेपचखाण ॥ ५ ॥ बारला आश्रवनाकीधात्याग, इबरतबोमीराग ॥ खेत्रथकी सर्व क्षेत्र में जाण, का लथकीजावजीवपचखांण ॥ ६ ॥ कोइदेवादिक तिनेंनाखेबार, तोपि नहीसे वे श्राश्रवद्वार || कोइकष्ट पड्याराखेने त्र्यागार, पोतानीकचाईजांणे तिणवार ॥ ७ ॥ कोइमंत्रीदेवादिकने वूलावे, तिच्यापरोनावकरावे ॥ तिरोपणबठोबि रतलीयातिवार, इतरोतो पहलीराख्योबेचागार ॥ ८ ॥ इत्यादिकराखे श्रागार अनेक आगारबि नाकरे नहीएक ॥ श्रागारराख्यांइवरितरोपापला गे, विगारक रेतोवठोबतनांगे ॥ ९ ॥ बठा व्रतरो बहोतबिस्तारो, तेकहतांनी वेपारो || प्रोतो संक्षेपमात्र कह्यो बिस्तार, बुधवंत जांणलेसी अनुसार ॥ १० ॥ ठेवत हवा पचखांण, मांहि घणद्रबादिकजांण ॥ तेहनीवरतटालणकाज, सात मोव्रत कह्योजिणराज ॥ ११ ॥ दुहा ॥ सातमोव्रत श्रावकतणो, तिमे प.. Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२ जोगनात्याग ॥ गमतीबस्तु त्यागेतेहने प्रावेवे अधिक वैराग ॥ १ ॥ जोग आवेएकचारमे, तेक हीयेपनोग ॥ वारवारजोगावे जीवने, तिने कह्योपरिभोग ॥ २ ॥ उपनोगपरिनोगत्याग तो, इमरतमेकह्यो भगवान || त्योइत्यागकरे सतगुरुकने, तेसात मोतप्रधांन ॥ ३ ॥ उपजोग परिनोगकांमवे, जोगमहादुखारीखांन ॥ किं पाकफलनीदीधीउपमा. भगवंत श्रीवर्द्धमान ॥४॥ ढाल ७ मी ॥ गोबोदांत फलनगता, उगा गोपीठीनें मंन ॥ वचविलेपणपूफानरण, धूपखे वापीवणनेनखण || १ || उदनसूपविगेसागवि मांस, महुरजीमणपाणीमुखवास | वाहणसाहण पनीयसचित, द्रव्यसंख्याक रेत्यागे एकचित ॥ २ ॥ एबीस बोलांतणो परमाण, धनत्यागेतेसमता एप ॥ नामले ईविव रोकरलीजे, करण जोगघालीव्र तकीजे ॥ ३ ॥ एठाईस बोलेनोगवीयासंताप, नोगवायांपिपलागे पाप || मोदीयाधर्मीकहा थीहोय, तीनुकरणसरिखाजोय ॥ ४ ॥ मूरखरे दिलवातनवेसे, न्यायबोमऊगडारे पेसे ॥ सुगुरु टोडकुगुरुसुपरचा, नारीहुवे करेबंधीचरचा ॥ • Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बरतइबरतकहीजीणन्यारी, समजेनहीतिणरेकर्म नारी ॥ मूढमतीनवतत्वनहीजाणे, लीधीटेकगेडे नहीताणे॥६॥गविसबोलतणोआगार, तेतोइबर ताश्रवद्वार॥ त्यामेंकेइनपनोगनेपरिनोग, त्यां नेनोगवतेसावऊजोग ॥ ७॥ त्यारोत्यागकरेम नसमताप्रांण, सगतसारूकरेपचखांण ॥एककर पातीणजोगसंत्यागे, जबपोतेनोगणरोपापनला गे॥ ८॥ दोकरणतीमुंजोगांसुंपचखाण, तिगड नागारोपापटाल्योजाण ॥ तेतोपोतेपिणनोगवे नहीकाय, अोरनेपिणनोगावेनहीताय॥९॥ती नकरणनेतीनजोगसंत्यागे, तिणनेनउहीनागारो पापनलागे ॥ भोगवेनहीनोगावेनही, नोगणवा लानेसराहेपिणनाहि ॥ १०॥ जेजेसेरीछूटीरही ताही, तिणसुपापकर्मलागेआई ॥ जैसेरीतो कीजेसंबरद्वार, तिणसुंपापनलागेलिगार॥११॥ बूडीसेरीभेश्रावकबांधेनेबुंधादे, बांधताने पिणबु टोसेरीमेसरावे ॥ रूकीसेरीमेबांधेबुंधावेनहीइ, अनमोदनापिणनकरेकाइ ॥ १२॥ श्रावकनेमां होमांहिबकायखुवावे, बळेबकायमारीनेजीमावे ॥ एइवरितसावजजोगव्यापार, तिणमाहिधर्मनही Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बेलिगार ॥ १३ ॥ श्रावकने मांहो मांहिबकाय खु वावे, बळे कायमारी ने जीमावे ॥ तिणमेधर्ममी ध्यात्वीजाणे, कर्मतऐवसनुंधीतां ॥ १४ ॥ व्र ताश्रीश्रावक ने कह्योबेधर्मी, इवरतच्या श्री कह्यो धरमी || तिसुं श्रावकनेधर्माधर्मी जाणो, प नवणानगवती सुंजोय पिणो ॥ १५ ॥ श्रावक नोखाणोनेग्रहणो, मांहोमांहिएकर नेले पोने देणो ॥ तेतीनुकरणइबरत मेघाल्या, नववाइसुगमा अंग मैचालया ॥ १६ ॥ सबदगंधरसने फरसा, रा रूयावे तिणारी पुगरहीसा ॥ एहीनेउपभोगने परिजोग, तिणरामिल बेविधसंजोग ॥ १७ ॥रा ख्यावे तिसरीइवरतजांणो, तिरासमयसमयपा पलागेबेाणो ॥ व्यां नेत्याग्यांहोसीसंबर सुखदा य, तिणसंइबरतरापापमिटजाय ॥ १८ ॥ उप जोगपरिभोगवेजांण, तिणसुंपापला गेां ॥ जोगवा मे तिदु जे करणपाप, तिणसंपिणहोसीब होतसंताप ॥ १९ ॥ णमोदे तेसरावेजांण, ति सुंपि पाप लागे बेाण ॥ श्रावकरानपनोगप रिभोग, तीनुकरण बेसावज़जोग ॥ २० ॥ जघनमकमने उत्कृष्टाजांण, श्रावकगुणरतनारीखा 1 Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ण ॥ त्यांरोखाणोपिणोइबरतमेजाणो, तिणनेरूडीरितेपिगणो ॥ २१ ॥ जघनश्रावकरेइबरतघ ऐरी, उत्कृष्टाश्रावकरेइबरतथोडेरी ॥तेइब्रता श्रवपापरोनालो,तिणसुंपापावेदगचालो॥२२॥ श्रावकतपकरेाणहुलास, उपवासबेलादिककरे बेबमास ॥ सावजजोगरूंढासूसंवरहुवोरूडो, त पसूकरमकरेचकचूरो ॥ २३ ॥ तपपूरोहवेपनेबि रतत्रागार, खावोपीवोतेसावळजोगव्यापार ॥ तिणसुंकर्मलागेाय, तेपापहोसीजीवनेदुःख दाय ॥२४॥ पारणोकरेतेपहेलेकरणजाणो, करा वेतेदुजेकरणपिगणो ॥ श्रावणवालोरेत्तीजेकर पो, यांतीनारोबुधवंतकरसीनिरणो ॥ २५॥ प हलेकरणतोपापबंधावे, दूजेकर्णधर्मकीहांनीथावे॥ तीजेकरणधरमनहीं बेलीगार, यांतीनारासावक जोगव्यापार ॥ २६ ॥ सावळजोगसुंलागे पाप, तिणसुंागन्याजिणनदेशाप ॥ श्रावकनेजीमा याधर्महुवेतो, अरिहंतनगवंतागन्यादेतो ॥ ॥ २७॥ कोईकहेश्रावकलेंजीमायाधर्म, तेनल गयाअग्यानीनर्म ॥ पोतेपिणनीमियांलागेपा पकर्म, ओरानेजीमायांकिमहोसीधर्म ॥२८॥ Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कोईकडेलाडुखवायांधर्म, जगतपकरयांम्हाराकटसीकर्म ॥ तिणसुंम्हेंोरानेलाडुखवावां, पाने लाडुडासाठेम्हेनपवासकरावा ॥ २९ ॥ पातो उकरसीतेनणनेहोसी, पिणतिणमेधर्मनहीघणाक मंबधसी ॥ लाडडाखवायांतोएकंतपाप ॥ ते. जिणमुखसंनाख्योआप ॥ ३० ॥ श्रावक नेलाडुमाखवायांधर्महोय, तोएहवो धरम करेहर कोय । बडाबमाश्रावकहुवाधनवंत, तेलाडुखवा यानधरमकरंत ॥३१॥ बडाबमाशेठसेनापति ताह, त्यारेहुंतीघणीधर्मरीचाह । लाडुखवायाध महो वेतो, आघोनहींकाढतालाडुखवायांकांमसि राणचाडतो ॥ ३२॥ श्रावकनेलाडुडाखवायांध म, खवावणवालाराकटजायकर्म, तोचक्रबर्तबल देववासुदेव ॥ श्रोतोधर्मकरंतसमेव ॥ ३३ ॥ श्रावकनेलाडूमाखवायांहवेधर्म, श्रावकनेलाडुडा खवायांकटेकर्म ॥ तोच्यारंजातरांदेवसमेव, ओ तोधर्मकरेततखेव ॥ ३४॥ एहवाधर्मथीशीवसु खहोय, तो देवताआघोकाढताकोय ॥ एहबोधर्म करीपुरतमनखांत, देवनवथीपाधरोमोद मेंपोहचांत॥ ३५॥ लाडुखवायांखाधांधर्म नाही; खा Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पोखवाणोइवरतमाहि ॥ इणमाहिधर्मसरहेनोला, तिहां रेमोहकर्मनोबेफकोला॥ ३६ ॥लाडुडा खवायांधर्मनांहीनाई, श्रोतोउघामीदीसेविकला ई ॥ श्रोतोलोनपणोजिन्यारोसवाद, नारीकर मामांड्योबाद ॥ ३७॥ खाणोखवावणोत्यागेसो य, जबसातमोत्तश्रावकरेहोय ॥ जबकटसीया वतापापकर्म, तेहिजनजलोसंवरधर्म ॥ ३८ ॥ तीनुईकर्णजुवाजुवाकीजे, त्यागनेआगारअोलख लीजे ॥ इवरतपापजाणीगेडीजे, बिरतमेधरम जांणविरतलीजे ॥ ३९॥ मानवनवनोलाहोली जे, दानसुपात्रेनिश्वेदीजे ॥ धर्मनोकारजनेगो. कीजे, सतपुरसांकीसंगतलीजे ॥४०॥ दुहा ॥ उपनोगनेपरनोगनो, सातमोव्रतत्र धानातिणमाहिउपदेसीया, पनराकरमादांन॥॥ ढाल तेहीज॥इटलीहालासोनारठठारा, नडमुंज्या कुंभारलोहारा ॥ एकर्मकरीने पेटनरीजे, तेभंगा लीकर्मकहीजे ॥१॥बेचेसागपातकंदमूल, फल बीजादीकधांनतंदुल ॥ वेचतेलादीकसर्ववनराई, तेबपीककर्मकहीजेरेनाई ॥२॥ बेचेगाडादिक रथकराइ, चोकीपाटापिलंगबणाइ ॥ किंवाडधं Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नादिकबेचावे, तीजोसाडीकर्मकहावे ॥ ३॥ हा टहवेलीनाडेथाय, रोकमनांए॒व्याजेआय ॥ गा डादिकनाडेदेजेह, नाडीकर्मकहीजेतेह ॥2॥ वेचेनारळादिकफोडी,बळेआखरोटसोपारीतोडी॥ पथरफोडदलेपीसेधांन, पांचमोफोडीकर्मादान ॥ ॥५॥ कस्तुरीकवमागजदंत, मोतीबागरपाप अनंत ॥ चरमहाडसींगज़हार, ठोकरमादानए धार॥६॥सातमोनेदेमणसलाल, बेचेलाख गुलीहरीयाल॥ कसुंबादिकरांगणपास, दोखणघ पाकह्याजिणतास ॥७॥मधुमांसमाखणनेदारु, नारुविगेकहींजिनच्यारूं ॥ दुधदहींघृततेलगुल जांण, आठमुंएहरसबिणजपिगंण ॥ ८ ॥ बेचे ऊंटगधानेगाय, घोडाहाथीबैलमंगाय ॥ जनरु इरेसमथानबणांय, केसबाणिजएनवमोथाय॥९॥ सिगीमोहरोआकूसार, लीलोथुथोसोमलखार ॥ हरवंसीनरबंसबिणजे, दसमोतीबिखविणजकही जे ॥१०॥तिलसरसुंप्रमूखपिलावे, इखुरसनांघा घढावे ॥ जंतपीलणइग्यारमोकर्म, करतांवाधे घणोअधर्म ॥ ११ ॥ कानकटावेनाकविंधावे, पापीकसीयाबहलकरावे ॥ बारमोकरमादांन नि Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लग्न, व्रतधारीनेलागेलंगन ॥ १२ ॥ जालोगा मनगरदेलाय, अटव्यादिकमेंदवदेलगाय ॥ बालेमूरमानेदबापे, तेरमुंकरमईसीपरेव्यापे ॥ ॥ १३ ॥ चवदमेंनांजेनहींद्रहतीर, खेतमाहेआं घालेनीर॥ सरदहतलावबरेसोलंत. एहकर्मक रीजीवनरकेपडत ॥ १४॥ साधविनासघलापो खीजे, पनरमुंअसंजतीपोखकहीजे ॥ रोजगारले इत्यांनपररेवे, खाणुंपीअसंजतीनेदेवे ॥ १५॥ एपनराकर्मादानणोविसतार, मरजादाबांधेकरेप रिहार ॥ एपनरेहीकह्यासावजजोगव्यापार, करे आजीवकाचसावणहार ॥ १६॥ - दुहा ॥ सातमोव्रतपूरोथयो, हिवेआठमानो विसतार ॥अरथअनरथोलखायवानणी. तेह मोसुणोबिचार ॥१॥ साततआदरतांथकां, बाकीइवरतरहींचेतांहि ॥ तिणसुनिरंतरजीवरे, पापलागेाहीं ॥२॥तिणबरतरादोयनेद, तिणमेएकतोअनर्थदंडजाण ॥ इकइविरतअर्थदं मतणी, त्यासुंपापलागेण ॥३॥ अर्थतेमु तलबापरे, सावजकरेविविधप्रकार ॥ अनर्थते मुतलबविना, पापकरतापिणडरेनमूललिगार ॥ Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥४॥ पापकरेअनर्थने, अनर्थत्यानेरुडीरित पिगंण ॥ अर्थदंडगेमणोदोहिलो, अनर्थदंडरा करेपचखाण ॥५॥ अनर्थदंडतणांनेदअतिघ णां, तेपूराकह्यानजाय ॥ पिणथोमासोपरगटक रूं, तेसूणज्योचितलाय ॥६॥ ___ढाल ८ मी ॥ पहेलोनेदकह्योअपध्यांन, ति पथीबांधेअनर्थखांन ॥ बीजेनेदप्रमादाखे, घ तादिकठांनउघडाराखे ॥ १॥ सास्त्रजोडकरेवि सतार, पापनपदेसदेवेविविधप्रकार ॥ एअनर्थ राकरेपचखाण, सुधीपालेजिणवरण ॥२॥ अनर्थदंड केमकहीज, अर्थदंडसेतीभोलखलीजे॥ तेहनानेदविविधप्रकार, संदेपमात्रकरूं विस्तार ॥३॥ माठाध्यांनरादोयप्रकार, जगजेध्यावे नरनार ॥ आरतरुद्रध्यांनध्यावेलोग, पांमे विवि धहरखने मोग ॥४॥ शब्दादिकइंद्रियानांनोग, तेहनोध्यावेसंजोगविजोग ॥ रोगादिकलागेमा पगमता, नोगनोगवतालागेगमता ॥ ५॥इ पविधजीववचनवरचे, आपअर्थकुटंबनेपरचे ॥ ठाकुरचाकरसगासनेही, वोहोरानेधुरीयाबाददेई ॥६॥ जिणसुखीये मुखवेदेाप, तिणदु Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खीयापांमेसोगसंताप ॥ तेपिणटालेसमताआंण, अनर्थध्याववापचखांण ॥ ७॥ रुद्रध्यानहिंसाजे ध्यावे.फटचोरीबंदीवानदीरावे॥ अर्थकरोपिणधजे तन्न, अनर्थध्यानजेएकमन॥८॥घृतादिकपिणवि गजकरंता,धूमादिककारजअणसरता॥ इणविध अर्थनघाडापाखेतांहि, तिणरोजतनकरेचितलाइ ॥९॥ प्रमादनेबसालसाण, उघामाराखण रापचखाण ॥ घरटीनखलमूसलराखे, ह्यारेसनेहि इणपाखे॥१०॥अनर्थराखणरापचखाण, एहवो बरतकरेमनजाण ॥ प्राथपिणराखताशंके, तेसा स्त्रनोमकोणनाहांखे ॥ ११ ॥ नाईनत्रीजाचाकर पेख, ज्यानेदेनपापरानपदेस ॥ खेतीबीणजसोदा करेनाइ, बेठोखासीकिणरीकमाई ॥ १२॥ बुध वंतनरग्यानकरदेखे, कहतालागेपापविशंपे॥ तो अनर्थकुणघरमेघाले, तिणीकरममेलामाले ॥ ॥ १३ ॥ जसवीरतमानबमाईकाज, वलिसरमा सरमीलोकरीलाज ॥ वलिघरनदाइणारेतांई, हिं स्थादिककरेतेअर्थदंडमांहि॥१४॥जिणकीरतब कीयांकरेलोकनंड, तेकीरतवकरेतेअनर्थदंडाळ राखीतेअर्थदंडमाहि, त्यारेकाजहिंस्यादिककरे Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ताहि ॥ १५॥ सुगमाअंगअध्येनअठारमाम मार. अडिडराकह्याभागार ॥ प्रात्मान्याती लोकरे काम, हिंस्यादिककरेताम ॥ १६ ॥श्रा गारतेघरहाठादिककाम, परवारतेदासदासीनाम ॥ मंत्रीतेनागनूतजदेव, त्यारेताइहिंस्यादि ककरेसमेव ॥ १७ ॥ इहलोकनेपरलोक, जीवपोमरणोनेकामनोग ॥ यारेअर्थबंगकीयापाप लागे, अनर्थकीयापाठमोव्रतनांगे ॥१८॥ संजतीजीवरोजीवणोबांबे, असंजतीजीवियांसंह रखितथावे ॥ अर्थेकीयातोअर्थपापलागे, अनर्थ कीयााठमोव्रतनांगे ॥ १९॥ असंजतीरोमर पोचावे, अथवात्यांनेमारेमरावे ॥ अर्थतोमारया मरायापापलागे, अनर्थमारयामरायाव्रतनांगे ॥ ॥ २० ॥ गृहस्तनेकांमनोगनोगवायाचावे, अ थवात्यांनेकांमनोगनोगवावे ॥ अर्थनोगवाया. तोपापजलागें, अनर्थनोगवीयांव्रतनांगे॥ २१॥ गृहस्तनेउपनोगपरिनोगनोगवावे, सोनिश्चेहिपापकर्मबंधार्थनोगायांतोअर्थपापलागे, अ नर्थनोगवायांपाठमोक्तनांगे ॥ २२॥ गृहस्त रोकांमकरेअंसमात, तिणरेनिश्चपापलागेसादा Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ते ॥ अर्थकीयांतोअर्थपापलागे, अनर्थकीयांतो आठमोव्रतनांगे ॥ २३॥ कहिकहिनेकीतरोए कहुं, अर्थअनर्थदंडबेहुं ॥ तिणमेंअर्थराइबरत राखिजांण, अनर्थदंडतणापचखाए ॥२४॥ यांथीरुमीरितपिगंणलेजे, करणजोगघालीव्रतकी जे ॥ यांमेरुकीसेरीतिणमाहिधर्म, छूटीसेरी तेइ जअधर्म ॥ २५॥ अाठमाव्रतरोबोहोतविचार, एतोअल्पमात्रकीयोबिस्तार ॥ हिवेइनवमोकहुंछं तांहि, सनिलजोनवियणचितलाइ ॥ २६ ॥ दुहा ॥ पांचअणुव्रतपालतां, गुणवतदेशक हाय सिख्यावतच्यारुंचोकडी, कहेजेउपमालाय ॥ १ ॥ जिमदेवलइंमोचढे, मुगटमस्तकअंत ॥ इमसमदृष्टिजीवमा, सिख्याव्रतपालंत ॥२॥व्रत आलुइपेहलाकह्या, जावजीवलगजांण॥ सिख्या व्रतचारेतणां, विविधपरेपचखांण ॥३॥ सा मायकमुहुरतएकनी, ज्योकरेचितलाय ॥ देशाव गासीव्रततणा, जिमकरेतिमथाय॥४॥पोसोह वेदिनरातनो, ज्योध्यावनिरमलध्यान ॥ बारमोन तसुधसाधुने, प्रतिलान्यांथीथाय ॥५॥ ढाल९मी। ममकरकायामायाकारमी,एदेशी॥ Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४ सामायकसमतापणे, सावजजोगपचखाणजी || कालथीमुहरत एकनी, दुविहंतिविहे जाणजी ॥ सि ख्याजीवताराधिये ॥ १ ॥ उतकृष्टोनागेकरी, तीनकरण तीन जोगजी ॥ गृहवासातणीवातांत णो ॥ नकरेहरख नेसोगजी, सिख्याजीव्रतचारा धिये ॥ २ ॥ उपगरणसामायककरतांराखीया, तिणनपरांत कियापचखांणजी ॥ राख्यांतेइवरत परिभोगरी, तिरोपापनिरंतरजांणजी ॥ सि० ॥३॥ उपगरणसामाइकमेराखीयां. त्यांरोपिएकरे परिमाणजी ॥ बाकीतीनकरणतीनजोगसुं, पांचुं ईश्रवनापचखांणजी ॥ सि० ॥ ४ ॥ तेजप गरणपेहरेनडेवावरे, विबावणादिककरेवारंवारजी ॥ तेसरीररीसातादिककारणे, तेतोसावजजोग व्यापारजी ॥ सि० ॥ ५ ॥ वलिघरेणानरण कनेरह्या, तेपिइविरतमेजांणजी ॥ तिरोपाप निरंतर, सबलागेबे प्रांणजी ॥ सि० ॥ ६ ॥ ते घरेणां श्रानरराजतनकरे, त्यांराजीहुवेति वारजी ॥ घापायासमारेतिअवसरे, तेसाव जजोगव्यापारजी ॥ ७ ॥ उपगरणघरेणांकनेरा खीयां, तेतोनहीच्यावेसामाइकरे कामजी॥ कामतो Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आवेपरिनोगमे, सुखसातासोनादिकरेतांमजी ॥ ॥सि०॥८॥सामाईकरितोदीधीजिणागन्या जी.तेतोसामाईकोसंवरधर्मजी॥ उपगरणनेघरे णापरिनोगव्यां, तिणसुंतोलागे पापकर्मजी ॥ ॥सि० ॥ ९ ॥ सामाइकमेश्रावकनीातमा, अ धीकरणकहीजिणरायजी ॥ नगोतीकेसतकसात मे, पहेलाउद्देसारेमांहजी॥ सि० ॥१०॥ अधि करणतेशस्त्रबकायनो, तिणरोसाथरोकरेअंसमा तजी ॥ तिणरीसारसंचालजतनकरे, तेसावज जोगसादातजी ॥ सि० ॥ ११॥ कपमोजढेपे हरेवावरे, बलिवैयावच करेतांहिंजी ॥ तिणअधि करणनेसांथरोकीयो,तिणरीअागन्यानहीदेवेजिण रायजी॥ सि० ॥ १२ ॥ अंसमातरसरीरकार जकरे, तेतोसावजजोगतांहि जी ॥ तिणसुंपाप लागेजीवने, तिणरीभाग्यानहींदेवेजिणापजी ॥ सि० ॥ १३ ॥ हालवोचालवोसरीरनो, सुख साताकाजकरेजांगजी ॥ सावजजोगश्रीजिणक ह्या, तिणसुंतोपापकर्मलागेप्रांणजी ॥ सि. ॥ १४॥ जिणकिरतवकीयांजिणागन्यानाहीं, तेसावजजोगसादातजी। जिणकिरतवकियांज़ि Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६ ६ प्रागन्यां, तेनिरवद्य जोगविख्यातजी ॥ सि० ॥ १५ ॥ उपगरणघरेणांसरीरनां, जतनकरेसा माइकमकारजी ॥ त्यांनेजियागन्यानही सरब था, तेसावजजोगतावेव्यापारजी ॥ सि० ॥ ॥१६॥ कनेरा ख्यांत्यांराजतनकरे, तोराख्योसा माइमे गारजी ||सामाइकरतांज्यांने नराखिया, त्यांराजतन नहीं कर पालीगारजी ॥ सि० ॥ १७ ॥ श्रावकराजपगरणइबरत मजे, कह्याउववाइनेसुग डागजी || त्यांनेसेवेसेवावेसावजजोगळे, ति एरीयाग्या नहींदे जिणरायजी ॥ सि० ॥ १८ ॥ कोइ कहे सामायककीधांतेहने, सावजजोगपचखां जी || तिरेपापरोगरकिहांथीरह्यो, कोइ एहवी पूजा करे जी ॥ सिं० ॥ १९ ॥ तेहने जुबाबइमदीजीये, सरबसावज नहीं पचखाण जी ॥ सरबसाव जरा त्याग साधुतणे, तेहनीकरोपिबांण जी ॥ सि० ॥ २० ॥ नागसामाइकमेपचखीया, तिसरे तीन जागांरो आगारजी ॥ तिपरेपापलागे बेनिरंतरे, एहवासावजजोगव्यापारजी ॥ सि० ॥ २१ ॥ तिरेपुत्रादिकहुवां हरषनहुवे, सुवाग यांनहुवे सोगजी ॥ इत्यादिकमागार सामायिकमं Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -- के, एहवासामाइकमेसावजजोगजी॥ सि॥२२॥ घरेणोकपडोहुवेतेहने, जतनकरेसामाइरेमाहिजी ॥ तेपिणसावजजोगडे, तिणरीप्राग्यानदेवेजी। ॥ सि० ॥ २३ ॥ सरीरकपडादिकतेहने, जतन करेसामाइकरमाहिजलायचारादिकरानयथकी, एकंतथानकजेणासुहायजी॥सि० ॥२४॥ तेपि सावजजोग, आगारसेव्योसामाइरेमांहिजी।। सामायकमांहिसमताराखणी, चीत्तनचलावणो. ताहिजी ॥ सि०॥ २५ ॥लायसरपादिकरानयथ की, जेयणांसंनिसरजायनागजी ॥ पाखतीमिन खबैठाहुवे, त्यांनेतोनहींलेजावेबारजी ॥ सि० ॥ ॥ २६ ॥ आपरोतोआगारराखीयो, ओरारोतो नहीं देआगारजी ॥ अोरांनंत्याग्यांसामाइमझे, त्यानेकिणविधलेजावेबारजी ॥ सि० ॥२७॥ लायचोरादिकरानयथकी, राख्यातेंउपधलेजाय जी ॥ पाखतीकपडादिकहुवेघणां, त्यांनेतोबारेन हीलेजावेतांहिंजी ॥ सि० ॥ २८ ॥ राख्यातेद रबलेजावतां, सामाइकरोनंगनथायजी॥ज्यांने. स्याग्यानेत्यांनेलेनावेतो,सामाइकरोबरतनांगजा यजी॥ सि०॥२९॥तिणसुंसरबसावजजोगरा, Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८ सामाइकमे नहीं पचखांणजी ॥ त्र्यागारउपरांतसा वजजोगरा, पबखांकियांबेपिठांणजी ॥ सि० ॥ ॥ ३० ॥ तिकरत्याग कियातिके, तेसावज - जोगरा पचखांणजी || सरबसावजजोगरा, तेतो सारासाधुतगांजांणजी ॥ सि० ॥ ३१ ॥ उपग रणराख्यासामाइकमळे, तेतो पहले करणलीयांजां जी ॥ तेरांने नोगावसीकिणविधे, ओरांतो कियावेपचखालजी ॥ सि० ॥ ३२ ॥ दरबथकीतील परांतरा, सगळाराकियापचखांणजी ॥ खेत्रथकी सर्व खेतरमऊ, कालयकी मुहरतजांणजी ॥ सि० ॥ ३३ ॥ नावथ कीरागद्वेपरहितबे, ज व संवरनिकरागुणथाय जी ॥ इरीतेसामाइक लखकरे, जबसा माइक हुवे ताहिजी ॥ सि० ॥ ३४ ॥ अवसर सगळा नेत्यागदीयां, त्यांसुइकरेसं नोगजी ॥ तिसरीतेनांगे सामाइकव्रततेहनो, इराबर त्यांबेसावज जोग जी ॥ सि० ॥ ३५ ॥ कोइसामा इकमेसामाइकतणो, कारजकरणोराख्योबे आगार जी ॥ तिरोकारजकियांसामाइकनांगे नहीं, तिल शेपिएक रेपरमाणजी ॥ सि० ॥ ३६ ॥ सामाईक मेमांहो मांहिकारजकरे, तेतो सूत्र मेनहीताहिजी ॥ Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३९ त्यांनेनीश्चयतोयापणीच्यावेनहीं, ज्ञानीवदेतेसव्यवायजी ॥ सि० ॥ ३७ ॥ केइक हेसामाइकमेरा स्वीपुंजणी, राखीते दयारेकामजी || तिजवाब सुलोविवरा, शुद्धचितराखी एकंत ठामजी ॥ सि ॥ ३८ ॥ सरीशादेकपूंजेसामाइमके, मातरादिक परठे बेपूंजजी || एहवा कारज रीजिएगन्याना ही, तिमेधर्म कहेते वूऊजी ॥ सि० ॥ ३९ ॥ सरीरने पंजे परठेमातरो, सरीरादिकरावे कामजी ॥ जोधर्मतणोकारजहुवे, तोयागन्यादे वेजिणराय जी ॥ सि० ॥ ४० ॥ जोपुंजणोपरठवणोकरेनही, कायश्रीरराखणी एकंतठामजी ॥ हस्तादिक नही हलावियां, रहणीनही यावेळेतांमजी ॥ सि० ॥ ४१ ॥ तिसुंपुंजवेजायगातोजोयने, तेसामा यकतपोनहीकांमजी ॥ किडिकंथवादिकप्राददे, अनुकंपाच्या मनमायजी ॥ सि०॥ ४२ ॥ मांखी महरकीमीयादिदे, तेतोसरीरादिकरेला गेवेषां जी || लेखमणीनावेतेहथी, तिणमुंपुंजपरी करे दूरजी ॥ सि० ॥ ४३ ॥ जोकायाथिर राखएक सूण, लिपरेपूंजारो कांईकांमजी || परिसो खमणीने द्यावेतेहसुं, पूंजीराखेवेतामजी ॥ सि० Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ ४ ॥ जोइतरीकह्यांसमऊपडेनही, तोराख पीजिणपरतीतजी ॥ जिणागन्यांबारेधर्मसर देनही, नहोकरणीएहवीअनीतजी ॥ सि० ॥ ॥४५॥ सरीरराउपगरणराजतनकीयाते, सा वजजोगव्यापारजी ॥ सरीरराकिरतबनीरबदक रे, तिणनेजिणागन्यानहीश्रीकारजी ॥४६॥ दुहा ॥ दसमोदेसावगासीव्रततणा, कह्याने दअनेक ॥ थोडासापरगदकरूं, तेसुणज्योर्माण विवेक ॥ १ ॥ ढाल १०मी॥ ममकरकायामायाकारमीएदेशी ॥देसावगासीवरतना, नागहुवेविधदोयजी॥प हलोरठानीपरे, दूजोसातमाज्युहोयजी ॥ सीख्याजीव्रताराधीये ॥ १॥ दिनपरतेपरनात थकी, बदीसरोकीयोपरमाणजी ॥ मरजादाकीधी तिणबारली, पांचाश्रवनांपचखांणजी ॥ सि. ॥ २॥ जेनोमकाराखी मोकळी, तिणमांहिंद्र व्यादिकनोव्यापारजी ॥ मरजादासकतसारुंकरे, जोगादिकपरिहारजी ॥ सि० ॥३॥ कालथीदि वसनेरातनी, नावनाविवधप्रकारजी ॥ करणजो गघालेतेतलां, जेहवाकरेपरिहारजी ॥ सि० ॥ Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ ४॥ बळेजघन्यनवकारसीआदिदे, उस्कृष्ठो घालेकालकोयजी॥मरजादासुंत्यागेसावजनणी, जिमकरेतिमहोयजी ॥ सि० ॥ ५॥ कोइकरेजे त्यागहिंस्यातणो, तिणमेकालरोकरेपरमाणजी ॥ तेत्यागपुराहुवातेहने, ॥ आगेतोनहीपचखांण जी॥६॥ हिंस्याकुठचोरीमैथुननो, बळेपांचमो परिग्रहोजांणजी ॥ एपांचुइआश्रवद्वारनो, कालघालनेकरेपचखांणजी। सि ॥७॥ परमां करेगविसबोलनो, पनराकरमादांनतणोपरमां गजी ॥बळेसचितादिकचवदेनेमनी, यारोनित नितकरेपचखांणजी ॥ सि० ॥ ८॥ नवकारसी पोरसीनेपुरमढ, एकासपोआंबिलादिकतांमजी ॥ उपवासबेलादिकतपकरे, उत्कृष्टोकरेबमासजी ॥ सि० ॥९॥ तपतणोकष्टहवेतिको, तेकरणी नीर्जरातणीजाणजी ॥ खावापिवारोव्रतहुवेति को, तेदसमोव्रतहुवोआंणजी ॥ सि० ॥ १० ॥ जेजेसावजत्यागेतेहने, कालरोकरेप्रमाणजी ॥ तेतोदसमोव्रतनीपनो, तेजावजीवपचखांणजी ॥ सिं० ॥ ११॥ श्रावकनोव्रतइग्यारमो, पोसोक योनगवानजी॥ शिख्यावतरलीयामणो, तेसु Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पोसूतरदेकांनजी ॥ सि० ॥ १२ ॥ पोखदव्रत बखांणीये, पचखेचोबिधाहारजी ॥ अबनम णीसोवनतजे, मालाबीलेपनपरिहारजी ॥ सि० ॥ १३ ॥ सथमुसलादिकादिदे, सावजजोगत णापचखांणजी ॥ कालथीदिवसनेरातरो, एक ह्योपोसातणोपरमाणजी ॥ सि० ॥ १४ ॥ जग नदोयकरणतीनजोगसुं, करेसावजजोगपचखाण जी ॥ कोइउत्कृष्टेनागेकरे, तीनकरणतीनजोग संजाणजी॥सि० ॥१५॥ द्रव्यथकांतोकनोति णउपरांति, कीयासर्वद्रव्यरापचखांणजी ॥ क्षेत्र थकांसर्वक्षेत्रमले, कालथीदिवसनेरातराजांणजी ॥सि० ॥ १६ ॥ नावथकीरागद्वेषरहितकरे, ब ळेचोखेचितमपयोगसहितजी ॥ जबकर्मरुके आवता, वळेनिळराहुवेरुमीरितजी ॥ सि० ॥ ॥ १७ ॥ जपगरणपोसामाहिराखियां, तिणउप रांतराकियापचखांणजी ॥ राख्यातेइबरितपरिनो गरी, तिणरोपापनिरंतरलागेांणजी॥ सि. ॥ १८ ॥ पोसानेसामायकव्रतना, सरिखाप चखांणजी॥सामाईतोमुहुरतएकनी, पोसोदिनरा तरोजांगाजी ॥ सि० ॥१९॥ पोसानेसामाय Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कबिरतमे, यादोनुमेसरिखाआगारजी ॥ तेक ह्याबेसगलाइवरीतमे, तेजोयकरोनिसतारजी ॥ सि० ॥२०॥ जबकोईकहेपोषधव्रतमे, मणिसु वर्णादिकपचखांणजी ॥ तिणसंमणिसोनादिकक नेराखियां, पोसोनांगगयोजाणजी ॥ सि ॥ ॥ २१ ॥ पोसामांहिकनेराखियां, मणीसोवर्णादि कजांणजी ॥ तिणउपरांतराखणरापचखांण, उ त्तरएहपिगंणजी ॥ सि० ॥ २२ ॥ नमूककहितां मकदीया, त्यांमपीसोवनरापचखांणजी ॥ कनेर ह्यात्याराइव्रतरही, नगोतीसुंकरज्योपिगंणजी ॥ ॥सि० ॥ २३ ॥ मणिसोवनराजाबकपचखांण होवे, तोजमकरोपाठकहतानाहिजी ॥ श्रोतोनिर पोउघाडोदीसगयो, बिचारदेखोमनमाहिजी ॥ ॥ सि० ॥ २४ ॥ श्रेणिकनेकृष्णजीरीराणीयां, इत्यादिकइराणीयांअनेकजी॥त्यांपोसाकियादी खोगेहणापेहरयांथकां, समजोआणविवेकजी ॥ ॥सि ॥ २५॥ त्यांरीचूड्यांमेहीरापानाजडी या, बळेदांतामेमेखांजापजी ॥ ओरगहणात्यारे पहेरणरा, त्याउतारयानदीसे एकजी ॥ सि.॥ ॥ २६ ॥ भारीनारीजमावचूडांजरचा, बलेनारी Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४ भारीगहणाहाथगलामांहिजी ॥ तेसगलाइकेमन तारसी, ओतोमिलतोनदीसेन्यायजी ॥ सि०॥ ॥२७॥ त्यांकीधीसामाइकसिंध्याकालरी सामा इककीधीरातपरनातजी॥तेखीणखीणमेकेमउतार सी, ओपिणमिलतोनहीदीसेन्यायजी ॥ सि० ॥ ॥२८॥ सामाइकमेगहणानहीराखणा, तोचूडी नहीराखणीताहिजी॥गहणोनेचूडीतोएकहीज, दोनुइभानूपणमाहिजी ॥ सि० ॥ २९ ॥सामा इकनेपोसातणी, दोयांरीबिधजांणोएकजी ॥रीतदोयारीबराबरी, समजोत्रांणविवेकजी॥ सि० ॥ ३० ॥ एहलोकरेअर्थकरेनहीं, नकरेखावापी घारेहेतजी ॥ लोनलालचहेतकरेनहीं, परलोक हेतनकरेतेहजी ॥ सि० ॥ ३१ ॥ संबरनिरजरा हेतेकरे, औरबंगनहीकायजी ॥इणपरिपतीमा पोसोकरे, तेनावथकीशुद्धथायजी ॥ सि ॥३२॥ कोइलाडुवासाटेपोसोकरे, कोइपरिग्रहोलेवाकरे सामजी ॥ कोईअोरद्रव्यलेवापोसोकरे, तेकहवा नोपोसो नामजी ॥ सि० ॥ ३३ ॥ तेतोअर्थडे एकतपेटरो, तेमजूरीयांतणीपांतजी ॥ त्यांजी पारोकारजसी नहीं, उलटीघालीगलामांहिरात Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५ जी ॥ सि० ॥ ३४ ॥ लाडूवासाटेपोसाकरावी यां, अथवा धनदेइनेतामजी ॥ तेकवानोपोसो करावीयां, पिणसंबरनिरजरारोनही कामजी॥ सि० ॥ ३५ ॥ कर्मकाटने करेमजूरीयां, त्यांराघटमां हिघोर अंधारजी || लाडूखवाया पोसोकरे, एतोक ठेइन कह्योनगवानजी ॥ सि० ॥ ३६ ॥ कर्मका टकरे मजूरीयां, त्यांराघटमांहिघोर अंधारजी ॥ पइसादेइ पोसाक रावणा, तेनहींचाल्यासूत्रमकार जी ॥ सि० ॥ ३७ ॥ मजूरीयां करे खेतीनिनापा वा, मजूरीयांकरेघर कराववाका मंजी ॥ कडबका टकरे मजूरीया, कर्मकाटणनहीं चाल्यातामजी ॥ सि० ॥ ३८ ॥ खेत खेमावाने चाल्या मजूरीया, बळेमारले जावण कामजी ॥ ध्यानगाला कल्मजु रीया, कर्मकाटने नहीवाल्यातामजी ॥ सि० ॥ ३९ ॥ विरक्तपणोहोय कामनोगथी, त्यांने त्याग्याबेशुद्धपरिणामजी ॥ मोहरे हतपोसोकरे, तेस्सलपोसोकह्योतांमजी ॥ सि० ॥ ४० ॥ ६ एविधपोसोकीयाथकां, तोसीजसीतमकाम जी || कर्मरुकसीनेबळेटुटसी, इमनायोश्राजि परायजी ॥ सि० ॥ ४१ ॥ Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૨૬ दुह ||| अतिथि संर्विनोंग चोथोसिख्या, तेबारमो व्रतरसाल ॥ समपनिग्रंथणगारने, दानदेवेद चाल ॥ १ ॥ तेफासु चितनेसूऊतो, कलपेते दरबने ॥ कलपताखेतरकालमे, दांनदेश्रा विवेक ॥ २ ॥ जोओदानदेवेमुगतरेकारणे, ओ रबंबानहीकायं ॥ जबनिपजेवतबारमो, इमना प्योजिणराय ॥ ३ ॥ इग्यारातबापरे, म नमानेजवनिपजाय ॥ बारमो व्रतसुवसाधुने, प्र तिलाच्यांसुंथाय ॥ ४ ॥ लाखांको मांखरचीयां, जीवनंतीवार ॥ पिणदांनसुपात्रे दोहिलो, ते जीवतो आधार ॥ ५ ॥ एव्रतनिपावाकारणे, उ धमकरेनितनेम ॥ नावेसाधारीनावना, हाथेदां नदेवासुंप्रेम ॥ ६ ॥ आलस बोलोकिणविधे, किविधदेणोदांन ॥ उद्यमकरणोकिएविधे, सु पोसूतरदेकांन ॥ ७ ॥ ढाल ११ मी ॥ जीवमोहमणुकंपानही आणी ये देशी ॥ बारमोत्रतवेश्रावकतणो, तिणरोसां मलज्यो बिस्तारजी ॥ समपनिग्रंथअणगारने, देवोचनविधसुधमहारजी ॥ इमव्रतनिपावेबार मो ॥ १ ॥ बळेवस्त्र पात्र कामलो, पायपूरणो देवे Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एमजी ॥ पीढपलंगसेज्यानेसंथारो, देवेओषध नेखजएमजी ॥ इम० ॥२॥ इत्यादिकबस्तुक ल्पेतिका, साधानेदीधांहरखतहोयजी ॥ जाणेध नदीहाडोधनघडीजी, बारमोव्रतनीपनोजोयजी। इम ॥३॥ करेचिंतवणासाधातणी, घरमेदे खेसुधाहारजी ॥ बळेनावेबेठानावना, व्रतधारीरोप्रोप्राचारजी ॥ इम० ॥४॥ साधुमा यउनादेखेप्रांगणे, बिकसेसगलीरोमरायजी ॥ असणादिकदेवेनावसुं, घणोमनरलियायतथाय. जी ॥ इम० ॥ ५॥ कच्चापाणीसुंथालीधोवेन. ही, बळेसचितनराखेपासजी ॥ संघटेनहीबेसे सचितरे, व्रतनिपजावणरोगलासजी ॥ इम० ॥ ॥६॥ कांइकामपडेआयसचितरो, जबपिणस मताराखेविख्यातजी ॥ दिसअवलोक्यांविनांसा धने, नहींघालेसचितमेहाथजी ॥ इम० ॥७॥ कल्पेतेपमीवस्तुअसूझती, कदेसहिजेसूझतीहो यजी ॥ तोखपकरराखेसूऊती, सचितउपरनमे लेकोयजी ॥ इम० ॥ ८॥ जेजेद्रव्यजाणेसुक ता, कल्पेतेसाधुनेजाणजी ॥ तियरीनावेनिरंत रनावना, एहवाश्रावकचतुरसुजापजी ॥ इम Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८ ॥ ९ ॥ चित्तवित्तपात्रतीनुंतणो, कदेयमिले संजोगजी ॥ जब ढलकदांन देहाथसुं, पबेनक रेपिता वोसोगजी ॥ इम० ॥ १० ॥ जेजेवत धारी श्रावकहुवे, तेजीमतांनजडेकिंवाड़जी ॥ जव बाइसुगमागमे, स्याराचाल्यानघामाद्वारजी ॥ इमे० ॥ ११ ॥ सहिजेनघाडा नहुवेबारणां, ज बराखेउघाडातांमजी ॥ नहीजमेजघाडाबारणां, साधानेदांनदेवाकांमजी ॥ इम० ॥ १२ ॥ मोरनेखनघाडमांहीधसे, साधुन यावेखोल किं बामजी ॥ ति सुव्रतधारी श्रावकहुवे, तेतोराखे उघाडाद्वारजी ॥ इम० ॥ १३ ॥ सहिजे आया बेघरयापरे, नीपनोदेवसुधाहारजी ॥ जबका लजांणेगोचरीतणो, तोडनोवाटजोवेतिणवारजी ॥ इम० ॥ १४ ॥ ज्यारेहुंसगणीबेमांहिली, पो तेस्वहाथदेवादांनजी ॥ त्याराहिरदा मेसाधुवसर ह्या, त्यांरोकिएविधमूकेध्यांनजी ॥ इम०॥ १५ ॥ मसणादिकथाली मेलीघांबे, तुरतघालेन हिमुष मांहिजी || दिसावलोकेनावेनावना, जांणेसा धपधारेाजजी ॥ इम० ॥ १६ ॥ इणविध भावनानावताथका मिलेसतगुरुनीजोगवाइजी Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । तोओदांनदेउलटपरिणामसुं, चूकेनहींअवसर पायजी ॥ इम० ॥ १७॥ सगतसारुदानदेसाध ने, पिणनकरेकूडीमनवारजी ॥ ठालाबादलग्यु गाजेनहीं, साचेमनबोलेसुधबिचारजी ॥ इम. ॥ १८॥ अढलकदांनदेइसाधुने, पोमावेनहीं ओरांपासजी ॥ गिरुवागंभीररहेसदा, त्यांनेवीर वखाण्यातासजी ॥ इम० ॥ १९॥ अढलकदा नदेणोपातरे, नहींजिणतिणनेप्रासांनजी ॥ दां नदेवांरोध्यांनरहेसदा, एहवाविरला बुधवांनजी ॥ इम० ॥२०॥ आगवस्तगोपराखेनहीं, न आणेलोलपणानेलोनजी ॥गमतीबस्तदेवेसाधुने, पिणकुडीनसाधेसोनजी ॥ इम० ॥ २१ ॥ आ पखायतेइवरतमेगिणे, बधताजाणेपापकर्मजी ॥ लिणसुंदांनसुपात्रनेदीयां, जांणेसंवरनिर्जराधर्म जी॥ इमः ॥ २२ ॥ सुपात्रदानदेवेतिणअवस रे, लेखोनकरेमनमांहिजी॥लेखोकियासुंतोलोन उपजे, अढलकदांनदीयोनहीजायजी ॥ इम०॥ ॥ २३ ॥ लाडूघेवरादिकबेरावतां, राखेएकण धारापरिणांमजी ॥ व्रतधारीश्राघोकाढेनही, रु डीजोगवायपामजी ॥ इम० ॥ २४ ॥ कदासव Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हिरयाविणपागफिरे, काइआयपड्याअंतराय. जी। जबपिरतावोकियापुन्यबंधे, बळेकर्मनिर्ज राथायजी ॥ इम० ॥२५॥ पितावोकियाथीपु न्यबंधेतो, वेहरायाहोयलानअनंतजी ॥ उत्क टोतिर्थकरपदलहे, इमनापगयानगवंतजी ॥ इ म० ॥ २६ ॥ सुमतीबस्तकरेअसूऊती, तेतोन देवारेकामजी ॥ असूझतीनेकरेसुमती, बेहराव गराएपरणांमजी ॥ इम० ॥२७॥ जांणनेनहीं देवेअसुमतो, करडोपिणवणीअायांकामजी ॥ निरदोषदीधीबस्तहाथसुं, पागलेवारीनहींहांम जी ॥ इम० ॥२८॥ दानदेवणदेवावणकारणे, कदेअतिकर्मनहीकालजी ॥ मवरमांनबडाइगंड ने, दानदेवेतेदोषणटालजी ॥ इम० ॥ २९ ॥ आपणीबस्तकहेपारकी, दांननदेवाकांमजी ॥ध मंठिकाणेकुठबोलेनही, मुंढेकूडीनराखेमामजी ॥ ॥३०॥ इग्यारेव्रततोत्यागकीयांहोवे, बारमोत्र ततादाधाहायजातिसकठिनकामइव्रतरो. बिरलानिपजांवकोयजी ॥ इम० ॥ ३१ ॥ सुपा त्रदानदेवेतेहने, नीपजेतीनबोलअमोलजी ॥ सं बरनिरङराहुवेपुन्यबंधे, त्यांरोअर्थसुणोदिलखो Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लजी ॥ इम० ॥ ३२॥ जेजेदरबवेहरायासाध ने, तिणद्रव्यरीइवरितनकायजी ॥ तेबिरतसंबर हुवेइणविधे, मुनजोगासुनिरऊराथायजी ॥ इ म.॥३३॥ शुनजोगबरत्यांहुवेनिरङरा, सुन जोगांसुपुंन्यबंधजायजी ॥ पुन्यसहजेइहुवेनिरक राकियां, ज्युंखांखलोहोवेघनारीसाथजी ॥इ म० ॥ ३४ ॥ उत्कृष्टापरिणामादांनदे, तोनक ष्टीटलेकर्मगेतजी ॥ उत्कृष्टाबंधेपुण्यतेहने, वळे बंधेतिर्थंकरगोतनी ॥ इम० ॥ ३५ ॥ जोजणारे पुन्यनदेहुवेइणनवे, दुखदालीद्रदूरपुलायजी ॥ रिद्धसंपदापांमीअतिघणी, सुखसातामेदिनजा यजी॥ इम० ॥ ३६॥ जोनदेनावेइरानवे, तोपरनवमेसंकामतांगाजी ॥ उंचगोत्रादिकसु खनोगवे, इणदांनतणांफलजांगाजी ॥ इम०॥ ॥३७ ॥ पुन्यरीवांगकरदेवेनही, ससदृष्टीसा धानेदांनजी ॥ देवेसंबरनिरऊराकारणे, पुन्यतो सहजेबंधेासानजी ॥ इम० ॥३८॥ इवरत मेदांनदेताथकां, पडेश्रावकरेमनधरकजी ॥ का मपडेइवरतमेदांनरो, जबतोहीसासरमजी॥प करेपिरतावोतेहनो, कोयकढीलापमेकर्मनी ॥ Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ इम० ॥ ३९ ॥इवरतमेदानदेवातणो, टालोप रोकरेजपायजी,जाणेकर्मबंधे महारे,मुनेनोगवता दुखथायजी ॥४०॥ इव्रतमेदानदेताथकां, बं धेआलुइपापकर्मजी ॥ सुपात्रनेदांनदीयाधुसी, झारेसंबरनिहुराधर्मजी ॥ इम० ॥ ४२ ॥ इबर तमेदांनदेवणतणो, कोईत्यागकरेमनसुधजी ॥ तिणरोपापनिरंतरटलीयो, तिणरीवीरबखांणीब धजी ॥ इम० ॥४२॥ कुपात्रदांनमोहकर्मउदे, सुपात्रदानदयनपसमनावजी ॥ व्रतनिपजेसुपा दानेदीया, तिरोजांणेसमदृष्टीन्यावजी॥ इम. ॥४३॥ सहिजेजायगांपडिहुवेसूझती. जबजोवे साधारीवाटजी ॥ तिणरेकर्मतणीनिर्जराहुवे, बळे बंधेपुन्यराथाठजी ॥ इम० ॥ १४ ॥ बाटजोवतां साधपधारीया, सज्यादांनदेहरषतथायजी ॥ जां धनदिहामोधनघडी, मांहेसाधतरीयााय जी ॥ इम० ॥४५॥ सेज्यादानदेसुधसाधुने, केईकरेपरतसंसारजी ॥ के ईबंधपाडेसुधगतितपो, तेतोपामेनवजलपारजी ॥ इम० ॥४६॥ सज्यायांनकदीधोसाधने, आगेतीरीयाजीवअनं तजी ।। बळेतीरीयानेतीरसीघणा, इमनाखगया Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नगवंतजी ॥ इम० ॥४७॥ दीधादीरायानले जाणीयां, निरदोखसुपात्रदानजी ॥ व्रतनिपजे. दीधावस्तापरी, इमनाख्योश्रीनगवानजी ।। इमः ॥ १८ ॥ पुत्रत्रियादिकमाबापरा, परिणा मचमावेविशेषजी ॥ त्यानेदानदेवासनमुखकरे, सीखावेसुधविवेकजी ॥ इम० ॥४९॥ पुत्रत्रि. यादिकमावापरा, दानदेवारारहेपरणामजी ॥ स्यांसंहेतराखेजीणधर्मरो, सुधश्रावकतिरोनांम जी ॥ इम० ॥ ५० ॥ अढलकदांनदेतोदेखीभो रने, त्यारापाडेनहीपरणामजी ॥ कदासदेवीन. आवेआपसुं, तोकरोतिणरागुणग्रामजी ॥ इम. ॥५१॥ गुणकहणीनावेदातारना, पोते पिण दांनदीयोनहीजायनी ॥ एदोनुंभोगुणदूरातजे, श्रीजिणवरनोधर्मपालजी ॥ इम ॥५२॥ पोरानेओदानदेतादेखने, कोइबरजपाडेअंतरा यजी ॥ तोउत्कृष्टबांधेमाहामोहनी, एहवोश्रावक नकरेअन्यायजी ॥ इम० ॥ ५३ ॥ कोइअणती (जीमेनहीं, त्यांराठाकुरनेविणदिधांनोगजी ॥ नितवारेरसोईकाढने, पोखेपूजारादिकलोगजी ।। ॥ इम० ॥ ५४ ॥ त्यांनेठावनहोत्यारादेवनी, देष Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लेवेनलेवेनोगजी ॥ तोइराखेनेत्यारीआसता. नितवरतावत्यारोजोगनी ॥ इम० ॥ ५५॥ तो व्रतधारीसुधश्रावगातणो,धर्मसंरंग्योतनमनजी।। तेगुरुनानावनानावियाविना, मुखमेकिमघाले प्रजी ॥ इम० ॥५६॥ केईकां रेगुरुजेपणतीर थी, त्यांरीकरेसाचमनटेहेलजी ॥ तोसाधपधा स्याआंगणे, त्यांनेश्रावकनगिणेसहेलजी ॥इम० ॥५७ ॥ कोईकहदांनघणोद्रढावीयो, एतोलेवा रोकीधोउपायनी ॥ एहवाबंधाबोलेसुधबुधविना, तेश्रावकनहीकहेवायजी ॥ इम० ॥ ५८ ॥ दा नदेवारापरिणामजेहना, तेतोसुपीगुणहर्खितथा यजी ॥ कहेवरतनिपावारीबिध, मो नेसतगुरुदी धीसीखायजी ॥ इम० ॥ ५९॥ ओरव्रतकह्या देवलसमा, सिख्याव्रतसिखरसमानजी ॥ त्यां मेसगलासिरेवतबारमो, तिगरीबुधवंतकरसीपि गणजी ॥ इम० ॥६०॥ तिरयातिरेतिरसीध पा, इणदांनतणोप्रतापजी ॥ तिणमेसंकामलन भाणवी, श्रीजिणमुखनाख्योआपजी ॥ इम॥ ॥६॥ सूत्रपुराणकुराणमे, पात्रदांनतणोन्न धिकारनी ॥ पपात्रकुपात्रओलखने, बुधवंतक Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रसीनिस्तारजी ॥ इम० ॥६२॥ वळेकहिकहि नेकित्तरोकहुं, इणदानतणागुणग्रामजी ॥ कोड जोच्याकरबरणवू, पूराकहणीनावेतामजी ॥इम ॥६३ ॥जोमकीधीबारेईव्रतातणी, तेतोगुदवास हेरमझारजी ॥ संमतअठारेबतीसमे, बेशाखशु छबीजमंगलवारजी ईमव्रतनिपावोबारमो॥६४॥ ॥ इति श्री श्रावकरा बारा व्रत विस्तार संपूर्ण ॥ ॥ अथ ढंढारिखजीनो चोडालियो लिख्यते ॥ O:O::00:*:: - दुहा ॥ तिणकालेनेतिणसमे, द्वारकानगरीव खाणाबारजोजनलांबीकही, पहोलीनवजोजनजा ण ॥१॥तिणनगरीरोअधिपती, कृष्णवासुदेवरा य ॥ तिणरेरिद्धविस्तारकहीघणी, अंतघडज्ञाता माह्य ॥२॥ कृष्णवासुदेवतेहने, ढंढणाराणीवि ख्यात ॥ तिणराणीरोजनमियो. ढंढणकुमार गजात ॥ ३॥तेमातपितानेवाहालोघणो, मुगत गामिनीव ॥ चतुरविचक्षणअतिघणो, निरम लबुद्धिअतिव ॥४॥ त्याहांश्रीनेमसमोसरयां, ज्ञा Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नादिकगुणनंमार ॥ आपऊतरीयाबागमें, साथे साधारोबहुपरिवार ॥ ५॥ वनपालकदीधीवधा मणी. हरख्याकृष्णवासुदेव ॥ मोठोमंमाणकरीनि कल्या, श्रीजिनजीरीकरवासेव ॥ ६ ॥ ढंढणकुं वरतिणअवसरे, घणालोकांनेजातांदेख ॥ श्रो पिणआयोजिणवांदवा, हरखत वोविशेष॥७॥ ___ ढाल १ ली ॥ सलकोइमतराखजो एदे शी ॥ वांदेबेठाहरखसुं, जिएवाणीएमनाखेरे ॥ जीवादिकपुन्यपापना, निननिननेदप्रकाशेरे ॥ श्रीनेमकहेनवियणसुणो॥१॥ोजीवकालम नादरो, पापकरेदुखपावरे ॥ धिगधिगधेठाजीव ने, अजेइलाजनावरे ॥ श्री० ॥२॥ तनधजोबनकारमो, जातांकितीयकवारोरे ॥ तिणमां हेमुरझायने, लेजनममतिहारोरे ॥ श्री०॥३॥ लोगविषेरसप्रतिबुरा, किंपाकफलसमजाणो रे॥ तेनोगवतांमीठांलागे, पणआगेंदूखारीखा पोरे ॥ श्री० ॥४॥ मोहकरमवशजीवझो, होबरह्योमतवालोरे ॥ अकार्यकरतोशंकेनहीं, या सानेलगावेकालोरे ॥ श्री० ॥५॥ कुगुरुकुदेव सुधर्ममे, मुरझायरह्यानेअज्ञानीरे ॥ सदगुरुशी Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खमानेनही, नारीकरमाजीवअनिमानीरे॥श्री ॥६॥ कुगुरुकुदेवजेएहवा, दुर्गतिनादायकर रे ॥ मोदमार्गनालेधाडवी, बळेअनंतकालदुख. दायकरे ॥ श्री० ॥७॥ कुगुरुकुदेवकुधर्मनी, यारीराखेकोइप्रतितोरे ॥ तोपरनवमेपिस्तावसे, चहुंगतिमाहिहोशेफजीतोरे ॥ श्री० ॥८॥ श्रीदोयधर्मदेखावीया, आगारनेत्राणगारोरे ॥ मोदतणांसुखशाश्वतां, ओरअस्थिरसंसारोरे॥ श्री ॥९॥ इणसाधुश्रावकराधर्मसुं, सी. तमकाजोरे ॥ पाठंहीकर्मनेहायकोरे, पा. मेमुगतपुरीनोराजोरे ॥ श्री० ॥ १० ॥ दुहा ॥वाणीसुणिनेकृष्णजी, पायाजीणदिश जाय ॥ ढंढणकुंवरवेरागीयो, तेकिणविधबोले वाय ॥१॥ हाथजोडीनेइमकहे, मेंसरध्यांथारां वेण ॥थेंतारकनवजीवना, मोनमिलीयासाचासे ण ॥२॥ मातपितानपूरिने, लेशुसंजमनार ॥ संसारजाण्योकारमो, मोदतणांसुखसार ॥३॥ वलतानेमइसडीकहे, थाहरेदीक्षााइदाय ॥ आजकीघडीजावेतिकां, फिरपाबीनहीअाय ॥ ॥४॥ मातपितानेपूग्नेि, लीधोसंजमनार ॥ दि Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दारामहोउवतणो, कह्योघणोविस्तार॥५॥ ___ ढाल २जीमाहारेसेपारोसाथीरेवगियो । ॥ एदेशी ॥ चारित्रलीयांपलीकहेनेमजी, थारेजारीकर्मअंतरायरे।। एकलोफिरयांसाहारमिलशे नहीं, ओरसाधारेलारेजायरे ॥ श्रीनेमकहेसांन लोमनी ॥ १॥ एत्रांकणी ॥ संसविरखनपांच सोनरा, दीधीपालनवअंतरायरे ॥ थेंकर्मजपा यातिणसमे, तेसुणजोचित्तलगायरे ॥ श्री० ॥ ॥२॥ रावलेहलथालासीया, नूखतपालागीप्रपा ररे ॥ तेतोनगरीसामुंजोइरह्यो, क्युंलासलायो तिणवाररे ॥ श्री० ॥३॥ जवसघलांजाण्यो हलोडने, गयासजीमीअनपाणरे ॥ जबतुं. बोल्योतिणअवसरे, एकपालटफेरआगरे ॥ श्री० ॥४॥ त्योंनेाशाविलुधाराखीया, सघ. लारेपाडीअंतरायरे ॥ दुष्टकर्मउपायातिणसमे, तेनोगवतांदुखथायरे ॥ श्री० ॥ ५॥ जबढंढण कहेस्वामिमाहरा, कर्मकाटणरोकरुंउपायजी ॥ एकनारीअनिग्रहादरूं, थोडामेदेवंकर्मखपाय जी ॥६॥ सदाबेलेबेलेपारणोकरूं, महारील वरोलेसुंश्राहारजी ॥ ओरांरोप्राण्योनहींनोग Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बु, साहसिकपणुंमनधारजी ॥ ढंढ० ॥७॥ जोकृपाकरदेवोत्राज्ञा, माहरोमनर लियायतथाय जी ॥ तोहुंअनिग्रहलेमनहरखतुं, तोहुंइणवि धकर्मखपायजी ॥ ढंढ० ॥८॥ जबनेमकहेमनताहरो, तोजीमतोनेसुखथायरे ॥ तोनेजेजेक रणी, जुगतीरूमीजोगवाइआयरे ॥ ढंढ० ॥९॥ श्रीनेमजिणंदाज्ञादीयां, अनिग्रहलेवोशूररे॥ समेपरिणामापरीसासहे, श्रोतोकर्मकंपेचकचूररे ॥ ढंढ० ॥ १० ॥ नव्योउठखमणनेपारणे, फिरेद्वारकांनगरीमझाररे॥ अंतरायकर्मप्रतिमा करो, तिणसुंनमिलेशुद्ध आहाररे॥ ढंढ० ॥११॥ दुहा ॥ इमजाणीउत्तमानरां, मतिपामोअंत राय ॥ तिणराफलप्रतिबुरां, नगिणेरंकनेराय ॥१॥ पालनवबांधीघणी, ढंढणकुंवरअंतरा य॥ उदयथइतेजोगवे, तेमुणजोचितलाय ॥२॥ - हाल ३ जी ॥ मेघमानेश्वरू ॥ एदेशो ॥ किणकिणनारीशिरघडोरेहां, किणकिणहाथेनीर। कोयकखीरानांगतीरेहां, कोयकधोवेचीर ॥१॥ मुनिवरढंढणमोहोटारे ॥ एत्रांकणी ॥ किणकिरण धांनचूलेचब्योरेहां, किणकिणकोरोअन्न ॥मु०॥ Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कांइकविणांगुंथावतीरेहां, किणकिणकपणमन्न । ।।मु० ॥२॥ किहांकिहांरंगवधवणारेहां, किहीं रुंधेबार ॥ मु० ॥ किहांकिहालीप्यांांगणारेहां, किहांकिहांबालशनार ॥मु०॥३॥ केएकबाल कधवावतीरेहां, केयकनारीपात ॥ मु० ॥ उमा सलगेपरीसासह्यारेहां, नाण्योकिरपणमन ॥ म० ॥४॥ दूरदेखीपावलेरेहां, पिणमनमाहेशुद्ध ॥ मु० ॥ मूलनपंडेअसुजतोरेहां, निर्मलंलेश्या रूडीबुद्ध ॥ मु०॥५॥तिणअवसर पूछेहरीरेहां, मुनिवरसेंहसअठार ॥ मु० ॥ उत्कृष्टाकुणएहमें रेहां, मुजनेकहोआपविचार ॥ मु० ॥६॥ श्री नेमकहेसुतताहरोरेहां, ढंढणदूकरकार ॥ मु० ॥ आजकेवलज्ञानपामशेरेहां, कृष्णमनहरखअपार म०॥७॥ कृष्णकहेढंढणकिहारहां, हंवांद वारंवार ॥ म० ॥ श्रीनेमकहेघरेजावतारेहां, मी लशेराजदुवार ॥ मु० ॥ ८ ॥ ढंढणनेवांदणतणो रेहां, मनमेहर्षअपार ॥ मु०॥ श्रीनेमजिणंदने चांदनेरेहां, आवेराजदुवार ॥ मुं० ॥९॥ मार गमाहेसाहमोमिल्योरेहां, गुणवंतदुर्बलसात॥ति नप्रदतणादइकरीरेहां, नावसुंवांद्यासुपात्र ॥मु. Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥१०॥ गोखेबेठोव्यवहारीओरेहां, चिंतवेचितैमकार ॥ मु०॥ कृष्णनम्योजोएहनेरेहां. तो दीसेमहागुणधार ॥ मु० ॥ ११॥ मुजघरेतेडी प्रतिलोनीयांरेहां, मीठामोदकसार ॥ मु० ॥श्री नेमसमिपेशायनेरेहां, आदेशलेअणगार ॥१२॥ . दुहा ॥ आजमिल्योमुजसूजतो, महारीलब्ध रोपाहार ॥ पिणापतणीधाज्ञाहुवे, तोघालुंड दरमजार ॥१॥ ढाल ४ थी। श्रीवीरसुणोमोरीवीनती ॥ ए देशी ॥ नेमकहेसांनलमुनी, एमोदकहोवेहरीला योतेह ॥ तुमलेवणजुगतानहि, कृष्णलब्धेहोपा म्याएह ॥ धनधनढणमुनिसरू ॥१॥ एतो कृष्णरीलब्धथीपामीया, इमसुणीरेश्रीनेमनीवाणी ॥ तोमुजाहारलेवोनहीं, मनसेंठोहोराख्यो चतुरसुजाण ॥धन० ॥२॥ श्राहारपरठणने चालीयो, चितचोखेहोमनसुद्धपरिणाम ॥ एकंत जायगाजायने, मुनिपरठेहोनिरदोखणठाम ॥ध न० ॥३॥ मोदकचरचाराखरेतीमे, परठंतातो ध्यायोरूडोध्यान ॥ चारकरमअलगाकीया, मु. निपाम्याहोत्याहांकेवलज्ञान धन०१४॥कल Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कलीनूतसंसार, तिणदुःखथीहोबूटोमुनिराय ॥ केइदीनविचरयाकेवली, अंतसमेहोर्दुतोशिवपुर मांह्य ॥ धन० ॥ ५॥ जठेअजरसुखसाश्वतां, जिणगति होजन्ममरणनहोय ॥ सदाकाल विचलरहे, चिहुंगतमेंहोभावोजावोनकोय ॥ध. न०॥६॥ अनंतमुखामांहेमिलरयां, तिणत खरोकहेतांनावेपार ॥ तीनकालरासुखदेवतातपां, सीडसुखरेहोतुल्यनावेलीगार ॥ धन० ॥७॥ ॥ इतिश्रीढंढपरिखरोचोढालियोसंपूर्ण ॥ अथ साधुरामाचारऊपरचोढालीयो लिख्यते ॥ दुहा ॥ पहिलाअरिहंतनेनमुं. ज्यांसारयांप्रातमकाम ॥ बळेविसे–वीरने, तेसासानायक साम ॥ १॥ तेणेकारजसाध्यांआपणा, पहुता निरवाण ॥ सिद्धानेवंदणाकलं, ज्यांमेटयात्राव्याजाण ॥२॥ आचारजसहुसारसा, गुणार तनारीखाण ॥ उपाध्यायनेंसरवसाधजी, एपां चूंपदवखाण ॥३॥ वांदीजेनिततेहने, नीचोसी सनमाय ॥ गुणोलखवंदणाकरो, ज्यं नवनवरा दुः खनाय ॥४॥ सुगुरुकुगुरुदोनूतपी, गुणवि नाखबरनकाय॥ प्रथमकुगुरुनेोलखो,सुणोसूत Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३ रन्याय ॥ ५ ॥ सूतरसाखदियाविना, लोकन मानवात ॥ सांनलनेंनरनारियां, बोडोमूलमि थ्यात ॥ ६ ॥ कुगुरुचरित्र अनंतबे, तेपूराकेमक हाय ॥थोडासा परगटकरूं, तेसुणजोचितलाय ॥७॥ ढालपहेली || जंबी सरधा कोई मतराखोए दे शी ॥ ओलखणांदोरानवजीवां, कुगुरुचरित नंतजी ॥ कहेतांबेनावेतिणरो, इमनाख्यो श्री भगवंतजी ॥ साधमतजाणो इणचलगतसुं ॥१॥ प्रधाकरमीथानक में रहे, तो पढ्योचारितमेंनेद जी || नसीतरेदसमेऊदेसे, चोमासीरोदंडजी ॥ २ ॥ अठारेपा पठाणा कह्याजूवाजूवा, एकवि राधेकोयजी ॥ बोलको श्रीवीरजिलैसर, साध मजालोसोयजी ॥ सा० ॥ ३ ॥ याहारसेज्याने वसतरपातर, सुधलेवैनही संकजी ॥ दसवीका लकवठेधेने, नीष्टकह्योनगवंतजी ॥ सा० ॥ ॥४॥ अचितवस्त ने मोल लिरावे, तोसुमतगुपत हुवेखंरुजी ॥ महावरत पांचूहीजांगे, तिरोचो मासीदंरुजी ॥ सा० ॥ ५ ॥ एतोनावनसीतमें चाल्या, जगणीस में उदेसजी || सुधसाधुविकुसु वे, सूतरनीउंडीरेसजी ॥ सा० ॥ ६ ॥ पुस्त 彎 Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४ कपातराजपासरादिक, लिवरावेलेलेनामजी ॥ पाठाजूंपाकही मोलवतावे, करेग्रिस्तरोकामजी ॥ सा० ॥ ७ ॥ गिराने कहे कहोयूंकीजे, कुगुरु विचेदलालजी || वेचणवालोकह्योवाणियो, तीपरोएकहवालजी ॥ सा० ॥ ८ ॥ क्रयविक्रयमें बरतेतेतो, महादोषबे एहजी || पेंतीसमानत्तराधे नमें, साधनकोतेहजी ॥ सा० ॥ ९ ॥ नितकोवहिरे एकणघर में. च्यारामें एकश्राहारजी ॥ द सवीकालिकती जेधेने, साधुनेको अणाचारजी ॥ सा० ॥ १० ॥ जोलावे नितधोवणपाणी, तिपलोप्योसूत्ररोन्यायजी ॥ बतलायांबोलेन हीसुधा, दूपणदेवेवपायजी ॥ सा० ॥ ११ ॥ नहिकलपेते वस्तुवहिरे, ति में मोठीखोडजी ॥ माचारंग पहिलेंसुतखंधें, कहिदियो जगवंतचोर जी ॥ सा० ॥ १२ ॥ पहिलोवरत तोपूरोपडियो, जवत्र्यामाज डेकिंवामजी ॥ कांटाागलहोडा अड कावे, ते निश्चेनही अणगारजी ॥ सा० ॥ १३ ॥ पोतेहाथे जडेऩघाडे, करेजीवांराज्यानजी ॥ गृह स्थघामने आहारवहिरावे, जदकरेहुतान जी ॥ सा० ॥ १४ ॥ साधवीयाने जडणोचाल्यो, Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तिणरीमकरोताणजी ॥ यांलारेकोईसाधजडेतों, नांगलराएनाणजी ॥ सा० ॥ १५॥ मनकरने जोकरणोवंडे, तिणनहीजाणीपरपीरजी ॥ पेंती. समाजत्तराधेनने, वरजगयामहावीरजी॥ सा०॥ १६ ॥ परनिंदामेरातामाता, चितमेंनहीसंतोष जी । वीरकह्योदशमाअंगमाहे. तिणतेरेदोष जी॥ सा० ॥ १७॥ कहेदीख्यालेतोमोआगल लीजे, ओरकनेदेपालजी ॥ कुगुरुएहवासाहसक राव, आचाडेजधाचालजी॥ सा० ॥१८॥इ. बंधाथीममतालागे, ग्रहस्तसुनेलपथायजी ॥ नसीतरेचोथेंउद्देसे, दंडकह्योजिणरायजी ॥सा ॥ १९॥ जिमणवारमेंबहिरणजावे, आसाधारी नहिरितजी ॥वरज्योप्राचारंगबहतकलपमें, वले उत्तराधेननसीतजी ॥ सा० ॥२०॥ आलसन हीबारामेंजातां, बैठीपांतविलेखनी ॥ सरसा हारलावेनरपातरा, ज्यांलजागेमीलेनेखजी ॥ ॥ सा० ॥ २१ ॥ चेलाकरणरीचलगतबंधी, चालाबहोतचलायजी ॥लियांफिरेग्रहस्थनेसाथे, रोकमदामदिरायजी ॥ सा० ॥ २२॥ विवेकविकलनेसांगपहेरावे, नेलोकरेाहारजी ॥ साम Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गिरीमनायवंदावे, फिरफिरहुर्वेखुवारजी ॥ सा. ॥ २३ ॥ अजोगनेदीदादीधीते, नगवंतनीया ग्याबारजी ॥ नसीतरोदममूलनमाने, तेविटलहु वाविकरालजी ॥ सा० ॥ २४ ॥ विणपरलेहां पुस्तकराखे, तोजिमेजीवाराजालजी ॥ परेकुंथवा उपजेमांकड. जिणबांधीनांगीपालजी ॥ सा० ॥ ॥ २५॥ जोवेवरसबमासनीकलियां, तोपहि लोवरतहुवेखंडजी ॥ नितपरलेअणमेलेतिणने, एक मासरोदंडजी ॥ सा० ॥ २६ ॥ ग्रहस्थसाथेकहेसंदेसो, तोनेलोहुवेसंनोगजी॥ तिणनेसाधकिमसरधीजे, लागोजोगनेरोगजी ॥ सा० ॥ २७॥ समाचारविवरासुधकहीकही, सानीध्यकरग्रहस्थबोलायजीकागदलिखावे करी आमना, परहाथदेवेचलायजी ।। सा०॥२८॥ श्रावणजावणबेसणउठणरी, जायगादेवेबताय जी ॥ इत्यादिकसाधकहेग्रहस्थने, तोबेहुबराबर थायजी ॥ सा० ॥ २९ ॥ ग्रहस्थनेदेवेलोटपात रा, पूठापरतविसेखजी ॥ रनोहरणानपूंजणीदे वे, निष्टहुवालेईनेखजी ॥ सा० ॥ ३०॥पुरेतो कहेपरठदीयामें, कूडकपटमनमांहिजी॥कामपडे Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज़बजायउराले, नमिटीअंतरचाहिनी ॥३१॥ कहेपरठयांग्रहस्थनेदेई, बोलेवलेअन्यायजी ॥ कह्योआचारंगउत्तराधेनमें, साधुपरठेएकंतनाय जी ॥ सा० ॥ ३२॥ करेग्रहस्थसुंसदलोबदलो, पंमितनामधरायजी ॥ पूरीपडीसंगलावरतारी, नेखलेनलाजायजी ॥ ३३ ॥ थोडोनपधग्रहस्थ नेदीधां, वरतरहेनहीएकजी।चोमासीदंमनसीत मेंगुंथ्यो, तिणगेडीजिणधर्मटेकजी ॥ सा० ॥ ३४॥विणांकुसजिमहाथीचाले, घोडोविगरल गामजी॥ एहवीचालकुगुरांरीजाणो, कहेवानेंसाधु नामजी ॥ सा० ॥३५॥ अणुकंपानहीबहुखा ननी, गुणविणकअमेसाधजी ॥ आचरचात्रा गुजोगदुवारमे, विरलापरमारथलाधजी ॥ सा० ॥३६ ॥ कह्योआचारंगउत्तराधेनमें, साधुकरे चालतावातजी ॥ उंचीत्रीीदृष्टजोवेतो, हुवेब कायरीघातजी ॥ सा० ॥ ३७॥ सरसाहार लेविनामरजादा, तोवधेदेहीरीलोथजी ॥ काचम पीपरकासकरेज्यू, कुगुरुमायाथोथजी ॥ सा० ॥ ॥ ३८॥ दबकदवकतावलाचाले, सथावरमारयांजायजी ॥ इरज्यासुमतिजोया विणचाले. Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेकिमसाधुथायजी ॥ सा० ॥ ३९ ॥ कपडामें. लोपीमरजादा, लांबापनालगायजी ॥ इधकारा खेदोयपुरोडे, बळेबोलेमूसावायजी ॥ सा० ॥ ॥४०॥ धष्टपष्टकरमांसवधारे. करेविगेरापरजी ॥ माठापरिणामानारयांनिरखे, तोसाधपणा थीदूरजी ॥ सा० ॥४१॥ उपग्रहणजोअधिका राखे. तिणेमोटोकियोअन्यायजी ॥ नसीतरेसोलमेउदेसे. चोमासीचारित जायजी॥ सा०॥४२॥ मूरखनेगुरुएहवामिलिया, तेलेईडुबसीलारजी ॥ साचोमारगसाधबतावे. तोलडवानेहुवेत्यारजी। सा०॥१३॥ एहवागरुसाचाकरिमाने, तेअंध अज्ञानीबालजी ॥ फोडापोउतकृष्टातिणमें. तो रुलेअनंतोकालजी ॥ सा०॥४४॥ हलुकरमी जीवसुणसुणहरखे, करेनारीकर्माधेखजी ॥ सूत्र रोन्यायनिंदाकरजाने,तोडुबेबळेविसेखजी॥४५॥ दुहा ॥ नेखपेहरचोनगवानरो, साधुनामध राय ॥ श्राचारमेंढीलाघणा, तेकह्योकठालगेंजाय॥१॥ त्यांनेवांदेगरुजाणने, बळेकरीकोपख पात ॥ त्यांफूठानेसाचाकरणखपे, त्यांरेमोठोसालमिथ्यात ॥२॥ कुगुरुतणापगवांदने, आगे Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डूबाजीवअनंत ॥ डूयेनेडूबसीवळे, त्यांरोकहेतानावेअंत ॥ ३॥ साधमारगडेसाकमो, ति मेंनचालेखोट ॥ आगारनहींत्यारेपापरो, त्यांव रतकीयानवकोट ॥४॥ नेखधारीनांगलघणा, त्यांसंपालवेनहीअाचार॥ कुणकुणाकारजकरर ह्या, तेमाजोविस्तार ॥५॥ ___ ढाल २ जी ॥ आदरजीवखिमागुणादर, एदेसी ॥ कुगुरुतणीचरचाकरसुं, सूतरनीदेई साखजी ॥ सुमतााणसुणोनवजीवा, श्रीवीर गयानाखजी ॥ साधमजाणोइणआचारें ॥१॥ जोर्थेकुगुरुसेठाकरकाल्या, तोसुणसुणमकरोधेखजी ॥ साचफूठरोकरोनिवेरो, सूतरसामोदेखजी ॥ सा० ॥२॥ जीमणवारमाहीसंकोईग्रस्त, लावेधोवणपाणीमांमजी ॥ पापतणेघरेआ पवहिरावे, तेकरेनेखनेजांडजी ॥ सा० ॥३॥ जाणजाणनेसाधवहिरे, तिणलोपदियोप्राचारजी ॥ तेप्रत्यदसाहमोप्राण्योलेवे, त्यांनेकिमकही जेमणगारजी ॥ सा० ॥ ४ ॥ एअणाचारजघा मोसेवे. जेसाहमोग्राण्योलेप्राहरजी n दसमी कालिकतीजेअधेने, कोईजोवोांखनघाडजी । Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सा० ॥५॥ साधसाधवीठेलेमात्रे, एकणदरवाजे जायजी । वीरवचनसुंउलटापमिया, चवडेकरे न्यायजी ॥६॥ गांवनगरपुरपाटणपाडो, तिण रोहोवेएकनिकालजी ॥ तिहांसाधसाधवीनहीरहे नेला, आबांधीनगवंतपालजी ॥ सा ॥७॥ एकणदरवाजेसाधसाधवी. जावेनगरीबारजी ॥ तोमप्रतीतऊठेलोकां में, केईवरतनांगेहुवेखुवार जी ॥ सा० ॥ ८॥ जुदोजुदोनिकालतोपिण, केईजावेएकणदरवाजजी ।। धेठाहटकनमानेकिण री, बळेनमानेकिणरीलाजजी ।। सा० ॥ ९ ॥ एकनिकालतिहारहिणोवरज्यो, तोक्यंजावेएकण दुवारजी ॥ बेहतकलपरेपहिलेनदेसे, तेबुधवंत करजोविचारजी ॥सा०॥१०॥ ग्रस्तनेघरेजायगोचरी, जोजडीयोदेखेदुवारजी ॥ तिहांसुध साधुतोफिरजायपाग, नांगलजावेखोलकिंवाडजी ॥ सा० ॥११॥ केईनेखधारयारेएहवीस रधा, जोजडीयो देखेदुवारजी ॥ तोधणीतपीआ गन्यालेईने, मांहिजावेखोलाकिंवाडनी ॥ सा०॥ ॥१२॥हाथासंसाधकिंवामनघाडे. मांहिजावेव हिरणनेआहारजी । इसडीढीलीकरेपरूपणा, ते Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विटलहुवाविकरालजी सा० ॥ १३ ॥ किंवाडन घाडीनेआहारपहिरणरो, मूलनसरधेपापनी ॥ कदानगयातोपणगयासारिखा, आखरराखीव्या पजी॥सा०॥११॥ किंवाडनघडनेवहिरणने जावे, तोहिंसाजीवांरीथायनी ॥ तेश्रावसगसूत रमांहिवरज्यो, चोथाअधेनरेमांयजी ॥ सा०॥ ॥ १५॥ गावनगरबारेउतरीयो, कटकसथवारो ताहिजी ॥ जोसाधुरातरहेतिष्ठामे, तेनहिजिए श्राज्ञामांहिजी ॥ सा० ॥ १६ ॥ एकरातरहेकट कमेंतिणने, च्यारमासरोदजी। एबेहतकल्परेती जेउद्देसे, तेसणसुणमकरोखेदजी ॥ सा० ॥१७॥ इसडादोखजाणीनेसेवे, तिगेमीजिणधर्मरीतजी ॥ एहवानिष्टाचारीनांगल, त्यांरीकुणकर सीपरतीतजी ॥ सा० ॥ १८॥ विणकारणां ख्यामेंअंजण, जोघालेखममारजी ॥ त्यांनेसाधवीयांकेमसरधीजे, त्यांगेडदीयोप्राचारजी। सा० ॥ १९॥ विणकारणजोअंजणघाले, तोश्री जिणआज्ञाबारजी॥ दसमीकालिकतीजे धेनें, तोऊघाडोअनाचारजी ॥ सा० ॥२०॥ वस्त्रपात्रपोथीपानादिक, जायग्रस्तरेघरेमेलजी॥ Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२ परीविहारकरेोधणीनलावण, तिणप्रवचनदीधा ठेलजी ॥सा० ॥ २१ ॥ पडेग्रस्ताईनेसांह मामेलतां, हिंस्याजीवांरीथायजी ॥ तिपहिंसासुंग्रसतनेसाधु, दोनारीहुवेतायजी ॥ सा० ॥ ॥ २२ ॥ नारनपरावग्रस्तागे, तेकिमसाधुथायजी ॥ नसीतरेबारमेनदेसे, चोमासीचारित जायजी ॥ सा० ॥ २३ ॥ बळेविणपरलेहारहेसदा, नितग्रस्तराघरमांयजी ॥ ओसाधपणोर हिसीकिमत्यांरो, जोवोसूतररोन्यायजी ॥ सा०॥ ॥ २४ ॥ जोविणपरलेह्यारहेएकणदिन, तिणने दंडकयोमासीकजी ॥ नसीतरेदसमेनदेसे, तिहां जोयकरोतहतीकजी ॥ सा० ॥२५॥ मातपितादिकसगासनेही, त्यांराघरमाहिदेखेखालजी॥ त्यांनेपरिंगरोसाधदिरावे, पाचोडेकुगुरुरीचालजी ॥ सा० ॥ २६ ॥ सानीकरसाधदिरावेरुपी या, वरतपांचमोनांगजी ॥ बळेपूबधांठकपटसुं बोले, त्यांपहिरबिगारयोसांगजी ॥ सा॥२७॥ न्यातीलानेदाम दिरावे, तिणरेमोहन मिटियोकोय जी ॥ बळेसारसंचारकरावेत्यांरी, तेनिश्चेसाधन होयजी ॥ सा० ॥ २८ ॥ अनरथरोमूलकह्योप Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रिघरो, ठाणअंगतीजेठाणजी॥तिणरीसाधकरेद लाली, तेपूरामूढअजाणजी ॥सा० ॥ २९ ॥रि तन्हालेपापीठारे, ग्रसतराठामममारजी। म नमानेजबपागसुपे, तेश्री जिणाग्याबारजी ॥ सा ॥३०॥ ग्रसतरानाजनमेसाधु, जीमेशासणादिकाहारजी ॥ तिपनेनिष्टकह्योदशमी कालिकमें, बठाअधेनमजारजी ॥ सा० ॥ ॥ ३१ ॥ केईसांगपहिरसाधवीयाबाजे, पिण घठमांहि नही विवेकजी ॥ आहारकरेजद. जडेकिंवाड, बळेदिनमांहिवारअनेकजी ॥ सा० ॥ ३२॥ ठरडेमातरगोचरीजावे, जबाडाजड़े किंवाड़जीवळेसाधाकनेजावेतांहीजडने,त्यारोबि गडगयोप्राचारजी॥ सा० ॥३३॥साधवीयांने जडपोचाल्यो, तेसीलादिकराखणकाजजी ॥ प्रो रकामजोजडेसाधवी, तिणगेमीजिणधर्मरीलाज जी ॥ सा० ॥ ३४॥ आवसगमाहिहिंसाकही जडीया, आलोवणखांतेताहिजी ॥ मनकरनेजम पोनहिवंडे, उतराधेनपेतीसमाहिजी ॥ सा० ॥ ॥ ३५॥ औषधाददेवहिरीयाणे, कोईबांधी राखेरातजी ॥ तेजायमेलेग्रसतराघरमें, पोनित Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४ लावेपरनातजी ॥ सा० ॥३६ ॥ आपारोथ कोग्रसतनेसुंपे, ओमोटोदोषपिगणजी ॥ बळेबी जोदोषवासीराख्यारो, तीजोअजैणारोजाणजी ॥ सा०॥ ३७ ॥ बळेचोथोदोषपूग्यांकूठबोले, बासीराख्योनकहेमढजी॥ केईनेखधारीएडवा नांगल, त्यांरेठकपट गूढजी॥ सा० ॥३८॥ ओषदाददेवासीराख्या,वरतांपडेवघारजी ॥ कह्योदसमीकालीकतीजेअधेने, बासीराखेतोत्र पाचारजी ॥ सा० ॥ ३९॥ केईआधाकरमीपु स्तकवहिरे, बळेतेहिजलीधामोलजी ॥तेपिणसा हमााण्यावहिरे, त्यारेमोटीजाणजोपोलजी ॥सा०॥४०॥ कोईआपकनेदीख्यालेतिणनें, सांनीकरमेलवेसाजजी ॥ पुस्तकपानादिकमोल लिरावे, बळेकुणकुणकरेअकाजजी॥सा०॥४१॥ गबवासीप्रमुखागासुं, लिखावेसूतरजाणजी ॥ पहिलामोलकरायपरतरो, संचकारदिरावेप्राणजी ॥ सा० ॥४२॥ रूपीयामेलावेअोरतणेघ र, इसमोसहिठोकरेकामजी ॥ तेपिणपरताया विणहाथें, दिख्यादेमुंडेतामजी॥ सा० ॥४३॥ पगमवासीविकलासुमरतां, परतलिखेदिनरात Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री ॥ जीवअनेकमरेतिणलिखतां, करेत्रसथावर रघातजी ॥ सा० ॥४४॥ इणविधसाधुपरत लिखावे, तिणसंजमदीधोखोयजी ॥ जेदयारहित एहवादुष्टी, तेनिश्चेसाधनहोय जी ॥ सा० ॥ ॥४५॥ कायहणीनेपरतलिखीते, आधाकर मीजाणजी ॥ तेहिजपरततोसाधुवाहरे, तोनांग लराएहनाजी ॥ सा०॥४६॥ बळेतेहिजपर सटोळामेराखे, आधाकरमीजाणजी ॥ जेसामल हवातेसघलाडबा, तिणमें संकामताजी ॥ सा०॥४७॥आधाकरमीरालेवालरुलेतो, नत्कृ ष्ठोकालअनंतजी ॥ दयारहितकह्योतिणसाधुनें, नगोतीमेंनगवंतजी॥सा०॥४८॥कोईश्रावकसा धसमीपेआए, हरषेवांदेपगजालजी॥जदसाधुहा थदेतिणरेमाथे, आचोडेकुगुरुरीचालजी ॥४९॥ ग्रसतरेमायेहाथदेवेतो, ग्रहस्थबरोबरजाणजी ॥ एहवाविकलानेसाधुसरधे, तेपिणविकलसमान जी ॥ सा० ॥ ५० ॥ ग्रहस्थरेमाथेहाथदियोति प, ग्रहस्थसुकीधोसंभोगजी ॥ तिणनेसाधुकि मसरधीजे, लागोजोगनेरोगजी ॥ सा०॥५१॥ दसविकालीकआचारंगमाही, बळेजोवोसूत्रनसी Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तजी ॥ ग्रहस्थनेमाथेहाथदेवेतो,आपरतखगंधी रीतजी ॥सा० ॥५२॥ चेलाकरेतेचोरतणीपरे, ठगपासीगरज्युतामजी ॥ उजबकज्युतिणनेनच कावे, लेजायमंडेओरगामजी ॥ सा० ॥५३॥ आगेआहारदिखावेतिणने, कपडादिकमाहीदि खायजी ॥ इत्यादिकलालचलोनबतावे, नोलाने मुंडेनरमायजी ॥ सा० ॥ ५४ ॥ इणविधचेला करमतबांधे, तेगणविणलोकारोनेखजी ॥ साधपणारोसांगपहिरने, नारीहोवेविसेषजी ॥ सा० ॥ ५५ ॥ मुंडमुंडावोनेलोकीधो, त्यासुंपलेनहीं आचारजी ॥ नूखत्रशापणखमणीनावे, जदलें वेअसुधपणआहारजी ॥ सा० ॥५६॥ अन लअजोगनेदिख्यादीधां, तोचारतरोहुवेखंडजी । नसीतरेउदेसेइग्यारमें, चोमासीरोमंडनी।सा. ॥५७॥ विवेकविकलबालकबुढाने, पहिरावेसां गसंताबजी ॥ त्यांनेजीवादिकपदारथनवरा, जा बकनावेजाबजी ॥ सा० ॥५८ ॥ सिष्यकरणोतो निपुणबुधवालो, जीवादिकजाणेताहिजी ।। नही तरएकलरहणोटोलामें, उतराधेनबतीसमाहिजी * सा० ॥ ५९ ॥ केईदडेलीपेहाथासुंथानक, ते Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७ पिणढगलियाकुटजी ॥ इसडोकामकरेतिणसाधु, पामीनेखमाहे फूटजी ॥ सा० ॥६० ॥ जोदडे लिंपेथानकनेसाधु, तिणश्रीजिणाग्यानंगजी। तीजावरतरीतीजीनावना, तिहांवरज्योदसमेनं गजी ॥ सा.॥६१ ॥बतीसाधवीयांटोलामें, बळेकारणनपड्योकोयजी ॥ ताहिदोयसाधवीयां करेचोमासो, ओदोषघामोजोयजी ॥ सा॥ ॥६२॥ दोयसाधवीकरेचोमासो, तेजिणाझा मेंनाहिजी ॥ त्यांनेवरज्योग्रेविहारसूतरमें, पांच माउदेसामांहीजी ॥ ६३ ॥ कारणविनाएकसी साधवी, असणादिकवैहरणजायजी ॥ नळेठर मेपणएकलमी नावे, तेनहिजिणाज्ञामाह्यजी ।। ॥ सा० ॥६४ ॥ बळेएकलमीनेरहणोवरज्यो, इत्यादिकबोलअनेकजी॥ ब्रेहतकलपरेपांनमेश्दे से, तेसमोआणविवेकजी ॥ सा० ॥६५॥कु गुरुएहवाहीणाचारी, साधासुदेनिरकायजी। आपतणाकिरतवसुंडरतां,जिणमारगदियोटिपापजी ॥ सा० ॥ ६६ ॥ इसडाकुगुरांनेगुरुक रमाने, त्यारेअनितरमेंअंधकारजी ॥ गुरुमैखोट खायअज्ञानी, तेचाल्याजनमबिगारजी ॥ सा. Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 32 " ॥ ६७ ॥ सुनकर मज्यारेजदयहुवा जब इस डागुरुमिलियाजी || दग्धवीजहोय जाबकबू डा, पबेचिहुंगतगोताखायजी ॥ सा० ॥ ६८ ॥ इमसां लोउत्तम नरनारी, बोडोकुगुरुनो संगजी ॥ सतगुरु सेवा सुधत्र्याचारी, दिनदिनचढतरंगजी ॥ सा० ॥ ६९ ॥ श्रास काय करी कुगुरु प्रोलखावए, सहेरपी पाडमऊारजी || संमताठारेनेवरस पोतीसे, सोमसुदसातमबुधवारजी ॥ ७० ॥ सुहा || केईने खधारीलायकां, कररह्यानं श्रीता ॥ व्रतबतावे साधरे, तेसूतरत्ररथप्रजा ॥ १ ॥ त्यांसाधपणोनहि ओलख्यो, नूलान मंगिवार || सर्वसावजत्यागांसुखसुंकहे, बळपाप राकहे आगार ॥ २ ॥ आहारपाणी कपाउ परे, रह्यासदामुरजाय ॥ एखधारयांरेइत्रतखरी. पिषसाधारेब्रतनहिकाय || ३ || च्यारगुणठा पाइव्रतसही, त्यांनहीत्रतलिगार || देसवतगुण ठाणोपमो आगेसरवती पगार ॥ ४ ॥ जो साधारेइव्रतहुवे, तो सर्वव्रती कुराहोय ॥ त्यारा नावनेदपरगटकरुं, तेसांनलजोसलोय ॥ ५ ॥ ढाल ३ जी ॥ त्र्या एकंप जण मागन्या में Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एदेशी ॥ चोवीसमांश्रीवीरजिणेसर, निरदोष आहाराणीनेखायो ॥ सुधपरिणामाउदरमेंटतारयो, तिणमाहीमरखपापबतायो । इणपाखंड मतरोनिरणोकीजो ॥ १॥ अनंतचोवीसीमुगत गईते. आहारलायाथादोषणटालो ॥ तिणमांहिपापबतावेअग्यानी, त्यांसगलारेशिरदीथोपा लो ॥ इ० ॥२॥ सरवसावजजोगरात्यागकरी ने, सरवव्रतीसुधसाधकहावे ॥ तिरणतारणपुरपारेअग्यानी, इव्रतरोआगारबतावे॥ इ० ॥३॥ गोतमाददेसाधअनंता, साधवीयांरोहनपारो॥ सघलांरोपाहारअधर्ममाहिघाल्यो, तिण आंखमोचीनेकीधोअंधारो ॥ इ० ॥४॥ सा धुरोजनमहुवोजिणदिनथी, कलपेतेवसतवहेरीने लावे ॥ तेपणअरिहंतनीआगन्यासु, तिणमाहि मूरखपापबतावे ॥ इ० ॥५॥ वसतरपात्रारजू हरणादिक, साधुराउपधसूतरमा हेचाल्या ॥ रिहंतरीश्रागन्यासुराख्या, अधर्ममाहेअग्यानी घाल्या ॥ इ० ॥६॥ दसमीकालिकठाणाअंग मे, प्रसनव्याकरणउववाइमायो॥धरमउपधसा धुरावरतमें, तिणमाहिदुष्टीपापबतायो ॥३०॥ Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥७॥ किणहीगृहस्थलीलोतरीनेत्यागी, जीवे ज्यांलगाणवेरागो ॥ साधपणोलेईइव्रतसरधे, तोविवेकविकलखायवाकांईलागी ॥ ३० ॥८॥ अधर्मजाणेलीलोतरीखाधां, तोपचखाणनांगोकि पलेखे ॥ घरमेंथकांजावजीवत्यागीथी, इणसाह मुंमूरखक्युनहीदेखे ॥ इ० ॥९॥ किणहीगृह स्थजेजेवस्तुत्यागीथी, तोअधर्मरोमूलइव्रतजा णी ॥ साधपणोलेईसेक्वालागो, तेक्युनपालेलेले पचखाणो ॥ इ०॥१० इव्रतसरधेनेसुसनपा ले, तिणनांगलरे नारीकर्मो ॥ मारगगेमनेऊ. जमपडीया, साधाहारकीया मेंसरधेअधर्मो ॥ इ० ॥११॥ करेवेयावच्चचेलागुरुरी, कर्मतणीकोडतेहखपावे ॥ तीर्थकरगोतबंधेउत्कृष्टो, पिण गुरुनेमूरखपापबतावे॥ इ०॥ १२ ॥दसवीसचे लापडिकमणोकरने, गुरुरीवेयावञ्चकरवानेावे॥ तोगुरुनेपापलगायअज्ञानी, दुरगतमायकायपो चावे ॥ इ० ॥ १३ ॥ गुरुनेपापलागेवेयावच्चक रायां, सूतरमांहिकठेहीनचाल्यो । मूढमतीजीव जारीकरमा, अोपणघोंचोकुगुरांघाल्यो ॥ इ०॥ ॥ १४ ॥ गुरुनेपायासुनेलाकीयामें चेलाराकर्म Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कटकिणलेखे ॥ अनितरफूटीनेअंधथयाते, सूत रसाहमोमूढ मूलनदेखे ॥३०॥ १५॥ साधमाहो मां हिदेवेने लेव, वसतरपातराहारनेपाणी ॥ तेपिणलीधा मेंपापवतावे, एहवीकुपातरबोलेवापी ॥ इ० ॥ १६ ॥ दातारनेधर्मसाधानेवहिरा यां, पिणसाधवहिरिहुवापापसुनारी ॥ दातारतिरियासाधम्बोई, एपणसरधाकहेनेखधारी ॥ इ० ॥१७॥ जोपापलागेसाधुआहारकीयामें, ति परेपापरोसाजदियोदातारो ॥ तिणरीत्रासारखे किणलेखे, नलारेनलाथेमूढगिवारो ॥ इ० ॥ ॥ १८॥ साधातोपापअठारेहीत्याग्या, चोखो ज्यारीसुमतिनेगुपती ॥ दातारकनेसुधजाचलीया में, पायकठासुंलागो रेकुमती ॥ ३० ॥१९॥ गुरुदिख्यादेईसिष्यसिष्यणीकरते, निरङराराने दमाहेचाल्या ॥ मोहमिथ्यातसुनारीकरमा, एप परिगरामाहेघाल्या ॥ इ० ॥ २० ॥ बठेगुण ठाणेपरमादकहीने, साधारेइव्रतथापेखवारी ॥ पूतोकहे मेंसरबविरतीबां, अोपणमूठबोलेनेख धारी ॥ इ० ॥ २१ ॥ बठेगुणठाणेपरमादकह्यो ते, किणहीकवेलालागतोजाणो ॥ विषेकषायज ११ Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३ सनजोग यां, पिएमूढमती करे ऊंधीता पो॥ इ० ॥ २२ ॥ प्रमादेव तक है आहारउपधसुं, कररह्या कुबुद्धिकूडा विषवादो ॥ श्राहारजपध केवली पिए आणे, कठीगयोत्यांरो परमादो ॥ इ० ॥ २३ ॥ अप्रमादानी कह्यासात मेगुणठाणे, प्रमादनहीति गुणठाणाचागे ॥ श्राहारउपध उवेपिणजोगव तां त्यांसाधानेपरमादक्युंनही लागे ॥ ३० ॥ ॥ २४ ॥ केवलीयाचारेंबदमस्थच्याच रियो, के वलीत्याग्यो बद्मस्थत्यागे ॥ व्याहारजपधकेव लीज्युंनोगवीयां, तिणसाधानेपरमाद किए विधलागे ॥ ३० ॥ २५ ॥ साधयाहारकरंता चारितसके, सुधपरिणामासुकटे आगलाकरमो ॥ जदनं धमतीको ई अवलो बोले, घणो खाधातोघणो हो वेधरमो ॥ इणपाखंड ० ॥ २६ ॥ पोहररातताईसाधनं चेश, धर्मकथा कहे मोठे मंडाणो ॥ उपबंधमतीरीसरधारे लेखे, आखीरात में करणोव खाणो ॥ इ० ॥ २७ ॥ जैणासुंसाधुकरे पडिलेह , काटवाकर्म तमनेनधरणी ॥ उणउंधमती रीसरधारेलेखे, खोहीदिन पडिलेहकरणी ॥ ॥ इ० ॥ २८ ॥ मरजादासुंत्र्याहारसाधानेकर Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णो, मरजादामुंकरणोवखाणो ॥ मरजादासुंपड लेहणकरणो, समझोलममोथेमूढग्यायो ॥ इ० ॥ २९ ॥ कारणाहारसाधानकरणो, घणोघ पोखासीकिणलेखे ॥ गईसमाउत्तराधेनमेंडे, ब ळेबठोठालोमूढक्युनहीदेखे ॥ इ० ॥ ३०॥ क हेधर्महुवेसाधाहारकीयामें, तोक्यांनेकरेआहा ररापचखाणो ॥ पापजाणीनेत्यागकरे, उलटबु द्वीबोलेएटवीवाणो ॥ ३० ॥ ३१ ॥ साधुकाउसगमैत्याग्योहालवोचालवो, बळेमुखसुनबोले नि रवदवाणो ॥ नाउलटबुद्धीरीसरधारेलेखे, एप. पपापतणापचखाणो ॥ ३० ॥ ३२॥ कोईसाध बोलणारात्यागकरीमनसाजे, धर्मकथामांमीनकरे वखाणो ॥ जगन लटबुद्धीरीसरधारेलेखे, एपिण पापतणापचखाणो ॥ ३० ॥ ३३॥ कोईसाधसा धानेाहारदेवारा, त्यागकरेमननबरंगबाणो। उनलटबुद्धीरीसरधारेलेखे, एपणपापतणापच खाणो ॥ ३० ॥ ३४॥ केईसाधसाधांरीनकरेवे यावञ्च, त्यागकरेमननबरंगाणो ॥ नणलटबु धीरीसरधारेलेखे, एपणपापतणापचखाणो ॥ ॥ इ० ॥ ३५ ॥ साधुमूलगुणमेसरबसावजत्या Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्या, तिणसुनवापापनलागेजाणो ॥ आगलाकर्म काटणसाधारे, उतरगुणदसविधपचखाणो ॥ श्रासरधाश्रीजिनवरनाखी ॥ एआंकणी ॥३६॥ कोईवासबेलादिककरसंथारो, कोईसाधकरेनित रोनितआहारो ॥ पापरात्यागदोयारेसरिखा, पणतपतणो नेदजन्यारो ॥ आ० ॥३७ ॥ जैणासुंचाल्याजणासुंऊना, जैणामुंबैठाणासुसू वंता ॥ जैणाथीनोजनक्रीयांजैणासंबोल्या, ति साधनेपापनकह्योनगवंता ॥ आ० ॥ ३८ ॥ दसमीकालिकचोथेअधेने, आठमीगाथाअरिहंत नाखी ॥ बोलसाधणासंकीयामें, पापकहेना रीकरमाअन्हाखी ॥ आ० ॥ ३९॥ निरवदगो चरीरिखेसरांरी, मोहरीसाधननगवंतमाखी॥द समीकालिंकपांचमेअधेनें, बाणुंमीगाथाबोलेसा खी ॥ आ० ॥ ४० ॥ सुधाहारकीयासाधसदगतजावे, निरदोषदीयाजायेसदगतदाता ॥ दसमीकालीकंपांचमेअधेनें, पहिलाउदेसारीव्ह लीगाथा ॥ प्रा० ॥४१॥ सातकर्मसाधुढीला पामे, सुजतोपाहारकरेतिणकालो ॥ नगोतीसू तरपहिलेसुतखंधे, नवमोउद्देसोजोयसनालो ॥ Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५ ॥ ० ॥ ४२ ॥ प्रहार करे गुरुरीप्रागन्यासुं, तिणसाधु नेवारकह्यामाख ॥ अठारमोनगि नातारोजाई, सांसो काटोमेटोमनरोधोख ॥ प्र० ॥ ४३ ॥ सबदरूपगंधरसफरसरी, साधारेइत्रत मूलनकायो । सुगमागधेन ठार में, चोरुन घवाइसूतरमायो ॥ ० ॥ ४४ ॥ साधारेइव्रत कहेपाखंमी, तिलकुमतीरी संगत दूरनिवारो ॥ इ मसांजलने उत्तम नरनारी, सरबव्रती गुरुमाथेधा रो ॥ श्र० ॥ ४५ ॥ दुहा ॥ समदृष्टी पांच, थोडीऋद्धी अलप मान ॥ मिथ्यादृष्टी जोडेंहुसी, बहुरिद्धबहुसनमा न ॥ १ ॥ समथोडाने मुढघणा. पांचमेरेचेन ॥ खलेईसाधुतो, करसीकुडाफेन ॥ २ ॥ साधुपपूजाहसी, ठाणा अंगसाख ॥ असा महिमाघी, श्रीवीरगयाबेनाख ॥ ३ ॥ कुदेवकुगुरुकुधर्म में, घणालोकर ह्याबंधहोय || ओलखने निरणोकरे, तेतोविरलाजोय ॥ ४ ॥ साधमारगबेसाकडो, नीलाखबरनकाय ॥ जीम दीवेमरेपतंगीयो, तिमपडेपगां मेजाय ॥ ५ ॥ घ 'णासाधने साधवी, श्रावक श्रावकालार ॥ उलटा Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पडेजिणधर्मथी, पडसीनरकमकार ॥ ६॥ महा नसीतमेमेंसुण्यो, गुण विणधारीनेख ॥ लाखाको मांगमेसावटां, नरकपडतादेख ॥ ७॥ लीयावर तनपालसी, खोटीदृष्टप्रयाण ॥ तिणनेकहीना रकी, कोईआपमिलेज्योताण ॥ ८॥ आगमथी अवलावहे, साधुनामधराय ॥ सुधकरणीथीवेग ला, तेकह्याकठालगजाय ॥९॥ .. ढाल ४ थी ॥ चंदगुपतराजासुणो एदेशी। सीधाघरायोसाधने, बळेभोरकरावेआगेरे ॥ एहवाउपासरानोगवे, त्यांनेवजकिरियालागेरे ॥ तिणनेसाधुकिमजाणिये॥एटेर॥३॥आचारंगद्बजे कह्यो, महादुष्टदोपणगतेणमेरे ॥ जोवीरवचन सबलोकरो, तोसाधपणोनहीतिणमें रे ॥ ति०॥ ॥ २॥ साधप्ररथकरावपासरा, गयालिप्या गृहस्थवालरागीरे ॥ तिणथानकोरहेतेहने, सा वजकिरियालागीरे ॥ ति॥३॥ तिणनेनावे तोगृहस्थकह्यो, दीयोआचारंगसाखीरे ॥ नेख धारीकरोसिद्धांतमें, तिणरीनगवंतकाणनराखी रे॥ति०॥४॥सिज्यातरपिंमनोगवेवले, कु बुद्धकेलवेकपटीरे ॥ धणीगेडाग्यालेनोररी, Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सरसाहारादिकरालंपटिरे॥ति०॥५॥सबलोदो खणलागतेहने, नसीतमेंदंमनारोरेपणाचारीक ह्योदसवीकालिके, नगवंतरीसीखनधारीरे॥ति. ॥६॥अणुकंपाप्राणश्रावकतणी, द्रवदिरावणा गेरे। दूजोकरणखंडहुवोव्रतपांचमो, तीकरणपां चुहीनांगरे ॥ ति० ॥७॥ गृहस्थजीमावणारी करेअामना, जोकरेसाधदलालीरे ॥ चोमासीदंड कह्योनसीतमें, वरतनांगावोखालीरे ॥ ति०॥ ॥८॥ करेवांसादिकनोवाधवो, बलेकीयांनीना नाचेजारे ॥ गंयोलीप्योतेहने, कहीजेसपरीकर्म सेजारे ॥ति ॥९॥ एहवीवसतीनोगवे, ते साधनहीलवलेसोरे ॥ मासीकदंडकह्योतेहने, नसीतरेपांचमेनदेसोरे ॥ति० ॥१०॥ बांधे पददापदेचकनातने, बलेचंद्रवासिरकीनेताटारे। साधुअरथेकरावेतेनोगवे, ज्यांराज्ञानादिकगुण न्हाटारे ॥ ति॥११॥ थापीतोथानकनोगवे, त्यांदीयामहाव्रतनांगोरे ॥ नावेसाधपणाथीवेग ला, त्यांनेगुणविणाजांणोसांगोरे ॥ ति०॥ १२॥ ॥ काचचसमोवरज्योतेराखीयो, बळेजाणेदो खपथोडोरे ॥ पांचमोवरतपूरोपड्यो, बलेजिण Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रागन्यारोचोरोरे ॥ ति० ॥ १३ ॥ गृहस्था योदेखीमोटको हावनावसुंहरखतहबारे ॥ विगव पाकरेआमना, तेसाधपणाधीजूधारे ॥ ति०॥ ॥१४॥ गृहस्थमायासाधतडवा, कपडावाहरा वणलईजावेरे ॥ इण विधवहिरे तेहमें, चारितकि विधपावेरै ॥ तिः ॥ १५॥ साहमोग्राण्योलेजावतेडियो, एदोखणदोन ईनारीरे ॥ यांनेटा लेकेरायतवीरना, सेव्यानहीसाधप्राचारीरे ॥ ति० ॥ १६॥ धोवणादिकमेलीलोतरी, जीवांसहितकणनीनारे ॥ एहवोवेहरेसं केनही, तेपर नवसंनहीबीनार ॥ति० ॥१७॥ एहवाअन्न पाणीनोगवे, त्यांनेसाधुकिमथापीजेरे ॥ जोस्त रनेसाचोकरो, त्यांनेचोरारीपातमें अापीजे रे ॥ ति० ॥ १८॥ गृहस्थनेसळायबोलथोकड़ा, सा धलिखेतोदोषणलागेरे ॥ लिखायनेअणमोदियां, दोयकरणऊपरलानांगरे ॥ ति ॥ १९॥ पहिलेकरणलिख्यामपापने, तोलिखायांदोखणउ घामोरे ॥ पांचमहाव्रतमूलगा, त्यांसघलापडि याबिघाडोरे॥ ति० ॥२०॥नपधनलावग्रहस्थ ने, ओनहीसाधआचारोरे ॥ प्रवचनन्यायनमा Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૧ ॥ नीयो, लीयो मुगत सुमारग न्यारो ॥ ति० ॥ २१ ॥ ग्रहस्थउपधरीकरेजाबता कियावरतचकचूरो रे ॥ सेवगढ़वा संसारीया, साधपणाथीदूरोरे ॥ ॥ ति० ॥ २२ ॥ सातापूबे पूवावेग्रहस्थरी, इ. वरत सेवलागारे | अणाचारी कह्योदसवीका लिकै, बळे पांचही महाव्रतांगारे ॥ ति० ॥२३॥ श्रावकनेवले श्राविका करेमांहो माहीकारजरे सातापूबेविनोवैयावचकरे, तिमेधर्मपरूपे ना बजरे ॥ ति० ॥ २४ ॥ अणाचार पूरा नहीोल ख्या, नवनागाकिविधदालेंरे || ग्रहस्थनेसीखा वेसेवना, लीधावरत नहीसंनालेरे ॥ ति० ॥ ॥ २५ ॥ कारण पडियाले पोक हे साधने, करे अशु हररथापोरे ॥ दातारने कहेनिर्जराघणी, वलीथोवतापापोरे ॥ ति० ॥ २६ ॥ एहवी नुंधी करेपरूपणा, घणाजीवांने जलदानाखेरे ॥ अणविचारीनाषा बोलता, नारीकर्माजीवन संकेरे ॥ ति० ॥ २७ ॥ निष्टाचाररीकरेथापना, ककदूषकालोरे ॥ हिवडाचारबेएहवो, घणादोखणरो नहुवेटालोरे ॥ ति० ॥ २८ ॥ एक पोते तो पालनही, बळे पालेति सुंधेखोरे ॥ दोय १२ " Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मरखकह्योतेहने, पहिलोप्राचारंगदेखो। ति०॥ ॥ २९॥ पाटबाजोटाणेग्रहस्थरा, पागदेव परीनहिनीतोरे ॥ मरजादालोपनेनोगवे, तिण गेमीजिणधर्मरीतोरे ॥ ति० ॥३०॥ तिणनेदं मकह्योएकमासनो, नसीतरेउदेसेबीजेरे ॥ भ्या यमारगपरूपतां, नारीकरमासुणमुणखीजेरे ॥ ॥तिणनेसाधुकिमजाणीये ॥ ३१ ॥ . सवैया ॥ गुणविनानेखकोमूलनमानत, जीव अजीवकाकीयानिवेडा ॥ पुण्यपापकुंनिन्नभिन्न जाणत, आश्रवकर्मकुंलेतउरेरा ॥ आवताकर्मकुं संबररोकत, निर्जराकर्मकुंदेतविखेरा ॥ बंधतो जीवकुंबांधकरराखत, शास्वतासुखज्यूमोहमें में रा॥ऐसाघटप्रगटकियांतब, मेटयानवजीवारामि थ्यात्वअंधेरा ॥ निर्मलज्ञानसुंउद्योतकियोतब, एतोपंथप्रनुतेराइतेरा ॥ १॥ इति ॥ ॥ अथ स्तवन सहाय अधिकार लिख्यते ॥ ॥ अथ पंचपदनवकारको स्तवन लिख्यते ॥ दुहा ॥ पांचपदपरमेश्वरू, मोठामहागुणखा ए॥ सर्वलोकमेसारसा, विधसुंकरूंवखाण॥१॥ पहेलेपदअरिहंतनमुं, दूजेसिद्धमुजाण ॥ आचा Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रजतीजे अखू, चोथेनपाध्यायजाण ॥ २॥ साध सकलपदपांचमे, समरयानितसुखहोय ॥ गुण गावूएओलखो, हियनितमनहोय ॥ ३ ॥ पांचे पदनांगणघणा, कह्याकिहांलगेजाय ॥कोमजी नकरीवर्णवं, पूराकेमकहेवाय ॥४॥ थोडासापरगटकरूं, लेशमात्रललाय ॥ गुणमालागुणवं तनी, समस्यानितसुखथाय ॥५॥ __ ढाल लिख्यते॥ बीसवेहेरमानसदाशाश्वता, जगनपदेपरमाणु ॥ सोसाठनेनितनितनमीए, उत्कृष्टेपदाणं॥ नवियणनमोअरिहंताणं, नमो सिद्धनिरवाणं ॥ एमांकणी ॥ १ ॥अनंतज्ञानद र्शनचारित्रतप, बलेकरअनंतपाणंदा।एकसहस आठलक्षणबिराजे, सेवेचौसठइंदापनवि०॥२॥ चोतीसअतिशयअतिशोनता,बहुविस्तारवखाएं पेंतीशप्रकारेकरीने, तारेजीवअजाएं।नवि०॥३॥ दसाठदोषणटाला, बारेगुणवाला, सुरनरअ तिरुपाला ॥ वेणरसालासमजेदबाला, कटजा वेकर्मपुराला ॥ नवि०॥४॥ नामस्थापनाद्र. व्यनिदेपे, चोथोनावपिगणु ॥ नावनगतनेनी त्यनमीये, तेपामेकल्याणं ॥ नवि० ॥ ५॥ न Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मोकहेतांनमस्कार, अरिकहेतांकर्मकटाणं ॥ हं ताकहेताहणीयाप्रनुजी, तेपामेकल्याणं ॥नवि०॥६॥ करणीकरकरमानेकाट्या, पोहोता सिद्धनिर्वाणं जन्मजरामरणमेटदिया, नहिंको इआवजावण ॥ नवि०॥७॥ सिद्धजीआठ गुणाकरीशोने, अतिशयगुणइकतीस ॥ अनंता सुखात्मिकसोहे, जीत्यांरागनेरील ॥ नवि०॥ ॥८॥अवर्णअगंधपरसस्पर्श,नहीलेश्यायो ग्याहार ॥ कर्मविदारचाकारजसारयां, सिद्धस दासिरदार ॥ नवि० ॥ ९ ॥ नमोकहेतांनम स्कार, सिद्धाणंकारजसारया ॥ सुखसाश्वतास दाकालने, आवागमननिवारया नवि०॥१०॥ उत्तीसगुणेकरिशोनिरह्याने, आचारजणगा. रा॥ नीशदिनचरचान्यायबतावे. गणकरज्ञान नंमारा ॥ ११॥ धर्माचारजधुरधुरंधर. म्होटामु निवरमारा ॥हेतदृष्टांतमतिमागा. न्यायनित्यनिस्तारा ॥ नवि० ॥ १२॥ गुणकेा गरबुधकेसागर, महामुणिंदमुर्णिदा ॥ साधुमाहे शोनिरह्याने. जेमताराविचचंदा ॥ नवि० ॥ ॥ १३ ॥ अंगइग्यारेजपंगवारे. नणेनणावे Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सारा॥ पचीशगुणेकरीशोनिरह्याने. उपाध्याय पगारा ॥ नवि०॥ १४ ॥ जगनदोयसहसको डमांकेरा, उत्कृष्टानवसहसकोड ॥ अढीद्वीपपंदरक्षेत्रोमे, मुनिश्वरानीजोड ॥ नवि० ॥१५॥ तुषणबेतालीशटालीनेहवरे, बावनटालेअनाचा रो ॥ पांचदोषमांडलेराटाले, गुणकरज्ञाननंडा रो ॥ नवि० ॥ १६ ॥ पांचपदेपरमेश्वरपूरा, ज्यांरागुणओलखनेगावो ॥ समकितसहितवत आदरने, आवागमननिवारो ॥ नवि०॥ १७॥ पारेआठपतीसपचीश, साधुसताविगुणवाला ॥ एकसोनेआठगुपारी, एगावोगुणमाला। नवि. ॥१८॥ संवतअठारवरसगुणसाठे, आशाट. जापजोमास|गणगायापांचपदारा॥शहेरपी सांगणचोमास ॥ नवि०॥ १९॥ इति। ॥अथ उपदेशी सजाय लिख्यते ॥ गोतमकहएदेशीहाथजोमीविनंतीकरूं, विनयक रीसिशनमायहो।साहेबएकेंद्रियहणताथका,वेद नाकेटलीकथायहो ॥ साहेबअरजकरूंथांसुचीन ती ॥ एमांकणी ॥ १ ॥ हाथपावनहिनाशिका, जीव्हानहिंपणतायहो ।साहेब,मनवचनविनावेद Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ना, नोगवेकिणन्यायहो॥ साहेब० ॥२॥ वल ताजिनेश्वरइमकहे, सुणतुंचितलगायहो ॥ गो तमद्रिष्टतदेइतुजनेकडं, हिवेतुणतेनोन्यायहा ॥ गौतमचितलगाइनेसजिलो ॥३॥ कोइअंधो पुरुषहोवेजनमनो, बहेरोजन्मनोजागहो ॥ गोत म, गुंगोनेवलीपांगलो, रोगेघेरचााणहो ॥ ॥ गोतम० ॥ ४॥ अंधापुरुषनेनालेंकरी, देज ग्याबत्तीसहो।गोतमखड़करीबत्तीसजायगा,देक रकररीसहो । गोतम० ॥५॥ अंधापुरुषनेवेद नाहुवे, उद्यानेद्यांतिणवारहो ॥ गोतमएहवीवेद नाटविकायने, लीधाहाथमकारहो ॥ गोतम०॥ ॥६॥ रांकगरीबजबापमा, एहयाजीवअनाथ हो । गोतमपुकारकरकोणागले, ज्यारीकरेहर कोईघातहो । गोतम० ॥७॥ इति ॥ ॥ अथ जीवने शिखामणनी सजाय लिख्यते ॥ संतकहेनवियणसुणो, एसंसारप्रसार ॥ तन धनजोबनकारमो, काइविणसंतालहिंवार ॥ पल कतुंमतकरजीवपरमाद, खलकनेविषमावखेविख बादः ॥ अलकशिवपंथअमूलकसाध ॥ तिलकतु जमुगतरमणीउल्हाद॥ऐशिविषपामेपरमसमाध, Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मोगगेड्यासुहोयसमाध ॥ १॥ विषयसुखद णमात्रनां. दुःखाहनकनन ॥ काणीकवडीकार णे, कांइकरतकोडकोखंत ॥ पलक० ॥ २॥हा स्वरमणरमणीतणां, करतणांफलजाण ॥वेणकटा देवोंधीया. कांइमरखमा अजाण ॥ पलक०॥ ॥३॥ स्नेहपासनेयदायका, मपडमपमएफंद ॥ सुखहेतुनिस्नेहपणे, कांइसदारहेवेआनंद ॥ ॥ पलक० ॥४॥अवसरएहवोपायने, कीजें उत्त मकाम ॥ तपजपशीलसंतोखसं, कांइपामे विचलठाम ॥ पलक० ॥ ५॥ इती॥ ॥ अथ कायाने उपदेशी स्तवन लिख्यते ॥ __ कायाकाचीसमणगला, विसंतानहीवारो रे ॥ इमजाणीजिनधर्मअराधो, तपजपलेजोला रोरे ॥ काया० ॥ १ नवजीवांएतोनगवंतवा यकनाखीरे ॥ कायाकाचीरे ॥ एत्रांकणी ॥ का चोकुंनमटीरोनाजन, विणसंतानहीवारोरे ॥ कागलडोकाचजेमकाया, हणमेहुवेखुवारोरे ॥ ॥ काया० ॥ २ ॥ गंधीदेहीगर्वन कीजे, दणमें खेरोथावेरे ॥ तावतेजरोगडोगुंबडो, आणीसेज दबावेरे॥ काया० ॥ ३॥तन्दुमवतणीपरेतृष्णा, Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ करतोमेरीमरीरे॥पापकरीनेपरनवपोतो,होइराख गंदेरीरे ॥ काया०॥४॥ नरइंद्रचक्रीअतिचावो, पोथोसनतकुमारोरे ॥ कर्मकाटीनेशिवपुरवरीया, जाणीदेहअसारोरे ॥ काया० ॥ ५॥ इती॥ ॥ अथ काय उपरे सजाय लिख्यते । हवानेहोसीघणाजीरे, जेवंताजिनराय ॥ स पलाजिनवरइमकडोजीरे, मतहणजोबकाय ॥ नोलाप्राणीरेहृदयविमासीजोय ॥ एमांकणी ॥ ॥१॥ जीववंबेसर्वजीवणोजीरे, मरणनवंछेको य ॥ त्रसस्थावरनेमारीयांजीरे, मोदनपोताको य॥ नोला० ॥२॥ एथ्विपीलुजेटलीमें रे, जी वकह्याजिनरायं ॥ पारेवाजेटलीकायाकरतो, जे बद्विपमेनसमाय॥नोला०॥३॥पापीएका विदुमेंजीरे, जीवकह्याजिनराय ॥खसखसजेटली कायाकरतो, जंबुद्विपमेंनसमाय ॥ नोला० ॥ ॥४ ॥ अग्नीएकणचिपखमेजीरे, जीवकह्याजि नराय ॥ सरसवजेटलीकायाकरतो, जवुद्विपमेंन समाय ॥ नोला०॥५॥ वायुवीजणढोलतांजी रे, केटलाकजीवहणाय ॥ वडबीजजेटलीकायाक रेतो, जंबुद्विपमेनसमाय ॥ नोला०॥६॥ वन Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्पतीनेवखाणीएजीरे, जीवकह्याजिनराय ॥ सं खप्रसंखअनंत बेजीरे, ज्यारोपारनहीकेहेवाय ॥ नोला ० ॥ ७ ॥ ॥ इति ॥ ॥ अथ दसप्रकारनादाननी सकाय लिख्यते ॥ कृपणदीननाथए, म्लेहादिकत्यारीजात || रोगशोक ने आरतध्यानए, त्यांनेदियोअनुकंपादान ॥ १ ॥ त्यांनेदीएमलादिक नामिकंदए, तिणमें अनंत जीवाराफंदए । तिदीया केहवमिश्र धर्मए, तिरेउदेश्रायामोहकर्मए ॥ २ ॥ हुएदेवीकाय, पेनीढोले पाणीवायए ॥ शस्त्रविविधप्रकारए, इणदानसुंरुळेसंसारए ॥ ॥ ३ ॥ बंधीवानादिकनेकाजए, त्यांनेकष्टपड्यां देवेसाजए || थोरीवाघडीनील्लकसाइनेए, सची तादिकद्रव्यखवाईने || ४ || बोडावादेवेग्रंथता मए, संग्रहदा नबेति रोनामए ॥ एतोसंसाररो उपगारए, अरिहंतनी आज्ञाबारए ॥ ५ ॥ ग्रहकरडालागा जाए, सुशिलागिपनोती ए ॥ फिकरघणीमरवातणीए फेरकुटुंबतणीजतनानः लिए ॥ ६ ॥ नेयनेगालोदेवेयामए. नयदानवे तिणरोनामए ॥ ली कुपात्रति प्रायए, मि १३ Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कियाथीथायए ॥७॥ खर्चकरेरेमुआरेकेडए, जिमावेन्यातनेतेडए॥ तीनबारादीनअनुमानए, चोथोकालुणीदानए ॥ ८॥ बरसग्मासीश्राधए, जेमतेमकरेकुलमरयादए ॥ मुश्रापेहेलोखरच करेकोयए. घणातृप्तकरेसोहए ॥९॥ प्रारंजकीयानहींधर्मए, जीमायाबंधसीकर्मए ॥ बुद्धिवं तकरजोविचारए, इमेंसंबरनिर्जरानहिलीगारए॥ ॥१०॥घणारीलजावशथायए, साकडेपमयांदे वेतायए ॥ देवेसचीतादिकधनधान्यए, लोपांचमुं लज्जादानए ॥ ११॥ एतोसावजदानसादातए, वलीदीयोकुपातरहाथए । तीणमें केहवेमीश्रधर्म ए, तीथीनीश्वेबंधशीकर्मए ।॥ १२ ॥ मोकला व्यांपेरावणीमुशालए, सगानेंजोईसंजालए ॥ त्यांनेद्रव्यदेवेजशकामए, गर्वदान तिरोनाम ए॥ १३ ॥ कीरतीभावादीमिलेए, रावलीपारा मतमिलेए ॥ नटनूपाआदविशेषए, दानदीयोत्यांनेअनेकए ॥ १४ ॥ इणदानीबंधेकर्मए, म र्खकेहवेमीश्रधर्मए ॥ जेनीप्रत्यदखोटीवातए, खोटीश्रद्धानेमूलमिथ्यातए॥ १५॥ गणकादिक सेवेकशीलए, दानदेवेकरावेकेलए ॥ आतोप्रत्य Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ देखो,कामए, अधर्मदानतिणरुनामए॥१६॥ सूत्रअर्थशिखायए, सुधमार्गाणेठायए। आपे समकितचारित्रएहए, धर्मदानाठमुंतेहए ॥ ॥ १७॥ वलीमीलेसुपात्राणए, देवेनिर्दूषणद्र व्यजाणए ॥ एतोदानमुक्तरोमार्गए, तीणदीया दालिद्र जावेनागए ॥ १८॥ उक्कायमारणारात्या गए, केइपचखेवाणिवैरागए ॥ अनयदानक ह्योजिनराजए, धर्मदान में नलीओआयए ॥ ॥ १९॥ सचितादिकद्रव्यअनेकए, धाराजेम दीयाविशेखए ॥ पागेलेवारोमनमेंध्यानए, नव मोकाअंतीदानए ॥२०॥ लेणीपातनेदेवेएहए, हातीनेता दिकतेहए ॥ पाबुलेवणरुएकंतकामए, कन्ततीदानतिरोनामए॥ २१ ॥नवमेदशमे दाननीचालए, धूरवोरेवालोखेबालए ॥ ज्ञानीमानेसावनमााए, तिणमेंमीश्रक्यांथीथायए । ॥२२॥ दसदानरोविचारए, संदेपेकह्योविस्ता रए । वीरनीअाज्ञामेंदानएकए, आज्ञाबारेदान अनेकए ॥ २३ ॥ असंजतीघरेावीओए, नि रदोषणाहारवेहरावीयोए ॥ तिणनेदीयाएकंत पापए, नगवतिमेकह्यो जिनापए ॥ २४ ॥ध Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मअधर्मदानदोयए, मीश्रमजाणोकोयए ॥ केम जाणेमिथ्यात्विजीवए, मूलमेंनहींसमकितनीवए ॥२५॥ इभजाणी नेकरो विचारए, नवेअधर्मत णोपरिहारए ॥ घणासूत्रनीसाखए, श्रीवीरगया बेनाखए ॥ २६ ॥ इति अथसाधुश्राचार ओलखामणनीसजायलिख्यते __ प्राधाकर्मिउद्देशीनोगवेतिणने, निश्चेकह्याअं नाचारी ॥ दसवेकालीकरेती मेअध्ययने, शंकाम जाणोलिगारी, नवियपजोजोह्रदयविमासी॥ए कणी॥१॥आधाकरमीउद्देशीनोगवे, तिणनेनीष्ट कहानगवाने॥दसवेकालीकरेग्ठेअध्ययनें, नीर पोकरोबुद्धिवानरे ॥ नवि० ॥२॥श्राधाकरमी उद्देशीनोगवे, तिणनेनर्कगामीकहानगवाने ॥ उत्तराध्ययनरेबीशमेअध्ययने, निरणोकरोबद्धिवा नरे ॥ भवि० ॥ ३॥ प्राधाकरनीनदेशीनोगवे, तिणनाव्हॅव्रतनांग्याजाण ॥ श्राचारंगरेदूजे ध्ययने, जोइकरोपिगनरे ॥ नवि०॥४॥ आ धाकरमीनदेशीनोगवे.तिणमें मोटीखोमामाचा रंगरेपेहेलेश्रुतखंधे, केहदियानगवंतेचोररे ॥ "नवि० ॥५॥ प्राधाकरमीउद्देशीनोगवेत्र Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१ धगतजीववलीकह्या अनंतसंसारी ॥ नगवतीरे पहेलेसतकरेनवमेनदेशे, तिहांबहोतकियोविस्ता री ॥ नवि० ॥ ६ ॥ आधाकरमीउदेशी भोगवे, तिणनेकह्याग्रहीनेनेखधारी ॥ दोयपक्ष रासेवणहारकह्याने, सूगडांगदूजाश्रूतखंधमकारी रे ॥ नवि० ॥७॥ आधाकरमीनदेशीएकवार जोगवे, तिणनेचोमासीप्रायश्चितदेणो ॥ सदानी तरोनीतठेठसुनोगवे, तिणनेप्रायश्चितरोकांइकेपोरे। नवि०॥८॥प्राधाकरमीउदेशीनोगवे, ति णनेसबलोदोपणलागे ॥ सदानितरोनीतठेठसु नोगवे, तिणनेप्रायश्चितरोकांइथागेरे ॥नवि०॥ ॥९॥ साधुकाजेदडेनीपेजठे, कीडीमकोडीदेवे दाठी ॥ अनेकत्रसजीवांनेमारे, त्यारीविकलारी गतहोसेमाठीरे ॥ नवि० ॥ १०॥ अनेकत्रस जीवांनेमारे, अनेकापरदेवेदाटी। कुगुरुकाजेजी वइणविधमारे, त्यारीअकलाआदीआईपाटी। ॥जवि०॥११॥श्वासउश्वासरूंधीजीवमारे.म हामोहनीकर्मबंधाय॥ एकह्योदशाश्रूतखंधसूत्रमें, तेपणविकलानेखबरनकायरे ॥ नवि० ॥१२॥ बीमठरोतिणखोनाखेजठे, किमीयालाखांगमेश्रा Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२ वे ॥ घरनीपेदडेरुंधेजठे, किमीयांलाखांग में मरजा वेरे ॥ नवि० ॥ १३ ॥ पोतिकरम दोपसेवेतिण ने, कह्याग्रहस्थीनेने खधारी ॥ दोयपरासे वणहारकह्याबे, सूगडांग दुजाभ्रुतखंधमारी रे ॥ ॥ नवि० ॥ १४ ॥ पोतिकरमदोष में धाकर मी, दोषवीशेषनारी || सदानीतरोनीत प्राधा करमी, दोपसेवे वेलेनिश्चेनहिंणगारी ॥ नवि० ॥ १५ ॥ प्रधाकरमीस्थानकसेवेउघाडुं, वलीसाधुनानाखी ॥ महामोहनीकरभबांधेबे, द शाश्रुतखंध सूत्रबेसाखी ॥ नवि० ॥ १६ ॥ आ धाकर मीस्थानकसेवेनुघाडुं, पूग्याथीपाधरूंबोल नहिंावे || मीश्रवोल्याथी महामोहनिकर्मबंधा ए, कुडकपटथकामचलावे ॥ नवि० ॥ १७ ॥ आधाकर मीस्थानकसेवेउघाडु, पूब्याथीबोलेकू ड ॥ व्याराश्रावकत्यारीशाखपूरेबे, तेगयाबेतीरेपूररे ॥ नवि० ॥ १८ ॥ श्रधाकर मीस्थानकसेवे उघाडुं, वलीकुठ बोले जाए जाए ॥ व्याराजैशी सामीतेसाजसेवक, नीकलगयो जाबकगाए ॥ न वि० ॥ १९ ॥ कोइक श्रावकत्यारानारीकरमां, फुटबोलतानमरेलिगार || आधाकर मीनेनिरदोष Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३ कबे, तेडुबगयाकालीधाररे ॥ नवि० ॥ २० ॥ धाकर मीउदेशीनोगवे, तिने साधसरदेते मि थ्याती ॥ ठाएंगे रेदशमे ठाणेकह्योबेार्थ, मुंढे - तणीमतिजालोबातीरे ॥ नवि० ॥ २१ ॥ आधा करमीनदेशीजोगवे, तेबेजारीकरमां ॥ सुडबुद्ध वायराजीव ज्ञानी, किमपामेश्रीजिनधरमारे ॥ वि० ॥ २२ ॥ धाकरमीदोषसूत्र संबतायो, सूत्र में दोषअनेक || मूलरोली प्रदोषकहुं, तेसु जो प्राणिविवेक || वि० ॥ २३ ॥ मूलरोली जोगवेतिणने, निश्वेकह्याअनाचारी ॥ दशवे कालीकरेतीजे अध्ययने, शंकामजापोलिगारीरे ॥ नवि० ॥ २४ ॥ मूलरोली मोगवे तिणने, जी ष्टकयान गवाने ॥ दशवेकालीकरे बठे अध्ययने, निरणो करोबुद्धिवानरे ॥ नवि ० ॥ २५ ॥ मूलरोली नगवेतिणने, नर्कगामीकह्यान गवाने ॥ उत राध्ययनरेवी शमेष्प्रध्ययने, निरणोकरोवुद्धिवानरे ॥ नवि० ॥ २६ ॥ मूलरोलीयोनोगवे, तिथमेंटे मोठीखोड || प्रचारंगेपेले श्रुतखंधे, केहेदीच्यान गवंतेचोररे ॥ जवि ० ॥ २७ ॥ मूलरोलीओनो, गवेति परासुमत गुप्त महाव्रतांगा ॥ नसीतरे Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ओगणीसमेनदेशे, कह्यात्रतयीहुणानागारे॥न. बि० ॥ २८ ॥ मूलरोलीओएकवारनोगवे, ति पानेचोमासीप्रायश्चितदेणो, सदानीतरोनीतठेठ संजोगवे, तिणनेप्रायश्चितरोकांइकणारे ॥न. वि०॥२९॥ मूलरोलीप्रोनोगवेतिणने, सब बोदोषेणलागे ॥ सदानीतरोनीतठेठसुंनोगवे, तिणनेप्रायश्चितरोकांइथागेरे ॥ नवि० ॥ ३० ॥ मूलरोलीओदोषसूत्रसुंबतायो. सूत्रमेंदोपअने. के ॥ नितपिंडरोदोषकहुं, सुणजोआणविवेकरे ॥ नवि० ॥ ३१ ॥ नीतरोनीतएकणघरकोवेहेरे. तिणनेनिश्वेकह्याणाचारी ॥ दशवेकालीकरेती जेअध्ययने. शंकामजाणोलिगारीरे ॥ नवि०॥ ॥ ३२॥ नीतरोनीतएकणघरकोवेहेरे, तिणनेनी ष्टकह्यानगवांने ॥ दशवेकालीकरेबठेअध्ययने, ओईकरोपिगनरे ॥ नवि० ॥ ३३ ॥ नीतरोनी तएकणघरकोवेहेरे, तिणनेनर्कगामिकह्यानगया ने॥ दशवेकालीकरेग्डेअध्ययने, निरणोकरोवुद्धि वानरे ॥ नवि० ॥ ३४ ॥ नीतरोनीतएकणघर कोवेहेरे, तीण मोठीखोम॥ आचारंगपहेलेश्रु तखंधे, केदीयानगवंतेचोररे ॥ नवि० ॥३५॥ Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मीतरोनीतएकणघरकोवेहेरे, एकवारतिणनचोमा सीप्रायश्चितदेणो ॥ सदानीतरोनीतठेठसुवेहेरे, तिणनेप्रायश्चितरोकांइकेणोरे ॥ भवि० ॥ २६॥ नीतरोनीतएकणघरकोवेहेरे,तिणनेसबलोदोषण लागे ॥ सदानीतरोनीतठेठसंवेहेरे, तिणनेप्रायः श्चितरोकांइथागेरे ॥ नवि० ॥ ३७॥ नांगेल खधारीनीतरोनीतवेहेरे, एकणघरकोआहार ।। पूज्याथीपाधरोनहीबोले, फूठबोलेविविधप्रकाररे॥ भवि० ॥३८॥ नांगेलनेखधारीनीतरो नीतवेहेरे,एकाघरकोआहारपाणी ॥ पूब्याथकी पाधरोनहीबोले, उठनोलेजाणजाणीरे ॥ नवि. ॥ ३९ ॥ आहारतणोसंनोगनतोड्यो, तेपणखा वानेकाजे ॥ एकमांडलेराबाहारजुभाजुाकरेबे, निर्लजामूलनलाजेरे ॥ नवि०॥४०॥ अथ साधु अाधाकरमी स्थानक सेवे तीणारी सजाय लिख्यते. आधाकरमीस्थानकमां हेसाधुरेहेवे,तोपेहेलोइ महाव्रतनांगो ॥ दयारहितकयोसूत्रनगवतिमें, अनंताजन्ममरणकरशीआगोरे॥ मुनिवरजीवदयाप्रतिपालो ॥ एत्रांकणी ॥१॥ सर्वसावजरा Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ० ६ त्यागकेवेतो, दूजोइमहाव्रतनांगो ॥ जेडवेके वे स्थानकमाहेकाजनकीधो, तोकपटसहीतकुठला गोरे ॥ मुनि० ॥ २ ॥ जेजिवमुच्यत्यारोशरीर नापेतो, दत्तन जीवांरीलागी ॥ श्राज्ञालो पीश्री अरिहंतदेवनी, ती सुंती जो महाव्रतगयो. नांगीरे ॥ मुनि० ॥ ३ ॥ थानकने आपकरीरा खे, ममतारहे नितलागी ॥ मठवासीमठमां हेव से ज्युं, पांच मोमहाव्रतगयोनांगीरे ॥ सुनि० ॥ ४ ॥ 'चोथोने होते तो किविधनांग्या च्या चारकुशीलियानेलेखे ॥ हिवेनांगल फिरेसाधुनेने खमे, तिनेबुद्धवंतज्ञानसुंखे ॥ मुनि० ॥ ५ ॥ एक कायहण्यासुंत्कृष्टोनांगे, हिंस्याबक्कायरीलागी ॥ एकत्र नांग्यासुंत्कृष्टोनांगे, व्रतबहुंइगयानांगी ॥ मुनि ० ॥ ६ ॥ इतो दोषमोठमोठासेवे, साधुरानेखमकारो ॥ तेचतुरविचक्षणजाएहो - शेते, थांनेकिमसरदेणगारो ॥ मुनि० ॥ ७ ॥ दोषबेतालीश कह्यसूत्रमां, बावन कह्यायणाचाये ॥ एदोषसेव्यां सेवायां, महाव्रत में पड शेबिगामो ॥ मुनिः ॥ ८ ॥ आचारंगरेवी जे अध्ययने, ब, उद्देशेनिहालो ॥ वचनमु सुने हियमे विमासो Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मतकरोलपंपालो || मुनि० ॥ ९ ॥ कोइस्था नकनिमित्ते गर्थदेवेतिणने, मुखसुमतिसरावो ॥ श्रापमेव काय जीवाने, शानकरीजीवनेकांइमरा वोरे ॥ मुनि० ॥ १० ॥ स्थानककरावतानेधर्म कहीने, नोलानेमतनरमावो ॥ श्रपरहेवाने जायगा कारणे, जीवानेकांइमरावो ॥ मुनि० ॥ ११ ॥ साधुका जेजीवहरे, होसेनुंडेसुंनुंगो ॥ जे साधुन जायगा में रेशीतो, साधपती रोबूडो ॥ मुनि० ॥ १२ ॥ जीणस्थानकनिमीत्तेगरथेदीपो, तिहांउतरवांजीवारोउ नेपापो ॥ धर्मजा पोतो पाप श्रढारमुं, होशेघणो संतापो ॥ मुनि० ॥ ॥ १३ ॥ साधुकाजेद डेनी पेठपराळावे, जीवमने कविधमारे ॥ प्रापडुबेक्लीबंधजीबासुं, गुरारोजन मबीगाने || सुनि० ॥ १४ ॥ थेंधर मठिकाणेजीव होतो, दयाकीसीठोर पालो । कुगुरुनरमाव्या तुमने, कांइलगावोकालो ॥ मुनि० ॥ १५ ॥ रा तत्र्यंधारीने जीवनसुजेतो, आडामतजडोकिंवाडो ॥ बकायरापीयरवांगे, तोहाथसुंजीवमतमा रो ॥ सुने० ॥ १६ ॥ जोथांनेसाचीशीखनलागे, तो नतले यो साधवीयांरोसरणो ॥ साधानेरेहे 4 Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णोद्वारउघामो, साधवियारेचालेन्जमणो ॥मु नि० ॥ १७ ॥ ग्रहस्थसाथेमेलोसंदेसो, जबमारीजावेबकायो । आजोयाविनाजांवमारगमें,एवो मतकरोअन्यायो । मुनि ० ॥ १८॥ एसविप एंथांसुंपलतुंनदीशे, तोश्रावकनामधरावो ॥श क्तिसारंव्रतचोखापालो, दूषणमतिलगावो में नि०॥ १९ ॥ आचारथांसुंपलतोनदीशेतो, श्रो रारेमाथेमतिनांखो ॥ भावनाकमायतवांगे, तोऊठबोलतांक्यंनसंको ॥ मनि० ॥ २०॥ व तविहूणोंसाधुवाजो ॥ होइरहीलोकां मेपूजा ॥ ठा लेबादलज्युंथोथांबाजो, श्रीमो ने अचरजदूजा ॥ मुनिः ॥२१॥ इत्यादिकाचारमाहीने, पूरो किमकेहवायो॥हिंसामांहीजोधरमथापा, तेपणख बरनं कायो। मुनि०॥२२॥तेलोकरेतिणनेतीनदीन कोइ, उनुपाणीकरपावे ॥ तिणनेतोागलेरी बारेलेखे, एकतपापवतावे॥ मुनिः ॥ २३॥ बोथेदीनारंनकरीने, बकायहणीनेजिमावो । सिपमेंमीश्रधर्मपरुयो, तोोकिणविधमिलशेन्या यो । मुनिः ॥ २४ ॥ तेलाकरेउनापाणीपाया, एकतपापबतावे ।। चोथेदीनारंनकारिनोजमावे, Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तिणमीश्रलिहांथीयावे ॥ मुनिः ॥२५॥ मी माहेधर्मशहवेतीपरीश्रद्वारेलेखे, श्रोधणे सल नायो । हिंस्यामांहेधर्मस्थापोतो, सूत्रसामुंजो यो। जाने० ॥ २६ ॥ अर्थअनर्थरेधर्म नेकाजे, जीवहतमंदबुद्धि ॥ धर्मकाजेजीवहणेत्यारी, श्रद्धा बंधीधी। मुनिः ॥ २७॥ समुचयाचार साधुरोगतायो, तीण रागद्वेषमतिप्राणो॥ एव चनसुणतुणहियविमासो, मतकरोखांचाताणो ॥ मुनिः ॥ २८॥ प्रीतपुराणीथीथांसुपहेली, ति सुनिन्ननिन करसमजावु ॥ जेथारेमनमेंशंकाहुवे तो, सूत्रकुंकाडिबताq ॥ मुनि० ॥ २९॥ संमत अढारवरसतेतीशे भेमतासहेरमाकारो॥ वैशाख बददशतीदिनाने ॥ शीखदीनीहितकारो ॥ मु. निपरजीवदयात्रातिपालो ॥३०॥ इति ॥ अथ शुद्ध श्रावक आचारनी सजाय लिल्पये जिननिनजाणोरेश्रावकजीने, जाणेअजीव पुन्धपापोजी ॥ आश्रबनेजाणेरेकर्मलगावतो, सं बरपाले संतोषेजी लगवंतेनाख्यारेश्रावकएहवा।। एअांकणी ॥१॥ निरापामेरेढीलोबंधने, करणी करेतिणहेतजी ॥ मुक्ततणांसुखजाणेसाश्वतां, Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११. उघड्यांअत्यंतरनेतजी ॥नग० ॥ २॥ पोतेप रखेरेगुरुनेअक्कलसुं, अंतरंगज्ञानविचारोजी ॥ नेखदेखीने श्रावकनूलेनहीं, देखेशुद्धाचारोजी ॥ नग० ॥ ३ ॥ व्रतानेजाणेमालारतनतणी, प्रव्रतमनरथखाणोजी ॥ रेणादेवीथीपणएबु री, त्यागीनेमाठीजाणोजी ॥ नग०॥४॥ श्रा दरयाव्रतसाधुमाहेला,एमाहेरोजिनधर्मोजीसेखेर ह्यारेकामसंसारना, बंधतांजाणकोजी नग॥ ॥ ५॥ श्रावकजाणेरेश्रीजिन बागन्या,जाणेधर्म अधर्मोजी ॥ जीणकरणीमेंनहींजिनआगन्या, बंधतांजाणेकरमोजी ॥ नगवंते ॥६॥ परचोपाखंडीयारोश्रावकनहींकरे, नहीकरेतीणसुंवा तोजी ॥ नीचोमस्तकश्रावकनविकरे, नहीकरउं चोहाथोजी ॥ जगवते ॥७॥ नरमायोकिण रोलागेनहीं, नहींकरकूडीताणोजी ॥ धर्मठिकाणे रेठबोलेनहीं, पालेश्रीजिणाणोजी ॥ नगवं ते ॥ ८ ॥ गुरुनेदेखेदूषणलगावतां, तोतुरत करेनीकालोजी ।। लालांलोलोरेकरउठेनहीं, श्रा जिणसासणरीपालोजी ॥ नग० ॥९॥ कुगुरु वांदणरारेफलतीहांनोळखे, रुळेअनंतोकालोनी Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥नांगलगुराने रेश्रावकवादेनहीं, प्राजिनसास परीपालोजी ॥ नग० ॥ १०॥ कुगरुनेजाणेरे कालानागज्यं, करडोलीलरोडकोजी ॥ मुक्तन गरनारेतेधावी, चवडेखोसेनिःशंकोजी ॥ नग वंते ॥ ११॥ सुणेवखाणोरेसाधाागले, ए काकीचित्तलायोजी ॥ साधकेवेतेसुणसुणजल्लशे, मनरलियायतथायाजी ॥ नगवंते ॥ १२॥ स. दगुरुवांदेरेनलेमननावसुं, निचोसीसनमायोजी॥ तीनप्रदतणादोकरजोमने, पगारेमस्तकलगायो जी। नगवंते ॥ १३ ॥ मारगजातरिमुनिवर मिलियां, वांदीहरखीतथायोजी॥विकशीतथावेरेमु निवरदेखीने, क्लीकरेघणीनरमायोजी ॥ भगवं ते० ॥१४॥ बाराव्रतारादरतोरहे, अवतते प्रागारोजी ॥ पोतेसेवेसेवायेअवरने, नहींसरदे धरमलिगारोजी ॥ नग० ॥ १५॥ व्याजनधरो रेधनलावेपारको, घररोकामचलायोजी ॥ धर्मब तावेरेधनलावीपारको, इसडोनकरेअन्यायोजी॥ ॥ नग० ॥ १६ ॥ लोककहेवेबेनिंदकपापीयो, तेनिंद्यानरकलेजायजी ॥ श्रावकनिंद्यारेनविकरे केहनी, जिनसासणमाहेआयजी ॥ जग० ॥ Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११२ ॥ १७ ॥ जेटलाद्रव्यलोकप्रलोकमें, जाणेतिण रोन्यायोजी ॥ द्रव्यखेत्रकालनावसुं, गुणपर्याय पिगन्योजी ॥ नगवंते० ॥ १८॥ गबोलन बोलेकेहने, नकरेकूमीवातोजी ॥ कुमकथननविक रेजिनमती, नविकरेदगोनेघातोजी ॥नगवंते॥ ॥१९॥ मुखामर्मनबोलेकेहनो, गुणकरगेरगनी रोजी ॥ चरचाकरतारेविचबोलेनहीं, जेमगनीपीवेनीरोजी ॥ नगवंते० ॥२०॥ लोकसणे बखाणोसाधाअागले, नहीपाडेतोणनेनेदोजी ॥ करमघणापेलोसमनहीं, नहींकरकोषखेदोजी॥ नगवंते० ॥ २१ ॥ इति ॥अथ अल्प प्रायषो बंधतेनी सजाय लिख्यते॥ - तीनबोलाकरीजीवनेजी,अल्पायुपोधाय॥ हिंस्याकरेप्राणीजीवनी, वलीयोलेम लावायजी ॥ साधानेअशुद्धवेहेरायजी, हिंस्याकोचोखीजायगाबनायजी ॥ साधानेजतारणारीमनमाजी, ति परेअशुनकर्मबंधायजी ॥ तीजेठाणेकह्योतितरा यजी, वलीसूत्रनगवतिरेनगाजी ॥जीरिकेवे सुणगोयमोए। एकरणी ॥ १॥ दालोताधाका रणेजी,वलीबपराग्वेभायकेपि फिरतापका, Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जमीयाजालानखेलेतायनी ॥ लीलणफुलणमारी जायजी, अनंताजीवबेतीणरेमाह्यजी ॥ वली घरहपीबकायजी. तिणरीदयानाऐकायजी ॥ तिणरेअल्पायुषोबंधायजी ॥ श्रीवीर०॥२॥ वलीनीवदवरावेठेठसुंजी, टांकीवजावेताय ॥ ने लाकरनाठाचुणे, तीणेबोहोतहणीबकायजी ॥ नंताजीवहणीयाजायजी, तेपूराकेमकेहेवायजी ॥ साधानेनतारणरीमनमायजी ॥ तिणमेंमोठोकीयो अन्यायनी ॥ तिपरेअल्पायुषोबंधायजी ॥ ॥श्रीवीर० ॥ ३॥ जीणगर्थदियोथानककारणे जी, तेपणमाबिकाय ॥कीणमोलनाडेनोगवली योप्रलायजी, कीहांथापराखीव्तायनी ॥इत्यादि कदोषिलाकहेवायजी, खुणेखोदेसमकरजायजी॥ विधविधसुमारीकायजी, वलीमनमाहिहर्षीतथायजी ॥ तिणरेअल्पायुषोबंधायजी ॥ श्री वीर० ॥४ ॥ आहारसेज्यावस्त्रपातराजी, इ स्यादिकद्रव्यअनेक॥अशुदवहोरावेसाधनजी, ते डुबाविनाविवेकजी॥त्यांकालीकुगुरांरीटेकजी ॥ त्यारेकर्माडीकालीरेखजी॥ त्यांनेशीखनलागेए कजी ॥ गुरुनेपणनिष्टकरयाविशेषजी, संशयहो Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एतोसूत्रलेवोदेखजी ॥ श्रीवीर० ॥५॥ पापन दयहुवैएहनेजी, तोपडेनिगोदमेंजाय ॥ अनंतन स्कृष्टानवफिरे, त्यांमारअनंतीखायजी॥ रहेघणी संकडाइमाघजी, जकनहींनिगोदरेमाह्यजीवली मरणवेगोवेगोथायजी, उपजेनेविलयाजायजी ॥ तिारालेखोसुणोचित्तलायजा ॥ श्रीवीर०॥६॥ सतरनवकामाफिरे, एकसासनसासरेमाहिजीए कमहरतमैनवफिरे,साढासठहजारजी॥वलीबत्ती सअधिकविचारजी॥ एहवीजन्ममरणरीधाडजी॥ मरणपामेअनंतीवारजी ॥ अनंताकालचक्रमका रजी॥त्यांरोवेगोनावेपारजी ॥ श्रीवीर० ॥७॥ कदापेहलोपडेबंधनरकनो,तोपडे नरकमेजाय ॥ दे वेदनाअतिघणी ॥ परमाधामीमाहेबतलायजीतिहांमारअनंतीखायजी, जठेकणबुडावेप्राय जी, नुखतषाअनंतीथायजी ॥ दुखमेंदुपननपजे प्रायजी, अशुद्धदानदीयाराफलथायजी ॥ श्रीवीर० ॥८॥दुखनोगव्यांनरकमेंसेख, बाकीरह्या पापजी ॥ तिणसुंजीवनपजेजायतिर्यंचमे, उठेप पघणोशोकसंतापजी॥ नहीबूटेक्यांइविलापजी॥ आडानावेगुरुनेमावापजी॥ दुःखनोगवेआपो Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११५ पजी ॥ अशुद्धदानदीयां धर्मस्थापजी ॥ एप कुगरांत पोप्रतापजी ॥ श्रीवीर ० ॥ ९ ॥ अशु द्धजाणीनेभोगवे, त्यांनांगीजिनवरपालजी ॥ अ नंताजत्कृष्टानवाफेरे, नरकमांजाशेटांकोजालजी ॥ उठेमारदेशेनरकनीपालजी, कीधाकरमलेवोसंना लजी ॥ रोखीकर्तव्यसंमोयलालजी ॥ भगवतीप हेलो शतकसंजालजी ॥ श्रीवीर० ॥ १० ॥ आ धाकरमीजाणीने जोगबे, तोबंधेचीकणांकरमजी ॥ वलीभिष्टथयाप्राचारथी, त्यांबगेमदीयोजिनधर्म जी || निकलगयेोत्यारोनर्मजी, बोमदीधीलका नेशर्मजी ॥ विगोयदियोनिजनर्मजी, दुःखपा म्योउत्कृष्टो पर्नजी ॥ श्रीवीर० ॥ ११ ॥ साधु काजेहऐबकायने, तेवार त्र्यनंतीहणायजी ॥ साधु जाणीने जोगवे, तेपणअनंताजनममरण करेताय जी ॥ एतोदो नंदुखियाथायजी, नवनवमरीया जायजी ॥ एकर्तव्यांशुमारीबकायजी, तेतोदुख जोगवलीयावलेतायजी | त्यारोपारवेगोनहीं चा यजी ॥ श्रीवीर० ॥ १२ ॥ बकायरे शुनदय हुवा, तेपामेएकरसुंघातजी ॥ जेसाधुपमीयानर कनिगोद में, सेवकानेलेजावेसाथजी ॥ तिहांमा Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११६ नीकुगुरांरीवातजी, कीनीत्रसस्थावरनीघातजी ॥ अनंताकालदुखामेंजातजी, यांनेपणकुगुराडुबा व्यांसादातजी ॥ श्रीवीर० ॥ १३ ॥ गुरामेडुबा व्यांश्रावकां, श्रावकांनेडुबाव्यासाधजी ॥ दोनुंप ड्यानरकनिगोदमें, श्रीजिनधर्मविराधजी ॥ सं सारसमुद्रअगाधजी, श्रीजिनधर्मरीरहस्यनहीं लाधजी ॥ नवोनवमेंपामेअसमधिजी, एपणकु गुरातणांप्रसादजी ॥ श्रीवीर० ॥ १४ ॥ अशु हदेवेजाणीसाधुने, तोसाधांनेलुटलियातायजी॥ पापउदयहुवेइणनषे, दुखदारिद्रधशेघरमाय. जी ॥ रिसंपदाजावेविलायनी, दुःखामांहेदीन जायजी ॥ कदापुण्यनारीहुवेतायजी, तोइणनव मेंदुःखनपायजी, परनवमशंकानहीकायजी ॥ श्रीवीर० ॥१५॥ इमसांजलीनरनारीयांजी, कीजोमनमेंविचार॥शुद्धसाधांनेजाणनेजी, अशुं चमतदीजोकिणवारजी। अशुद्धमाहेधर्मनहीलि गारजी, शुद्धदानदेलाहोलिजोलारजी ॥ ज्युंजत रजावोनवपारजी, एमिनखजनमारोसारजी ॥ श्रीवीर० ॥ १६ ॥ इति ॥ PE ": Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११७ ॥ अथ नव तत्वका तेरे द्वार लिख्यते ॥ ॥ तेरे द्वारका नाम कहे ॥ १ मूलद्वार. २ दृष्टांत. ३ कुणद्वार. ) प्रात्मद्वार, ५जीव. रुपीअरुपी ७ सावानिरवद्य८ नाव ९ द्रव्य गुणपर्याय १०द्रव्योलखाण ११ आज्ञा १२ज्ञेय १३तलाव ॥ हिवे एहनो विस्तार कहे ॥ प्रथम मूल द्वारकहे जे-जीवते चेतन, अजी चते अचेतन, पुण्यते शुनकर्म, पापते अशुन कर्म, कर्मो नेग्रहेते आश्रब, कर्मो नेरो केते संबर, देशथकी कर्मो नेतोडीने देशथकी जीवनम्पलथा यते निर्जरा, जीवसंघाते कर्मबंधाणाते बंध, स मस्तकथी मूकावेते मोद. इति मूलद्वारसमाप्त बीजो दृष्टांत द्वारकहे-जीवचेतनरा बे नेद ने एक सिद्ध, बीजोसंसारी. सिद्धकर्मरहीतबे, संसारीकर्मसहितले. तिणरा अनेकनेदले. सुक्ष्म अने बादर, सत्र ने थावर, संनि ने असंन्नि, वणवेद, चारगति, पांचजात, बकाय, चउदने Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११८ दजीवना, चोवीसदमक इत्यादिक आनेकनेद जीवरा जाणवा. ते चेतनगुणोलखवाने सोना रोदृष्टांतकहे. जेम सोनानाघेहेणानांजीनांजीने ओरोराकारेघेहेणाघडे, यद्यपि आकार नुविनाश थाय पणसोनानुं विनाशथतुंनथी, ते म कर्मोनानदयथी जीवनापर्यायपलटे पण चेत नगुणतुं नाशनही. अजीवअचेतन तिणरापांच नेद १ धर्मास्तिकाय २ अधर्मास्तिकाय ३ आकाशास्तिकाय ४ काल ५ पुदगल.तिणमांचा रारी पर्यायपलटेनही, एक पुदगलकीपर्यायपलटे ते अोलखवाने सोनारोदृष्टांत सोनारोघेहेण नां जीनांजीने ओरोर घेहेणुध. यद्याप आका रनुविणाश पण सोनानोमिणाशनही,ज्यपुदगल रॉपर्यायपलटे पण पुद्गलन विणाशनही. पुण्यते शुनकर्म, पापते अशुनकर्म, ते पुण्यपाप ओलखवाने पथ्य अपथ्य आहारनु दृष्टांतकदेक प्राणीरे पथ्याहारवधे अपथ्यघटे जदे मिरोगपणुंवधे ने सरोगपणंघटे. कदेक प्रापीरे अपथ्यबाहारवधे अने पथ्यपाहारघटेज देसरोगपणुंवधे अने निरोगपणुंघटे, अने पथ्य Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अपथ्य आहार बेन घटे जदे प्राणीमरणपामे, ज्युंजीयो पुण्यपाप.कदेक जीवरे पुण्यतोवधे अ ने पापतोघटे जदेसुखतोवधे अनेदुःखघटे. कदे क जोवरे पापवधे अने पुण्यघटे जदेसुखघटे अने दुःखवधे. पुण्यपापदोमुंहीघटे जदेजीव मो कपामे. कर्मनेग्रहते आश्रब त अोलखवाने त्र पटांत--तलावरेनालो, ज्युंजीवरे पाश्रब, हवे लीरे वार,ज्युंजीवरेश्राश्रब, नावारे गद्र,ज्युंजी बरेयाश्रव. बीजोदृष्टांत तलावनेनालो एक,ज्यं जीवनेपा अबएक, हवेलीने बारणुं एक, ज्युंजी वने प्राअभएक, नावाने बिद्रएक, ज्युंजीवने आ अबएक, एएक पणुंह्यो.हियेकर्मने आश्रबनुजु दापणु कहे-कठेइएक इमकह्यो कर्मावे ते प्राधब ने अोलखवाने तीजोकहणुकहे-पा गीश्रावेतेनालो, ज्युकर्मश्रावेतेप्राश्नव, मिनल आवेते बारणं, ज्युकर्म आवेते आश्रव, पाणीपा वतनिद्र, ज्यंकमावत आब, इमकह्याथका कोइकमनेाश्रब एकसरदे तेने दोयसरदावाने चोंयोकहणुकहे-पाणीनेनालोदोय, ज्युकर्म ने आश्रव दोय, मिनखने बारणो दोय, ज्युकर्म Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ने आश्रबदोय, पाणीने त्रिदोय, ज्युकर्मने आ श्रबदोय,विशेष अोलखवोने पांचमुंकहण कहे - पाणी आवेतेनालो, पिणपाणीनालोनही. ज्युंक मावेते आश्रय, पिणकर्म भाव नही. मि नखावे तेबारणो, पणमिनख बारणोनही. ज्यू कर्मआवे ते आश्रब, पण कर्माश्रवनही. पा. पीपावे तेन्द्रि, पण पाणीबिद्रनही, ज्यूकर्मा वेते आश्रब, पण कर्मपाश्रबनही. कर्मानेरोक ते संबर,तेओलखवाने तिनदृष्टांत कहे-तलाव रेनालोरंधे, ज्युंजीवरे आश्रब रुंधे तेसंबर. ह वेलीरेबारणोरुंधे, ज्युंजीवरे आश्वसँधेनेसंबर, नावारेनिद्ररुंधे, ज्युंजीवरे आवरु तेसंबर, देशथकी कर्मतोमीने देशथकीजीव उज्वलोहोय ते निर्जरा.ते,ओलखवाने तिनदृष्टांत-तलावरो पाणी मोरियादिके करीने काढे, ज्युनलानाव प्रवाइने जीवरूपतलावरो कर्मरूपीयो पाणी काढेते निर्जरा. हवेलीनो कचरोबुहारी पुंजीने काढे, ज्युनलानावेप्रवर्तावीने जीवरूपी हवेली रो कर्मरूपीयो कचरोकाढेते निरा. नावारोपा णी उलेची उलेचीनेकाढे, ज्युनलानावप्रवर्तावि Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ने जीवरूपणीनावारो कर्मरूपीयो पाणीकाढे ते निर्जरा. जीवसंघाते कर्मबंधाणो तेबंध. ते ओल खवाने बबोलरी पुगकरी. कहोस्वामीजी. जीवनेकर्मरीआदले. एवात मिलेकेनमिले. जदे गुरुकहेनमिले. क्युनमिले,ए उपनोनथी युं नमिले. दुजेबोले कहोस्वामीजी, पेलोजीव ने पकर्म एवातमिलेकेनमिले. एपण न मिले. क्युंनमिले ए संसारमें जीवकर्मविनार ह्यो, कठेमगतगयो पागेआवेनही. युनमिले.ती नेबोलेकहो स्वामीजी, पेलोकर्मनेपजीव एवा तमिलेकेनमिले. गुरुबोल्यानमिले. क्युंनमिले ए जीवविनाकर्मकीधा किणहिकीधाविना कर्महुवेनहीं युंनमिले. चोथेबोले कहोस्वामीजी, जीवनेकर्म साथेउपना. एवातमिलेकेनमिले, एपणनमिले. क्युनमिले युनमिले, यानेउपजावणवालोकुण युं नमिले. पांचबोलेकहोस्वामीजी, जीवकर्मरेर हीत एवातमिलेकेनमिले, एपण नमिले तेक्यु नमिले. युनमिले एजीवकर्मरहीतजहुवेतो कर पीकरवारी खपकपकरे, यंनमिले. बठेबोलेकहो स्वामीजी, जीवने कर्मरोमिलाप किणविधहुओ Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२२ ३. जदेगुरुबोल्या अपचाणुपुवा अनाद कालरा चल्याजायचे. तिणवंधरा चारनेद प्रकृतिबंध, कर्मस्वनावरेन्याय. थितबंध, कालविहररेन्याय. अणुनागबंध, रसविपाकरेन्याय. प्रदेशबंध, जीवकर्मलोलीनूतरेन्याय. ते बंधनोलखवाने तिनदृष्टांत. तेलनोतिललोलिनूत, ज्युंजीवनेकरम लोलिनूत. घृतनेदुधलोलीनूत, ज्यु जीवनेकर्म लोलीनूत. धातुनेमाटीलोलीनूत, ज्युंजीवनेक मैलोलीनूत. समस्तकर्मसुंमूकावे, तेमोद., ते ओलखवाने तिनदृष्टांत-घाणियादिककरीने ते लखलरहितहवे, ज्युंजीवतपसंजमकरी कर्मरही तहुवेतेमोद. जेरणादिककरीने घीगबरहितहुवे, ज्युंजीवतपसंजमकरीने कर्मरहीतहुवेते मो द. अग्नियादिकरो उपायकरीने धातुमाटीरहि तहुवे, ज्युंजीवतपसंजमेकरीने कर्मरहीत हुवे ते मोद. एबीजो दृष्टांतहारसमाप्त. हिवेतीजोकुंण द्वारकहे. जीवचेतन, तेन्द्र व्यमेंकुणने. अने नवतत्वमेंकुण. बद्रव्यमेंतो एकजीव अने नवतत्वमें पांचतेकुण, २ जीव २ आश्रब ३ संबर ४ निर्जरा ५ मोद. अजी Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२३ वते अचेतन, ते बद्रव्यमें कोण अने नवपदार्थ (तत्व) मेंकोण. बद्रव्य मेंतो पांच.धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, अाकाशास्तिकाय, कालने, पुदगल. अने नवपदार्थ मेंचार. अजीय. पु एय, पापने बंध. पुण्यतेशुनकर्मठे ते बमेंकोणा, अने नवमें कोण. उद्रव्यमेंतो एकपुदगल, नवपदार्थ में तिन, अजीव, पुण्यनेबंध. पाप ते अशुनकर्म बद्रव्यमेंकोण, ने नवपदार्थ में कोण. बद्रव्यमेंतो एकपुदगल. नवपदार्थ में तीन, अजीव, पाप, बंध. कर्मनेग्रहेते श्राश्र ब. ते उद्रव्यमेंकोण, अने नवपदार्थ मेंकोण. उद्रव्यमेंतो एकजीव. अने नवपदार्थमेंदोय जीव अने आश्रब. कर्मा नेरोकते संबर बद्रव्यमेंकोण. अने नवपदार्थमेंकोण. उद्रव्यमेंतो एकजीव. अने नवपदार्थमें दोय. एकजीवने बी जोसंबर, देशथकीकर्मनेतोमी देशथकीजीबन ज्वलोहोयते निर्जरा. तेनद्रव्यमेंकोण, नवपदा र्थ मेकोण, बद्रव्यमेंतो एकजीव. नवपदार्थ में दोय, जीवने निर्जरा. जीवसंघाते कर्मबंधाणा ते बंध. ते बद्रव्यमेंकोण, अने नवपदार्थ मेंको Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प. बद्रव्यमेंतो एकपुदगल. नवपदार्थ मेंचार. अजीव, पुण्य, पापने बंध. समस्तकर्म मूका घेतेमोद. ते बद्रव्यमेंकोण ने नवपदार्थ मेंकोण बद्रव्यमेंएकजीवने नवपदार्थ मेंदोय. जीव ने मोद. चाले ते कोण, चलाववाने साह्यजतेको ण, चालेतेजीव ने पुदगल साह्यन. धर्मास्ति कायनो, थिररहेतेकोण, अने थिररहेवानी सा ह्यजतेकोण, थिररहेते जीव ने पुदगल एने साह्य. अधर्मास्तिकायनो, वस्तुतेकोण, अने भाजनतेकोण, वस्तुतेजीव ने अजीव नाजन. आकाशास्तिकायनो. वर्त्तते कोण, अने वर्ता वेते कोण, वर्तेतेकाल जीवनपरे वर्ते. जोगवे. तेकोण, अने नोगवावेतेकोण, नोगवतेजीव अने लोगवावेतेपुदगल. पुद्गलबेप्रकारे नोग पावे ते केईकतो शब्दादिकपणे नोगवावे, अने केईककर्मपणे नोगवावे, ते कर्मरोकर्त्ताते कोण, अने कीधाहुवेतोकोण, कर्मकरेतोजीव. अने कीधाहुवेतेकर्म, कर्मरोउपायतेकोण, अने कर्मउपनातेकोण, कर्मरोनपायतोजीव. अने उपनातेकर्म. कर्मनेलगावेतेकोण, अने लागा Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२५ तेकोण, कर्मलगावेतेजीव. अने लागातेकर्म. कर्मनेरो केतेकोण ने रोकियांते कोण, कर्म ने रोकेते जीव ने रोक्यातेकर्म, कर्मनेतोडेतेको ए ने तुटेको, तोडेतेजीव. अने तुटाते कर्म. कर्म नेबांधे ते कोण, अने बंधाणातेको, कर्मनेवां घेतेजीव. ने बंधाणातेकर्म. कर्मासुंमू कावेते कोण ने मूक्यागयातेकोण, कर्मसुं मू कावेते जीव ने मुक्या गयाते कर्म. ए तीजो कुणद्वार समाप्त. " • हिवे चोथो श्रात्मद्वारकहेबे - जीव चेतनते आत्मा, अनेरोनथी. जीव चेतनते आ त्मानही, अनेरोवे. आत्मारे काम आवेढे. पण श्रात्मानही अनेरावे. ते कोणकोण आत्मारेका मावे कवे. धर्मास्तिकाय अविलंबीनेचा लेबे, अधर्मास्तिकायने अविलंबीने थिररहे a. श्राकाशास्तिकाय मांहेरहेबे. कालमवलंबी ने कार्यकरे. पुद्गल खायडे, पीएढे. पहेरे, डढे इत्यादिक आत्मारेकामावेबे, पण आत्मान ही पुण्यते शुभकर्म आत्मानही अनेरो. आत्मारे शुभपणे दयावे पण आत्मानही. Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६ पापते अशुनकर्म ते आत्मानही अनेरो, आत्मारे अशुनपणे उदयावे पण आत्मान ही. कर्मानेग्रहतेयाश्रब आत्माले अनेरोनही. कर्मनेरोकेंते संबर एआत्माबे पण अनेरोनही. देशथकीकर्मानेतोडीने देशथकीजीव नज्वलहोय तेनिर्जरा ते आत्माले पण अनेरोनही. जीव संगा ते कर्मबंधाणाते बंध ते आत्मानही, अनेरो. मात्माने बांधीराखे पण आत्मानही अनेरो. समस्तकर्मासुंमूकावे ते मोद ते आत्माये. प. ए अनेरोनही. एचोथो आत्महार समाप्त. हिवे पांच, जीवद्वार कहे-जीवते चेतन तेजीवने जीवकहीजे, जीवने आश्रवकहीजे, जीवने संबरकहीजे, जीवने निर्जराकहीजे, जी वर्ने मोक्षकहीजे. अजीवते अचेतन, ते अजी वकहीजे, अजीवने पुण्यकहीजे, अजीवने पाप कहीजे, अजीवने बंधकहीजे. पुण्यते शुनकर्म तेपुण्यनेपुण्यकहीजे, पुण्यने अजीवकहीजे. पुण्यने बंधकहीजे. पापते अशुनकर्म, पापने पापकहीजे, पापने बंधकहीजे, पापने अजीवक हीजे. कर्मानेग्रहेते आश्रबकहीजे, आश्रबने Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२७ जीवकहीजे. कर्मनेरोकेते संवरकहीजे, संबरने जीवकहीजे, देशथकीकर्मने तोडीने देशथकी जीव उज्वलोहुवे ते निर्जराकहीजे, निर्जराने जीवकहीजे जीवसंघाते कर्मबंधेते बंधकहीने. बंधने अजीवकहीजे, बंधने पुण्यकहीजे, बंध ने पापकहीजे. समस्तकर्मानेमूकावे तेमोदकही जे. मोटानेजीवकहीजे. एहनीप्रोलखाण कहे. __जीवनेजीव किणन्यायकहीजे, गयेकाले अ शंख्यातप्रदेशी जीवहुतो, ते वर्तमानकालें जी वडे, श्रागमीयेकाले जीवरोजीवजरहेशे, इण न्याय जीवकहीजे. अजीवनें अजीव किण न्या यकहीजे, गयेकाले अजीवहुँतो, वर्तमान काले अजीवरे, अने आगमियेकाले अजीवरहेशे, इणन्याय अजीवनें अजीवकहीजे. पुण्यने अजीव कीणन्यायकहीजे, पुण्यतो शुनकर्मने, क र्मतो पुदगलने, इणन्याय पुण्यने अजीवकहीने पापनेअजीव किणन्यायकहीजे, पापतो अशुन कर्म, कर्मतो पुदगल, पुदगलते अजीवने, इण न्यायपापने अजीवकहीजे. आश्रबने जीव कीणन्यायकहीजे, आश्रवतो कर्मने ग्रहेने, आ Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२८ श्रवतोकर्मरो उपायबे, ए आश्रवतों कर्मनोक बे, तोजीवबे इन्याय श्रवने जीवकही जे. अविरतप्रभवने जीव किणन्यायकहीजे, त्यागनावळे, जीवरा अत्यागनावरी आशा वांबाजीवरीबे, इणन्याय व्यविरताभवने जी कहीजे. प्रमादश्राश्रवने जीव किणन्यायकही जे, प्रण उवाहपते प्रमादाश्रबबे, ते अन छाप जीवरा परिणामवे, इण न्याय प्रमादा श्रबने जीवकहिजे. कपायाश्रवनेजीव किन्या यकहीजे, ए कषायत्रात्मा कहीजे, कपायते जीव परिणाम कह्यावें इणन्याय कपायाश्रवने जीवकहीजे. योगाश्रवने जीव किणन्याय कही जे. ए. योगात्माकह्यावे, योगते जीवरापरिणाम क ह्यावे, योगनामव्यापाररोबे, ते तीनुहियो गारो व्यापारजीव रोबे, इणन्याय योगाश्रवने जीवक हीजे. संवरनें जीवकिणन्यायकहीजे, ए समाइ, पच्चखाण, संजम, संबर, विवेक, वीवशग. ए बहुआत्माकह्यावे, वली चारित्र आत्मा कह्यावे चारित्रतेजीव परिणाम कह्यावे, इणन्याय संबर ने जीवकहीजे. निर्जरानेजीव किणन्याय कही Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जे, नलानाव प्रवर्तीवीने कर्माने तोडीदूरकरे. देशयकी जीव उज्वलहुवेते जीवडे, हणन्यायें नि ऊरानेजीवकहीजे.बंधने अजीव किणन्याय कही जे, बंधतो शुनाशुनकर्म,कर्मते पुदगल पुद गलते अजीव, इणन्याय बंधने अजीवकहीजे, मोदानेजीव किणन्यायकहीजे, समस्त कर्मा. नेमकावेते मोद, तेतोजीवडे तेनेमोक्षकही जे, तेने निरघा कहीजे, तेने सिद्धनगवानक हीजे, सिद्धनगवानतो जीववे, इणन्याय मोदा ने जीवकहीजे. ए पांचमंजीव द्वार समाप्त. हिवेरठा रूपीश्ररूपी द्वारक-जीव अरू पी, अजीव रूपी अरूपीदोनुंब, पुण्यरूपी , पापरूपी, आवअरूपीने, संबरअरूपी बे, निर्जरामरूपीछे, बंधरूपी, मोहनरूपी ने, हिवेरनीअोलखणाकहे-जीवनेअरूपी कि न्यायकहीजे, उद्रव्यमांजीवनरूपीकरो, १ न्यायनीवने अरूपीकहीजे. अजीवने अरूपी रूपी किणन्यायकहीजे, धर्मास्ति अधर्मास्ति आकाशास्ति ने काल ए चार अजीवद्रव्याने अरूपीकह्याने, पुदगल अजीवद्रव्यने रूपीक Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ह्योने, इण न्याय अजीवने रूपी अलपीदोन कहीजे, पुण्यनेरूपी किणन्यायकहीजे. ए पुण्य तोशुनकर्म, कर्मपुदगलठे पुदगलतेरूपीछे, इ गन्यायपुण्यनेरूपीकहीजे, पापनेरूपी किणन्या यकहीजे, पापतो अशुनकर्मठे, कमते गुदग ल, तेरूपी, इणन्यायपापनेरूपीकाहीजे, आ श्रबने अरूपी किणन्यायकहीजे, कृष्णादिक नावलेश्या अरूपीछे, इणन्याय पाश्रबने अरूपीकहीजे, मिथ्यत्वाश्रवने अरूपी किणन्या य कहीजे, मिथ्यादृष्टीने अरूपी कह्याने, इण न्याय मिथ्यात्वाश्रबने अरूपी कहीजे, अविर त्याश्रबने अरूपी किणन्याय कहीजे, अत्याग नाव ते अरूपीछे, इणन्यायें कहीजे. प्रमोदा श्रबने अरूपी किणन्याय कहीजे, अनचा हपणुं ते प्रमादाब, ते अपनबाडपणुं जी व, जीवते अरूपीछे, इण न्यायप्रमादाश्रबने अरूपी कहीजे. कपायाश्रबने अरूपी किण न्याय कहीजे, श्रीठाणांगठाणेदशमे जीवपरि णामीरा दशनेदामें कषायपरिणामीजीवकह्या धनेज्ञानदर्शनचारित्र परिणामीकह्या, ते ज्ञा Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नदर्शनचारित्र परिणामीजीवळे. तिमकषायपरि णामीपणजोवरे, ए जीवपरिणामीरानेदाने कषा यपरिणामीकह्या, माटेकषायपरिणामी, नेकपायाश्रवतेजीवडे, जीवतेअरूपीने, इणन्याय कपायाश्रवनेअरूपीकहीजे, योगाश्रबने अरू पी किएन्याय कहीजे, ए तीनुंही योगारो उठाण कर्मबलवीर्य पुरुषाकार पराक्रम अरूपी बे, इंणन्याय योगाश्रबनेअरूपीकहीजे, संबरने अरूपी किणन्याय कहीजे, अठारेपापस्थानकरो विरभणअरूपीकह्यो. इणन्याय संबरने अरू पीकहीजे, निर्जराने अरूपी किणन्यायकहीजे, कर्मतोंडवारो उठाण कर्मबलवीर्य पुरुषाकार प राक्रम अरूपीछे, इण न्याय निडराने अरूपी कहीजे, बंधनेरूपी किणन्यायें कहीजे, बंध तो शुला गुजकर्षने, कर्मतेपुदगल पुदगलतेरूपी बे, गन्याय बंधनेरूपीकहीजे, मोदने अरू. पो गन्याय कहीजे, समस्त कर्माने मूकावे ते तोजीवजने, तेनेमोक्षकहीजे, तेनेनिरवाणकहीजे, ते ने सिद्धनगवानकहीजे, तेतो अरूपी जे, इणन्याय मोदने अरूपी कहीजे, इति Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३२ उठो रूपी अरूपी द्वार समाप्त. _ हिवेसातमो सावद्यनिरवद्यद्वारकहेजे-जीव. तो सावद्य निरवडे, अजीव सावधनिरवद्य नही, पुण्यनेपाप सावद्यनिरवद्यनही, आश्रव नापांचनेद १मिथ्यात्वाश्रब २ अविरताश्रब ३प्रमादाश्रब ४ कपायाश्रब ए चार आश्रब एकंतसावध. ५ योगाश्रब ए सावधनिरवद्य दोनं. संबरनिर्जरानिरवद्यरे. बंधसावद्य निर वयनही. मोद निरवद्य, ए सातमो द्वार समाप्त. हिवे आठY नाव द्वारकहे-नावतोपांच नदेनाव २ उपशमीनाव ३ क्षायकनाव ? क्षयोपशमनाव.५ परिणामिकनाव. तेमां उदे रादोनेदरे १ उदय २ उदयनिष्पन्न. उदयतो श्राष्टकर्मनो, अने उदयनिष्पन्नरा दोयनेदबे, एकतोजीवरे उदयनिष्पन्न नाव, बीजोजीवरें अजीवनदयनिष्पन्न तेमां, जीवनदय निष्पन्न ना ३३ नंदरे. चारगति, बकाय, बलेश्या, चा रकषाय, वेद, एवंतेवीस. मिथ्यात्वी, अविर ति, असंनो, अन्नाणी, अहारता, संसारता, म सिद्ध. अकेवली, छद्मस्थ, संयोगी. Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हिवेजीवरे अजीव उदयनिष्पन्नरातीसनेद. पाचशरीर, शरीराराप्रयोगतीन, परिणम्याद्रव्य पांच, वर्णबे,गंधबे, रसपांच,स्पर्शाठ,एवंतीस. उपशमनावरादोयनेद-एकनपशम, बीनो उ पशमनिष्पन्न. नपशमतो एकमोहनीयकर्मरो. अने उपशमनिष्यन्नरादोयनेद-एकतोपशमस म्यक्त्व, बीमो उपशमचारित्र. हायकनावरादोयनेद-एकदायक, बीजो दायकनिष्यन्नना ब. दायकतो आठकर्मरोदयते दायक, अने हायकनिष्यनारा तेरे नेद केवलज्ञान २ केव लदर्शन ३ आत्मिकसुख ४ दायकसम्यक्त्व ५दायकचारित्र ६ अटलअवगाहना ७ अम र्तिकपणु ८ अगुरुलघुपणु ९ दायकलब्धि १० दानलब्धी ११ लानलब्धी १२ नोगल ब्धि १३ उपनोगलब्धी वीर्यलब्धी. क्षयोपश मरादोयनेद-एकतो योपशम, बीजो हायो पशमनिष्पन्न. दयोपशमतो चारकरमरो. ज्ञाना चरणी, दर्शनावरणी, मोहनी, अने अंतराय, ए चार, क्षयोपशमनिष्पन्नराबोल बत्तीसज्ञानावरणीकर्मरो योपशम निष्पन्नहुवेतो, Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चार ज्ञान, त्रणअज्ञान, एक नणवं, एवं पाठबोल पामिये. दर्शनावरणी कर्मरो दयोपशम निष्पन्न हुवेतो, पांच इंद्री, नणदर्शन, एवं आठ. मोहनीयकर्मरो क्षयोपशम निष्पन्न हुवेतो, चारचारीत्र, एकदेशविरती, त्रण दृष्टी, एवं आठ, अंतरायकर्मरो दायोपशम नि प्पन्नहुतो, आठबोल, पांचलब्धि, त्रणवीर्य, एवं बत्तीस. परिणामिकरा दोयनेद, रकतो सादियाप रिणामी, एक अणादियापरिणामि.अणआदि या परिणामिरा दशनेद-बतोद्रव्य, सातमो लोक, आठमो अलोक, नवमोनवि, दशमो अनवि. सादियापरिमामिरा अनेकनेद-गाम, नगर, गडा, पहाम, पर्वत, पाताल, समुद्र, द्वीप नूवन, विमान, इत्यादि अनेकनेद आदिस हितपरिणामिरा जाणा. वलीजीवाश्री जीव परिणामिरादशनेदळे-गातेपरिणामि, इंद्रीयपरि णामि, कषायपरिणामि, लेश्यापरिणामि, योग परिणामि, उपयोगपरिणामि, नाणपरिणामि, द र्शनपरिणामि, चारित्रपरिणामि, वेदपरिणामि. जीवाश्री अजीवपरिणामिरा दशजेद-बंधन Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिणामी, गइपरिणामि, संठाणपरिणामि, मैद परिणामि, वर्णपरिणामि, गंधपरिणामि, रसप रिणामि, स्पर्शपरिणामि, अगुरुलघपरिणामि, शब्दपरिणामि. जीवमांहे नावपांच. अजीव, पुण्य, पापनांहे एकजपरिणामिनाव होय. श्रा श्रबमां नावदोय, नदय, में परिणामिक. संवर माहे उदयवर्जी ने चारनावजाणवा. निर्जरामाहे नाव प्रण. दायक, दयोपशम, परिणामिक मोदामां नाव दो. एक दायक, बीजोपरिणामि इति अठमो नाव द्वार समाप्त. हिवे नवमो द्रव्यगुणपर्याय द्वारकहे-द्रव्य तोजीव असंख्यात्प्रदेशी गुण आठ. ज्ञान, द र्शन, चारित्र, तप, वीर्य, उपयोग, सुख, दुःख 'ए एकएकगुणरी अनंति अनंति पर्याय. ज्ञाने करी अनंत पदार्थजाणे, तिणसुंअनंति पर्याय दर्शनेकरी अनंतापदार्थ सहे. तिणसुं अनंति पर्याय.चारित्रकरी अनंताकर्मप्रदेशरोके, तिणसुं अनंति पर्याय. तपेकरी अनंताकर्मप्रदेशतोडीने जीवदेशथकी जज्वलहवे, तिणसुंअनंतिपर्या य, वीर्यनी अनंतिशक्ति, तिणसुंअनंतिपर्याय. Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुखअनंतो पुण्यप्रदेशसुं अनंता पुदगलिकसु खवेदे, तिणसुं अनंतिपर्याय. वली अनंता कर्म प्रदेशप्रलगाहुवासुं अनंतो श्रामिकसुख प्रगटे तिसुं सुखरी अनंतिपर्याय जाणवी. दुःख अ नंतापापप्रदेशथी अनंतो दुःखवेदे, तिणसंभनं तीपर्याय. अजीवद्रव्यमांएकतो धर्मास्तिकाय, बीजो पधर्मास्तिकाय, तीजोआकाशास्तिकाय घोएंकाल, पांचमुं पुदगलास्तिकाय अने गुणते भापपरो एकेकगुणरी अनंतिअनंति पर्याय. एपांचरोद्रव्यगुणपर्याय जुइजुइ कहे-द्रव्यतो ए कधर्मा स्तिकाय, गुणचालवारोसाह्य पर्याय अनं ता पदार्थनें साह्य, तिणसुं अनंतापर्याय.द्रव्यतो अधर्मास्तिकाय गुण स्थिरराखवाने साह्य पर्या य अनंतापदार्थाने स्थिररहेवानुं साह्य, तिणसुं अनंतापर्यायजाणवा, द्रव्यतोएक आकाशास्ति काय, गुणनाजन, पर्यायअनंता पदार्थनो नाजन. तिणसुं अनंता पर्याय. द्रव्यतोकाल गुण वर्तमान पर्यायअनंतापदार्थ उपरेवते, तिणसुं अनंतिपर्याय. द्रव्यतो पदगलास्तिकाय गण गलेनेमिले पर्यायअनंतागलेने अनंतामिले ति Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११७ अनंतिपर्याय. पुण्यद्रव्यतो शुनकर्म गुल जीवरे शुनपणें उदय आवे, अनंताजीवनेंसुख करे, तिणमुं यनंतिपर्याय. पापद्रव्यतो अशुभ कर्म गुण जीवरे शुनपणे उदयावे. पर्याय अनंता शुनकर्मना प्रदेशजीवरे अशुनपणे दयावे, अनंतोजीवरे दुःखकरे, तिसुं चंतिपर्याय. द्रव्यतो याश्रव गुण कर्माने ग्रहवा पर्याय व्यनंता कर्मप्रदेशग्रहेति मं अनंता पर्याय. द्रव्यतोसंवर गुण कर्मारेरोकवानुं पर्याअनंताकर्मप्रदेश के, तिसुं अनं तिपर्याय. हव्यतो निर्जरा गुण कर्मा नेतोडवारो पर्याय कालाकर्म नेतोमीने नंतोगुणउज्वलंहुवे, ति सुं अनंतिपर्याय. द्रव्यतोबंध गुण जीवरे बां धवा राखवारो पर्याय अनंता कर्मप्रदेशेकरी जी •बने बांधीराखे. तिसुं अनंतिपर्याय द्रव्यतो मोक्ष गुण घ्यात्मिक सुख पर्याय अनंताकर्मप्रदे शयलगा हुआ अनंताचात्मिक सुखप्रगट्या, तिसुं अनंता पर्यायडे, इति नवमो द्रव्यगुण पर्याय द्वार समाप्त. .हिवे दशमुंद्रव्यादिकरी ओलखाणद्वार कहे @ १८ Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वे-जीवते चेतन, ते पांचोलेकरी अोलखीजें, द्रव्यथकी, देवथकी, कालथकी, नावथकी, गुपथकी, तेमां द्रव्यथकीतो अनंताद्रव्य, क्षेत्र थकी लोकस्थितिप्रमाण, कालथकी प्रादि अं तरहीत, नावथकी अरूपी, गुणथकी चेतन गुण, अजीवते अचेतन, पांचबोलेकरीप्रोलखीजे. द्रव्यथकीतो अनंताद्रव्य. दोत्रथकी लो कालोकप्रमाण, कालथकी आदिअंतरहील, ना. वथकी रूपीअरूपीदोगें, गुणथकी अचेतनगुण. पुण्यतेशुनकर्म, तेपांचबोलाकरीने ओलखीजे. द्रव्यथकीतो अनंतोद्रव्य, क्षेत्रथकीजीवाकने, कालथकी श्रादिअंतरहीत, नावथकीरूपी, गु. पथकी जीवरेशुनपणे उदयावे. पापते अशुनकर्म, पांचबोलाकरीअोलखीजे. द्रव्यथकीअनं ताद्रव्य, देवथकीजीवाकने, कालथकीआदि अंतरहित. नावथकीरुपी, गुणथकीजीवरे श्र शुनपणेजदयावे. कर्मानेग्रहले आश्रब, तेपा. चबोलाकरीअोलखीजे.द्रव्यथकी अनंताद्रब्यक्ष थकीजीवाकने,कालथकीरा ३ नेद. एकेकआश्र बादहीनही,अंतहीनही,तेअनव्याश्री.एके Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कपाश्रबनी आदिनही, पणअंत, ते नव्या श्री. एकेकाश्रवनी आदिपण, अनेअंतपण ने, तेपडवाईअाश्रीजाणवं. तेहनीस्थिति जघ भ्यतो अंतरमहर्त, अने उत्कृष्टीदेशनणो, अई पुदगलपरावर्त, नावथकीअरूपी, गुणथकीकर्मग्र हवानुगुण. आवतांकर्मनेरोकेतेसंबर पांचबोलाक रीने अोलखीजे. द्रव्यथकी असंख्याताद्रव्य. क्षेत्रयकीजीवाकने, कालथकी आदिअंतसहीत, नावथकीमरूपी, गुणथका कमानरोके. देशथ कीजीव नज्वलोहोवते निर्जरा पांच बोलाकरी श्रोलखीजे. ते निडराना दोयनेद एकतोअका मनिर्जरा, बीजीसकामनिर्जरा, अकामनिर्जरा अनंताद्रव्य अने सकामनिर्जरानाअसंख्याता द्रव्य, दोत्र यकी जीवाकने कालथकीत्रादिअंतस हीत, नावथकीअरूपी, गुणथकी देशथकीकर्म तोडीने देशथकीजीयनुज्वलोहुवेतेगुण, जीवसंघा तेकर्मबंधणाते बंध,तेनेपांचबोलाकरीअोलखीजे. द्रव्यथकी अनंताद्रव्य, देवथकीजीवाकने, काल थकी आदिअंतसहित, नावथकीरूपी, गुणथ कीकर्मानेबंधवारो. समस्तकातुं मूकावेतेमोक Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४. ते पांचबोलाकरीोलखीजे. द्रव्यथकी अनंता द्रव्य, क्षेत्रथकी जीवाकने, कालथकीबेनेद ए केक सिद्धांरीपादपणनही ने अंतपणनही. ए केकसिद्धांरीआदिने, पण अंतनही. नावथकी अरूपी, गुणथकी आत्मिकसुख, हिवेद्रव्य देवा, काल, नाव, गुणरी ओलखाणकहे-धर्मास्तिका यद्रव्यथकीतो एकद्रव्य क्षेत्रथकीलोकप्रमाण, कालथकी आदिअतंरहीत, जानथकी अरूपी, गुणथकी चालवानू साहा. अधर्मास्तिकाय द्रव्य थको एकद्रव्य, देवथकीलोकप्रमाण, कालथकी श्रादिअंतरहित, नायथकीअरूपी, गणथकी थिररहेवानुसाह्य. आकाशास्तिकागद्रव्ययकीतो एकद्रव्य. देवथकी लोकालोकप्रमाणे, कालथ की आदिअंतरहीत, नावयकी अरूपी, गुणव की नाजनगुण. कालव्यथकीतो अनंता व्य, देवथकी अढाइद्वीपप्रमाण, कालथकी आदि अंतरहित, नावथकी अरूपी, गुणथकी वर्तमान गुण. पुदगलास्तिकाय द्रव्यथकीतो अनंताद्रव्य क्षेत्रयकोलोकप्रमाण, कालश्की आदिअंतसहि त, जावथकीरूपी, गुणथकी गलेने मिले. जी Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४१ वास्तिकायद्रव्यथकीतो अनंताद्रव्य, क्षेत्रथकी लोकप्रमाणे, कालथकी आदिअंतरहित, नाव थकी अरूपी, गुणथको चेतनगुण. इतिदशमुं द्रव्यादि ओलखाण द्वारसमाप्त. हिवे इग्यारमुं आज्ञाद्वार कहेजे-जीवचेतन प्राज्ञामांहेपण, अने आज्ञाबाहेरपण, ते कि गन्याय. सावद्यकर्तव्याश्री आज्ञानेबाहेरने, अने निरवद्य कर्तव्यशाश्री आज्ञामांहे. अजीव अचेतन ते श्राज्ञामांहेपणनही, ने आ ज्ञाबाहेरपण नही, ते किणन्याप. अजीवतो आज्ञाप्रपाज्ञा ओलखेनही, तेकेम वीतराग नी आज्ञा अणअज्ञापालेलोपेनही.पुण्य, पाप ने बंध एतीन पाहामांहेपणनहीं, ने आज्ञाबा हेरपणनही, एकजीव. आश्रत पांचने द१ मिथ्यात्व २ अविरत प्रमाद ? कषाय ए चार आज्ञाबाहेर, भने योगाश्रबना बेनेद एक सावद्ययोग, बीजो निरवच्योग, तेमां सा वद्ययोगतो नाजाबाहेरठे, अने निरवद्ययोगतो भानामांहे. संबराज्ञामांहे, ते किणन्यायें ने. कर्मानेरोके ने आत्मावशकरे, एवीतरागनी Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्राज्ञाने. निर्जरा अाज्ञामांहे, तेकिणन्यायें. श्राजामांहे तोजे कर्मतोमवानु उपाय ए करणी धीतरागनी आजामाहे इणन्याय. मो द आज्ञामांहे, ते किणन्याय. कर्मासुमूकावीने सकलकर्मरहित हुवेते वीतरागनीआज्ञामाहे, इणन्याय मोक्षाज्ञामांहे. ___इति इग्यारमु आज्ञद्विार समाप्त. हिवे बारमो ज्ञेय द्वारकहे-जीवने जीवजाणं वो, अजीवने अजीवजाणवो, पुण्यने पुण्यजा एवो, पापने पापजाणवो, आश्रबने आश्रय जाणवो, संबरने संबरजाणवो, निर्धाराने निर्जरा जाणवो, वंधने. बंधजाणबो, मोदने मोदजाण वो ए नव तत्व जाणवा योग्यकह्या. यांमे श्रा दरवायोग्यतीनळे. एकसंबर, बीजोनिर्जरा, ने तीजोमोद, बाकीराब्तत्वगंडवा योग्य. जीवनेगंडवायोग्य, किणन्याय. आपराजीवरोतो नाजनकरवो, ओरकिाहीजीवउपर श्रवीग्रह नहीकरवो, इणन्याय. जीवने गंडवायोग्य. अजी वने गंडवायोग्य, किणन्याय किणही अजीवनपर ममतानकरवी, इणन्याय अजीवनेगंवायोग्य: Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४३ पुण्य पाप बांडवायोग्य, ते किणन्याय पु एय पापतोकर्मवे, ते कर्मतो तोमीने दूराकर गा, इणम्याय पुण्य पापने बडवायोग्य. या श्रवने बांडवायोग्य ते किणन्यायवे प्राभवते कर्मग्रहवानो उपायब्रे, कर्म श्राववानुंबारणुं ते बारणोधणु ने श्रात्मावसकरणो, इणन्याय याश्रवने बांमवायोग्यवे. बंधने बांडवायोग्य किणम्याय. बंधतो शुभाशुभकर्म बे, ते कर्मतोमीने द्वरा करणा, इणन्याय बंधने बांगवा योग्य इति बारमुं ज्ञेय द्वार समाप्त. हिवे तेरमुं तलाव द्वारकहेबे - तलावरूपीजी वजाणवु, तलावते तलाव बाहेजरूप जीव जावो, निकलता पाणीरूप पुण्यपापजःणव, नालारूपा श्रबजाएवं, बंधारारूपसंवरजाणवो, मोरीरूपनिर्जराजावो, माहेलापाणीरूपबंधजा वो, रीतातलावरूप मोक्षजाणवो. इतेि तेरमो तलाव द्वार समाप्त, ॥ इति नवतत्वाना तेरे द्वार विस्तार समाप्त ॥ Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४४ ॥ अथ सत्तावीस बोलनो थोकडो लिख्यते ॥ PORENOपहेलेबोले गतिचार तेमां नारकी १ तिर्यंच २ मनुष्य. ३ देवता. ४॥ बीजेबोले जातपा चतेमांएकेंद्रि. १ बेइंद्रि. २ रेंद्रि. ३ चौरेंद्रि. ४ पंचेंद्रि. ५॥तीजेबोले काय व तेमा एवि अप २ तेऊ ३ वायु ४ वनस्पति ५ त्रस६॥ चोथेबोले इंद्रिपांच तेमां श्रोतेंद्र १ चक्षु २ घ्राण. ३ रस. ४ स्पर्श. ५ ॥ पांचमेबोले पर्याप्ति, तेमा माहार. १शरीर. २ इंद्रि ३ श्वासोश्वास ४ नाषा ५ मन ६ ॥ उठेबोले प्राणदश. तेमांपांचइंद्री. तथामनबल ६ वचनव ल ७ कायाबल ८ श्वासोश्वास ९ आयुष्य, १० ॥ सातमेबोले शरीरपांच तेमां औदारीक १ वैक्रिय २ आहारिक ३ तेजस ४ कार्मण ५॥ आठमेबोले योगपंदरातेमांमनना चारयोग कहेले १ सत्यमनयोग २ असत्यमनयोग ३ मिश्रमनयोग ४ व्यवहारमनयोग ॥ वचनना चारयोग कहेले १ सत्यवचनयोग २ असत्यव धनयोग ३ मिश्रवचनयोग ४ व्यवहारवचन Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । " . 2 .. . . योग ॥ कायना सात योग तेमां औदारीकका ययोग १ औदारिकमिश्रकार्ययोग ३ क्रिय कार्ययोग ३ वैविय मिश्रकोपयोग ४ आहार काययोग ५ आहारमिश्रकाययोग कार्मण काययोग ७॥ नवमवाले उपयो गरि तेमात्र थमज्ञान पांच कहे मतिज्ञान १श्रुतज्ञानरव विज्ञान ३ मनायवज्ञान ४ केवरज्ञान ५॥ अंजान तीन. मतिप्रज्ञान १ श्रुतअज्ञानं २ विनंगज्ञान ३॥ दर्शन चार तेमा चहुँदर्शन अचकुदर्शन २ अवधिदर्शन ३ कवलदर्श न ४ दशमेयोले करमआठ तेमांज्ञानावरती १ दर्शनावरपी २ वेदनिय ३ मोहनिय ४ श्रा यु ५ नाम ६ गोत्र ७ अंतराय ८॥' इंग्या रमेयोले गुण्ठाणाचौदे तेमामिथ्यात्व १ शा श्वादान २ मित्र ३ अनातिसमकेति ४ देशव सिायक ५ अमादी ६ अप्रमादी ७ निती कादर ८ अनितिबादर ९ मुक्ष्मसंपर य १० पशांतमोह ११ दिगमोहनी १२ संयोनीके वही १३ अयोगीकेवली १४॥ बारमे शोले पां चइंद्रीना तेवीश विषय-तेनी हकीगत एप्र Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४६ माखेडे. प्रथम श्रोत्रे द्रिना तीनविषयले १ जीवश ब्द २ जीवशब्द ३ मिश्रशब्द ॥ चदइंद्रि नानां मां १ कालो २ नीलो ३ लाल ४ पीलो ५ बोटो ॥ प्रादीना के विषय बेतमा सगंध दूर्निगंध ॥ रीना पांच विषय तेमां १ को २ कसायचे के खटो ४ मीठो ५ तीखो । स्पीना पांच विषय १ सु हालो २ खरखरो ३ हलको ४ जारी ९ जप्ण ६ टाठो ७ ख ८ तोपढ्यो || रमेकोले दश प्रकारना मिध्यात्व तेमां जीवने जीव जातो मिथ्या १ जोवने जीव जातो मिथ्यात्व. २ धर्म व जातो मिया ३ ने धर्म जातो मिथ्यात्व ४ सामु साधु सर्दे तो मिय्या ५ साने साधु सर्देतो मिथ्या ६ मुक्त मार्गने अन्यमार्ग सरदेतो मिथ्या ७ अन्यनाने मूकनागरारेदेतो मिथ्यात्व ८ किगयो होय तेने नगयोसरदेतो मिथ्या ९ नियतेने कि सरदेतो, तिथ्या १० ॥ चौदमेबोले नवत्वनां जारापणां विषे एकलोने पंदरे बोलवे तेमां १४ बोलजी Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४७ वना-सूक्ष्मएकेंद्रिना वे नेद १ अपर्याप्ता २ पर्याप्ता. कादर एकाईदिना बे नेद ३ अपर्याप्ता १ पर्याप्ताः दे इंद्रिना ये भेद ५ अपर्याप्ता ६ पर्यता. ते इंटीना बे नेद ७ अपर्यता ८ प. ोता. चौरेंद्रीला बेनेद ९ अपर्याप्ता १० पर्याप्ता, संज्ञी पचेंद्रीना ये भेद ११ अपर्याला १२ पर्याप्ता. संशीपंचेंद्रिीना वे जेद १३ अपर्याप्ता १४ पर्याप्ता ॥ अजीबना चोदे ने तेमांधर्मा स्तिकायना ३ द खंद १ देश २ प्रदेश ३ ॥ अधर्मास्तिकायना ३ दखंद १ देश २ प्रदेश ३॥ आकाशास्तिकायना ३ जेद खंद १ दे श २ प्रदेश ३ ॥ १ कालनोद ए द. सबोल अरूपी अजीवना जाणवा ॥ पुद लना चार भेद १ खंध २ देश ३ प्रदेश ४ परमाणु ए चार नेद अंजीवनारूपी जावा॥ पुण्यंना नवनेदरे पासणपुण्य पाणपुण्य २ले एंपुण्य ३ सेलपुण्य ४वळपुराय ५ मनपुण्य ६ व चनपुण्य ७कायपुर, ८ नमस्कारपुरष९॥पाप ना अठारे नेद तेनां प्राणातिपात १ गृपावाद २ अदत्तादान ३ मैथुन ४ परिमह ५ क्रोध ६ Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४८ साज ७.माया ८ लोन ९ राग १० देश ११ के नेश १२ अध्यायान १३ पैशुन्य १४ पर परिवाद १५ रतिभरति १६ मायामोसो १७ भिश्यासल्यानाभवनावीशजेदमिथ्यावान ब अत्रताप्रब २ परमादानव ३ बायाश्रब ४ योगाश्रव ५प्राणालिपाताधब तेजीवनी हिंस्या करे तेने कहीए ६ मृपावाद ७ कुशीलसेले ९ परिग्रह राखते ३० श्रोशिने माफीमेलेते १२ चलाइंद्री मोकली नेलेले १२ माद्रीने मो कलीमेलेले १३ रसइंद्री मोकलीमले ते १४ स्प शेंद्री मोकली नेलत १५ मनभोकलोपेलेते १६ वचनसोकलुनेलेते १७ कायामोकलीमेलेते १८ चंडोरगरणनी अजयणा करने १९ सुचीकुश ग्रसेवते २० ॥ संवरना वीश नेद को सन कितसंबर १ व्रतपञ्चखाणसंवर २ अप्रमादर्स बर, ३ अक्वायंसंबर ४ अयोगगंबर ५ पातिगत नुकरे एंट्रले हित्यानकरते ६ मृषा वादन लेते ७ अदनन ठेवते ८ मैथुननेसे वेते. ९ परिग्रहलयोलो १० भोडीनेवा करेत ११ च इंद्रि वश करेते १२ ध्र दि . .. .. Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्श करे ते १३ रसइंद्री वश करे ते १४ रूप शेइंद्री वसकरते १५ मननेवशकरेते १६ वष नवशकरे १७ कायावशकरेते १८ मंडोपगरण नीअजमणानकरेते १९ सुचीकुशगनसेवेते२०॥ निर्करानाबारेनेदतेमां १ अशण २ उपोद री ३ व्रतीसंक्षेष रसपरीत्याग ५ कायाले श६ पडिसंलीनता ७ प्रायश्चित ८ विनय ९ वैयावच १० सजाय ११ ध्यान १२ कासग्ग ॥ बंधना चार नेदतेमां १ प्रकतिबंध २ स्थि तिबंध ३ अनुजागबंध ४ प्रदेशबंध ॥ मोहा नाचारनेदतमा १ ज्ञान २ दर्शन ३ बारित्र १त्प॥पन्नरमेवोले पातमाआठधकारनामा १“द्रव्यात्मा २ कषायामा ३ योगात्मा ४ उप योगारमा ५ ज्ञानातत्मा ६ दर्शनारमा ७ चारि त्रास्मा, ८ वीर्यमात्मा । सोलमेवोलेदेमक को वीस प्रकारनाले तेमा दशलवनपतिमा रहे वेप्रमरकमा १ नानकमार २ सोकावणार विएस्कार ४ अग्निकुमार ५ दीपकुमार ६ दधिकुमार ७ दिशाकुमार ८ बायकुमारस नितीमार १० तथा सातवासकिनो एक दंड Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क अने स्थावरना पांच तेमा प्रथ्विकाय १ अपकाय २ तेनकाय ३ वायुकाय ४ बनस्पति काय ५॥ तिनावकलेंद्रिना बरेंद्री, १ तरेंद्री २ चोरेंद्री ३ तथा वीसम तिर्यंच पंचेंद्रीन, एकवी शभु मनुध्यन बावीशमुं व्यंतरीक देवतानु तेवी शनुं ज्योतिषी देवतार्नु चोवीशमुं वैमानीकदेव तार्नु। सतरमेबोलेलेश्या तेमां कृष्ण १ नील २ करोत ३ तेजो ४ पद्म ५ शुक्ल ६॥ मा ठारमें बोले दृष्टी तीन तेमां मिथ्यात्व दृष्टी १ सम मिथ्यादृष्टी २ समदृष्टी. ३॥ उगणीशमें बोले ध्यानचार. आर्तध्यान १ रौद्रध्यान २ध मध्यान ३ सुछध्यान ४॥ वीसमेंबोले व्य ना तीस बोल तेमांध स्तिकायने पांच बो. ले ओलखीजे द्रव्ययकी एक द्रव्य रथ की लोक प्रमाणे २ कालयकी आदि अंतर हित ३नावथकी अरूची ४ गुमथकी चालवा नं साद्य अधर्मस्तिकाय पांचे बोले भो लखीजे द्रव्ययकी एक द्रब्य देवयकी से का प्रमाणे शकालयकी प्रादिअंत रहित ३ मायकी अरूको ४ गुपथकी स्थिर रहेबामुं Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ साथ५॥ श्राकाशास्तिकायना पांच नेद द्र व्यथकी एक द्रव्य १ क्षेत्रथकी लोकालोकत्र माणे २ कालयकी श्रादिअंत रहित ३ नापथ की अरूपी ४ गुणथकी भाजन गण ५॥ कालना पांचनेद द्रव्यथाकी अनंता द्रव्य १ के प्रथकी लोक प्रमाणे २ कालथकी आदिअंत रहित ३ नाक्यकी अरूपी गुणथकी वर्तवा नो गुणः ५॥ पुदगलना पांच नेद दव्यथकी अनंता.द्रव्य क्षेत्रथकी लोक प्रमाण २ काल थकी आदिअंत रहित ३ नावथकी रूपी ४ःगु पथकीगलेने निले५॥ जीवना पांच नेद द्रव्यथ की अनंता द्रव्य १ दोत्रथकी पाखा लोक प्र माणे २ कालथंकी आदिअंत रहितः३ नावथ की अरूपी ? गुणथकी चेतन गुणः ५ ॥ एक वीसमें बोले राश दो जीवरास १ अजीवराहा '२॥ बावीशमें बोले श्रावकना बारे उसले पेहे ले व्रतते वस जीवनै हो मही स्थावरनी मर्यादा करे । मोटकुंफबोले नही. २ मोटकी चोरी करेनहीं.३ परस्त्रिनो त्यागकरे पोतानी. स्त्रीनी मर्यादा करे ४ परिग्रहनी मर्यादा करे।५ दिशा Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मी मर्यादाकरे ६ब्बोशः बोल, पंदरे कर्मदाननी मर्यादा करे ७ अनर्थदंडनी मर्यादाकरे ८ सा मायककरे ९. देशावगासी करे १० पोसहकरे ११ सुद्ध साधुने सुजतो आहार पाणी आपे, अशुजनाआहारः प्रापवानो त्यागकरे १२॥ ते वीसमें बोले साधुना पंच महाव्रत, साधुजी स र्वथा प्रकारों कोइ जीवन हणेनही हणावेनही है लनारुडुं जाणेनहीं मनसायसाकायसा सा धुनी महाराजसथाप्रकारे कुठंबोलेनही बोलावे नही बोलतां रुडनाणेनहीं मनसा वयसा काय सा २ साधुनी महारोजसर्वथा-प्रकारेचोरीकरेंन ही कसमही करतांरुडुंनाणेनही मनसा-वपसा कायसा ३साधमी महाराज सर्वथा प्रकारे मै थुनकरेनही करावेनही करतां रुड़जारोंनही मन साक्यसा कायसासा'४' सधजीमहाराजपरिय ह रखेमही रखायनहीं राखलारुडुबानही म नयाक्यसाकायसायचोवीसमेबोले गगुपचाश नागालोजा पणा का एकमोनागामच्या ९एफकरणनेएकजोगी करुनहीं मनसा १ करूं नहीवयसा २ करुनहीकायसा ३ कराहीमा Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५३ नसा ४ करावुनहीवयसा ५ करावुनही कायसा ६ अनुमोदुनही मनसा ७ अनुमानही वय सा ८ अनुमोदुनही कायसा ९ ॥ एक १२ मो नागाजठ्या ९एक करनेदोजोगसं करूंनहीम नसा वयसा १ करूनहीमनसा कायसा २ करूं नहीवयसा कायसा ३ करावंनहीमनसा वयसा ४ करावुनही मनसा कायसा ५ करावंनहीवयसा कायसा ६ अनुमोदुंनहीमनसा वयसा ७ अनु मोदुनहीमनसा कायसा ८ अनुमोदुंनहीवयसा कायसा ९ ॥ कएक १३ मोनागाजठ्या ३ एककरण तीन जोगसुं करुनहीमनसा वयसा काय सा १ करावंनहीमनसा वयसा कायसा २ नुमोदुंनहीमनसा वयसा कायसा ३ ॥ त्र्कएक २१ मोभांगाच्या ९ दोकरण एकजोगसुंकरूं नही कराकुंनहीमानसा १ करुनही करावंनहीवय सा २ करुनही करा नही कायसा ३ करूनही तु मोदुनही मनसा ४ करुनहीं अनुमोदुंनहीवयसा ५ करुनही अनुमोदुनही कायसा ६ करावंनहीं नुमोदुंनहींमनसा ७ करावं नहीं अनुमोदु नहींव सा ८ करावंनहींअनुमोदनहींकायसा ९ ॥ २० Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५४ कएक २२ मोनागाउठया ९ दोकरणनेदोजोगसं करुनहीकरावुनहींमनसावयसा १ करुनहींकरावं नहींमनसाकायसा २ करुनहींकरावुनहींवयसा कायसा ३ करुनहींअनुमोद्नहीमनसावयसां ४ करुनहींअनुमोदुनहीमनसाकायसा ५ करुन हीअनुमोदुनहीवयसाकायसा ६ करावुनहीअनु मोदुनही मनसावयासा ७ करावूनहीअनुमो दुनहीमनसाकायसा ८ करावुनही अनुमोद्न हीवयसाकायसा ९ ॥ अांकएक २३मोनागा उठया ३ दोकरणतीनजोगसुं करुनहींकरावुनही मनसावयसाकायसा १ करुनहीअनुमोदुनही मनसावयसाकायसा २ करावूनहीअनुमोदुनही मनसावयसाकायसा ३ ॥ अांकएक ३१ मो नागानठ्या ३ तीनकरणएकजोगसुं करूनहीक रावूनही अनुमोदूंनहीमनसा १ करुनहीकरावं नहीं अनुमोद्नहीवयसा २ करुनहीकरावुनहीं अनुमोदुनहीकायप्ता ३ ॥ प्रांकएक ३२ मोना गाउठ्या३तीनकरणदोजोगथी करुनहीकरावून, ही अनुमोदनहिंमनसावयसा १ करुनहीकरावून हीअनुमोदुनहीमनसाकायसा २ करुनही करावुन Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हीअनमोदनहीवयसाकायसा३ ॥ प्रांकएक ३३ मोभागालठयोएक बणकरणत्रणजोगसुं करून हीकरावंनही अनुमोद्नहीमनसावयसाकायसा १॥ पचाश बोलेचारित्रपांचसामायक १ दोपस्थापनीय २ पमिहारवीसुद्ध ३ सुक्ष्मसंप राय ४ जथाख्यात ५॥ वीसमेबोले नावपांच तेमां उदयिकनाव १ उपशमनाव २ क्षायि कनाव ३ दायोपशमिकनाव ? परिणामीक नाव ५॥ ससावीसमेबोलेलब्धि पांच तेमां दा नलब्धि १ लानलब्धि २ नोगलब्धि ३ जपनो गलब्धि ४ वीर्यलब्धि ५॥ इति समाप्त ॥ इशिवाय दोयबोल फेरूं तेमांपहिलेबोले संज्ञाचार १ अाहारसंज्ञा २ नयसंज्ञा ३ मैथु नसंज्ञा ४ संपरिग्रहसंज्ञा ॥ दुजेबोले विर्यतीन तेमां १ बालवीर्य २ पंडीतवीर्य ३ बालपंडितवी र्य ॥ इति सत्तावीस बोलनो थोकडो समाप्त ॥ ॥ अथ उतारणीका छुटाबोल लिख्यते ॥ ॥१ थारीगतिकांइ॥ मनुष्यगति ॥ २ था रीजातकांइ ॥ पंचेंद्रिय ॥ ३ थारीकायकांइ ॥ त्रसकाय ॥ ४ थारीइंद्रियेकेती ॥ पांच ॥ ५ Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ थारेपर्याप्तिकेती ॥ ॥ ६ थारेप्राणकेता ॥ दश॥ ७ थारेशरीरकेतापावे ॥ तीन ॥औदारिक तेजशनेकार्मण ॥८योगकेतापावे ॥ योगपावेनव मननाचार. वचननाचार, कायानोएकीदारी क ।।९ थारेउपयोगकेता॥चार. मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, चक्षुदर्शननेअचक्षुदर्शनः ॥ १० थारे कर्मकेता ॥ आठ॥११ थारेगुणठाणुकिशोपावे ॥ तेनानेददोय. साधुनेपुतो एहवोकहजेव्य वहारथी टुंअनेश्रावकनेपांच, पर्गज्ञानीस्वि कारेते ॥ १२ थारेविषयकेटलापावे ॥ तेवीस ॥ ॥१३ मिथ्यात्वनादशबोलपावेकेनहीं ॥ व्यवहा स्थीनहिंपावे ॥ परीजानीजाणे ॥१४ जीवनाने दकिसापावें ॥ एकसंजिरोपर्याप्तो ॥ १५ श्रास्माकेतापावे ॥ श्रावकमेंसात चारित्रटलीसाधामेआठ ॥ १६ दंडककिसोपावे ॥ एकवीसमो. मनुष्यरो ।। १७ लेश्याकेती ॥ ॥१८ दृष्टि केतीपावे॥ व्यवहारथी. समकेतदृष्टीपावे ॥ १९ ध्यानकेतापावे एकसुध्यानविनाबाकीनातीन ध्यानपावे ॥२० द्रव्यकिशो पावे ॥ जीवद्रव्य २१ राशिकिशीपावे ॥ जीवराश ॥ २२ श्रा Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वकनाबारेंव्रतश्रावकोपावे ॥२३ साधुनापांच महाव्रत, श्रावकमेंनही. साधुमेंपावे ॥ २४ पां चचारित्रश्रावकोपावेकेनही ॥ देशचारित्रपावे ॥ २५ एकेंद्रियनीगतकाइ ॥ तिर्यंच ॥ २६ ए केंद्रियनीजातकांइ॥ एकेंद्रिय॥ २७॥ एकेंद्रिय नीकायाकेती ॥ कायापांच. त्रशकायवर्जिने. ॥२८ एकेंद्रियनीइंद्रियकेती ॥ एक. स्पर्शेद्रिप.॥२९ एकेंद्रियनीपर्याप्तिकेती ॥ चार. मन अनेनाषाएबेपर्याप्तिनथी ॥ ३० एकेंद्रियनेप्रा पाकेता ॥ चार. स्पर्शद्रिय, काय,श्वासोश्वासमा युषो. ३१ मुरममाटीसोनूचांदीतथारनादिकते नीगतकांइ ॥ तिर्यंच. जातकांह ॥ एकेंद्रिय. कायकांइ ॥ पृथ्विकाय ॥ इंद्रियकेती॥ एक. प प्तिकेती॥ चार. प्राणकेताचार, ३२ पृथ्वि कायनीगतीकांड ॥ उपरप्रमाणे. ३३ अपकाय ते देखतापाणीनीगतिकांह ॥ एककायाश्रीअप काय बाकीसर्वउपरप्रमाणे. ३१ अग्निमीका यकिशी ॥ उपरप्रमाणे. पणकायतेन. ३५ वायरा नीगतीकांड ॥ उपरप्रमाणें ॥पणकायाश्री वा युकाय. ३६ वनस्पतिनीगतिकांड ॥ उपरप्रमा Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५८ णेपणकायाश्रीवनस्पतिकायजाणवी. ३७ बेह द्रियलटधोदोला श्राददेइनेतेनीगतिकांड ॥ ति यंच. जातकांइ ॥ बेइंद्रिय. कायकांइ ।। त्रश. इंद्रियकेती ॥ दोय. पर्याप्तिकेती॥ पांच मन पर्याप्तिटाली, प्राणकेता ॥ उ. रशइंद्रियप्राण श्र ने नागप्राणएबेटाली. ३८ वेइंद्रियकीमी, मंको डी. जूमाकड, चांचड, तथालीखादिकनीगत कांइ तिर्यच. जातकांइ ॥dइंद्रिय कायकाइ ॥ त्रश इंद्रियकेती ॥ तीन चक्षुने श्रोत्रदोयनही. पर्याप्ति केती॥ पाच. प्राणकता ॥सात. एक घ्राणेद्रिय 'प्राणटाली. ३९ चौरेइंद्रियमांमाखी मन्चर तीडपतगमांस वेिच इत्यादिकनीगतीकांइ॥ तिर्यंचग ति.जातकांइ॥ चौरइंद्रिय. कायकांइ ॥शकाय इंद्रियकेता ॥ चार श्रोत्रंद्रियटाली. पर्याप्तिकेती. ॥पांच. प्राणकेता॥आठएकममत्रापावध्यो ४० गाय बकरी नेश हाथीघोडानीगतिकांड।। तिर्यंच जातकांइ.पंचेद्रिय कायकांइ ॥ ब्रशकायइंद्रियके ता॥ पांच पर्याप्तिकेती॥पांचमन जापानेली प्रा पाकेता ॥ दश. ४१ नारकीनीगतिकांड ॥ नार की. जातकांइ ॥ पंचेंद्रिय. कायकांइत्रशकायई. Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५९ द्रियकेती॥ पांच, पर्याप्तिकेती॥पांच, मननेना पानेली.प्राणकेता॥ दश.४२ देवतानीगतिकाइ ॥ देवता जातकांइ ॥ पंचेंद्रिय काय कांइ, ॥त्र शकाय, इंद्रियकेती॥पांच, पर्याप्तिकेती॥पांच म ननापानेली,प्राणकेता॥ दश, १३ मनुष्यनीग तिकांइ ॥ मनुष्यजातकांइ ॥ पंचेंद्रिय कायकांइ शकाय, पर्याप्तीकेती॥ब,प्राणकेता॥ दश.४४ असंज्ञीमनुष्यनीगतिकांइ॥ मनुष्य जातिपंचेंद्रि य इंद्रिपांच पर्याप्तिपांच प्राणसातअथवाआठ ४५ तुमसंज्ञिकेअसंज्ञि ॥ संज्ञितेकिणन्याय ॥ मनपावेमाटेसंज्ञी ४६ तुभेसूक्ष्मकेबादर ॥बादरते किणन्याय ॥ दीसेबेइणन्यायः ४७ तमेंत्रशके स्थावर ॥ त्रशतेकिणन्याय ॥ हालचालकरेइण न्याय ४८ एकेंद्रियसंज्ञिकेअसंज्ञि ॥ असंझिते किणन्याय ॥ मननहींइणन्याय ४९ एकेंद्रियसु क्ष्मकेबादर ॥ दोनु तेकिणग्याय ॥ बादरनजर मायाव सक्ष्मदासतानहा इणन्याय ५० ए केंद्रियत्रशकैस्थावर ॥ स्थावर तेकिणत्याय ॥ हालेचालेनही इणन्याय ५१ एथ्विकायसंज्ञिके असांज ॥ असंजितेकिणन्याय ॥ मननहीइण Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६. न्याय ५२ दिसतीप्रथ्विकाय सुक्ष्मकेबादर ॥बाद रतेकिणन्याय ॥ दोशेबेइणन्याय ५३ पृथ्विकाय त्रशकेस्थावर ॥ स्थावरतेकिणन्याय ॥ हालेचा लेनहींईणन्याय ५४ अपकाय संजिकेअसंज्ञि॥ असंज्ञितेकिणन्याय॥मन नहिंइणन्याय ५५ अ पकायदीसतीसुक्ष्मकेबादराबादरतेकिणम्यायादे खायइणन्याय५६अपकायत्रशकेस्थावर ॥स्था वरहालेनहींइणन्याय५७ तेनकायसंजिकेअसजि असंजितेकिणन्याय ॥ मननहींइणन्याय ५८ ते जकायदीसतीसुक्ष्मकेवादर ॥, बादरतेकिणन्याय देखावे बेइणन्याय ५९ तेनकायत्रशकेस्था वर ॥ स्थावर तेकिणन्याय ॥ हालेचालेनहींइण न्याय ६. वायुकायसंजिअसज्ञि असंजितेकि णन्याय ॥ मननहींइणन्याय ६१ वायुकायदीस तीसुक्ष्मकेवादर ॥ बादर तेकिणन्याय ॥ देखाय बेइणन्याय ६२ वायुकायत्रशकेस्थावर ॥ स्थाव र तेकिणन्याय ॥ हालेचालेनहीइणन्याय ६१ वनस्पतिकाय संजिके असंजि ॥ प्रसंजी तेकी पन्याय ॥ मननहीइणन्याय ६४ वनस्पतिका यदीसतीसुमकेवादर ॥ बादर तेकिणन्याय दे Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खायजेइणन्याय ६५ वनस्पतिकायत्रशकेस्थावर ॥ स्थावरतेकिणन्याय ॥हाले चालेनहीइ. गन्याय ६६ बेइंद्रियसंज्ञिकेअसंजि ॥ असं जितेकिणन्याय ॥ मननही इणन्याय ६७ बेइं द्रियसूक्ष्मकेवादर ॥ बादर तेकि न्याय ॥ देखायइणन्याय ६८ बेइंद्रियत्रशकेस्थावर ॥ ऋश तेकिणन्याय ॥हाले चालेव्हणन्याय ६९ वेद्रियसंजिकेअसंजि ॥ असंजि तेकिणन्याय मननहीइणन्याय ॥ ७० तेरेंद्रियसूमकेबादर ॥ वादर तेकिणन्याय ॥ देखायरे हणन्याय ॥ ७१ तेरैद्रियत्रशकस्थावर ॥ त्रश तेकिणन्याय ॥हा लेवाले इणन्याय ॥ ७२ चौरद्रियसंजिकेअसंज्ञि ॥असंजितेकिणन्याय॥ मननहीइणन्या य ॥ ७३ चौद्रियसूक्ष्मकेवादर॥ बादर तेकिण न्याय ॥ देखायइणन्याय ॥ ७३ चौरद्रियत्र. शकेस्थावर ॥त्रशतेकिलन्याय ॥ हालेचाले इणन्याय ॥ ७५ गाय नेशादीकसंजिकेअसं जि॥संज्ञि तेकिणन्याय॥ मनरेइणन्याय ॥ ७६ गाय नेशसुक्ष्मकेबादर ॥ बादर तेकिणन्याय ॥ देखायइणन्याय ॥ ७७ गायनेंशत्रशकेस्थावर Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६२ ॥शतेकिएन्याय ॥ हालेचालेबेइणन्याय ॥ ॥७८ हाथीघोडादीशतासंज्ञिकेअसंनि ॥ संजि तेकिणन्याय ॥ मनइणन्याय ॥ ७९ हाथीघो मासूक्ष्मकेबादर ॥ बादर तेकिणन्याय ॥ देखा यइणन्याय ॥ ८० हाथाघामात्रशकस्थावर ॥ त्रश तेकिणन्याय ॥हालेचालेइणन्याय ॥ ८१ नारकीसंज्ञिकेशसंज्ञि ॥ संज्ञि तेकिणन्याय ॥ मनइणन्याय ॥ ८२ नारकीसूक्ष्मकेबादर ॥ बादर तेकिणन्याय ॥ देखाय इणन्याय ॥ ८३ नारकीत्रा केस्थावर ॥ त्रश. तेकिणन्याय ॥ हालेचालेइणन्याय ॥८४ देवतासंज्ञिकेअसंज्ञि ॥ संज्ञि. तेकिणन्याय ॥ मनोहणन्याय ॥ ८५ देवतासमकेवादर ॥ बादर. तेकिणन्याय।। देखायबेइणन्याय ॥ ८६ देवतात्रशकेस्थावर ॥ श. तेकिणन्याय ॥ हालेचालेइणन्याय ॥ ८७ मनुष्यसंज्ञिकेअसांजे ॥ संज्ञि असंज्ञीदोय ते किणन्याय ॥ संजिनेमन. नेप्रसंज्ञिचौदेस्था नकीयाते. इणन्याय ॥ ८८ मनुष्यसूक्ष्मकेबाद र ॥ बादर. तेकिणन्याय ॥ देखाय इणन्याय ॥ ८९ मनुष्यत्रशकेस्थावर ॥ त्रश तेकिणन्या Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ य॥ हालेखालेइणन्याय. ९० एकेंद्रियमांवेद कोणपावे ॥ एकनपुंसक इमष्टविकाय,अपकाय तेनकाय, वायुकाय. नेवनस्पतिकाय. एपांचा वेदएकनपुंसकपावे. ९१ बेइंद्रिय. ढेरेंद्रियतथा चौरेंद्रियमांवेदकोणपावे ॥ एकनपुंसक. ९२ ना रकीमांवेदकोणपावे ॥ एकनपुंसक. ९३ जलचर में, स्थलचरमें, खेचरमें, नरपुरिमें, नजपुरिमे वेदकोणपावें ॥ संज्ञितोतीनपावे नेअसंझिमेंए कनपुंसकवेदपावे ९४ दसनूवनपतिवाणाव्यंत रानेज्योतपीअनेपहेला तथा बीजादेवलोकमेवेद कोणपावे ॥ स्त्रीवेदनेपरुपवेद ए बे पावे ९५ती जादेवलोकीकरीने सरवार्थसिद्धलेली अनुत्तरवि मानसुवेदकोणपावे ॥ एकपुरुपवेद ९३ चोवीश दंडकमेंकरमकेता ॥ तेवीसदंडकमांतोपाठकर मपावे अनेमनुष्यमांसात आठतथाचार कर्मपावे ॥अथ नवतत्वका लुटा बोलनो थोकडो लिख्यते। जीव रूपीके रूपी अरूपीतो किणान्याया। काला, पीला, धोला, नीला, राता, एपांचे वर ण पाक्नहीं छगन्याय जीवनरूपी ॥२ अजीव रूपी केअरूपीदो-इजे. ते किणन्याय ॥ १ ध Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६४ मस्ति २ अधर्मास्ति ३ प्रकाशास्ति ४ काल ५ पुदगलास्ति. एपांचतेमां चाररूपी तथाए क पुदगलरूपीवे. इणन्यायदोनुंजाणवा ॥ 3 पुण्यरूपीके रूपी रूपी तोकिणन्याय ॥ पांचेव रणपावे. इन्यायपुण्यरूपीठे ४ पापरूपीके रूपी ? रूपी किसन्याय ॥ पांचवरणपात्रे इ • न्यायरूपीठे || ५ व्याभवरूपी अरूपी ? रूपीबेतो किन्याय ? पांचवरणपावेनही इण न्याय आश्रवच्यरूपीबे ॥ ६ संवररूपीके रू पी. रूपी कन्याय ? पांचवर्णनपावे इण न्यायसंवररूपीवे ॥ ७ निर्झरारूपी केरूपी श्ररूपीतेकिणन्याय ? पांचवरीनहींपावें इणन्या यमरूपीवे ॥ ८ बंधरूपी केरूपी ? रूपीबेतो किणन्याय ? पांचवरणपावेइणन्याय बंधरूपीछे. ॥ ९ मोहरूपीके रूपी ? रूपीतोकि न्याय ॥ पांच वर्णनहिपावेइणन्याय मोहरूपीछे. ॥ १० जीवसावद्य के निरवद्य ? दोनुंबे. तेकिणन्याय ? चोखापरिणामेतो निरवद्यवे. माठापरिणा में सा a. इन्याय. ॥ ११ अजीवसावद्यके निरव दोनुंनहि. तेकिणन्याय ? सावद्य निरवद्यतो Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जीवने. एतोमजीवइणन्याय।।१२ पुण्यसावद्य केनिरवद्य ? दोनुनहितेकिणन्याय. सावद्यनिरव धतोजीव. पुण्यअजीवगे. इणन्याय. ॥ १३ पापसावद्यकेनिरवद्य दोनुनहितेकिणन्याय? सा घद्यनिरवद्यतोजीव. पापतोअजीवडे. इणन्याय ॥ १४ पाश्रवसावद्यके निरवद्यदोनइ. तेकिण न्याय? मिथ्यात्वतेत्राश्रब १ अव्रततेाश्रब२ प्रमादतेआश्रब ३ कषायतेआश्रब ४ एचारतो एकंतसावद्य. योगाश्रबनावेनेदबे, शुनयोग तोनिरवद्य, अशुनयोगतोसावद्य. इणन्यायदोय बे. ॥ १५ संवरसावध केनिरवद्य? निरवद्य तोकिणन्याय ! कर्मरोकवारापरिणाम. एपरि पामतोनिरवद्य इणन्याय, ॥१६निर्जरासावद्य केनिरवद्य ? निरवद्य तोकिणन्याय? कर्मरातो डवारा परिणामनिरवद्यइणन्याय ॥ १७ बंध सावद्यकेनिरवद्य दोनुनहीतेकिणम्याय? सावध निरवद्यतोजीन बंधअजीव इणन्याय ॥ १८ मोहसावद्यके निरवद्य ॥ निरवद्य तेकिणन्या य ॥ सकलकर्माथकी मूकाणातसिद्धनगवान नि रखधरे, इणन्यायमोदनिरवय ॥ १९ जीवा Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञामांहिके बाहिर दोयांमे किणन्याय । चोखा परिणाम आज्ञामांही खोटापरिणाम आझावा हीरइणन्याय ॥ २० अजीवाज्ञामांही केवाहि रदोन्नहि तेकिणन्याय॥ प्राज्ञामेतथा बाहिरतो जीव एतापजीवबे इणन्याय ॥२१ पुपया ज्ञामांहीकेबाहिर दोनहीनहोते किणन्याय ॥ श्रा ज्ञामेतथा बाहिरतोजीबजे, पुरयजीव ॥२२ पापाज्ञामांही केबाहिरदो-हीनहीं तेकिणन्या य ॥ श्राज्ञामे तथाबाहिर तोजोक्ने. पापतो अजीवडे. इगन्याय ॥ २३ अाश्रव प्राज्ञा के बाहिर दोनभाहि तेकिणन्याय। मिथ्यात्वमा अब १ अरतश्राश्रब २ प्रमादाश्रब ३ क पायाश्रय एच्चारतो आज्ञा बाहिर योग प्राप्रबना बेनेद. शनयोगतो आशामें अशु नयोगप्राज्ञा बाहिरडे इणन्याय ॥२४ संवर प्राज्ञामांहिके बाहिरबाजामांहि तेकिणन्याय। कर्मनेकाटवाना पारणामाज्ञामें न्याय जामें ॥ २५ निरापानाकेबाहिर में ने ते किणन्याय ॥कर्मनेतोमवारंपरिणाममा माहेने, इणन्याय ॥ २६ बंधवानामें केवहिरको Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६७ मनही तेकिणन्याय ॥ श्राजा तथा बाहिरतोजी बडे बंधतोयजीव इणन्याय ॥ २७ मोद आ जामें के वाहिर प्राज्ञा तोकणन्याया। कर्मा सुंमुकावणुंतेसिद्ध आज्ञामांहले इणन्याय.॥२८जी व तेजीवहुवे केअनीवरे ॥जीवतो किन्याय॥ सदाकालशाश्वतो जीवनोजीवरहेशे. इणन्याय जीव ॥ २९ अजीवतेजीवके अजीव, अजीव बेते किणन्याय ॥ सदाकालशाश्वतो अजीयरोत्र जीव रहेशे इणन्याय. ॥३० पुण्यजीव के जीव. अजीव तेकिणन्याय शुनाशुनकर्मना पुदगलसर्वअजीवबेहणन्याय ॥ ३१ पापजीवके अजीव अजीवले. तेकिणन्याय ॥ अशुनकर्मपुद गल अजीव इणन्याय ॥३२ श्रवजीवके अजीच ॥जीवतेकिणन्याय ॥ कर्मवधावधाराप 'रिणाम जीवराइणन्याय ॥३३ संबरजीकेत्र जीव ॥ जीवतेकिणन्याय कर्माराकाटवारापरि पामजीवराखि, इणन्याय ३४ निर्जराजीवनेकेश्र जीव,जीवनेते किणन्याय॥कर्मतोडवारापरिणाम जीवराळे, इणन्याय ॥३५बंधजीव के अजीव बे, अजीवतेकिणन्याय ॥ बंधतोशुनअशुनक Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६८ मैछे. कर्मतेपुद्गलवे, नेपुदगलते जीवबेइन्या य ॥ ३६ मोक्ऋजीव के अजीव मोक्षजीवबे ते किणन्याय ॥ करमासुंमुकाणां ते सिद्ध नगवानजी ववेइन्याय ॥३७ जीवचोर बेकेशाहुकारने दोनुंबे तेकिणन्याय ॥ चोखापरिणामलेखे शाहुकारबे, माठांपरिणामि लेखे चोरबे इणन्याय. ॥ ३८ जीव चोरकेशाहुकार दोनुंही नही ते किन्या य ॥ चोरशाहुकारतो जीवबे एतो जीवबे इणन्याय दोनुंही नही ॥ ३९ पुण्यचोर केशाह कार || दोनु नही ते किणन्याय || चोर शाहुका रतो जीव नेपुण्यतो जीवबे इन्याय ॥ ४० पापचोर के शाहुकार || दोनुं नही तेकिणन्याय || चोर शाहुकारतो जीवबे. पापाजीवडे इन्याय ॥ ४१ बचोरकेशाहुकार || दोनुंही वे. चारमाश्रवतोचोरबे नेयोगाश्रवनावेनेद तेमांशुनयोगंतशाकारले अशुभयोगते चोरबे इन्याय ॥ ४२ संवर चोर के शाहुकार शाहुकारछेते किन्याय ॥ कर्मारारोकवारा परि णामशाहुकार इणन्यायशाहुकारबे ४३ निर्जरा चोर के शाहुकार ॥ शाहुकार तोकिलन्याय कर्म वे. · Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तोमवारापरिणामशाहुकारने इणन्यायशाहुकारले ॥४४ बंधचोरकेशाहुकार ॥ दोनही नही ते कि गन्याय चोरशाहुकारतो जीवडे एतोअजीवळे इणन्याय ॥४५॥ मोदचोरकेशाहुकारशाहका र तेकिणन्याय सकलकर्मोथीमूकाणाते सिद्ध नगवानशाहुकारले इणन्याय ॥४६ जीवगंड वायोग्य केादरवायोग्य गंडवायोग्य तेकिण म्याय ॥ पोतेजीवानुनाजनकरे अनेराजीवनपर अविग्रहनावकरेनहीं इणन्यायजीवगंडवायोग्य ॥४७ अजीवगंमवायोग्यके आदरवायोग्य ॥ गंमवायोग्यतोकिणम्याय कोइपणअजीवनपरम मता नावनकरवोइणन्याय अनीवगंडवायोग्य .॥४८पुण्यगंडवायोग्य केादरवायोग्य गंडवाजोगले तोकिणन्याय ॥शुनाशुनकर्मपुदग लगंम्वायोग्य इणन्याय ॥४९ पापगंडवाजो मके आदरवाजोग पापगंडबाजोग किणन्याय ॥अशूनकर्मपुदगलगंडवायोग्य इणन्यायपाप गंडवायोग ॥ ५० श्रावगंडवायोग तो कि शन्याय ॥ श्राश्रयतोकर्माववारोबारणो. ते बारारंध्याआत्मा वशकरे मादे श्राश्रबगंगवा Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जोग इणन्याय ॥५१ संबरगमवायोगके मा दरवायोग्य ॥ श्रादरवायोग्यतो किंगन्यायकर्मा रारोकवारापरिणाम तेआदरवायोग्य इणन्याय संबरादरवायोग॥५२निर्जरागंडवायोगकेत्र दरवायोग आदरवायोग तेकिणन्याय ॥ क रमतोडवारापरिणामादरवायोग इणन्याय ॥ ५३ बंधगंडवायोग्य केआदरवायोग्य गमवायो ग्यो तेकिणन्याय ॥ शुनअशुन कर्मपुदगल गंडवा योग आदरवायोगनहीं इणन्याय ॥ ५४ मोदगंडवायोग्य केआदरवायोग्य. आद रवायोग्य तेकिणन्याय ॥ सकललोकनेअंतेसि बनवान आदरवायोग्य इणम्याय ॥ ५५ ध ििस्तकायरूपीकेअरूपीछे अरूपीनेतेकिणन्या य॥ पांचवर्णनहिंपावे इणन्याय ॥५६ अधर्मा स्तिरूपीकेअरूपी अरूपीतेकिणन्याय ॥ पांच वर्णनहींपावे इणन्याय ॥५७ आकाशास्तिकाय रूपीकेअरूपी ॥ आकाशास्तअरूपी तो किण. न्याय ॥ पांचवर्णनहींपावे इणन्यायं ॥ ५८ का लरूपीके अरूपी अरूपीछे तेकिन्णयाय पांचवर एनहीं पावेइणन्याय॥५९पुदगलरूपीकेअरूपीबे Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७१ रूपोतो किणन्याय ॥ पांचेवरणपावेले इणन्या य॥६० जीवरूपीकेअरूपी ॥ श्ररूपीतेकिण न्याय ॥ पांचवरणनहींपावे इणन्याय ॥ ६१ धर्मास्तिकायजीवके अजीवजीवछे ॥ ६२ अधर्मास्तिजीवकेअजीव॥ अजीव ॥६३ श्रा काशास्तिजीवके अजीव ॥ अजीव ॥६४ कालजीवकेअजीव ॥ अजीव ॥६५ पुदगल जीवकेअजीव ॥ अजीव ॥६६ जीवजीवके अजीव ॥जीवतेतोजीव॥ ६७ धर्मास्तिसावध केनिरवद्य॥दोनुहीनहीं तेकिणन्याय ॥सावधनि रवद्यतोजीव धर्मास्तिजीव इणन्याय॥६८ अधर्मास्तिसावद्यकेनिरवंद्य ॥दोमुंहीनही तेकिण न्याय अजीवइणन्याय॥६९ आकाशास्तिसाव अकेनिरवद्य ॥दोनुहीनहिंतेकिणन्याय ॥ सायद्य निरवद्यतोजीव आकाशास्तिअजीव इणन्या य॥७० कालसावद्यकेनिरवद्य ॥ दोमुंहीनहीते किगन्याय ।। सावद्यनिरवद्यतोजीवछे कालम जीवले इणन्याय ॥ ७१ पुदगलसावंद्यके निरव छ ॥ दोनुनहीं तेकिणन्याय ॥ पुदगलतोअजी पछे सावधनिरवद्यजीव इणन्याय ॥७२ जी Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७२ बसावयकेनिरवद्य ॥ दोनुंही तेकिणन्याय || चोखापरिणामे वर्त्तेतेनिरवद्यये ॥ खोटापरिणाम लेखेसावद्यवे इन्यायदोनुंहीवे ॥ ७३ धर्मास्ति radhana तेकि न्याय ॥ द्रव्यथकी एकद्रव्यबेइणन्याय || ७४ अधर्मास्तिएकबे के and || एक किणन्याय ॥ द्रव्ययकी एक द्रव्य इणन्याय || ७५ प्रकाशास्तिएकबेके अनेक एकवेते किन्याय ॥ द्रव्यथकीएकद्रव्य वे इन्याय || ७६ कालएककेने अनेक वे तेकिणन्याय ॥ द्रव्यथकी अनंताद्रव्यबे इ म्याय ॥ ७७ पुदगलएकबेनेकडे. अनेक ते किणन्याय || द्रव्ययकी अनंताद्रव्यबे इणम्याय ७८ जीवएक केनेकडे अनेकबेते किन्याय ॥ द्रव्यथकी अनंताद्रव्यबे इन्याय ॥ ७९ ध मस्तिज्ञामांहें के बाहिर माहेपणन हिने बाहीरप नाही तेकिान्याय ॥ श्राज्ञामांहे तथाबाहीरतो जीव एजीवडे इणन्याय ॥ ८० अधर्मा स्तिकाय याज्ञामांहे के बाहीर उपरप्रमाणें ॥ ८१ प्रकाशास्तिकाय प्रज्ञामहिकेबाहीर | उपरत्र माणे ॥ ८२ कालज्ञानांहे के बाहीर उपरप्रमा · . Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७३ णे ८३ पुदगलबाज्ञामाहेकेबाहीर ॥ उपरप्रमा णे ॥ ८४ जीवाज्ञामांहेकेबाहीर॥खोटाकर्तव्य आश्रीत्राज्ञाबाहीर नेखराकर्तव्याश्रीअाज्ञा माहे ॥ ८५ धर्मास्तिकायचोरके शाहुकार ॥ दोनहिनही तेकिणन्याय ॥ चोरशाहकारतोजी वडे एअजीव इणन्याय ॥ ८६ अधर्मास्तिका ब उपरप्रमाणे जाणवो ॥ ८७ आकाशास्तिका यनपरप्रमाणे ॥८८ कालनपरप्रमाणे॥ ८९ पुन लनपरप्रमाणे ॥९० जीवचोरके शाहुकार॥ चोर शाहुकारदोन-तेकिणन्याय ॥खराकर्त्तव्याश्री शाहुकार नेखोटाकर्त्तव्यप्राश्री चोरइणन्याय. ॥ इति बुटक बोलनो थोकडों समाप्त ॥ अथ साधुका परिसहकी बावीस ढाळा लिख्यते : दुहा। अरिहंत सिद्धने प्रायरिया, उपाध्याय सर्व साध ॥ पांचे पद जपतां थकां, पा मे सदा समाध॥१॥ आदि नमुं आदिनाथजी, चोवीशमां वईमान ॥ सूधे ममें आराध Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७४ ता, पामे वुद्धिनिधान ॥२॥ चोवीशमा वर्धमा नजी, ज्ञानतणा भंडार ॥ संथारामां नाखीयो, उत्तराध्ययन अधिकार ॥३॥ प्रथम विनय मूल कह्यो. धुर अध्ययने तेह ॥ विनीत परिस हखमें खातस, उत्तम साध गण गह ॥४॥ तजि संसारनै निसरीया. लीधो संजमे नार॥वा बीस परिसहने सहे, सदा ते सुणजो विस्तारा॥५॥ ___ ढाल १ ली ॥ उत्तराध्ययनसूत्रमध्ये को, परिसहरो अधिकारोए ॥ दूजाइ सूत्रांमध्ये, क ह्यो घणो विस्तारोए ॥१॥ सहेता हुद्धी परि सह दोहिलो ॥ ए आंकणी ॥ दिन उगंता ख लागेए, शुरा ते साहामा मंमें । कायर हुवें ते तो नागेए ॥ स० ॥२॥ प्रथम जिणेसर जगगुरु, गेड्यो वनितारो राजोए । चार हेजा र साथें हुवा, फिरता आहारने काजोए ॥ स० ॥३॥ नाज गया भोला थकी, मुनिवर केइक हजारोए । हुवो बरस दिवसनो पारणो, रह्या अडिंग अपारोए ॥ स०॥४॥ बाहुबल नामै मुनि, वनमें काउस्सग्ग ठायोए ॥ कण परिस ह तेणें सह्यो, ते मुनि मुक्ति सिधायोए ॥ स. Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७५ ॥५॥ ढंढण फिरता गोचरी, न मिल्यो आहा र निर्दोषोए ॥ श्रीनेम जिणेसर जस कह्यो, क म खपावीने गयो मोदोए ॥ स०॥६॥ श्रा हार पुरो मिले नही, नहि करे मनमें सोगोए॥ मिलिया नाडुदेवे देहने, जेणे श्रादरीयो जोगो ए॥ स॥७॥ असुजतो वं नहिं, जो हुवे लाख प्रकारोए ॥ चाले सुधे मारग साधुजी, ज्यांने महारो नमस्कारोए ॥ सः ॥८॥हुधापरिसह जीतिने, गया अचंता मोदोए ॥घ णा साधने साधवी, ज्यांने सदाइ संतोषोए । स०॥९॥ इति दुधापरिसह ॥१॥ दुहा ॥ अन्न खाधां अति उपजे, तरषातर घटाय ॥ कायर ने काचा परे, शूरा पोष ज थाय ॥१॥ हाल २ जी ॥ अन्नथकी अधिकुं का, तर पार्नु काम ॥ एकण पाणी बाहिरा, रहवे प्राण ज ठाम ॥ १.॥ दूजो परिसह दोहिलो ॥ सेवे काकंडी नूत, धन धन ते मोहोटा मुनि ॥ ली नो मुगतिनो सूत ॥ दू • ॥ २॥ तपे अति घ पो तावड़ो, करमो ग्रीषम काल ॥ वेलु नूनार Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७६ सारिखी, दाजे पग सुकमाल ॥दू ० ३॥ति ण वेला लागे तपा, कंठ तालवू शूक ॥ होते आवे फेफडी, मुखमेंनहिं थूक ॥ दू०॥४॥न गरीमें फिरता गोचरी, नहीामले नीर ।। सीदावे नहिं साधुजी, शेठा रहेवे सधीर॥दू ० ॥५॥ धन्ना मंत्री तणा पुत्रने, धोबो पाणी भराय॥ सिद्धां रे साहामं जोइने, दीधो संथारो ठाय ॥ दू ॥६॥ अंबमना शिष्य सातसो, तरषालागी पूर ॥ संथारो साथें कियो, हुवा साचेला शूर ॥ दू० ॥७॥ जघन्यमें बेलो कियो उत्क टाउ मास ॥ महावीरजी पाणीविना. कधी करमारो नाश.॥ दू०॥८॥ दूजो परिसह जी तिने. तिरिया जीव अनंत ॥ तिरिया ने तिर शी घणा, इम नाख्यो नगवंत ॥ दू०॥९॥ इति तृषा परिसह ॥ २॥ - दुहा ॥ शीयाले अति शी पडे, वाजे शीत ल वाय ॥ तिणवेला शुद्ध साधुजी, शेंठा रहेवे समनाव ॥१॥ ___ ढाल ३ जी ॥ सीतकालरे मांहि, सेवे सीत ने ॥ मन दृढ राखे आपणुं रे ॥१॥ठारी ठा Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७७ मोठाम, चमे चली धूजणी ॥ रूंवाटा उना हु वेरे ॥ २॥ तोहि न बंडे साध, अग्नी सेव ए॥ अडग रहेवे भेरु जिसारे ॥३॥ वाजे सीतल वाय, तो होवे माबटो ॥ तोहि जमे न हिं किवामनेरे ॥४॥ तीन पडी मांहिरे, रेहे एं साधु ने, चोथी पण वं नहिं रे ॥ ५॥ चा ले नवराणे पाय, मस्तक नहिं ढांकणं, हिंडतां लेवे नहिं रे ॥६॥ श्रीनद्रबाहुना शिष्य, चतु र चारे जणा ॥ शीत परिसह तिहां सह्योरे ॥ ॥७॥ कालकरी तिण ठाम रे, हुवा देवता॥ ऋद्धि संपदा पामी घणी रे ॥ ८॥ शीत परि सह जीतिरे, तिरिया अति घणा॥ पार न श्रा वे केहेवंतारे ॥९॥ इति सीत परिसह ॥३॥ दुहा ॥ उनाले अातापना,सेवे परिसह साध॥ तप सेवे तरप्या थकां, वेदे नही विखवाद॥१॥ .. ढाल ४ थी ॥ अरणक मुनिवर चाल्या गो घरी॥ए देशी ॥ जपण परिसह अति वली आकरो, सेवे मोहोटा मुनिराजो रे॥ निजका याने जाणे कारमी, सारे प्रातम काजो रे॥ ॥ष्ण ॥१॥ ग्रीष्मकाले तपे अति तावत, Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७८ वाजे लू दावाजालो जी ॥ वेलु नूनार अग्निज्यू परजले, दाजे पग सुकमालो जी ॥ ३० ॥२॥ ॥ वादल वर्षा वायुवं नही, पावमी न पेहेरे पा योजी ॥ माथे वस्त्र न धरे चालता, नहीं पटके जल कायो जी ॥३०॥३॥ मोटको जाणेअति घणो रातनो, नही सूवे अगयो जी ॥ उ ना दाण मात्र रहेवे नही, नही लेवे तन वायो जी॥ ज० ॥४॥ उष्ण परिसह उग्र ते मुनि सहे, करता उपविहारो जी ॥ गाढी गरमी रेला उतरे, नही करे खेद लिगारो जी ॥ ज०॥५॥ जष्ण परिसह अरणक मुनि सह्यो, वचन सुपी निज मायो जी ॥ बलती शिल्ला अग्नि जेमपरजले, दीयो संथारो ठायो जी ॥ उ०॥६॥ काल करीने हुवा देवता, पाम्या सुख अपारो जी॥ इम अनंता साधु उद्धरया, कहेतां नावे पारो जी ॥ उ०॥७॥ इति नष्ण परिसह॥४॥ दुहा ॥ डंस मंस चटका दीये, साधु सेवे समनाव ॥हणे नही त्रसजीवने, ओहितिरण रोमाव ॥१॥ अथ डंसमंस परिसह ॥५॥ .ढाल ५ मी ॥ ममता नही आणे देहीनी, Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मोहोठा साधु विदिश जी ॥ डंस मंसादिक मी ल उघाडे, खावे लोहीने मांसजी ॥धन धन साधुजी सहे परिसह ॥ १ ॥ जू लीख कीडी ने चांचम माकड, प्रावी लागे शरीर जी ॥ चाम डी पकमीने चटका देवे, शेंठा रहेवे सधीर जी ॥धन० ॥२॥खाज खणे नही विण पूंज्या, नही आणे मन खेद जी ॥ काटकीने अलगो नही करणो, लागी मुक्त उमेद जी ॥ धन० ॥ ॥३॥ घरगेडिने संजम लीधो, चरम जिणेस र वीर जी ॥ चंदन वाससुं नमरा श्राव्यां, खामा घाल्या शरीरजी ॥ धन० ॥४॥ चार महिना लगें जांजेरी, पीडा सही निसदीस जी॥ रह्या अडग ते मेरुतणी परे, नही आणी मन रीस जी ॥ध० ॥५॥ चोर चिलाइती साधु हुवो, तीन शब्द सुण्या कान जी ॥ रुधिर बा ससं कीडा आया, ध्यायो निर्मल ध्यान जी ॥ धन० ॥६॥ पांचमो परिसह ने अति नारी, सेवे मोहोठा निग्रंथ जी ॥ सत सतीयाने जिन जी नाख्यो, दूकर दोरो पंथ जी ॥ध०॥७॥ दुहा ॥ठो परिसह साधुने, वस्त्र मरयादा Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८० सिंहत || उनलुं मैलुंमिल्यां थकां पाले पूर ण प्रीत ॥ १ ॥ अथ अचेल परिसह ॥ ६ ॥ ढाल ६ ठी ॥ अचेल परिसह वे एहवोजी, व स्त्र जीरण पास ॥ नवो तो नेमो दीसे नही जी, शोच नही मनमाय ॥ १ ॥ एहवा मुनिवर वं दिये जी ॥ ए कणी ॥ हीन दीन वचनें करी जी, जाचे नही मुनि चीर ॥ सहजे मिले तो हि जोगवे जी, शेंठा रहे सवीर || एह० ॥२॥ मैला पेरण ने लूगमा जी, धोइ न उतारे मेल ॥ ज्ञानी देवायें एहवो कह्यो जी, साधुजीनो मा गर नही सहेल | ए० ॥ ३ ॥ संचय करे नही ठो रेहेवे जी, ते कहिजें सुध साध ॥ अधि कुं न राखे आरजमें जी, लोपे नही कुलमरजा द ॥ ९० ॥ ४ ॥ अचेल परिसह एहवो जी, सेवे मोहोठा अणगार || सोम देव ब्राह्मणनी• परें जी, सफल करे अवतार ॥ ए० ॥ ५ ॥ सुहा || बहु ऋतु में पाले साधु जी, जलो पा ले संजम नार ॥ रति अरति आगे नही, श्र 'चल रहे एकलधार ॥ १ ॥ च्प्रथ रति परिसह ॥ ७॥ ढाल ॥ ७ मी ॥ वाणी सुणी जगवाननी, Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८१ जिणे जाण्यो हो कारिमो संसार ॥ वैरागें म न वालीयो, घरगेडी हो लीधो संजमनारा॥१॥ मनि सेवे परिसह सातमो॥ए अांकपी॥प्रति तिणरो नाम ॥ राग द्वेष करो मति, मुनि पापा राखो मिज ठाम ॥ मुनि ॥२॥ शीयाले अ ति शी पडे, उनाले हो तपे ताबडो तेह ॥ वर सालें वरखा घणी, सर्व ऋतुरो हो स्वनाव ने एह ।मु०॥३॥ नगरीमें फिरतां गोचरी, न ही मिले हो पाणी ने अन्न ॥ घर न चितारे पा बला, तिणने हो साधु कह्या ने धन्या॥ नु०॥४॥ मेघकुमर मन चिंतवे, मने साधु रे दीनो दुःख अथाय ॥ हुँ घरे जावं माहरे; प्रनातेरे जिन लियो समजाय ॥ मु०॥५॥ विजय विमाने उपनो, मुनिवर हो श्री मेघकुमार ॥ एकल अव तारी जिन कह्यो, ज्ञाताकेरे पेहेले अध्ययन मकार ॥ मु०॥६॥ संजम लीनो हेतसुं, घर गेड्यारा एह. परमाण ॥ वीर जिणेसर इनक ह्यो, थे बेगारे पोहोचो निरवाण ।मु०॥७॥ . दुहा ॥स्त्री परिसह आठमो, सेवे मोहोठा मुनिराज ॥ तजे लाखसम जाणने, सारे श्रात. Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८२ म काज ॥१॥ अथ स्त्री परिसह ॥८॥ ढाल ८ मी ॥ स्त्री परिसह सहेता ने, अति घणो आकरो जी। थौडा सुखारे काज, रतन कर यो कांकरो जी ॥ शुद्ध पालो ने निर्मल शील, मुनिवर नित्ये नमुं जी ॥१॥ ए आंक पी॥ स्त्रीरो रूप शिणगार,कदे नही देखणो जी ॥हाव नाव ने हास्य विलास, कदि नवि पेख पो जी॥शुद्ध० ॥२॥ नारी दीठां जागे नेह, चले चित्तमाहिलो जी ॥ पडे आणवो दोरो ठे काणे, ऐसो नर बावलोजी ॥ शुद्ध० ॥ ३॥ मो होठा मोहोठा मुनिराज, पड्या नारी पासमें जी ॥ आषाढने नंदीवेण, वश्या घरवासमें जी॥शुद्ध०॥४॥आद्रकुमार अणगार, तजी संसारने जी।चोवीस वरसा संग, पड्यो वशनारिने जी ॥शुद्ध० ॥५॥ रहनेमीरो चलियो चित्त, दे खी राजुल रूपने जी ॥ महा सतीया प्राण्यो ठाम, तारयो नवकुपने जी ॥शुद्ध०॥६॥थू लिनद्र कियो चोमास, वेश्यारी सालमें जी ॥ आसावत रह्यो साध, अग्नीनी जालमें जी ॥ शु० ॥७॥ समकित लीधो वेश्या नार, शी Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८३ यल शुद्ध पालियो जी॥ उत्तराध्ययन कथा अ धिकार, सूत्रमें चालियो जी ॥ शु० ॥८॥ सिंघ गुंफावासी साध, रतनकंबल लावीयो जी ॥तिणरो वेश्या कीयो धिक्कार, पी परता इयो जी ॥शु०॥९॥ए संसार समुद्र अगाध, तिरवो ने सोहिलो जी ।। दृढ रहेणों नारीनी पा स, घj ने दोहिलो जी ॥ २० ॥१०॥ दस लाख जोरावर जोध, शूरा जीपवा जी॥ एतो काम कठण दल जोर, दोरो खेवणो जी ॥शु. ६०॥११॥कठण परिसह एहवो, ज्ञानीदेवा क ह्यो जी ॥ सहीने गया ने मोद, नवारो खय क रयो जी॥शु०॥१२॥ इति स्त्रीपरिसह ॥८॥ दुहा ॥ नवमे परिसह साधु जी, चाले जया सहित ॥ ग्राम नगर पुर पाटणे, जीव द. यासुं प्रीत ॥१॥अथ चरिया परिसह ॥९॥ - ढाल ९ मी॥ मुनिवर हो मुनिवर, नवमो परिसह निरख ल्यो, करणो उग्रविहार होमुनिव र, चरिया नामें चालणं, कह्यो सिद्धांत मकार हो ॥ मु० ॥च० ॥१॥ चारे मास स्थिर रहे , रहेवू एकण ठाम हो॥॥ मु०॥आठ मास Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८४ " फिरतां रहेवुं, नही रहेवुं एकण गाम हो ॥ मु० ॥ च० ॥ २ ॥ गावां नगरे गमन करो, सेंधे ससेंधे देश हो ॥ मु० ॥ नरनारी हांसी करे, देखी साधुजीरो बेश हो ॥ मु० ॥ च० ॥ ३ ॥ कोइक देशी गालीया, कोइक देवे मार हो ॥ मु० ॥ कोइक लोक द्वेषी थकां कूत्ता देवे लगाय हो ॥ मु० ॥ च० ॥ ४ ॥ मारग नूली बजाने पडया, चगे कांटा ने शूल हो ॥ सु० ॥ भूख तृषाना पीडिया, काया विसे मूल हो ॥ मु०॥ च०॥५॥ थानक जगतं मिले नही, रेहेवाने एक रात हो ॥ मु० ॥ सम जावें रहे साधुजी, नही करे क्रो ध तिलमात हो ॥ मु० ॥ च० ॥ ३ ॥ नगवंत श्रीमहावीरजी. सह्या परिसह भरपूर हो ॥ मु०॥ ष्प्रचारंग कल्पसूत्रमध्यें, अरिहंत क्षमाना शूर हो ॥ मु० ॥ च० ॥ ७ ॥ गावा नगरा विचर तां, दीपायो जिनधर्म हो ॥ मु० ॥ कर्मखपाया प्रापणा, पाम्यावे सुख परम हो ॥ मु० ॥ च० ॥ ८ ॥ दुहा || एक ठाम बेठण तणो, कठण परि सह ताम ॥ ख्याल तमासा जोवा किरे नही, सारे वंबित काम ॥ १ ॥ अथ निषिध परिसह ॥ १० Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८५ • ढाल ॥ १० मी ॥ दसमो परिसह देखल्योरे लाल, निषिधक तिणरो नाम हो मुनीसर, सेवे तेहिज साधजी रे लाल ॥ बेठा रेहेवे निज ठा. मरे मुनीसर, मन जाय लागो मोदमें रे लाल ॥१॥ ए आंकणी ॥ थानक सेती बारणे रे लाल, नहि आवे घारंवार हो मुनीसर ॥ चप लाइ करे नहिं रे लाल, धन तेणे तजियो संसा रहो मुनीसर ॥ म० ॥२॥ गोपे इंद्रिय आ पणी रे लाल, वली करे मनवश हो मुनीसर ॥ काया जाणे कारमी रे लाल, पीवे संजम रस हो मुनीप्तर ॥ म०॥३॥ मगन होइ रह्या ज्ञानमें रे लाल, समतामें नरपूर हो मुनीसर॥ विकथा वाद करे नहि रे लाल, करम करे चक चूर हो मुनीसर ॥म० ॥४॥ कोइक ज्ञान घरचा करे रे लाल, कोइकदेवे उपदेश हो मुनी सर । सजाय ध्यान करता थकारे लाल, वट जावे कर्म कलेश हो मुनीसर ॥म०॥५॥इति , दुहा ॥ सजा परिसह इग्यारमो , रहेवे नि र्दूषण ठाम ॥ उंची नीची सम करे, जठे नहि साधारो काम॥१॥अथ सेजा परिसह ॥११॥ . २४ Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८६ ढाल ११ मी ॥ सेजा परिसह इग्यारमोजी नाखी गया नगवंत ॥ निर्दूपण जायगा देखीने जी, रेहेवे शुद्ध साधु महंत ॥ मुनीसर सहेवे परिसह साधुजी ॥१॥ ए अांकणी ॥ उंची नी ची जायगा होवेरे, शीत ने तावमा तेहगरमी खाडा ने खोचरां जी, उद उद आवे ने खेह॥ मु०॥२॥ ऐसी जायगा मिलियां थकारे, न हि करे विखवाद ॥ समनाव राखे साधुजी, ज्यारे घटमां पूरि समाध ॥ मु० ॥ ३॥ रुंखत लें रेहेवे साधजी, देवल सना मकार ॥ घर हा टरी गणतरी हुवे, थानक सेवे अढार ॥ मु०॥ ॥४॥ अढारे जातरा थानक कह्यारे, भाख्या श्री जगनाथ ॥ बकायांरा जीवरी रे, नहि होवे तिण ठामें घात ॥ मु०॥५॥ प्रारंन करी थानक करे रे, करे उक्काय जीवारो अनांग ॥ तिण थानकमें रेहेवे साधुजी रे, गया परिसहा सुं नांग ॥ मु०॥ स०॥६॥ मोल लेवे साधा कारणें रे, नाडे लेवे जाण ॥ तिण थानकमें रेहवे साधुजी रे, नहि पोहोंचे निरवाण ॥१०॥ ॥७॥ची नीची जागा मध्ये रे, खाडा खोचरां Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ :१८७ विशेष ॥ राग द्वेष करे नहि रे, रेहेवे निर्दूपण देख रे ॥ मु०॥ ८॥शय्या परिसह इग्यारमो रे, नव दुःख देवे टाल॥मोदनगर पोहोचाय दे, जठे सासतां सुख रसाल ॥ मु०॥९॥ इति॥ दुहा ॥ आक्रोश परिसह वारमो, सेवे शुद्ध प्रणगार ॥ मारे कूटे दुःख देवे, नहि धरे द्वेष लिगार ॥ १॥ अथ आक्रोश परिसह ॥१२॥ ढाल १२ मी ॥ आक्रोश परिसह बारमो रे हां, सेवे किसीविध साध ॥ मोहोटा मुनीसरु ॥ जंच नीच वचना करी रे हां, नहिं पावे मनि विखवाद ।। मोहोटा मुनीसरु ॥१॥ गोचरीमें फिरतां थकारे हां, बोले मुखशुं आम॥ मो०॥ आयो ने इहांकिहां रे हां, अठे नहि बे थारो काम ॥ मो० ॥२॥ साहामा भाचे सानज्युं रे हां, मुखशं बोले गाल ॥ मो० ॥ श्राव मति इ • हां सहि रे हां, डरपे महारा वाल ॥ मो०॥३॥ कोइक देवे ग़ालीया रेहां, कोइक देवे मार ॥ मो० ॥ कोइक लोक द्वेषी थकारे हां, कुत्ता देवे लगाय ॥ मो० ॥४॥ केता एक ऐसी केवेरे हां, नहि चाल्यो घररो मम ॥ मो० ॥ अनाज Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूरो मिलियो नहिं रे हां, जब जाल्यो पाखंड ॥ मो० ॥५॥ पूरवें कांइ दीयो नहिरे हां, इ. हां पण न पायो नाम ॥ मो० ॥आगे पण पावे नहिं रे हां, तीन नव दीसे ने श्राम ॥ मो० ॥ ॥६॥ मारगमें मिलियां थकां रे हां, बोले नडी वाय॥ मो०॥ हेला निंदा करे घणी रे हां, कह्यो कठां लगें जाय । मो०॥७॥ साधुजी कोपक रे नहीं रे हां, एवा शबद सुखीया कान ॥ मो०॥ माहारं कांइ न बीगडुयं रे हां, क्षमा करे धरी ज्ञान ॥ मो०॥८॥अरजुण माली मोहो टा मुनिरे हां, सह्या परिसह भरपूर ॥ मो० ॥ महिनामें मुक्तें गया रे हां, कर्म करया चकचूर ॥मो०॥९॥ करकंडुकरम काटियां रे हां, ध्या यो निर्मल ध्यान ॥ मो० ॥ मृगावती मोहोटी सती रे हां, पामी केवलज्ञान ॥ मो० ॥१०॥ चलो चंद्ररौद्र तणोरे हां, जाल्या मारगमाय॥ मो० ॥ केवल पाम्या निर्मला रे हां, गुरा दीयो पण खमाय ॥ मो० ॥११॥बारमा परिसह त णी रेहां, पुरी थइने ढाल । मो० ॥ समता ज लशूलायने रेहां,मेटोमनरी जाल ॥मो० ॥१२॥ Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दुहा ॥ प्रागें अनेक साधानणी, दीधा दुः ख अनेक ॥ अचल रह्या मगीया नहिं, वारू आणि विवेक ॥ १॥ अथ वध परिसह ॥१३॥ ___ ढाल १३ मी ॥ तेरमो परिसह वरण, व. धने तिणरो नाम ॥ सेवे तेहिज साधुजी,आ तम आणे निज ठाम ॥ नवियणसाधु तणा गु ण गाय ॥ १ ॥ ए आंकणी ॥ कोइ मारे चपेटी चाबका, हाथ पग देवरे बांध ॥ ओर मार देवे धणी, रीस नहिं तिलमात ॥ २० ॥२॥ गज सुकुमाल मोहोटा मुनि, सोमल परजाल्यु सीस ।। अंतगड हुवा केवली, नाव हुवा विश वावीस ॥ ज०॥३॥ मेतारज-मोहोठा मुनि, वध परिसह थाय ॥राग द्वेष दोनुं तय करी, मुगति बीराज्या जाय ॥१०॥४॥ पालक पापी पांचशे, साध पील्या रीश प्राण ॥ चोक डी चार खपायने, जाय पोहोता निरवाणाम ॥५॥खाल.उतारी खंधक तणी, सल नहि घाल्योरे नाक ॥ मुगति गया मोहोटा मुनि, रिहंत गया इम नाख ॥ न०॥६॥ सिंहण शरीर वलूरीयो, सुकोसल कीधो काल ॥ शरीर Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९० ज खाधुं शीयालणी, एवंती सुकुमाल ॥०॥ ॥७॥ इम अनेक ते नहरया, केहेता नावे पा र ॥वध परिसह जीतीने, सुख पाम्या श्रीकार॥न०॥८॥ इति वध परिसह ॥१३॥ दहा॥ जाचना परिसह जिन कह्यो, सपनो चतुर सुजाण ॥ हीनदीन वचन केहेबे नही, न ही जाचे वलि जाण ॥१॥अथ जाचना परिसह ॥ ___ढाल १४ मी ॥ जाचना परिसह श्री जिन वर कह्यो, जाचीने लेवे अपगार ॥ नविकजन ॥ उत्तराध्ययन दूजा अध्ययनमें, चतुर लेजो विचार ॥ नविकजन, जाचना परिसह श्री जिनवर कह्यो।। १॥ ए आंकणी ॥ असणादिक आहार चाहीजें, साधाने दूजो पाणी पीगण ।। न० ॥ खादिम जात कहि मेवा तणी, चोथी सादीम जाण ॥ नवि ०॥ जा० ॥ २ ॥ वस्त्र पात्र ने वली कांबलो, पाय पुंजणी ने रजोहरपुं जाणान०॥ पीढ पलंग शय्या ने संथारो, ओषध नेषध पीगण होनाजा॥३॥ दांत री शली श्रादि देइ करी, जाचीने लेवे प्रणगा · रहोः॥०॥ चतुर होवे ते चिंता नहीं करे, Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जाणे जिनधर्म सारहो ॥ न० ॥ जा० ॥४॥ मान मेलि पेलाकने मागणं, खेमु रहेवे मोहो टी शरम हो ॥१०॥ अवसर अटकल वली जुगतिशृं, धन्य तेणे तज्यो संसार हो ॥न०॥ जा०॥५॥ जाचना परिसह जीतीने, गया अ नंता मोद हो ॥ न०॥ हमणां गया ने जाशे खरा, कर करमारो सोख हो ।न०॥जा॥६॥ दुहा॥अलान परिसह पंनरमो, मुंडामिलि यां शोग न थाय ॥ आगे मिलियां हरखे नही, इम नाखे जिनराय॥१॥अथ अलान परिसह ॥ ढाल १५ मी ॥ पन्नरमे परिसहे संत, साध महोटा निग्रंथ ॥ अलान नामें कह्योए, मुनिव र महोटा सह्योए ॥१॥ अशनादिक वोहोरण जाय, गृहस्थीने घरमाय ॥ हरखे नाई ने बाइ ए, नहि मिले जोगवाइए ॥२॥ साध पधारी या धन्न, पम्युं असूजतुं अन्न ॥ श्रावक शोच करेए, पबतावा करेए ॥ ३॥ कोइक तो नट जाय, वसतु नहिं घरमाय ॥ मन नहि देणरोए, कूडो केयरोए ॥४॥ कोइक तो गुण नहि जाण, नहि देवे अन्न ने पाण॥ पिंडने नहि पा Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९२ रखोए, सरब जाणे सारिखोए ॥५॥ प्रथम पन जिणंद, गेम दीयो घरफंद ॥ आइ नहि गोचरीए, वात नहि शोचरीए ॥ ६ ॥ वरस नि सरीयो एक, रह्यो समता नाव विशेक ॥ केव ल पामीयाए, मुक्ति सीधावीयाए ॥७॥ मुनि ढंढपनी वात, नहि मिले सुजतो नात ॥ मास काढीया ए, कर्मदल वाढीयांए ॥८॥ इम सहे परिसह अणगार, पामे नवनोपार ॥ मो होटा महंत जतिए, साधवीया मोहोदी सतीए॥ ९॥ पूरी थइ पन्नरमी ढाल, साध नमुं तिण काल|श्रीजिन नाखीयोए, सूत्र में साखीयोए॥१० दुहा ॥ रोग आपदा आया थकां, शेठो र हेवे मुनिराय॥ सावद्य ओषध वं नहि, इमना ख्यो जिनराय॥१॥अथ रोग परिसह॥१६॥ दाल १६ मी ॥सोलमो परिसह सांनलो रे, व्याप्यो शरीरमें रोगो रे ॥सम नावें रहे साधु जी, नहिंकरे मनमां शोगोरे॥ शोलमो परिसह एहवो ॥१॥ ए आंकणी ॥ आशाता उदय हुइ, नहि करे हेला ने शोरोरे ॥ विण नूगतें बूटे नहिं, किणरो न चाले जोरोरे॥शो० ॥२॥रो Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग शरीरमें उपनो, पमिया चांदा ने अशका रे॥ हाय हाय करे नहिं, नहिं करे मनमां टशका रे॥ शो० ॥३॥ शोल रोग मांहेलो, अथवा अने रो कोइरे ॥ संथारो समनावे करे, हरख मनोर थ होईरे॥शो० ॥४॥ पुंडरिक संजम आद रयो, सोपी नाइने ऋद्धिरे।। पारणे पीडा उपनी, पोहोता सरवारथ सिद्दी रे ॥शो० ॥५॥राय जदाइ मोटको, लीधो संजमनारो रे ॥ रोगपरि सह जीतिने, सुख पाम्या श्रीकारोरे ॥ शो०॥ ॥६॥सनतकमार चोथो चक्री. रोगें पीमित का योरे ॥ देवता पारिखां करी, धरम शुक ल ध्यान ध्यायोरे ॥ शो० ॥७॥शोलमो परि सह एहयो, सेवे मुनीसर शूरारे ॥ कायर नाव श्राणे नहि, करम करे चकचूरा रे ॥शो०॥८॥ दुहा ॥ तृणास परिसह एहवो. सेवे साधु निग्रंथ ॥ उंची नीची जूमि समि करे नही, सा धे मुगतरोपंथ॥१॥अथ तृणफास परिसह १७ ... ढाल १७ मी ॥ सत्तरमो परिसह सांनलो रे, तुएफास ने तिणरो नाम ॥ घरं गेमी सनम लीयो, सारयां मातम काम ॥ १॥परहरीया प Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लंग ढोलीया, गादी गादलातेह ॥ पाथरपुं वा ठे नहिं, साधारो मारग एह ॥ सत्त० ॥२॥डा जादिक तणे करी, पथारी सुवेरे संथार ॥ पाट बाजोठ ने आगणो, धन्य तिणे तज्यो संसार ॥ स०॥३॥ सुकुमार शरीरना धणी, धन्नो ने शा लिनद्र देख ॥ बीजाइ घणा राजवी, राख्यो स मता भाव विशेष ॥ स०॥४॥ सत्तरमी ढाल पूरी थइ, थोडाने घणो समास ॥धन ने साध ने साधवी, कीनो मुगतिमें वास । स० ॥५॥ - दुहा ॥ नहि उतारे रगड मेलने, धोवे नहिंध री प्रेम ॥ देह पराणे मोढवे,जाबजोवळे नेम ॥१॥ - हाल १८ मी । मेल परिसह हिवे जोय, ला ग्या मेल प्रति धोय ॥ साधुजी नहि करे शोना, ज्यारी सहेजें टल जाय रोना ॥ १ ॥ शरीर हुवो ये भैलो, भोतो धोवणरो नहि घेलो॥ कपडा हु वांछे मैला, शोना निमितें धोवे ते घेला ॥२॥ साधुजी नहि धोचे हाथने पग, स्लान नहीं करे अंग ॥ साधवीया धोवे हाथ मुंमो, काम कीयो अति भो ॥३॥ जो कीधी हरकेशीरी सेवा, जारी करमा काढ़े कीवा ॥ उत्तराध्ययन सूत्र में Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विस्तार, मुनि पोहातां मुगत मकार ॥४॥ यां रे उपरलें मिलें कीशो देखो, यारे करणी सा, पेखो।यां सरीखो नहीं कोई दूजो, यांने पारखांक रीने पूजो॥५॥ अढारमी ढाल पूरी कीधी, ज्ञान शीखामण दीधी॥थे तो राखजो निरमल मन्त्र, जिके साध जगतमें धन्न।६॥इति मेल परिसह। दुहा ॥ सकार पुकार उगपीसमो, परिसह कठप पीगण ॥ वले खम्या धर्म जाणिने, मा ह्या चतुर सुजाण ॥अथ सकार परिसह॥१९॥ ... ढाल १९ मी॥ एकण जणुं वीस, सकार पुकार तिणरो नाम ॥ तिा अनुसार हुं कलं, सुगजो चतुर सुजाण ॥ १ कोइक चरचे चं दणां, कोइक दे रे ॥रागडेपन मनमाय, मूल नहिं नेदे रे ॥२॥ कोइ केहेचे पूज्य पधारीया, श्रावक सुपारे । कोइ केहेवे किम बायां घरमां हे, थारो कांइ देणो रे ॥३॥ कोई दरिला दे ख राजी हुवे रे, कोइ केहेवे लागो मीठा रे ॥ को इ केहवे सामा अाया किहां रे, थारा दरिसण अदीठारे ॥४॥कोइक पगमें माथो देवे, हाथ जोडीयां रे॥ कोइक नकरे वंदण ने नाव, न Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लटी काढे खोडीयां रे ॥५॥ कोइक गुणग्राम करे, घणा सारे सेवा रे॥ कोइ बोले अवर्ण वा द, उलटा काढे केवा रे ॥६॥ कोइक केहे वे पुरुष चतुर , पंडीत सुजाण रे॥ कोइ केहेव दीसे ने ठोठडु, मुढ अजाण रे॥७॥ इत्यादि क वचन सुणी, उत्तम साधु रे ॥ राग द्वेष नहि मनमांहि, ज्ञान नलो लागो रे॥ ८॥ एकन पी वीसमी, पूरी थइ ने ढाल रे ॥ दूषण सघ लां टालीने, साधुपणुं शुद्ध पाल रे ॥९॥ दुहा ॥ बुद्धि परिसह वीसमो, नाख गया नगवान ॥ ओबी बुद्धि हुवा भारत आणे नही, वधार नहीं करें अनिमान ॥ १॥ ढाल ॥२० मी॥विनय नगति करे गुरुत पीरे लाल, साखे सूतर शुद्धि हो मुनीसर ॥ ज्ञा न पायो ज्ञानी कने रे लाल, निज थारी बु दि हो मुनीसर ॥ बुद्धि परीसह वीसमोरे लाल ॥१॥ए आंकणी ॥ कोइ वखाण-वाणी देवे दे शनारे लाल, फोडे पराक्रम पूर हो मुनीसर ॥ घांचना देवे नली परें हो लाल, आलस करि देवे दूर हो मुनीसर ॥ बु० ॥२॥ कोइ आवे Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 19 प्रश्न पूवारे लाल, कोइक पूरे बोल हो मुनी सर ॥ बतलावे ज्ञान नली परेरे लाल, पाटो ज्ञानरो खोल हो मुनीसर ॥ बु० ॥३॥ पंमी त जिके जापाजोरे लाल, नहि करे नण्यारो अनिमान हो मुनीसर ॥ लघुताइ करे आप पीरे लाल, माहारं अल्प सो ज्ञान हो मुनीस र ॥ बु० ॥४॥ हात बुद्धा पारसह ॥२०॥ दुहा ॥अन्नाण परिसह एकवीसमो, पालन व अंतराय ॥ मास पद आगे हुवा, मान तणे वश थाय ॥१॥अथ अन्नाण परिसह ॥२१॥ ढाल२१ मी॥ अन्नाण परिसह जाणी, भाख्यो श्रीकेवलनाणी ॥ उद्यम करीने गोखो, तोही च ढे नही अतर चोखो॥१॥सजीया नियठाने निगमोरे, समवसरणमें जेमो ॥नांगा लद्धि र दिने व्रत्ति, देसण वायका कायथति ॥२॥खंडा जोयणने नवतत्व, पूजे कोइ साध महंत ॥ लघु महादंडक ने बासठो, पूरियांशुंकरे खष्टो॥३॥3 त्तराध्ययन अध्ययन न भाव, वखाणवांच्यं नहि जावे ॥ जीवरा नेदने गुणठाणा जोगोरे, लेश्या दिक पूज्यां न करे शोगोरे ॥४॥ इत्यादिक Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बोल नही आवे रे. तोहि भारत ध्यान न ध्या वे॥ कोइ केवे हइयारो ठोठो, माहारे ज्ञान अं तरायठे महोटो॥५॥ सत गुरारो विनय की जे, अवगुण गेडी गुण लीजें ॥ सूत्रनी वात ने साचीरे, संसारनी माया काचीरे॥६॥ इति ॥ दुहा ॥ दरिसण परिसह बावीसमो, रहे पो श्रद्धामें ठीक ॥शंका कंखा करणी नहीं, जि हां लागी मुक्त नजीक ॥१॥ ___ ढाल ॥ २२ ॥ मी ॥ बावीसमो परिसह ए हवो, सेवे को उत्तम साध रे॥ अन्यतीरथीने देखिने, न ाणे विखवाद रे॥१॥ समकित शठा राखना, टालजा मिथ्या फासार॥वातरा गना वचनमें, मति प्राणजो कोइ सांसोरेस ॥ ॥२॥ परदरिसण वंछे नहीं, फल प्रतें सांसो न पाणेरे ॥ दान शीयल तप नावना, यांरो फल निश्थें जाणोरे ॥ स०॥३॥ श्राधामतिने शं का पडी, मारया ने पट वालोरें ॥ चत्तर चेलो तिण गुरा तणो, समजाय लीयो ततकालोरे, ॥स० ॥ तराध्यन सूत्रमध्ये, दूजा अध्ययन महारो रे। बीजाइ ग्रंथामध्ये, तेहतणे. अनुसारें Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९९ चोज लगायो रे ॥ स ० ॥ ५ ॥ बावीसमी दा लपरी थइ, साधा शेंठो करि लीनोरे ॥ बावीस परिसह जीतिने, मुक्तिकिलो कायम करि दीनारे ॥ ॥ ६ ॥ इति दारेसरा परिसह ॥ २२ ॥ ॥ इति साधुका बावीस परिसह समाप्त || ॥ अथ ग्यानरा दुहा सवैया लिख्यते ॥ दुहा ॥ यो जीव एकलो, जासे एकाएक ॥ काचे नरोसे कांई रहो, समजो आणी वीवे क ॥ १ ॥ चोरासी में नटकतां, पाम्यो नर व तार ॥ चेत शकेतो चेतले, नहीतो फेरो चोरा सी तैयार ॥ २ ॥ धर्म धर्म सहुको करे, मर्म न जा ऐ कोय ॥ जात न जाणे जीवनी, तो धर्मक्यां थकी होय ॥ ३ ॥ धर्म वामीये न नीपजे, धर्म हाटे न वेचाय ॥ धर्म शरीरे नीपजे, जे कछु कीनो जाय ॥४॥ धननंतीवार पामियो, धर्मज पायो नाहीं ॥ वेदालीद्री शाश्वता, कीशी गणतरी माही ॥ ५॥ धनवंतनेही दुःखबे, नीरधनियाने दुःख ॥ अं तर ग्यान विचारल्यो, समता पकड्या सुख ॥ ॥ ६ ॥ ग्यान समो को धन नहीं, समता समो न सुख ॥ जीवीत समी प्राशा नहीं, लोन समो Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २.. नहीं दुःख ॥७॥ जे घरे साधु न संचरे, कर सुं न देवे दान ॥ ते घर उकेरडा सारखो, के जा णे समसान ॥ ८ ॥ जे घरे साधु संचरे, करसुं देवे दान ॥ ते घर नंदन वन जिसो, के जाणे देव विमाण ॥९॥ ___ सवैया ॥ तीनसे त्रेसठ पाखंड जगमें, श्री जिनधर्म विना सह अनेरो ॥ द्रव्य लिंगी कही समता कहावत, त्याहां पण पकड्यो त्यांरोकेडो ॥ त्याने दूर तन्यो ते समता, विधसुंउपदेश दे त रुडेरो ॥ श्रीजिन अग्यामे धर्म परुपत, एतो पंथ प्रनु तेरोईज तेरो ॥ १०॥ सूत्र सिद्धांत न्यायसुंवांचतां, राचता माचतां ज्ञानमांते ॥श्रा गन्या असल अरिहंतनी धारतां, गंडतांकर्म ग तेण घाते ॥ श्रागन्या बाहरे धर्म पाखंडी नाख तां, ताकतां चोर जेम बलराते॥पंचमा पारामे साधुजी प्रगट्यां, आगन्यामें धर्म कहे खरे. खांते ॥ ११॥ इति ॥ HIMRAYANHNAANTIPS इति ग्रंथ समाप्त. Page #211 -------------------------------------------------------------------------- _