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चार ज्ञान, त्रणअज्ञान, एक नणवं, एवं पाठबोल पामिये. दर्शनावरणी कर्मरो दयोपशम निष्पन्न हुवेतो, पांच इंद्री, नणदर्शन, एवं आठ. मोहनीयकर्मरो क्षयोपशम निष्पन्न हुवेतो, चारचारीत्र, एकदेशविरती, त्रण दृष्टी, एवं आठ, अंतरायकर्मरो दायोपशम नि प्पन्नहुतो, आठबोल, पांचलब्धि, त्रणवीर्य, एवं बत्तीस. परिणामिकरा दोयनेद, रकतो सादियाप रिणामी, एक अणादियापरिणामि.अणआदि या परिणामिरा दशनेद-बतोद्रव्य, सातमो लोक, आठमो अलोक, नवमोनवि, दशमो अनवि. सादियापरिमामिरा अनेकनेद-गाम, नगर, गडा, पहाम, पर्वत, पाताल, समुद्र, द्वीप नूवन, विमान, इत्यादि अनेकनेद आदिस हितपरिणामिरा जाणा. वलीजीवाश्री जीव परिणामिरादशनेदळे-गातेपरिणामि, इंद्रीयपरि णामि, कषायपरिणामि, लेश्यापरिणामि, योग परिणामि, उपयोगपरिणामि, नाणपरिणामि, द र्शनपरिणामि, चारित्रपरिणामि, वेदपरिणामि. जीवाश्री अजीवपरिणामिरा दशजेद-बंधन