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• ढाल ॥ १० मी ॥ दसमो परिसह देखल्योरे लाल, निषिधक तिणरो नाम हो मुनीसर, सेवे तेहिज साधजी रे लाल ॥ बेठा रेहेवे निज ठा. मरे मुनीसर, मन जाय लागो मोदमें रे लाल ॥१॥ ए आंकणी ॥ थानक सेती बारणे रे लाल, नहि आवे घारंवार हो मुनीसर ॥ चप लाइ करे नहिं रे लाल, धन तेणे तजियो संसा रहो मुनीसर ॥ म० ॥२॥ गोपे इंद्रिय आ पणी रे लाल, वली करे मनवश हो मुनीसर ॥ काया जाणे कारमी रे लाल, पीवे संजम रस हो मुनीप्तर ॥ म०॥३॥ मगन होइ रह्या ज्ञानमें रे लाल, समतामें नरपूर हो मुनीसर॥ विकथा वाद करे नहि रे लाल, करम करे चक चूर हो मुनीसर ॥म० ॥४॥ कोइक ज्ञान घरचा करे रे लाल, कोइकदेवे उपदेश हो मुनी सर । सजाय ध्यान करता थकारे लाल, वट जावे कर्म कलेश हो मुनीसर ॥म०॥५॥इति , दुहा ॥ सजा परिसह इग्यारमो , रहेवे नि र्दूषण ठाम ॥ उंची नीची सम करे, जठे नहि साधारो काम॥१॥अथ सेजा परिसह ॥११॥
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