Book Title: Vicharsar Prakaranam Cha Author(s): Pradyumnasuri, Manikyasagar Publisher: Agamoday SamitiPage 36
________________ २७ तेणं चिय ते पुज्जा नाणाइतियंव मोक्खत्थं ॥ ( ३२७७ ) मुत्तिमओऽविन मुत्ती इज्जर किन्तु जे गुणा तस्स । ते मुत्तिउत्तिश्चिय नणु सिद्धगुणाणं तु सा नत्थि ॥ (३२७९) पूया मुत्ति-गुणाणं संबंधे फलयतीह को हेऊ ? । अनो परिणामाओ तस्स य को केण संबंधो ? ।। ( ३२८० ) निययत्थो परिणामो बज्झत्थालंबण निमित्तमिचागो । देइ फलं सव्वो चिय सिद्धगुणालंबणो चेवं ॥ ( ३२८१ ) जह दूत्येव घिई बंधुम्मि सरीरपुट्ठिबलहेऊ । तणुदोब्बलाइफको कत्थइ सोगाइसकप्पो ॥ ( ३२८२ ) तह परिणामो- सुद्धो धम्मफलो होइ दूरसंयेऽवि । अविसुद्धो पावफलो दूरासन्नं ति को भेओ ? || (४२८३ ) परिणामो बज्झालंबणो सया चैव चितधम्मो ति । “ विष्णाणं पिब तम्हा सुहबज्झालंबणपयत्तो ॥ ( ३२८६ ) सुहपरिणामनिमित्तं होज्ज सुहं जइ तओ सुहो होज्ज । उम्मत्तस्स व न उ सो सुहो विवज्जासभावाओ ॥ ( ३२९० ) पक्खतिहओ दुगुणिया दुरूवरहिया य सुकपक्खम्मि । सतहिए देवसि तं चिय ख्वाहियं रत्तिं " ॥ ( ३३४९ नि. ) " अणुरतो भत्तिगओ अमुई अणुअत्तओ विसेसन्नू । उज्जुतो अपरितंतो इच्छियमत्थं लहइ साहू " ॥ (३४०२) पुव्वाभिमुो उत्तरमुह व दिज्जाsहवा परिच्छेज्जा । जाए जिणादओ वा दिसाइ जिणचेइयाई वा ॥ ( ३४०६ ) चाउछ सिं पण्णरसिं वज्जेज्ज अट्ठमिं च नवमिं च । छट्टैि च चत्थीं च बारसिं च सेसासु देज्जाहि ॥ ( ३४०७ )Page Navigation
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