Book Title: Vicharsar Prakaranam Cha
Author(s): Pradyumnasuri, Manikyasagar
Publisher: Agamoday Samiti

Previous | Next

Page 174
________________ उकोस दवयं ६२५ | उसमस्स उपारमा उग्गहणंतगपट्टो २२२ | उसमस्स निव्वुयस्स उग्गाणं भोगाणं १२७ | उसभस्स पुरिमताले १४७ उग्घाडपोरिसीए ७४८ उसमे सुमित्तविजए ५३८ उच्चारे पासवगे ७९८ | उसभो अरिहनेमी ४४६ उचिए काले विहिणा ७७५ उसभोऽजिओऽभिनंदण० ४४१ उज्झे (आई) भवे दढरहे ७१ उसभी पंच धणुसए० ११४ उत्तरभद्दवरेवइ १०५ उसभो य विणीयाए १३१ उत्तरसाढा रोहिणि १०४ उसहं अजियं संभव (३९) उदएणं जस्स न सुणइ ८२३ उसिणोदगं तिदंडुकलियं २५७ उदयजिणो पेढालो एकारः . उट्ठाणट्टियाओ ४४५ एए खलु पडिसत्त उप्पन्ने कारणमी | एए चेव दुवालस उपवासो आंबिलयं एएण नवमहरिणा उपशमश्रेणियन्त्रकम् एए देवनिकाया १२५ उवगरणवत्थपत्ताइ ५०४ एएमु सबदेवा ६१२ उवगरणाई चउदस एकासी छावत्तरी उवघायकुविहायगई एगअणेगसयंबुद्ध ८५० उवरिं चउरो लक्खा एगपवं पसंसंति उवसग्ग गब्भहरणं एगारसवि वीरस्स ४८३ उवसमसणीचउकं एगासी छावत्तरो ३७९ उपसंपया य काले २५० एगा हिरनकोडी उवहिं पडिलेहिऊणं . ६२ | एगिंदिया यबेइंदिया ८७२ उसमअजियाण काले ५५८ एगूणवीसवासाण उसभजिणाओ वीरो ४५८ एगे तवगारविया उसमस्स उत्तरासाढा (९४) एगो भयवं ! वीसे १७८ ३८४ ४९८ ५०५

Loading...

Page Navigation
1 ... 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190