Book Title: Vicharsar Prakaranam Cha
Author(s): Pradyumnasuri, Manikyasagar
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 178
________________ ८६० ४८८ ढ० १६९ छदुगुणा यथा (१३५ जं जं मणेण बद्धं । छन्नवई कोडोओ ५५५ जं न तयहा कीयं छम्मासिय चिंतणपरत्ति (५८) जंबूसामी य तओ ४८९ छम्मुह पयाल किन्नर ४३१ ज भोयणममणुण्ण ४१७ छत्वाससएहिं न उत्तरेहि ५२० जं सकइ तं कीरइ छवाससएहिं सम्म ४९६ जा जस्स ठिई जा जस्स ८९० छस्संघयणा जाणम् ८४० जायइ सचित्तया से २५८ छंदेणऽणुजाणामि जायं केवलनाणं छासीई वासाई राया ५११ जावज्जीवं गुरुणो २४२ जकारः जिहामूले आसाढ० २७५ जइ इच्छसि चिरसंचिय० ८१६ जिणकप्पिया य साहू -- २२४ 'जइ गुरुणो तत्थलमागया (१३७) जिणनामा नामजिणा ६८२ जइ जिणमयं पवजह ८८४ जिणपढमभिक्खदाया जओ साहू जहन्नेणं (८०) जिणपवयणवुद्धिकरं ६५५ जवखसहस्सा सोलस ५५४ जिणपवयणवुड्रिकरं जक्खा गोमुहमहजक्ख ४३० जिणपवयणवुड्किर ६५७ जक्खा य जक्खदिन्ना ५२१ जिणभवणं जिणबिंबं ६२३ जमणुग्गए रविमि ___२५२ | जिणमुद्दा जोगमुद्दा ६९८ जम्मविणीय अउज्झा ५३७ जिणसमयकाणणाओ जम्हा छउमत्थाणं ८८२ जिणा बारसरुवाई १९६ जलाइयं सवं परिठविय (८३) जीवाइ नव पयत्थे जह जह सज्झायझुणी २७२ जीवाजीवा पुण्णं जह बालो जपतो ८६४ | जीहाएवि लिहंतो २३६ जं अन्नाणी कम्म ८७७ जुगंतकरभृमिय जं किंचि अणुढाणं ६१६ जुगंतकरभूमिय जं केसवस्स य बलं ५८४ | जे ते देवेहिं कया ६५६ ७७९

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