Book Title: Vasudevhindi Part 1
Author(s): Sanghdas Gani, Chaturvijay, Punyavijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha
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कुबेरदत्ताचरियं]
कहुप्पत्ती। एवमुवलद्धत्थाय जणणीए भणिया-पुत्ति ! पसवणकालसमए मा णे सरीरपीडा भवेजा, गालणोवार्य गवसामि, तओ निरामया भविस्ससि, परिभोगवाघाओ य न होहिति, गणियाण य किं पुत्तभंडेहिं ? । तीए न इच्छियं, भणइ-जायपरिचायं करिस्सं । तहाणुमए ये समए पसूया दारगं दारिगं च । जणणीए भणिया-उज्झिज्जंतु । तीए भणियंदसरायं ताव पूरिजउ । तओ अ णाए दुवे मुद्दाओ कारियाओ नामंकियाओ- 'कुबेर-5 दत्तो' 'कुवेरदत्ता' य । __ अतीते दसराइए डहरिकासु नावासु सुवण्णरयणपूरिआसु छोढूण जउणार्नेई पवाहियाणि । वुभंताणि य भवियवयाए सोरियनयरे पञ्चूसे दोहिं इन्भदारएहिं दिट्ठाणि । धरियाउ नावाउ । गहिओ एगेण दारगो, इक्केण दारिया । 'सधणाई' ति तुढेहिं सयाणि गिहाणि नीयाणि त्ति । कमेण परिवड्डियाणि पत्तजोबणाणि । 'जुत्त संबंधों' त्ति कुबेरदत्ता 10 कुबेरदत्तस्स दिन्ना । कल्लाणदिवसेसु य वट्टमाणेसु वहुसहीहिं वरेण सह जूयं पयोजितं । नाममुद्दा य कुबेरदत्तहत्थाओ गहेऊण कुबेरदत्ताए हत्थे दिन्ना । तीसे पेच्छमाणीए सरिसघडणनामतो चिंता जाया-'केण कारणेण मन्ने नाम-मुद्दाकारसमया इमासिं मुद्दाणं ?, ण य मे कुबेरदत्ते भत्तारचित्तं, न य अम्हं कोइ पुवजो एयनामो सुणिजइ, तं भवियवं एत्थ रहस्सेणं' ति चिंतेऊण वरस्स हत्थे दो वि मुद्दाँउ ठावियाओ । तस्स 15 वि पस्समाणस तहेव चिंता समुप्पन्ना । सो वहूए मुदं अप्पेऊण माउसमीवं गतो । सा य णेण संवहसाविया पुच्छिया । तीए जहासुतं कहियं । तेण भणिया-अम्मो! अजुत्तं ते (भे) जाणमाणेहिं कयं ति । सा भणइ–'मोहिया मो, तं होउ पुत्त! वधूहत्थग्गहणमेत्तदूसिआ, न एत्थ पावगं । अहं विसजेहामि दारिगं सगिहं । तव पुण दिसाजत्तातो पडिनियत्तस्स विसिढे संबंधं करिस्सं ।' एवं वोत्तूण कुबेरदत्ता सगिहं पेसिया । तीई 20 वि जणणी तहेव पुच्छिया । तीए जहावत्तं कहियं । __सा तेण निवेएण समाणी पवइया, पवत्तिणीए सह विहरइ । मुद्दा य णाए सारक्खिया पवत्तिणिवयणेण । विसुज्झमाणचरित्ताए ओहिनाणं समुप्पन्नं । आभोइओ अ णाए कुबेरदत्तो कुबेरसेणाए गिहे वत्तमाणो । 'अहो! अन्नाणदोसु' त्ति चिंतेऊण तेसिं संबोहणनिमित्तं अजाहिं समं विहरमाणी महुरं गया, कुबेरसेणाए गिहे सहिं मग्गिऊण ठिया। 25 तीए वंदिऊण भणिया-अजाओ! अहं नाम गणिया कुलवहूचिट्ठिया, असंकियाउ वसहिति । तीसे य दारगो बालो, सा तं अभिक्खं साहुणीसमीवे निक्खिवइ । तओ तेसिं खणं जाणिऊण अज्जा पडिबोहनिमित्तं दारगं परियंदेइ
१ °स्सामि ली ३ ॥ २ य पसवसमए क. मो० उ० ॥ ३ दत्ते गो ३ उ०॥ ४ नईए प० उ० ॥ ५ हाओ दावि डे० क. मो० । दा व(द)वावि गो ३ ॥ ६ ससवहं साहिया। तीए ली ३ ॥ ७ °सुहं क° गो ३ सं० । सुयं तहा क° उ० ॥ ८ तीए क ३। तीय गो ३ ॥ ९ वसहियं म° ली ३ ॥ १० °ह त्ति उ० ॥
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