Book Title: Vasudevhindi Part 1
Author(s): Sanghdas Gani, Chaturvijay, Punyavijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha
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________________ जम्मूसवो वंसट्ठवणा य] चउत्थो नीलजसालंभो। 161 णदेसं कुणमाणो, सपरिवारो जिणजम्मभूमिमुवगतो; तित्थयरजणणिं सुइमणहराए भारहीए संथुणित्ता, 'दिण्णावसोवणीऐ मरुदेवीए कुमारपडिरूवए विउव्वियपासथिए वीसत्थाए परमादरविहियपंचरूवी भयवंतं करकमलपुडसुपरिग्गहियं काऊण, मंदरगिरिवरचूलामणिभूयाए चूलिगाए दाहिणदिसाभायपइट्ठियाए अइपंडुकंबलसिलाए खणमेत्तसाहरियं, चउविहदेववंदकयसण्णेझं भयवंतं सासयसीहासणसुहासीणो सहस्सनयणो ठितो / ततो। अच्चुइंदो परितोसवियसियमुहारविंदो विहीए खीरोयसायरसलिलभरिऍण कणयकलसट्ठसहस्सेण अहिसिंचए, कमेण सव्वोसहि-तित्थोदएहि य अहिसिंचइ / अहिसिंचेंते य लोगणाहे देवा पसण्णहियया रयण-मणि-कुसुमाणि वरिसंति / अच्चुइंदो भयवंतं विहीय अहिसिंचिऊण, पयओ अलंकिय-विहूसियं काऊण, ततो मंगलाणि आलिहइ सोत्थियादीणि; धूवं घाण-मणदइयं संचारेऊण, सुइमहुरं थोऊण भयवंतं पजुवासति / एवं पाण-10 यांदिया वि सुरपइओ भत्तिवसचोइया धुयभयं भवियकुमुदचंदं सबायरेण पूएऊण परमसुमणसा थुइपरायणा ठिया / ततो सक्केण तेणेव विहिणा खणेण भयवं जम्मणभवणे माउसमीवे साहरिओ / अवणीयसुयपडिरूवगा य पडिबुद्धा देवीहिं कयजयसदा मरुदेवी / खोमजुयलं कुंडलजुयलं च ऊसीसगमूले निक्खिवइ सुरवती, सबविग्घसमणं सिरिभायणमिव सिरिदामगंडं दिद्विसमासासणकरं उल्लोयंसि निक्खिवइ, विउलं रयणरासिं 15 दाऊण रक्खानिमित्तं घोसेऊण मघवं गतो सणिलयं / देवा सेसा य जिणप्पणामसमन्जियपुण्णसंचयाँ गया णियहाणाणि / ततो भयवओ(व) पलिओवमट्ठितियाए देवयाए सुरवतिसंदिट्ठाए परिग्गहिओ कुरुसंभवफल-रससुरवइविदिण्णकयाहारो वड्डइ सुहेण मिहुर्णंगणकुमुबालचंदो / सुमिणदंसणनिमित्तं अम्मा-पिऊहिं कयं नाम 'उसभो' त्ति / भयवओ संवच्छरजायगस्स य सहस्सन-20 यणो वामणरूवी उच्छुकलावं गहेऊण उवढिओ नाभिसमीवं / भयवया य तिविहणाणप्पहावेण विण्णाओ देविंदाहिप्पाओ / ततो गेण लक्खणपसत्थो हत्थो दाहिणो पसारिओ। सतो मघवया परितुद्वेण भणिओ-किं उच्छु अगु? त्ति / अंगु भक्खणे य धाऊ / जम्हा य इक्खू अभिलसिओ तम्हा 'इक्खागुवंसो' त्ति ठाविओ / ततो भयवं सुमंगलाए समं वडइ / तम्मि समए मिहुणं जायमेत्तयं तालरुक्खस्स हेट्ठा ठवियं, तत्थ दारगो ताल-25 फलेण विहाडिओ, सा दारिया विवड्डिया णाभिस्स निवेइया य / सा ये उक्किट्ठसरीरा देवकण्णगा विव णाभिणा सारक्खिया / तप्पभिई च अकालमनू पवत्तो। जंभगेहिं लोगतिएहि य समाणरूवेहिं सेविजमाणो परिवहति / कुलगरा य चक्खुमं जसमं पसेणई य पियंगुसामा कुलगरभारियाओ य; सेसा सुधंतकणगप्पहा / उसभसामी पत्तजोबणो १०दीए क 3 गो 3 // 2 दिण्णोव शां०॥३°णीते ली 3 // 4 °ए कण° ली 3 विना ।।५°मयाणि कु. उ 2 संसं० विना॥६°यादी वि शां. विना // ७°या सयाणि ठाणाणि शां० विना // ८°णमण ली. य.क 3 गो 3 / णजण डे० ॥९°णो बंभणरू° ली 3 // 10 त्ति पगासिओ शां०॥ 11 °य अइउकिली 3 // * "अगु भक्खणे य धाऊ" इत्येतत् टिप्पनकमन्तः प्रविष्टमाभाति // ब० हिं० 21 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
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