Book Title: Vasudevhindi Part 1
Author(s): Sanghdas Gani, Chaturvijay, Punyavijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha
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________________ वसुदेवहिंडीए [उसभसामिचरिए देवविहिओ नंदुत्तरा य नंदा य, आणंदा गंदिवद्धणा। विजया य वेजयंती, जयंती अपराजिया // ताओ वि तहेव पणमिऊण आयंसहत्थाओ गायमाणीओ चिट्ठति / तओ दाहिणरुयगवत्थवाओ समाहारा सुप्पतिण्णा, सुप्पसिद्धा जसोहरा / लच्छिवती सेसवती, चित्तगुत्ता वसुंधरा // एयाओ विणयपणयाओ भिंगारहत्थाओ चिट्ठति / ततो पच्छिमरुयगवत्थवाओ इलादेवी सुरादेवी, पुहवी पउमावती। एगणासा णवमिगा, भद्दा सीया य अहमी // 10 एयाओ वि तहेव उवागयाओ तालियंटगहत्थाओ विणएण संठियाओ। ततो उत्तररुयगवत्थवाओ अलंबुसा मीसकेसी य, पुंडरिगिणी य वारुणी / हासा सबप्पभा चेव, सिरी हिरी चेव उत्तरओ // ताओ वि य चामरहत्थगयाओ चिट्ठति / ततो रुचगविदिसिवत्थवाओ चत्तारि विज्जु15 कुमारिमहत्तरियाओ चित्ता चित्तकणगा सतेरा सोतामणी। ताओ य तेणेव विहिणा चउसु विदिसासु दीवियाहत्थगयाओ परिगायमाणीओ ठियाओ। तओ य रुयगमज्झवत्थवाओ दिसाकुमारीओ चत्तारि येगारु रुयगसहा सुरूवा रूयगावती। 20 ताओ वि भवपञ्चइओहिनाणोवयोगविदियतित्थयरजम्मणाओ जाण-विमाणरयणारूढा__ ओ, सपरिवाराओ दुतमागंतूण कयवंदणाओ जिणजणणीए निवेइयागमणकारणाओ तित्थ यरस्स चउरंगुलवजं णाहिं कप्पेंति, कप्पेत्ता निहणंति, रयणपरिपूरियं ततो दुव्वावेढं बंधंति / ततो य मरगयमणिसामले कयलिघरे तिदिासं विउध्विति दाहिण-पुरस्थिमुत्तरथाणे भूसणभूसिए गेहागारदुमस्स कयलीघरमझदेसेसु य हेमजालालंकियाणि चाउसालाणि विउव्वंति / ततो एताओ तित्थयरमायरं ससुयं मणिकिरणकरंबियसीहासणसुट्ठियं कमेण सिणेहऽभं(भं)गुव्वट्टियं काऊण, दाहिण-पुरत्थिमे तिविहसलिलण्हायं सुमणसं काऊण, उत्तरचाउस्साले गोसीसचंदणारणिसंभवं अग्गि हुणंति, कयरक्खाकम्माओ जम्मणभवणे साहरंति / ततो मंगलौणि गीयाणि उदीरेमाणीओ ठियाओ। देवविणिम्मिओ उसभजम्मूसवो 80 तम्मि य समए सक्को देवराया, बालरविमंडलजुइणा पालएण विमाणेण वितिमिरं गग 1 सुणंदा शां०॥ 2 मितके ली 3 / सेसके क 3 गो 3 // ३°डरिगी य शां० विना // ४°णीओ शां० विना // 5 रुयंगा रुयंसा य सुरू° शां० विना // 6 °णिकरकरं शां०॥ ७°ल्लाणि ली 3 // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
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