Book Title: Vasudevhindi Part 1
Author(s): Sanghdas Gani, Chaturvijay, Punyavijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha
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________________ वसंतजत्ता] __ तइओ गंधवदत्तालंभो। 155 उवत्थिओ य पहाणो रिऊ वसंतो, संसाहिओ सिसिरो, भमइ कुसुमसुरभिरओ, सुबए सवणसुहयं परहुयारुयं, सुहोपभोगाई सललियाई मयणवसमुवेइ तरुणसत्थो, घुट्ठा य सुरवणे जत्ता / चंपाहिवस्स पुवकराइणो देवीए समुद्दमजणदोहलविणोयणत्थं सरो संचारिमसलिलवित्थरिओ 'समुद्दो' त्ति दंसिओ उवायपुवं / तीए संपुण्णदोहलाए पुत्तलभपरितोसपुण्णमुहीय विणोयत्थाय संवच्छरजायं (ग्रंथाप्रम्-४३००) पुत्तं गहाय 5 पउरसहियाए किर पवत्तियाय अणुवत्तए बहुं कालं / ततो सिट्ठिणो अणुमए कयं मे उउगुणसाहारणं परिकम्मं / आगया गंधवदत्ता महरिहाऽऽभरण-वसणा परियणाणुबद्धा, वंदिऊण पासे मे निसण्णा। सेट्ठिसंदिहं च मे पवहणं उवट्ठियं, उवगतो मि बाहिं भवणस्स, आरूढो य समं गंधवदत्ताए, गहिया वुड्डण से रस्सीओ, पत्थिओ मि रायमग्गेण, वाहण-पुरिससंबाहेण किच्छेण निग्गओ नयरीओ / 10 अणुबद्धं मे पवहणं परियणेण, थिमियं गम्मए पस्समाणेहिं कित्तणाणि / वच्चंति णागरया विभवे दंसेंता / कमेण उववणपरंपरदसणमणो पत्तो जणो महासरं / तत्थ वासुपुजस्स अरहओ आयतणं, तत्थ पहाणो जणो कयपणिवाओ संठिओ तेसु तेसु पदेसेसु सँरासण्णकुसुमियपायवगणेसु / अहमवि सेहिस्स पाइदूरे अवइण्णो पवहणाओ सह गंधव्वदत्ताए, पुवसज्जिए आसणे ठितो, वीसंताण य दिजए अण्ण-पाणं, विहिए उवभुंजामहे सह 15 परिजणेण / भुत्तभोयणो य सह पियाए पस्सामि वसंतकालजणियसोभे सहयार-तिलयकुरुबय-चंपगपायवे, ते य दंसेमि गंधवदत्ताए / दिडं च मे असोगपायवस्स अहे सण्णिसण्णं नागकुलमिव चण्डालकुलं / मायंगे तत्थ मल्लदामालंकिए, चंदणाणुलित्ते, चुण्णभुक्खंडियबाहु-सीसे, कुवलयकिसलयतणसोल्लियकयकण्णपूरे मत्ते विय मायंगे पासामि / तेसिं च मझे कालिया सिणिद्धछविया सुहभा-20 विया वुद्धा य पसत्थगंभीरा दसिणासंघायसुकुमालाणि वत्थाणि परिहिया दिट्ठा य मया पीढिकासण्णिसण्णा रायलच्छीविहूसिया / अण्णम्मि य अवगांसे सममऽसमीवे दिहा य मया कण्णा कालिगा मायंगी जलदागमसम्मुच्छिया विव मेघरासी, भूसणपहाणुरंजियसरीरा सणक्खत्ता विय सबरी, मायंगदारियाहिं सोमरूवाहिं परिविया कण्णा / ततो मम पस्समाणी संठिया, भणिया य सहीहिं-सामिणि ! नट्टोपहारेण कीरउ महासरसेवा / 25 ततो धवलदसणप्पहाए जोण्हामिव करेंतीएं ताए भणियं-एवं कीरउ, जइ तुम्हें रोयइ त्ति / कुसुमियअसोगपायवसंसिया मंदमारुयपकंपिया इव लया पणच्चिया / ताओ वि गं निसण्णाओ महुयरीओ विव उवगाइउं पवत्ताओ सुइमधुरं / ततो सा धवलेण लोयणजुयलसंचारेण कुमुयदलमयं दिसावलिमिव कुणमाणी, पाणिकमलविच्छोभेण कमलकिसलयसिरिमावहती, कमागयपाउद्धारेण सारसारससोभमुबहती नच्चइ / 1 सवरणे (सरवणे) शां० विना // 2 °मुप्पण्णदो ली 3 // 3 सागरास शां०॥ 4 °सुमिएसुपदेसेसु सनयरासण्णकुसुमियपाय शां० विना // 5 °से मम ली 3 शां० मे // 6 °ए णाए शां०॥७°णं कोम शां० विना // 8 रिमोहावंती शां०॥९ण सरससोभक 3 गो 3 / ण सरसरससोभ° ली 3 मे०॥ 30 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
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