Book Title: Uvvatbhashya
Author(s):
Publisher:
View full book text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsun Gyanmandir साशिरः राध्यासम अग्रवः ताःयुष्मान् उपादायेतिशेषः / देवयजन इत्यादिव्याख्यातम् // 4 // बराहविहतमादत्ते। इयत्यग्रे युष्मदःसंवन्धान्मधामोत्रपुरुषः / यात्त्वम् इयतीप्रादेशमात्रा अभिनयेननिर्दिश्यते / अगवराहसमोडरत: आसीत् श्रासोःअभूः / इयतोहवा इयमगे टथिवत्रास / प्रादेशमात्रौत्युपक्रम्य वराहउज्जघानेत्याह / तांत्वांबवीमि मखसाते त्वामुपादाय प्रदाशिर: स्य॑त्त्वाशीगणे // 4 // शतम् // 1600 // इयत्त्यग्ग्रे॥ इयत्त्यग्ग्रा सोन्मुखस्यतयशिरोराड्यासन्देवयजनेपृथिव्याः // मुखाय॑त्त्वामुख स्वत्त्वाशीगणे // 5 // इन्द्रस्यौजः // इन्दुस्यौस्त्यमुखस्यबोद्यशिरों राड्यासन्टेबुबजनेथियार // मुखायलामुखस्यत्वाशीगणे // मुखा यत्वामुखस्यत्त्वाशीष्र्णे // मुखायत्त्वामुखस्यत्वाशीगणे // 6 // मैतु॥ के राधासम्देवयजनेप्टथिवाः मखायत्वेतिव्याख्यातम् // 5 // श्रादारानादते / इन्द्रसौजस्थ येयूयम् इन्द्रसाअोजोभवथ तान्युष्मान अदाउपादायशिरः राधासमित्यादिव्याख्यातम् / अजाक्षौरमाव दत्त मखायत्वेत्युक्तम / सम्मतानभिसशतिमखायत्वेत्युक्तम // 6 // परिथितमभिगच्छन्तोजपन्ति / For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454