Book Title: Uvvatbhashya
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsun Gyanmandir ___इति उबटकृतीमंत्रभाष्ये एकोनचत्वारिंशत्तमोध्यायः // 36 // समाप्तं कर्मकाण्डमिदानीजानकाण्डं प्रस्तूयते / ईशावासम् / तिस्रोनुष्ट भ: / दध्यङ्ङाथणऋषिः स्वशिष्यपुत्रंबा गर्भाधानादिभिः मस्कारैः संस्कतशरीरमधीत वेदमुत्पादितघुत्रं यथाशक्तिकई अनुष्ठितयज्ञमपापं निस्पहं यमनियमवन्तम तिथिपूजापनीत किलिकषं मुमुक्षुमुपसन्नं शिक्षयन्नाह। स्वाहामृत्त्यव्स्वाहा // ब्रहम्म॑णुस्वाहाब्रह्महत्त्यायैस्वाहाविपर्व भ्योदेवेभ्यः स्वाहाद्यावापृथिवीभ्यास्वाहा // 13 // __ इतिश्रीसंहितायान्दोग्र्घपाठेएकोनचत्वारिंशोध्यायः // 36 // ___ * ॐईशावास्यम् // ईशावास्यमिद सय्यत्किञ्चुजर्गत्याज ईशावास्यम / इदंसर्वन ईशा / ईशऐश्वये तृतीयान्तसातट्र पम्। यदीशनेन / वासंग्रवसनीयम ममेदभित्यनया भावना आच्छादनौर म् / इदंसर्वमितिपत्ताक्षतो निर्दिश्यत इति यत्किञ्च यत्किञ्चशब्दोभगो देवेभाः सुहुतमस्त / एताहुतोहु त्वा द्यावापृथिवीभाां स्वाहेतान्यामाइति जुहुयात् एतावता कर्मकाण्डं समाप्तम् // 13 // * ईशावासामष्टावंधतमोनवहौसप्तदश // शिवम् For Private And Personal

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