Book Title: Uvvatbhashya
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Page 409
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallashsagarsun Gyanmandir मशरदःशतम भूषश्चवतरंकालञ्च शरदःशतात् // 24 // तागिन्द्रियाभवाम ___ इति उचटकृतौ मन्त्रभाष्ये षट्त्रिंशोधयायः / / 36 / / स्वामशरदःशुतम्भूयंपच्चशुरदं शतात् // 24 // [8] इतिसंहितायांदोग्र्घपाठेषरिशोऽध्यायः // 36 // ___* दे॒वस्य॑त्त्वा // सवितुप्पसर्व प्रिश्वनो हुभ्याम्पूष्ण्णोहस्ता ब्भ्याम् // आदेनारिरसि // 1 // युञ्जतुमनः॥बुञ्जतमनऽउतर्वाच (1) महावीरसंभरणाम अभादानम् / देवस्यत्वेतिव्याख्यातम् नारिरसौतिविशेषः // 1 // बाल (1 का देवसा त्वेत्यभिमादायौदुम्बरी वैकङ्कती वारनिमावीएसव्ये कृत्वा दक्षिण नालभ्य जपति युञ्जत इति / उदुम्बरतरूत्वां विकततरूत्यां वा हस्तप्रमाणाधिं देवस्यत्वा नारिरसीति मन्त्रणादाय वामहस्ते तां कृत्वा दक्षिणहस्तेन सष्टायुअतेमन इति मंत्र जपतीति सूत्रार्थः / * देवसात्वादशयमायत्वैकादशहावेकविठ० शतिः // For Private And Personal

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