Book Title: Uttaradhyayansutram Part 03
Author(s): Vadivetal, Shantisuri,
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text
________________
है दुविहावि ते भवे तिविहा, जलयरा थलयरा तहा। खहयरा य बोद्धव्वा, तेसिं भेए सुणेह मे ॥१७०॥ मच्छा जय कच्छभा य, गाहा य मगरा तहा। सुंसमारा य बोद्धव्वा, पंचहा जलयराहिया ॥ १७१॥ लोएगदेसे ते ६ सव्वे, न सव्वत्थ वियाहिया। इत्तो कालविभागं तु, तेसिं वुच्छं चउब्विहं ॥१७२ ॥ संतई पप्पऽणाईया,
अपज्जवसियावि य । ठिई पडुच्च साईया, सपज्जवसियावि य ॥ १७३ ॥ इका य पुव्वकोडीओ, उक्कोसेण है। वियाहिया । आउठिई जलयराणं, अंतोमुहत्तं जहन्नयं ॥ १७४॥ पुवकोडीपुरतं तु, उक्कोसेण वियाहिया। कायठिई जलयराणं, अंतोमुहुत्तं जहन्नयं ॥ १७५ ॥ अणंतकालमुक्कोसं, अंतोमुहुत्तं जहन्नयं । विजदंमि सए काए, जलयराणं तु अंतरं ॥ १७६ ॥ एएसिं वन्नओ चेव, गंधओ रसफासओ । संठाणादेसओ वावि, वि. हाणाई सहस्ससो॥ १७७॥ चउप्पया य परिसप्पा, दुविहा थलयरा भवे । चउप्पया चरविहा उ, ते मे | कित्तयओ सुण ॥ १७८ ॥ एगखुरा दुखुरा चेव, गंडीपयसनप्फया। हयमाइ गोणमाई, गयमाई सीहमा। इणो ॥ १७९ ॥ भुओरगपरिसप्पा, परिसप्पा दुविहा भवे । गोहाई अहिमाईया, इक्किक्का णेगहा भवे M॥१८०॥ लोएगदेसे ते सव्वे, न सव्वत्थ वियाहिया । इत्तो कालविभागं तु, तेसिं वुच्छं चउब्विहं ॥ १८१॥
संतई पप्पऽणाईया, अपजवसियावि य । ठिई पडुच्च साईया, सपजवसियावि य ॥ १८२॥ पलिओवमा उ * तिन्नि उ, उक्कोसण वियाहिया । आउठिई थलयराणं, अंतोमुत्तं जहन्नयं ॥१८३ ॥ पलिओवमा उ तिन्नि
उ, उक्कोसेणं वियाहिया। पुव्वकोडीपुहुत्तं तु, अंतोमुहत्तं जहन्नयं ॥१८४॥ कायठिई थलयराणं, अंतरं
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jalnelibrary.org

Page Navigation
1 ... 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408