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उत्तराध्यपन सूत्रम्
॥५०४||
अर्थ-तदनंतर इंद्रे प्रश्न पूछया पछी नमिराजर्षि देवेंद्रने आ वचन बोल्या-केम करीने? ते कहे छे-आ अर्थने-एटले ३६ अर्थ बोधक शब्दने सांभळीने हेतु तथा कारण वडे प्रेरित थयेला अत्रे 'हेतु' पद पंचावयव वाक्य रूप अनुमिति मुचक छे. पांच
भाषांतर
अध्ययन अवयवोमां प्रतिज्ञा पक्ष वचन, १ हेतु साध्य साधक, २ उदाहरण सादृश्य दर्शन ३ उपनय-उदाहरण साथे साध्यनु संयोजन ४ | निगमन=साध्यनु निश्चयापादन ५ जेमके-'तमे धर्मार्थी होइ आ नगरमाथी घरमाथी के कुटुंबमाथी नीकळी जइ दीक्षा ग्रहण करवी ॥२०४॥ अयुक्त छे,' आ प्रतिज्ञा वाक्य; १ 'शा माटे?' 'लोकमां कोळाहळ तथा कुटुंबमां विलाप आदिक दारुण भयंकर शब्दोन हेतुभूत होवाथी,' आ हेतु वाक्य; २ जे कइ विलापादि दारुण शब्दन हेतु होय ते धर्माथिपुरुषने अयुक्त कहेवाय. जेवू के-हिंसादि कर्म जे हिंसादि कर्म घूमराण जेवा दारुण शब्द हेतु होय ते हिंसादि कर्म धमोर्थीने अयुक्त मनाय.' आ उदाहण वाक्य छे. ३ एज प्रमाणे आ तमारु घर छोडी चाली नीकळवार्नु कर्म आक्रंदादि दारुण शब्दनुं हेतु छे तेथी तमने धर्मार्थीने अयुक्त गणाय तेवु छे. आ उपनय वाक्य छे. ४ तेथी तेमज छे-एटले लोकोमा कोळाहळ तथा आकंद आदिक दारुण शब्दनु हेतु होइ हिंसादि कर्मनी पेठे आ तमारं गृह कुटुंब तथा नगरमाथी नीकली चाल्या जq ए सर्वथा अयुक्त छ,' आ निगमन वाक्य छे. ५ आ पंचावयवात्मक हेतु कहेवाय छे. हवे कारण दर्शावे छे. जे कइ प्रथम न होय तेवी वस्तुनु उत्पादक थाय ते तेनुं कारण कहेवाय. जेमके-तमारु घरमांथी नीकळी जळु दारुण शब्दरूप कार्यर्नु उत्पादक होवाथी ते कारण मनाय. ज्यारे तमारुं घरमांथी नीकळी जq प्रथम थयु ते पछी आक्रंद वगेरे शब्दात्मक कार्य उत्पन्न थयु. जो तमाएं दीक्षाग्रहण नथात तो आ आक्रंदादि शब्दो क्याथी थात? ८. आवी रीते | हेतु तथा कारण वडे इन्द्रे ज्यारे प्रेरणा करी त्यारे ते नमिराजर्षि तदनंतर जे बोल्पा ते आगळनी गाथाभोथी निरुपण करे छे.
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