Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Sudharmaswami, Lakshmivallabh Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 234
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भाषांतर अध्ययन ॥५१॥ उत्तराध्य एयमढ़ निसामित्ता। हेऊकारणचोइओ ॥ तओ नमि रायरिसि । देविदो इणमब्बवी ॥ यन सूत्रम् २७मी गाथानो अर्थ १७मी गाथा प्रमाणे ॥५१९॥ व्या--ततः पुनर्देवेन्द्रो नमिराजर्वचनं श्रुत्वा नमिराजाप्रतीदं वचनमब्रवीत्.॥२७॥ (भा टीकानो अर्थ अगाउ मुजत्र) आमोसे लोमहारे य । गंठि भये य तकरे ॥ नगरस्स खेम काऊणं । तओ गच्छसि खत्तिया ॥२८॥ all मूल-(आमासे) लुटाराओने (लोमहारे) सर्वस्व खुचवी लेनाराोने [अ] तथा (गठिमेए) गांठ कापुओने (अ) तथा [तकरे] तस्कJt रना विनाशवडे (नगरस्स) नगरनु [खेम] क्षेम (काऊण) करीने [तओ] पछी (खत्तिा ) हे क्षत्रिय! (गच्छसि) तमे जाओ. २८ ... व्या०--हे क्षत्रिय! त्वं ततस्तदनंतरं गच्छेः, कि कृत्वा? नगरस्य क्षेमं कृत्वा, तन नगरे आमोषा लोमहाराः, च All पुनथिभेदास्तस्कराः खात्रपातका लुटाका विद्यते, तान् नगरान्निष्कास्य सुखं कृत्वा पश्चात्वया दीक्षा गृहीतव्या. | आमोषादयो धेते तस्कराणां भेदाः संति, आसमंतान्मुष्णति चोरयंतीत्यामोषाम्तानिवार्य, लोमहारास्ते उच्यते येडतिनिर्दयत्वेन परस्य पूर्व प्राणान् हत्वा पश्चाद् द्रव्यं गृह्णन्ति, ते लोमहाराः, लोना तंतुना पत्रमयपाशेन प्राणान् हरंतीति लोमहाराः पाशवाहकास्तानिवार्य, पुनर्गथिं द्रव्यग्रंथि घुघुरकत्रिकाक्षुरकादिप्रयोगेण भिदंति विदारयंतीति | प्रथिभेदास्तान सर्वान् तस्करान्निराकार्य नगरं तस्कररहितं कृत्वा पश्चात्परिव्रजेरित्यर्थः ॥२८॥ अर्य-तमें प्रथम आमोष लुटारा खातरपाडनारा, लोमहार-बाळनो बनावेलां दोरडांवती बीजाना प्राणने हरनारा अर्थात् पहेलां | Wwwwwws For Private and Personal Use Only

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