Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Sudharmaswami, Lakshmivallabh Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 288
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir IAL भाषांतर अध्ययन९ ॥५७३॥ पण साधुने अयुक्तज छे; पण ए चळनी पीडा सहन न करी में शळाका धारण करी छे. आम चारे मुनिओ परस्पर संबुद्ध थइ सत्य- उत्तराध्य-HE यन सूत्रम् वादी तथा संयमाराधक रही केवळज्ञान संपन्न बनी शिव-परम कल्याण मोक्ष प्राप्त थया. नमिराजर्पिना प्रसंगथी नमिराजर्षिना जेवा चारे प्रत्येकबुद्धना चरित्रनी कथानुं निरुपण कयु. ॥५७३॥ ॥ इति नमिप्रव्रज्याख्यं नवममध्ययनं संपूर्णम्. ।। - -- ॥नमिप्रव्रज्याख्य नवम अध्ययन संपूर्ण थयुं ॥ . इति श्रीमदुत्तराध्ययनसूत्रार्थदीपिकायामुपाध्यायश्रीलक्ष्मीकीर्तिगणिशिष्यश्रीलक्ष्मीवल्लभगणिविरचितायां नमिप्रव्रज्याख्यनवमाध्ययनस्यार्थः संपूर्णः ॥ श्रीरस्तु ॥ इति श्रीमत् उत्तराध्ययन सूत्रनी उपाध्याय लक्ष्मीकीर्ति गणिशिष्य उपाध्याय लक्ष्मीवल्लभमूरि विरचिता अर्थ दीपिका नामनी | टीकामां नमि प्रवज्यानामक नवम अध्ययनो अर्थ संपूर्ण थयो. ईद्वितीयो भागः समाप्तः। For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 286 287 288 289 290