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एटले सारं मुहूर्च जोवरावी राजा तेणीने परण्या. आ चित्रकारनी पुत्री राजानी परम मपात्र बनी, जनानानी सर्व राणीयोमा JE उत्तराध्यमुख्य मनावा लागी अने विविध प्रकारना वस्त्रो तथा रत्नजडित आभरणो पामी. एक समये पोतानी मदना नामनी दासीने एका
Tiभाषांतर यन सत्रम्
अध्ययन९ तमां का के-ज्यारे मारी साये भोगविलास करीने राजा पोढे त्यारे आवीने मने एम पूछq के-स्वामिनि ! कथा कहेशो: वार्ता
संभळावशो? ए दासीये कड्यु के-बहु सारु, ते वखते हुँ आवीने तमने ए प्रमाणे पूछीश. जे दिवसे पा राणीनो वारो आन्यो ते ॥५५०|| Jह दिवसे राजा तेणीने महेले पधार्या अने क्रीडा श्रांत थइ राजा जेवा सूवे छे के पेली मदना दासी आवीने वोली 'वार्ता कहेशो ने? JE राणीये का 'राजा ज्यां सुधी उधे त्यां मुधी मौन रहे. पछो हुँ तने वार्ता कहीश. आ वात राजा सांभळी गया तेथी ए वार्ता पोते
सांभळवानी इच्छाथी उघी गया जेवो डोळ कर्यो. पेली दासी बोली के-हवे तो राजा पोढी गया माटे वार्ता शिरु करो; त्यारे | ते चित्रकार पुत्री कथा कहेवा मांडे छे-मधुपुरमा वरुण नामना श्रेष्ठिए (शेठे) एक हाथ ममाणनु देवालय करावी तेमां चार हाथनी २१ देव मूर्तिनी स्थापना करी. ते देव ए शेठने मनमा धारे ते पदार्थ देता हता. वचमां दासी बोली उठी के-एक हाथना देवळमां Jचार हाथनी मूर्ति माय केम? त्यारे ते राणी बोल्यां के ए रहस्य हुँ तने काल रात्रे कहीश आज तो निद्रा आवे छे तेथी मइ रहीश. HE] आम बोली ते राणी राजाना पलंग पासे भूमि उपरज मूइ गइ. ते दासी पण पोताने घरे गइ. राजाए मनमा विचार्यु के-काल
रात्रे पण मारे ए वार्ता सांभळवी; आवो निश्चय करी राजा मूता अने सुखे निद्रा करी, बीजे दिवसे पण राना ते राणीनेज आवासे रात्रे आव्या. अर्धरात्र पर्यंत क्रीडा विनोद करी आंत थइ पहेला दिवसनी कथानुं शेष सांभळवानी आतुरताथी कपट निद्राथी मूता. दासीए ज्यारे 'डवे कालनी वार्ता आज पूरी करो, का त्यारे राणी बोल्या के-एक हाथना देवळमां चार छे हाथ जेना एवा चतु
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