Book Title: Updeshsaptatika
Author(s):
Publisher: ZZZ Unknown
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जुषण चवध बियाणह । बाखप्पणि जिणि धम्म न किट तेणि अमिय मिड्वि विस पिञ्चद्ध ॥ २१ ॥ बाल वुल तरु-| यो वि न बट्टा खिजाइ जमकिंकरिहिं भूखुदृश । धण परियण सद्ध बडिय पच संबल विष्णु जणु परजवि गढ ॥ ५॥ श्य निसुणिय सुयपणिय माया हरिसुखसिरसरीरा जाया । बलि किऊलं तुह एरिस बुल नहि वरसिहि पमिव अतुबद । ५३ ।। कद्दमवि माऽपियरि श्रमिक संघमा शहिमालिस रिमाल श्रारण अलंकिय चरण कद्रिा चलिय। निस्संकिय ॥ ५४॥ नरसहस्सबाहपसि बियागय धरिय उत्तचामरजुय संगय । जय जय रव मग्गएजण बुल्लई पियरचित्त सुयनेहिणि सईए५।।जह तारायणि ससि परियरियन परियणि सयणि तहा अणुसरीयउ । तनादिगिरि अंवर गाई। महुरनेरि जारि तिहिं वनाझरयहरहिहिं मुणिवेसिहिं जुत्तउ अश् असार संसार विरत्तन । तिहिं गुत्तिहिं गुत्तन अमुतज सामी समवसरणि संपत्तल ॥ ५५ ॥ जह राया तद सिरियामाया विन्नवंति पणमिव पटुपाया। अम्ह मुयह पट्ट दिरका दिन कुमरोवरि सुपसान करिका ॥ ५८ ॥ तो दिस्किय पहुणा नियस्थिहिं मिलियन रायकुमर मुणिम१ स्थिहिं । बारिसिनवि संजम पाखर पावपंकजर दूरिहिं टाला ।। ५ए । सामि जण नूव: ननं धन्नड जसु नंदए । वाणिपरि कयपुन्नट । होस्सा चरमसरीरी निञ्च धन्न पुन्न जे लोचणि पिच ॥ ६ ॥ माम वरिस मो कञ्या होही।
जश्या श्रम्ह बिहु कयसाही। पहुपासिहिं चारित्त गहस्सलं मोहयास मुलिहिं विदस्म ॥ ६१ ॥ इय तिता जिणव४ारवंदिय निय कुमार मुणियर अनिनंदिय । जएणि जण्य नियमंदिर पत्ता दसए अमीयरसहिं संसित्ता ।। ६२ ॥ अह |
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