Book Title: Tulsi Prajna 2008 04
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 51
________________ एकेन्द्रिय जीव के मुक्त शरीर का स्वभाव से परिणामान्तर होता है। वह एकेन्द्रिय मिश्र परिणत है। इसमें जीव का पूर्व कृत प्रयोग तथा स्वभाव से रूपान्तर में परिणमन - दोनों विद्यमान हैं। घड़ा मिट्टी से बना। मिट्टी पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय जीव का शरीर है। यह निर्जीव हो गया, एकेन्द्रिय जीव उससे च्युत हो गया। इस अवस्था में मिट्टी उसका मुक्त शरीर है। उसमें घट रूप में परिणत होने की क्षमता है। मिट्टी का परिणामान्तर हुआ और घट बन गया, इसलिए वह एकेन्द्रिय मिश्र परिणत द्रव्य है। हमारा दृश्य जगत् पौद्गलिक जगत है। जो कुछ दिखाई दे रहा है, वह या तो जीवच्छरीर है या जीव-मुक्त शरीर है। जीवच्छरीर प्रयोग परिणत द्रव्य का उदाहरण हैं। उसके मौलिक रूप पांच हैं - 1. एकेन्द्रिय जीवच्छरीर, 2. द्वीन्द्रिय जीवच्छरीर, 3. त्रीन्द्रिय जीवच्छरीर, 4. चतुरिन्द्रिय जीवच्छरीर, 5. पंचेन्द्रिय जीवच्छरीर। इनके अवान्तर भेद असंख्य बन जाते हैं। जीव मुक्त शरीर के भी मौलिक रूप पांच ही हैं। उनके परिणामान्तर से होने वाले भेद असंख्य बन जाते हैं। प्रयोग-परिणाम, मिश्र परिणाम और स्वभाव परिणाम-ये सृष्टि के आधारभूत तत्त्व हैं। प्रथम दो परिणाम जीवकृत सृष्टि हैं। स्वभाव परिणाम अजीवकृत सृष्टि है। वर्ण आदि का परिणमन पुद्गल के स्वभाव से ही होता है। इसमें जीव का कोई योग नहीं है। भगवती सूत्र में प्रयोग परिणत पुद्गल द्रव्य के नौ दण्डक बतलाए गए हैं। 6 - 1. जीव के प्रयोग परिणत पुद्गल द्रव्य का सामान्य वर्गीकरण। 2. पर्याप्त और अपर्याप्त की अपेक्षा जीव के प्रयोग परिणत पुद्गल द्रव्य का वर्गीकरण। 3. शरीर की अपेक्षा जीव के प्रयोग परिणत पुद्गल द्रव्य का वर्गीकरण। 4. इन्द्रिय की अपेक्षा जीव के प्रयोग परिणत पुद्गल द्रव्य का वर्गीकरण। 5. शरीर और इन्द्रिय की अपेक्षा जीव के प्रयोग परिणत पुद्गल द्रव्य का वर्गीकरण। 6. वर्ण, गंध, रस, स्पर्श और संस्थान की अपेक्षा जीव के प्रयोग परिणत पुद्गल द्रव्य का वर्गीकरण। 7. शरीर और वर्ण आदि की अपेक्षा जीव के प्रयोग परिणत पुद्गल द्रव्य का वर्गीकरण। 8. इन्द्रिय और वर्ण आदि की अपेक्षा जीव के प्रयोग परिणत पुद्गल द्रव्य का वर्गीकरण। 9. शरीर, इन्द्रिय और वर्ण आदि की अपेक्षा जीव के प्रयोग परिणत पुद्गल द्रव्य का वर्गीकरण। तुलसी प्रज्ञा अप्रेल-जून, 2008 - 45. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100