Book Title: Tulsi Prajna 2008 04
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 54
________________ क्रमांक गुणांश सदृश विसदृश जघन्य + जघन्य नहीं नहीं जघन्य + एकाधिक नहीं नहीं जघन्य + द्वयधिक है नहीं जघन्य + व्यादिअधिक है नहीं जघन्येतर + समजघन्येतर जघन्येतर + एकाधिकतर जघन्येतर + व्यधिकतर 8. जघन्येतर + त्र्यादिअधिकतर बंध के सम्बन्ध में सभी परम्पराएं सदृश नहीं हैं। द्रष्टव्य यंत्र तत्त्वार्थभाष्यानुसारिणी टीका 5/55 के अनुसार the are the mic क्रमांक - गुणांश सदृश विसदृश नहीं नहीं - the लं ne te a ne ane te me te जघन्य + जघन्य जघन्य + एकाधिक जघन्य + द्वयधिक जघन्य + त्र्यदिअधिक जघन्येतर + समजघन्येतर जघन्येतर + एकाधिक जघन्येतर जघन्येतर + व्यधिक जघन्येतर जघन्येतर + अधिक जघन्येतर दिगम्बर ग्रन्थ सर्वार्थसिद्धि के अनुसार to the me me me me | सदृश विसदृश क्रमांक' गुणांश जघन्य + जघन्य जघन्य + एकाधिक जघन्य + द्वयधिक जघन्य + ज्यादिअधिक नहीं 48 - - तुलसी प्रज्ञा अंक 139 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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