Book Title: Tulsi Prajna 2006 07
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ क्षमा क्षमा का अर्थ है - सहना । सहना पड़े, वह सामर्थ्यहीनता है । सहने को अपना धर्म मानकर, विरोधी भाव को सहना क्षमा है । क्षमा शक्तिशाली का अस्त्र है। अपनी शक्ति के उन्माद पर नियन्त्रण रखना क्षमा है । परिस्थितियों की प्रतिकूलता में उत्तेजित न होना क्षमा है। दूसरों को क्षमा देना नहीं जानता, वह तुच्छ है। दूसरों से क्षमा लेना नहीं जानता, वह उद्दण्ड है। शान्ति उसे मिलती है, जिसके हृदय में क्षमा का सागर लहराए । दूसरों की कमजोरियों, अपराधों और भूलों को भुला सके, वही आनन्द का स्रोत बन सकता है। अपने अपराधों के लिए क्षमा मांगने में जो न सकुचाए, वह महान है। शान्तिदूत वही है, जो अपनी भूलों से उत्पन्न वेदना को भुला देने का नम्र अनुरोध करे । Jain Education International - अनुशास्ता आचार्य महाप्रज्ञ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 122