Book Title: Tattvagyan Pathmala 2
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 10
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates कनत्स्वर्णा भासोऽप्यपगततनुर्ज्ञाननिवहो विचित्रात्माप्येको नृपतिवरसिद्धार्थतनयः। अजन्मापि श्रीमान् विगतभव रागोऽद्भुतगतिः महावीरस्वामी नयनपथगामी भवतु मे (न:) ।।५।। यदीया वाग्गंगा विविधनयकल्लोलविमला, वृहज्ज्ञानाम्भोभिर्जगति जनतां या स्नपयति। इदानीमप्येषा बुधजनमरालैः परिचिता, महावीरस्वामी नयनपथगामी भवतु मे (न:) ।।६।। अनिर्वारोद्रेकस्त्रिभुवनजयी कामसुभट:, कुमारावस्थायामपि निजबलाद्येन विजितः । स्फुरन्नित्यानंद प्रशमपद राज्याय स जिनः, महावीरस्वामी नयनपथगामी भवतु मे (न:) ।।७।। महामोहांतक प्रशमनपराकस्मिभिषग् निरापेक्षो बंधुर्विदितमहिमा मंगलकरः। शरण्यः साधूनाम् भवभयमृतामुत्तमगुणो महावीरस्वामी नयनपथगामी भवतु मे (न:) ।।८।। महावीराष्टकं स्तोत्रं भक्त्या भागेन्दुना कृतम्। यः पठेच्छृणुयाच्चापि स याति परमां गतिम् ।। Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

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