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Lord Aranatha
मतिगुणविभवानुरूपतस्त्वयि वरदागमदृष्टिरूपतः । गुणकृशमपि किञ्चनोदितं मम भवताद् दुरितासनोदितम् ॥
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(18-20-105)
सामान्यार्थ - हे उत्कृष्ट मोक्षपद के प्रदाता ! मैंने अपनी बुद्धि के सामर्थ्य के अनुरूप तथा जिनागम से प्राप्त हुई दृष्टि के अनुसार आपके कुछ गुणों का जो अंश मात्र भी वर्णन किया है वह मेरे पाप कर्मों को विनाश करने
में समर्थ होवे।
O Wish-fulfilling Lord! May the little description, based on the competence of my own intellect and on my scriptural insight, of the few of your indescribable virtues, result in the destruction of my demerits!
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