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Svayambhūstotra
19 श्री मल्लिनाथ जिन Lord Mallinātha
यस्य महर्षेः सकलपदार्थप्रत्यवबोधः समजनि साक्षात् । सामरमर्यं जगदपि सर्वं प्राञ्जलि भूत्वा प्रणिपतति स्म ॥
(19-1-106)
सामान्यार्थ - जिन महाऋषि के सम्पूर्ण पदार्थों को पूर्ण रूप से जानने वाला ज्ञान अर्थात् केवलज्ञान अत्यन्त प्रत्यक्ष रूप से उत्पन्न होने पर जिन्हें देवों व मानव सहित सर्व ही जगत् के प्राणियों ने हाथों को जोड़कर नमस्कार किया था।
The entire world, including the devas and the men, had bowed with folded hands in front of this great sage in whom manifested the direct and complete knowledge (omniscience) of all substances.
यस्य च मूर्तिः कनकमयीव स्वस्फुरदाभाकृतपरिवेषा । वागपि तत्त्वं कथयितुकामा स्यात्पदपूर्वा रमयति साधून् ॥
(19-2-107)
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