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स्थानांग की सूक्तियां
इक्यावन
८. देवता भी तीन बातों की इच्छा करते रहते हैं
मनुष्य जीवन, आर्यक्षेत्र में जन्म, और श्रेष्ठ कुल की प्राप्ति ।
९. दुष्ट को, मूर्ख को, और बहके हुए को प्रतिबोध देना-समझा पाना, बहुत
कठिन है ।
१०. कुछ पुत्र गणों की दृष्टि से अपने पिता से बढ़कर होते हैं। कुछ पिता के
समान होते हैं और कुछ पिता से हीन । कुछ पुत्र कुल का सर्वनाश करने वाले-कुलांगार होते हैं।
११. कुछ फल कच्चे होकर भी थोड़े मधुर होते हैं।
कुछ फल कच्चे होने पर भी पके की तरह अति मधुर होते हैं । कुछ फल पके होकर भी थोड़े मधुर होते हैं । और कुछ फल पके होने पर भी अति मधुर होते हैं। फल की तरह मनुष्य के भी चार प्रकार होते हैंलघुवय में साधारण समझदार । लघुवय में बड़ी उम्रवालों की तरह समझदार । बड़ी उम्र में भी कम समझदार। बड़ी उम्र में पूर्ण समझदार। कुछ व्यक्तियों की मुलाकात अच्छी होती है, किन्तु सहवास अच्छा नहीं होता। कुछ का सहवास अच्छा रहता है, मुलाकात नहीं । कुछ एक की मुलाकात भी अच्छी होती है और सहवास भी। कुछ एक का न सहवास ही अच्छा होता है और न मुलाकात ही ।
१३. कुछ व्यक्ति अपना दोष देखते हैं, दूसरों का नहीं ।
कुछ दूसरों का दोष देखते हैं, अपना नहीं। कुछ अपना दोष भी देखते हैं, दूसरों का भी । कुछ न अपना दोष देखते हैं, न दूसरों का।
१४. कुछ व्यक्ति शरीर व धन आदि से दीन होते हैं। किन्तु, उनका मन और
संकल्प बड़ा उदार होता है ।
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