Book Title: Sramana 2011 10
Author(s): Sundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
View full book text
________________
परीक्षामुख में प्रमाण-लक्षण निरूपण : एक अध्ययन : ५७ ७/४३, मनुस्मृति, आन्वीक्षिक्यध्यात्मविषये, त्रयी वेदयज्ञादिषु, वार्ता, कृषिकर्मादिका, दण्डनीति: शिष्टपालन दुष्टः निग्रहः। - श्लोक ६३, वही, नीतिवाक्यामृतम्, श्री सोमदेव, पंचम् समुद्देशः, श्री दिगम्बर जैन विद्याग्रन्थ प्रकाशन समीति, जयपुर, इस्मातु चतस्त्रो विद्याः पृथक् प्रस्थानाः प्राणभृतामनुग्रहाय उपदिश्यन्ते। यासां चतुर्थीयमान्वीक्षिकी न्यायविद्या। तस्या पृथक् प्रस्थानाः संशयादयः पदार्थाः। तेषां पृथग्वचमन्तरेण अध्यात्मविद्यामात्रमिदं स्याद् यथोपनिषदः। - १/१/१, न्यायभाष्य वात्स्यायन, चौखम्भा सिरीज, काशी, आदीपमाव्योमसमस्वभावः स्याद्वादमुद्रानतिभेदि वस्तु। तन्नित्यमेवैकमानित्यमन्यदिति त्वादाज्ञाद्विषतां प्रलापा।। श्लोक ५, स्याद्वादमञ्जरी, मल्लिषेण, अर्हत् प्रभाकर कार्यालय, पूना। स्वार्थापूर्वार्थव्यवसायात्मकं ज्ञानं प्रमाणं। - १/१, परीक्षामुख, माणिक्यनन्दी, पं० टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, जयपुर, पृ० १०, तत्त्वज्ञानं प्रमाणं ते युगपत्सर्वभासनम्। क्रमभावि च यज्ज्ञानं स्याद्वादनयसंस्कृतम्।। -कारिका १०१, आप्तमीमांसा, समन्तभद्र, उद्धृत आप्तमीमांसा दीपिका, प्रो० उदयचन्द्र जैन, श्री गणेशवर्णी दिगम्बर जैन संस्थान प्रकाशन, वाराणसी, १९७४, व्यवसायात्मकं ज्ञानमात्मार्थग्राहकं मतम्। ग्रहणं निर्णयस्तेन मुख्य प्रामाण्यामश्नुते।।- कारिका ६०, लघीयस्त्रय विवृत्ति, आचार्य अकलंक, उद्धृत- लघीयस्त्रय, श्रीगणेशवर्णी, दिगम्बर जैन संस्थान, वाराणसी, ई० २०००, आप्तमीमांसा भाष्य, अष्टसहस्राी के अन्तर्गत, आचार्य अकलंकदेव, दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान, हस्तिनापुर, कारिका ३६ की टीका, प्रमाणं स्वपरभासि ज्ञानं बाधाविवर्जितम्। प्रत्यक्षं च परोक्षं च द्विधा, मेयविनिश्चयात्।। - कारिका १, न्यायावतार, आचार्य सिद्धसेन, उद्धृत- न्यायावतार मूल और श्री सिद्धर्षिगणिकी संस्कृत टीका का हिन्दी भाषानुवाद, श्री परमश्रुत प्रभावक मण्डल, अगास, १९७६, युक्त्यनुशासनालंकार, आचार्य विद्यानन्द, माणिकचन्द्र जैन ग्रन्थमाला समीति, बम्बई, कारिका १ की टीका, पृ० २,
१०.
१२.

Page Navigation
1 ... 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130