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कहकोसु (कथाकोश) में वर्णित राजनैतिक चिंतन : ६९ श्रेणी में परिगणित था।३४ कहकोसु में बुद्धिमती की कथा में चित्रकार का वर्णन आता है जो श्रीचंद्र मुनि का चित्र अंकित करता है तथा व्यंजन अर्थहीन कथा में राजा महापद्म ने एक हजार स्तम्भ वाला जिनमंदिर बनवाने के लिए अपनी राजधानी में पत्र लिखा। यह भी इस बात का प्रतीत है कि इस काल में शिल्प के जानकार व्यक्ति थे। जिस कारण राजा ने मंदिर बनवाने का निर्णय लिया। महारानी चेलना का रत्नजटित हार चुराने का प्रसंग आता है इससे भी यह ध्वनित होता है कि रत्नजटित हार बनाने वाले कारीगर भी उस समय थे।३५ निष्कर्ष इस प्रकार इस लेख में राजनैतिक चिंतन के अंतर्गत राजा के कर्तव्यों तथा राजव्यवस्था के विषय में बताया गया है। कहकोसु के समय राज-व्यवस्था में व्यापार के क्या साधन थे? लोग अपनी आजीविका का अर्जन कैसे करते थे? इन सभी तथ्यों पर इस लेख में प्रकाश डाला गया है ।
सन्दर्भ
भगवती आराधना, भूमिका कहकोसु, प्रस्तावना, पृ० ११ कहकोसु, संधि १-१० जैन आगम इतिहास एवं संस्कृति, पृ० २७ स्वाम्यमात्य जनो दुर्ग कोशो दण्डस्तथैव च । मित्राण्येताः प्रकृतयो राज्यं सप्तंगमुच्यते ।। याज्ञवल्क्यस्मृति, १/३५३ मनुस्मृति, ७/७ नीतिवाक्यामृतम्, ५/४१ उत्तराध्ययन, १८/२४, १/७ हरिवंशपुराण का सांस्कृतिक अध्ययन पृ० ७७ उत्तराध्ययन, २२/५-१ कहकोसु, संधि १-१० उत्तराध्ययन, १८/७, ९/४९ ० कहकोसु, संधि ३, १०
११. १२. १३.