Book Title: Sramana 2011 10
Author(s): Sundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 128
________________ : १२१ साभार प्राप्ति प०पू० प्रशमरति विजयजी म.सा. के द्वारा दिव्यदर्शन ट्रस्ट, ३९, कलिकुंड सोसायटी, कलिकुंड चार रास्ता, कलिकुंड-धोलका, जिला- अहमदाबाद (गुजरात) प्रकाशन से निम्न पुस्तकें साभार प्राप्त हुई मूल्य पुस्तक लेखक/सम्पादक १. व्युत्पत्तिवाद प०पू० श्रीभव्यसुन्दर विजयजी म.सा० रु०५० (द्वितीय कारक- प्रथम खण्ड) गुजराती विवेचन २. निक्षेपविंशिका आ० विजय अभयशेखरसूरि रु०९० (गुजराती) ३. नयविशिंका आ० विजय अभयशेखरसूरि रु०२०० (गुजराती) ४. श्री पिण्डविशुद्धिः सिद्धान्त दिवाकर आचार्यदेव रु०२५० (गुर्जरभाषान्तर-गुणानन्दीय- श्रीमद्विजय जयघोषसूरिश्वर वार्तिक विभूषिता) ५. श्री पिण्डनियुक्ति प्रवचनध्यक्ष पू० गणिवर्य रु०१६५ ग्रन्थनो सानुवाद (गुजराती) श्री हंससागर म० सा० इनके अतिरिक्त संस्थान को निम्नलिखित पुस्तकें भी साभार प्राप्त हुईं१. द्वादशार नयचक्रम्, समुद्धारकर्ता- आचार्य विजयलब्धिसूरीश्वर, प्रका० स्वर्गारोहण अर्धशताब्दी समिति, अहमदाबाद २. आचार्यकुन्दकुन्दकुन्दग्रन्थोपरि जयसेनप्रणीतवृत्तिग्रन्थानांसमीक्षात्मकमध्ययनम् (शोध प्रबन्ध), प्रस्तुतकर्ती- कु० सुजाता रोटे ३. प्राकृत-बोध, आचार्य सुनीलसागर, जैन संस्कृति शोध संस्थान, रामगंज, जिन्सी, इन्दौर 8. Ācārya Umāsvāmi's Tattvārthasūtra (With Hindi and English Translation), Edition- Vijay K. Jain, Pub.- Vikalp Printers, Publishing Section, Dehradun, Rs. 250/ ***

Loading...

Page Navigation
1 ... 126 127 128 129 130