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इस प्रकार इस महाकाव्य में स्त्रियों की दशा का वर्णन विस्तार से अनेक प्रसंगों में प्राप्त होता है। उनके मुख्य रूप कन्या, पत्नी तथा माता ही बताये गये हैं किन्तु उनके वाररूपों का वर्णन भी स्थान-स्थान पर प्राप्त होता है। इन वर्णन प्रसंगों में उनके गुणों तथा दुर्गुणों को भी कवि ने निर्देशित किया है।
सन्दर्भ :
१. त्रिशष्टिशलाकापुरुषचरित,
२२ . वही,
२३. वही, २४. वही, ३.८.२१
२५. वही, ८.३.७०३
५. वही, ४.१.४३४, ४९२
२६. वही, ४.५.३०
६. वही, ८.३.२५, ३०, ७.४.१५१२७. वही, ८.७.८२१
७. वही, ७.४.१५६ - १५७
२८. वही, ७.४.४५४ २९. वही, ८.१०.११२ ३०. वही, ८.१०.११९ ३९. वही, ५.१.२०३;
३.३.३२; १०.६.५८
२. वही, ३.३.१७
३. वही, ४.१.१९५ - १९६
४. वही, ८.३.१४ - १७
८. वही, ७.४.७० ७२
८.१.२९७
९. वही, १०. वही, ८.१.४२७
११. वही, ८.२.१६४ - १६५ १२ . वही, १०.६.२००
१३. वही, ८.२.२७५ - २८५ १४. वही, ५.१.८८-८९; ४.७.३६;
४.७.५; ३.१.३६६, ३.३.१७;
४.९.२३२, ३.७.२३; ४.७.३७ १५. वही, ४.४.२२.
१६. वही, १.१.६८३ - ८४ १७. वही, ८.३.६०२; ४.५.२३ १८. वही, ५.१.१२५; ४.१.२६
१९. वही, ८.३.७०९
२०. वही, ८.३.६२२ २९. वही, ७.६.१३० - १७०
८.१०.२८४
८.१०.१७
१०.६.६०; ३.३.३८-३९
३२. वही, ३.३.३२
३३. वही, ८.६.१४१; ७.४.२५ ३४. वही, २.६.१ ३५. वही, १०.११.१५३
३३
३६. मनुस्मृति, ९.३
३७. त्रिषष्टि, ७.५.२१-२२; ५.१.७७ ३८. वही, ४.२.१४५
३९. वही, ५.१.११५; ५.१.५३;
४.२.१४४ - ४५; ७.५.२१ ४०. वही, ४.२.१५७ - १५८ ४१. वही, ४.२.१६२ - १८५ ४२ . वही, ३. ७.१२२