Book Title: Sramana 2003 07
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 108
________________ १०२ महापरिनिर्वाणसूत्र से ज्ञात होता है कि बुद्ध के महापरिनिर्वाण के पश्चात् दस स्तूप राजाओं ने बड़े-बड़े नगरों में बनवाये थे, जिनमें से आठ धातु स्तूप थे, नवाँ द्रोण ब्राह्मण द्वारा घड़े पर बनवाया गया था और दसवां मौर्यों ने चिता से प्राप्त राख कोयले को लेकर अपनी राजधानी पिप्पलीवन में बनवाया था। कालान्तर में सम्राट अशोक ने ८४,००० स्तूपों का निर्माण कराया था। निवासी स्थापत्य चैत्य - "बौद्ध वास्तु की भाषा में स्तूप और चैत्य, दोनों में स्तूप समान है। चैत्य में भी स्तूप होता है। स्तूप ही जब छत के नीचे या किसी भवन में होता है, तब उसे चैत्य कहते हैं।'' पालि त्रिपिटक में अनेक चैत्यों का उल्लेख मिलता है, यथा आलवी में अग्गालव चैत्य, कुशीनगर में मुकुटब-धन चैत्य आदि। पुरातत्त्वपरक खोजों से कार्ले और भाजा आदि के विश्व प्रसिद्ध दर्शनीय चैत्य सामने आये हैं। ___आवास - भगवान् बुद्ध ने भिक्षुओं के रहने के लिए पाँच प्रकार के आवासों की अनुज्ञा दी थी। ये थे विहार, अड्डयोग, प्रासाद, हर्म्य और गुह्य। विहार पूर्णत: बौद्ध स्थापत्य है जिसे बुद्ध की देन माना जाता है। विहार के स्थल चयन, निर्माण, रख-रखाव आदि का पूर्ण विवरण विनयपिटक में प्राप्त होता है। यह पूर्णरूपेण बौद्धभिक्षुओं का आवास स्थल था। यह गाँव या नगर से न बहुत समीप और न बहुत दूर बनाये जाते थे। जिस तरह भिक्षुओं के आवास को विहार कहते थे, उसी प्रकार भिक्षुणियों के आवास को 'उपश्रय' (उपस्सय) कहते थे। भिक्षु संघ के लिए विहार का निर्माण करवाकर दान देना श्रेष्ठ दान माना जाता था। अड्डयोग किस प्रकार का आवास था सुनिश्चित करना कठिन है। प्रासाद ऊँचे चबूतरे पर निर्मित कंगूरों युक्त भवन होता था। इसी प्रकार हर्म्य (हम्मिय) आवास एकमंजिला अथवा बहुमंजिला होता था, निश्चित नहीं है। गुहा भी भिक्षुओं के लिए आवास हेतु अनुमन्य थी। इनमें कुछ प्राकृतिक गुफाएँ तथा कुछ मानव निर्मित गुफाएँ होती थीं। सम्राट अशोक और उसके वंशजों ने उदयगिरि पर्वत में गुफाओं का निर्माण कराकर उन्हें आजीवक भिक्षुओं को दान दिया था। बौद्ध साहित्य में चार प्रकार की गुहाओं का उल्लेख मिलता है - इट्ठागुहा - ईंटों द्वारा निर्मित गुहा, सिलागुहा - पत्थर द्वारा निर्मित गुहा, दारुगुहा - लकड़ी की बनी हुई गुहा, पांसुगुहा - मिट्टी की बनी हुई गुहा। कुछ गुफाएँ इतनी बड़ी होती थीं कि पाँच सौ लोग एक साथ बैठ सकते थे। राजगृह की सप्तपर्णी गुफा ऐसी ही विशाल गुफा थी। विहार स्थापत्य और उसकी विशेषताएँ - स्थापत्य कला के क्षेत्र में विहार स्थापत्य कला बुद्ध की एक अद्वितीय देन है। विहार केवल भिक्षुओं के आवास स्थल

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