Book Title: Sramana 2003 07
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 127
________________ जिनचन्द्रसूरि 'द्वितीय' जिनलब्धिसूरि महिमासमुद्र (वि०सं० १७२४ में विचारषट्त्रिंशिकाप्रश्नोत्तर के रचनाकार) जिनसमुद्रसूरि (वि० सं० १६९८ से १७५१ के मध्य विभिन्न कृतियों के रचयिता) पद्मचन्द्र (१८वीं में भरतसंधि के कर्ता) पं० रलसोम। (वि० सं० १७७९ में पंचपाण्डवरास के प्रतिलिपिकार) धर्मचन्द्र (वि० सं० १७६७ में ज्ञानसुखडी के कर्ता) सौभाग्यसमुद्र जिनसुन्दरसूरि पं० समुद्र – जिनउदयसूरि क्षमासुन्दर क्षमासमुद्र ऋषिदताचौपाई (१८वीं शती) के रचयिता वि०सं० १७५३ में गुणसुन्दरीचौपाई . वि०सं० १७७३ में गुणावलीचौपाई वि० सं० १८वीं शती में उदयविलास वि० सं० १८वीं शती में सूत्रकृतांगबालावबोध आदि के कर्ता जिनचन्द्रसूरि 'तृतीय' पं० कनककीर्ति जिनेश्वरसूरि 'तृतीय' (वि० सं० १८वीं शती में जंबूस्वामीचौपाई के रचनाकार) जिनक्षेमचन्द्रसूरि (वि० सं० १९०२ में स्वर्गस्थ) जिनचन्द्रसूरि 'चतुर्थ' (वि० सं० १९३० तक विद्यमान) १२१

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