Book Title: Sramana 2003 07
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 129
________________ १२३ २६. मुनि पुण्यविजय, पूर्वोक्त, पृष्ठ २५४, क्रमांक ८५०. २७. नाहर, पूर्वोक्त, भाग ३, लेखांक २५०५. २८. मुनि पुण्यविजय, पूर्वोक्त, पृष्ठ २३२, क्रमांक ५४७. २८ए. वही, २२६-२७, क्रमांक ४५८. २९. नाहर, पूर्वोक्त, भाग ३, लेखांक २४४७. २९ए. वही, भाग ३, लेखांक २५०५. २९बी. वही, भाग ३ लेखांक २५०७. ३०. मुनि पुण्यविजय, पूर्वोक्त, पृष्ठ २१६, क्रमांक ३७० ३१. अगरचन्द नाहटा, भंवरलाल नाहटा, संपा०, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि अष्टम शताब्दीस्मृतिग्रन्थ, भाग २, "खरतरगच्छीय साहित्य सूची", पृष्ठ ४९. ३२. मुनि पुण्यविजय, पूर्वोक्त, पृष्ठ २४१, क्रमांक ६७३. ३३. वही, पृष्ठ २१६, क्रमांक ३७१. ३३ए. वही, पृष्ठ २१८-१९, क्रमांक ४००. ३४. वही, पृष्ठ ३०३, क्रमांक १४४१. ३५. खरतरगच्छीय साहित्य सूची, पृष्ठ ५३. ३६. वही, पृष्ठ ४८. ३७. मुनि पुण्यविजय, पूर्वोक्त, पृष्ठ २५५, क्रमांक ८६३. ३८. वही, पृष्ठ २१४, क्रमांक ३३८. ३९. वही, पृष्ठ २४१, क्रमांक ६७३ एवं पृष्ठ २१६, क्रमांक ३७१. ४०. वही, पृष्ठ २७३, क्रमांक ११३६. ४१. वही, पृष्ठ २६५, क्रमांक १०१५. ४१ए. खतरगच्छीय साहित्य सूची, पृष्ठ ५४. ४२. वही, पृष्ठ ६, ३८, ४५. ४३. द्रष्टव्य, संदर्भ क्रमांक ३३ए. ४४. खरतरगच्छीय साहित्य सूची, पृष्ठ ४२. ४५. मुनि पुण्यविजय, पूर्वोक्त, पृष्ठ ३१६, क्रमांक १६१३. ४६. नाहर, पूर्वोक्त, भाग ३, लेखांक २५०९. ४७. वही, भाग ३, लेखांक २५१०, २५११. ४८. अगरचन्द नाहटा एवं भंवरलाल नाहटा, संपा०, ऐतिहासिकजैनकाव्यसंग्रह पृष्ठ ७५. ४९. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि काव्यांजलि, प्रस्तावना, पृष्ठ ११. ५०. वही, पृष्ठ ११.

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