Book Title: Sramana 2003 04
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 7
________________ जैन धर्म और पर्यावरण संरक्षण डॉ० अर्चना श्रीवास्तव* “पर्यावरण' शब्द अंग्रेजी के Environment का रूपान्तरण है। Environment फ्रेन्च क्रिया Environer से बना है जिसका अर्थ है To surround आसपास होना। इसमें हमारे आसपास रहने वाली बाहरी स्थितियों परिस्थितियों का समावेश हो जाता है। इसके अन्तर्गत मानव के साथ ही इसके आसपास रहने वाले सजीव और निर्जीव सभी घटक आ जाते हैं। इसका समर्थन A.N. Straller, T.R. Detreyley, M.G. Maecus आदि विद्वानों ने किया है। मानवीय कल्याण व प्रगति की दृष्टि से प्रकृति का सदपयोग बताने वाली प्रणाली का अध्ययन पर्यावरण विज्ञान कहा जाता है। इसके अन्तर्गत वातावरण, जलावरण, मृदावरण आदि सब कुछ समाहित हो जाता है। पारिस्थितिकी शास्त्र (Ecology) का तो इससे विशेष सम्बन्ध रहा ही है। पारिस्थितिकी शास्त्र (Ecology) की परिभाषाएँ विद्वानों ने विविध प्रकार से दी हैं जिनका तात्पर्य है पशुओं और वनस्पतियों के पारस्परिक सम्बन्धों तथा इनके पर्यावरण का अध्ययन-(A study of animals and plants in their relations to each other and to their environment.)। यह वस्तुतः प्रकृति का वैज्ञानिक अध्ययन है अथवा यों कह सकते हैं कि इसमें जैविक समुदायों का विशेष अध्ययन किया जाता है और मानव पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है इसे भी स्पष्ट किया जाता है। Biology, Morphology, Physiology आदि से इस विज्ञान का विशेष सम्बन्ध है। मानव समुदाय से इसका विशेष सम्बन्ध होने के कारण इसे Human Ecology भी कहा गया है। पर्यावरण शब्द 'वातावरण' का पर्याय है। यह पर्यावरण अपने में अत्यन्त व्यापक अर्थ समाहित किए हुए है। इसे दो दृष्टियों से देखा जा सकता है- भौतिक पर्यावरण एवं आध्यात्मिक पर्यावरण जीव मात्र को दैहिक सन्तुष्टि प्रदान करने वाले भूमि, जल, वायु, वनस्पति आदि तत्व भौतिक पर्यावरण में समाविष्ट हैं और आत्मसंतुष्टि, आध्यात्मिक पर्यावरण की परिणति है। आत्मसंतुष्टि से न केवल आध्यात्मिक पर्यावरण अपितु भौतिक पर्यावरण भी शुद्ध होता है। वास्तव में जीव *प्रथम पुरस्कार प्राप्त आलेख (ग्रुप- बी) द्वारा- श्री मृत्युंजयलाल श्रीवास्तव, गुरुद्वारा गली, रामनगर, वाराणसी-२२१००८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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