Book Title: Sramana 2003 04 Author(s): Shivprasad Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi View full book textPage 5
________________ - सम्पादकीय - पार्श्वनाथ विद्यापीठ द्वारा अपने संस्थापक स्व० लाला हरजसराय जी की पुण्य स्मृति में वर्ष १९९९ ईस्वी से एक निबन्ध प्रतियोगिता प्रारम्भ की गयी। उक्त वर्ष निबन्ध का विषय था २१वीं शताब्दी में जैन धर्म की प्रासंगिकता। इसमें पुरस्कृत आलेख श्रमण जनवरी-जून २००० संयुक्तांक के क्रोडपत्र के रूप में प्रकाशित हो चुके हैं। वर्ष २००१ में जैन धर्म और पर्यावरण संरक्षण नामक विषय पर निबन्ध आमंत्रित किये गये। इसमें लगभग ५० प्रतिभागियों ने अपने-अपने आलेख भेजे। प्रतिभगियों को दो वर्गों में बांटा गया था। प्रथम वर्ग में १८ वर्ष से कम आयु के लोग थे और द्वितीय वर्ग में १८ वर्ष और उससे ऊपर की आयु वाले। दोनों ही वर्गों के तीन-तीन प्रतिभागियों को उनके द्वारा प्रेषित आलेखों की श्रेष्ठता के आधार पर क्रमश: प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार प्रदान किये गये। उक्त पुरस्कृत आलेखों के अतिरिक्त ७ अन्य आलेख भी यहां हम प्रकाशित कर रहे हैं जो पुरस्कृत तो नहीं किये जा सके परन्तु श्रेष्ठता क्रम में पुरस्कृत आलेखों के पश्चात् इनका ही स्थान रहा है। श्रमण एक शोधपरक पत्रिका है और इसमें केवल जैन विद्याविषयक शोध आलेख ही प्रकाशित होते हैं किन्तु विषय की उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए इस अंक में केवल पर्यावरण संरक्षण सम्बन्धी आलेखों को ही स्थान दिया गया है। इसके सम्पादन में यथेष्ट परिश्रम करना पड़ा और यह भी ध्यान में रखा गया कि लेखों की मौलिकता बनी रहे। श्रमण का यह अंक सभी पाठकों को रुचिकर लगेगा, ऐसी आशा है। २७-६-२००३ सम्पादक - - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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