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१७ पाप का घड़ा
किसी नगर में एक धनी सेठ रहता था । सेठ बड़ा ही दयालु, परदुःख-कातर, सदाचारी और धर्मनिष्ठ था । धनी होकर भी निरभिमानी था। उसी के पड़ोस में एक सामान्य स्थिति का मनुष्य रहता था, जो पूर्ण रूप से धनी सेठ के स्वभाव के विपरीत था। दूसरों का ऐश्वर्य उसकी आँखों में काँटे को तरह कसकता था। अपने पड़ोसी का धनी होना तो उसे अखरता ही था, नगर की जनता में उसका जो सम्मान था वह भी इस ईर्ष्यालु को सह्य नहीं था। - एक बार ईर्ष्यालु व्यक्ति के लड़के का ब्याह हुआ। इसने अपने पड़ोसी धनी सेठ से लड़के की शादी के लिए गहने उधार माँगे। उदार-हृदय सेठ ने अपने ईर्ष्यालु पड़ोसी को तत्काल गहने दे दिये। ___ लड़के की शादी हो गई, पर पड़ोसी ने धनी के गहने नहीं लौटाये ।. काफी दिनों की प्रतीक्षा के बाद जब धनी सेठ ने अपने गहने वापस माँगे तो ईर्ष्यालु ने आँखें निकाल कर कहा
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