Book Title: Sona aur Sugandh
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 171
________________ १६२ | सोना और सुगन्ध काफिले के अधिकारी ने आग्रहपूर्वक कहा। ___ जब उन्होंने दादू से जाकर कहा तो दादू भी आश्चर्यचकित हो गये। उन्होंने कहा मैंने आज दिन तक किसी को भी वशीकरण मन्त्र नहीं दिया है। बताओ कहाँ है वह ताबीज । - ज्योंही अधिकारी ने ताबीज धीरे से उनके हाथ में दिया, उसे खोलकर पढ़ा, उसमें लिखा था टामन-टूमन हे सखी, कर मत कभी कोय । प्रेम भरै सेवा कर, आपहिं पति वश होय ॥ उन पंक्तियों को पढ़ते ही दादूजी की स्मृति जाग उठी'हाँ-हाँ स्मरण आया, कुछ वर्ष पूर्व एक महिला को मैंने यह पंक्तियाँ लिखी थीं। पर यह वशीकरण मन्त्र नहीं, वशीकरण का रहस्य इसमें अवश्य रहा हुआ है।' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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