Book Title: Sona aur Sugandh
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 170
________________ वशीकरण का रहस्य | १६१ शब्दों में कहा- जब तक आप मुझे वशीकरण मन्त्र नहीं देंगे तब तक मैं यहाँ से न जाऊँगी । दादू के सामने एक गम्भीर समस्या थी, उन्होंने चट से एक कागज के टुकड़े पर लिखकर देते हुए कहा - इसे अपनाना, सभी तरह से आनन्द होगा । बेगम उसे लेकर चल दी। दिन पर दिन बीतते चले गये । सन्त दादू उस घटना को भूल गये थे । एक दिन प्रातःकाल ही अनेक ऊँट, घोड़ों पर सामान लादा हुआ एक काफिला दादू के आश्रम पर पहुँचा । आश्रमवासियों ने जब जिज्ञासा प्रस्तुत की तब काफिले के अधिकारी ने बताया कि यह सारा सामान गुजरात की बेगम ने दादूजी के श्रीचरणों में भेजा है। उन्होंने जो बेगम साहिबा को वशीकरण मन्त्र दिया था उससे सुलतान इतना उनके अधीन हो गया है कि उनकी बिना इच्छा के वह कोई भी कार्य नहीं करता है। वे स्वयं आतीं, पर कार्य में व्यस्त होने से नहीं आ सकी हैं, पर उन्होंने यह उपहार आपको प्रेषित किया है । आश्रमवासियों ने जब सुना कि दादू ने वशीकरण मन्त्र दिया है तो उनके आश्चर्य का पार न रहा ? उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि दादूजी जादू-टोना नहीं करते हैं तुम भूल से यहाँ आ गये हो । "अरे ! तुम हमें दादूजी से मिलाओ, उन्होंने दिया है ।" Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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