Book Title: Sona aur Sugandh
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 168
________________ सुर-असुर का भेद | १५६ दूसरों को भी अपनी सुगन्ध से आनन्दित करता है । परोपकार की इसी भावना के कारण देवों को अमर कहा जाता है देवरूप होने का गुर बस, मन का यही बदलना । सदा सोचना भला सभी का, नहीं किसी को छलना ॥ देव-असुर का अन्तर केवल, यही सोचना-भर है । इसी भाव के कारण देखो, देवी-देव अमर हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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