Book Title: Sona aur Sugandh
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 154
________________ शूल को त्रिशूल | १४५ "आपकी छत्र-छाया में।" गरोब ब्राह्मण ने उत्तर दिया। अब राजा नित्य हो ब्राह्मण से पूछताछ करता। कभी उसके परिवार के बारे में पूछता, कभी उसके सुख-दुःख की बातें करता। ___ कहावत है-'बामन कुत्ता हाथी, नहीं जाति के साथी।' ब्राह्मण ब्राह्मण को देखकर जलता है । राजपुरोहित को राजा द्वारा ब्राह्मण का यह सम्मान अच्छा नहीं लगा। एक दिन राजपुरोहित रास्ते में ही ब्राह्मण को रोककर बोला "तुम नित्य राज-दरबार आते हो, पर दरबार के नियमों का पालन नहीं करते। किसी दिन राजा उल्टा पड़ गया तो कठोर दण्ड देगा।" ब्राह्मण डर गया । घवराकर पुरोहित से बोला "पुरोहितजी ! मैं तो अपढ़ और विद्याहीन ब्राह्मण हूँ। आप शास्त्रज्ञ और राजपुरोहित हैं। दरबार का शिष्टाचार मुझे बताइए।" पुरोहित ने कहा"दरबार में मुंह पर पट्टी बाँधकर आना चाहिए।" . ब्राह्मण ने पुरोहित का आदेश मन में रख लिया । दरबार में पहुँचकर पुरोहित ने राजा से कहा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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