Book Title: Siddhhemchandra Shabdanushasanam Part 01
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Mokshaiklakshi Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 213
________________ 206 श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् लघुनि धात्वक्षरे परे सनीव कार्यं स्यात्' / अचीकरत्, अजीजवत्, अशिश्रवत् / लघुनीति किम् ? अततक्षत् / णावित्येव- अचकंमत / असमानलोप इति किम् ? अचकथत् // 63 // . लघोर्दीर्घोऽस्वरादेः / 4 / 1 / 64 // अस्वरादेरसमानलोपे ऊपरे णौ द्वित्वे 'पूर्वस्य लघोलघुनि धात्वक्षरे परे दीर्घः' स्यात् / अचीकरत् / लघोरिति किम् ? अचिक्वणत् / अस्वरादेरिति किम् ? औणुनवत् // 64 // स्मृ-दृ-त्वर-प्रथ-प्रद-स्तृ-स्पशेरः / 4 / 1 / 65 // एषामसमानलोपे उपरे णौ द्वित्वे 'पूर्वस्याऽत्' स्यात् / असस्मरत्, अददरत्, अतत्वरत्, अपप्रथत्, अमम्रदत्, अतस्तरत्, अपस्पशत् // 65 // वा वेष्ट-चेष्टः / 4 / 1 / 66 // अनयोरसमानलोपे उपरे णौ द्वित्वे 'पूर्वस्याऽद् वा' स्यात् / अववेष्टत्, अविवेष्टत्; अचचेष्टत्, अचिचेष्टत् // 66 // .ई च गणः / 4 / 1 / 67 // 'गणेङपरे णौ द्वित्वे पूर्वस्य ईः, अश्च' स्यात् / अजीगणत्, अजगणत् // ' अस्याऽऽदेराः परोक्षायाम् / 4 / 1 / 68 // अस्यां द्वित्वे 'पूर्वस्याऽऽदेरत आः' स्यात् / आदुः, आरतुः / अस्येति किम् ? ईयुः / आदेरिति किम् ? पपाच // 68 // अनातो नश्चान्त ऋदायशौ-संयोगस्य / 4 / 1 / 69 // ऋदादेरश्नोतेः संयोगान्तस्य च परोक्षायां द्वित्वे 'पूर्वस्याऽऽदेरात्स्थानादन्यस्याऽस्य आः स्यात्, कृताऽऽतो नोऽन्तश्च' / आनृधुः, आनशे, आनन / ऋदादीति किम् ? आर / अनात इति किम् ? आञ्छ // 69 //

Loading...

Page Navigation
1 ... 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250