Book Title: Siddhhemchandra Shabdanushasanam Part 01
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Mokshaiklakshi Prakashan
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________________ 240 श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् किम् ? स्तवानि / अद्वेरिति किम् ? जुहोति // 59 // वोर्णोः / 4 / 3 / 60 // ऊर्णोरद्वयुक्तस्य व्यञ्जनादौ विति ‘और्वा" स्यात् / प्रोण्#ति, प्रोर्णोति / अद्वेरित्येव- प्रोर्णोनोति // 60 // न दि-स्योः / 4 / 3 / 61 // 'ऊोर्दि-स्योः परयोरौन' स्यात् / प्रौर्णोत्, प्रौर्णोः // 61 // तृहः श्नादीत् / 4 / 3 / 62 // तृहेः श्नात् परो व्यञ्जनादौ विति परे 'ईत्' स्यात् / तृणेढि // 62 // ब्रूतः परादिः / 4 / 3 / 63 // ब्रुव ऊतः परो व्यञ्जनादौ विति ‘परादिरीत्' स्यात् / ब्रवीति / ऊत इति किम् ? आत्थ // 63 // . यङ्-तु-रु-स्तोर्बहुलम् / 4 / 3 / 64 // यङ्लुबन्तात् तु-रु-स्तुभ्यश्च परो व्यञ्जनादौ विति 'ईद् बहुलं परादिः' स्यात् / क्वचिद्वा- बोभवीति, बोभोति; क्वचिन्न - वर्वति; तवीति, तौति; रवीति, रौति; स्तवीति, स्तौति / अद्वेरित्येव- तुतोथ, तुष्टोथ // 64 // सः सिजस्तेर्दि-स्योः // 4 // 3 // 65 // सिजन्ताद् धातोरस्तेश्च सन्तात् परो दि-स्योः परयोः ‘परादिरीत्' स्यात् / अकार्षीत्, अकार्षीः; आसीत्, आसीः / स इति किम् ? अदात् // 65 // पिबैति-दा-भू-स्थः सिचो लुप् परस्मै न चेट् / 4 / 3 / 66 // एभ्यः परस्य 'सिचः परस्मैपदे लुप् स्यात्, लुब्योगे न चेट्' / अपात्, अगात, अध्यगात्, अदात्, अधात्, अभूत्, अस्थात् / परस्मै इति किम् ? अपासत पयांसि तैः // 66 //
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