Book Title: Siddhhemchandra Shabdanushasanam Part 01
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Mokshaiklakshi Prakashan
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________________ .. श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् वीति किम् ? जागरयति // 52 // - आत ऐः कृञौ / 4 / 3 / 53 // आदन्तस्य धातोफिति कृति औ च ‘ऐ:' स्यात् / दायः, दायकः, अदायि / कृदिति किम् ? ददौ // 53 // न जन-बधः // 4 // 3 // 54 // अनयोः कृति णिति औ च ‘वृद्धिर्न' स्यात् / प्रजनः, जन्यः, अजनि; बधः, बध्यः, अबधि // 54 // मोऽकमि-यमि-रमि-नमि-गमि-वमा-ऽऽचमः / 4 / 3 / 55 // मन्तस्य धातोः कम्यादिवर्जस्य णिति कृति जौ च ‘वृद्धिर्न' स्यात् / शमः, शमकः, अशमि / कम्यादिवर्जनं किम् ? कामः, कामुकः, अकामि; यामः, रामः, नामः, अगामि, वामः, आचामकः // 55 // विश्रमेर्वा / 4 / 3 / 56 // विश्रमेणिति कृति जौ च 'वृद्धिर्वा' स्यात् / विश्रामः, विश्रमः; विश्रामकः, विश्रमकः; व्यश्रामि, व्यश्रमि // 56 // उद्यमोपरमौ / 4 / 3 / 57 // उदुपाभ्यां यमि-रम्योपजि 'वृद्ध्यभावो निपात्यते' / उद्यमः, उपरमः // 57 // .णिद्वाऽन्त्यो णव् / 4 / 3 / 58 // 'परोक्षाया अन्त्यो णव् णिद्वा' स्यात् / अहं चिचय, चिचाय; चुकुट, चुकोट / अन्त्य इति किम् ? स पपाच // 58 // .. उत और्विति व्यानेऽद्वेः / 4 / 3 / 59 // अद्युक्तस्योदन्तस्य धातोर्व्यञ्जनादौ विति 'औः' स्यात् / यौति / उत इति किम् ? एति / धातोरित्येव- सुनोति / वितीति किम् ? रुतः / व्यञ्जन इति re
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