Book Title: Siddhhemchandra Shabdanushasanam Part 01
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Mokshaiklakshi Prakashan

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Page 238
________________ . श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् 231 आशिषि तु-ह्योस्तात / 4 / 2 / 119 // 'आशीरर्थयोस्तुह्योस्तातङ् वा' स्यात् / जीवतात्, जीवतु भवान्; जीवतात्, जीव त्वम् नन्दतात्, नन्द त्वम् / आशिषीति किम् ? जीवतु // आतो णव औः / 4 / 2 / 120 // आतः परस्य ‘णव औः' स्यात् / पपौ // 120 // आतामाते-आथामाथे आदिः / 4 / 2 / 121 // आत् परेषामेषाम् ‘आत इ.' स्यात् / पचेताम्, पचेते, पचेथाम्, पचेथे / आदिति किम् ? मिमाताम् // 121 // यः सप्तम्याः / 4 / 2 / 122 // आत् परस्य ‘सप्तम्या याशब्दस्येः' स्यात् / पचेत्, पचेः // 122 // याम्-युसोरियमियुसौ / 4 / 2 / 123 // 'आत् परयोर्याम्-युसोर्यथासंख्यमियमियुसौ' स्याताम् / पचेयम्, पचेयुः // [123 // इत्याचार्यश्रीहेमचन्द्रविरचितायां सिद्धहेमचन्द्राभिधानस्वोपज्ञशब्दानुशासन लघुवृत्ती चतुर्थस्याध्यायस्य द्वितीयः पादः समाप्तः // 4 // 2 // श्रीभीमपृतनोत्खात- रजोभिरिभूभुजाम् / अहो ! चित्रमवर्धन्त, ललाटे जलबिन्दवः // 14 // तृतीयः पादः] ... नामिनो गुणोऽक्छिति / 4 / 3 / 1 // नाम्यन्तस्य धातोः क्विर्जे प्रत्यये 'गुणः' स्यात् / चेता / अक्ङितीति किम् ? युतः // 1 //

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