Book Title: Siddhhemchandra Shabdanushasanam Part 01
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Mokshaiklakshi Prakashan

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Page 240
________________ श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् 233 संयोगाद् य ऋत्, तदन्तस्याऽर्तेश्च क्ये यङि आशीर्ये च 'गुणः' स्यात् / स्मर्यते, स्वर्यते, अर्यते; सास्मर्यते, सास्वर्यते, अरार्यते; स्मर्यात्, अर्यात् // न वृद्धिश्चाऽविति क्ङिल्लोपे / 4 / 3 / 11 // अविति प्रत्यये यः कितो ङितश्च लोपस्तस्मिन् सति 'गुणो वृद्धिश्च न' स्यात् / चेच्यः, मरीमृजः // 11 // भवतेः सिजुलुपि / 4 / 3 // 12 // भुवः सिज्लुपि 'गुणो न' स्यात् / अभूत् / सिज्लुपीति किम् ? व्यत्यभविष्ट // 12 // सूतेः पञ्चम्याम् / 4 / 3 / 13 // सूतेः पञ्चम्याम् ‘गुणो न' स्यात् / सुवै // 13 // ड्युक्तोपान्त्यस्य शिति स्वरे / 4 / 3 / 14 // युक्तस्य धातोरुपान्त्यस्य नामिनः स्वरादौ शिति ‘गुणो न' स्यात् / नेनिजानि / उपान्त्यस्येति किम् ? जुहवानि / शितीति किम् ? निनेज // ह्निणोरप्विति व-यौ / 4 / 3 // 15 // होरिणश्च नामिनः स्वरादावपिति अविति च शिति यथासंख्यम् 'व्यौ' स्याताम् / जुह्वति, यन्तु / अप्वितीति किम् ? अजुहवुः, अयानि // 15 // इको वा / 4 / 3 / 16 // इकः स्वरादावविति शिति ‘य् वा' स्यात् / अधियन्ति, अधीयन्ति // 16 // कुटादेर्डिद्वदणित / 4 / 3.17 // कुटादेः परो शिद्वर्जप्रत्ययो 'ङिद्वत्' स्यात् / कुटिता, गुता / अणिदिति किम् ? उत्कोटः, उच्चुकोट // 17 // विजेरिट् / 4 / 3 / 18 //

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