Book Title: Siddhhemchandra Shabdanushasanam Part 01
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Mokshaiklakshi Prakashan
View full book text
________________ 232 श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् उ-श्नोः / 4 / 3 / 2 // धातोरुश्नोः प्रत्यययोरक्ङिति 'गुणः' स्यात् / तनोति, सुनोति // 2 // पुस्-पौ / 4 / 3 / 3 // नाम्यन्तस्य धातोः पुसि पौ च 'गुणः' स्यात् / ऐयरुः, अर्पयति // 3 // लघोरुपान्त्यस्य / 4 / 3 / 4 // . धातोरुपान्त्यस्य नामिनो लघोरक्ङिति 'गुणः' स्यात् / भेत्ता / लघोरिति किम् ? ईहते / उपान्त्यस्येति किम् ? भिनत्ति // 4 // मिदः श्ये // 4 // 35 // मिदेरुपान्त्यस्य श्ये 'गुणः' स्यात् / मेद्यति // 5 // जागुः किति / 4 / 3 / 6 // जागुः किति 'गुणः' स्यात् / जागरितः // 6 // __ ऋवर्ण-दृशोऽङि // 4 // 37 // ऋवर्णान्तानां दृशेश्चाऽङि परे ‘गुणः' स्यात् / आरत्, असरत्, अजरत्, अदर्शत् // 7 // . स्कृच्छ्रतोऽकि परोक्षायाम् // 4 // 38 // स्कृच्छोः ऋदन्तानां च नामिनः परोक्षायाम् 'गुणः' स्यात्, न तु कोपलक्षितायां क्वसु-कानोः / सञ्चस्करुः, आनछुः, तेरुः / अकीति किम् ? सञ्चस्कृवान् // 8 // संयोगादृदर्तेः / 4 / 3 / 9 // संयोगात् परो य ऋत्, तदन्तस्याऽर्तेश्च परोक्षायामकि 'गुणः' स्यात् / सस्मरुः, सस्वरुः, आरुः / संयोगादिति किम् ? चक्रुः // 9 // क्य-यङाऽऽशीर्ये / 4 / 3 // 10 //
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/fee4010c4d7d20d64b342aa35f985c73e3de6f19577f3c9e51443f83e5457b40.jpg)
Page Navigation
1 ... 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250