Book Title: Siddhhemchandra Shabdanushasanam Part 01
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Mokshaiklakshi Prakashan

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Page 236
________________ . श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् 229 - प्वादेर्हस्वः / 4 / 2 / 105 // 'वादेः शिति अत्यादौ ह्रस्वः' स्यात् / पुनाति, लुनाति / प्वादेरिति किम् ? वीणाति // 105 // गमिषद्यमश्छः / 4 / 2 / 106 // एषां शित्यत्यादी ‘छः' स्यात् / गच्छति, इच्छति, यच्छति, आयच्छते / अत्यादाविति किम् ? जङ्गन्ति / / 106 // वेगे सर्तेर्धा / 4 / 2 / 107 // सर्तेवेंगे गम्ये शिति 'धाव्' स्यात्, अत्यादौ / धावति / वेग इति किम् ? धर्ममनुसरति // 107 // श्रौति-कृवु-धिवु-पा-घ्रा-मा-स्था-ना-दाम-दृश्यति-शदसदः शृ-कृ-धि-पिब-जिघ्र-धम-तिष्ठ-मन-यच्छ-पश्यर्छ शीय-सीदम् / 4 / 2 / 108 // एषां शित्यत्यादी यथासंख्यम् ‘श्रादयः' स्युः / शृणु, कृणु, धिनु, पिब, जिघ्र, धम, तिष्ठ, मन, यच्छ, पश्य, ऋच्छ, शीयते, सीद // 108 // क्रमो दीर्घः परस्मै / 4 / 2 / 109 // क्रमः परस्मैपदनिमित्ते शिति 'दीर्घः' स्यात्, अत्यादौ / काम, क्राम्यति / परस्मैपद इति किम् ? आक्रमते सूर्यः // 109 // 'ष्ठिवू-कुम्वाऽऽचमः / 4 / 2 / 110 // एषां शित्यत्यादौ 'दीर्घः' स्यात् / ष्ठीव, काम, आचाम / आङिति किम् ? धम // 110 // शम्सप्तकस्य श्ये / 4 / 2 / 111 // शमादीनां सप्तानां श्ये 'दीर्घः' स्यात् / शाम्य, दाम्य, ताम्य, श्राम्य, भ्राम्य,

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