Book Title: Siddhhemchandra Shabdanushasanam Part 01
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Mokshaiklakshi Prakashan
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________________ 220 श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् तिष्ठतेः / 4 / 2 / 39 // स्थ उपान्त्यस्य ङपरे णौ 'इ:' स्यात् / अतिष्ठिपत् // 39 // ऊद् दुषो णौ / 4 / 2 / 40 // दुषेरुपान्त्यस्य णौ 'ऊत्' स्यात् / दूषयति // 40 // चित्ते वा / 4 / 2 / 41 // चित्तकर्तृकस्य दुषेरुपान्त्यस्य णौ परे 'ऊद् वा' स्यात् / मनो दूषयति, मनो दोषयति मैत्रः // 41 // . . गोहः स्वरे / 4 / 2 / 42 // कृतगुणस्य गुहेः 'स्वरादावुपान्त्यस्योत्' स्यात् / निगृहति / गोह इति किम् ? निजुगुहुः // 42 // भुवो वः परोक्षा-ऽद्यतन्योः / 4 / 2 / 43 // 'भुवो वन्तस्योपान्त्यस्य परीक्षा-ऽद्यतन्योरूत्' स्यात् / बभूव, अभूवन् / व इति किम् ? बभूवान्, अभूत् // 43 // गम-हन-जन-खन-घसः स्वरेऽनङि क्ङिति लुक् / 4 / 2 / 44 // 'एषामुपान्त्यस्याङ्वर्जे स्वरादौ क्छिति परे लुक् ' स्यात् / जग्मुः, जनुः, जज्ञे, चख्नुः, जक्षुः / स्वर इति किम् ? गम्यते / अनङीति किम् ? अगमत् / क्तिीति किम् ? गमनम् // 44 // नो व्यञ्जनस्याऽनुदितः / 4 / 2 / 45 // 'व्यञ्जनान्तस्याऽनुदितो धातोरुपान्त्यस्य नः क्ङिति परे लुक्' स्यात् / सस्तः, सनीनस्यते / व्यञ्जनस्येति किम् ? नीयते / अनुदित इति किम् ? नानन्द्यते // 45 // अञ्चोऽनायाम् / 4 / 2 / 46 //
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