Book Title: Siddhhemchandra Shabdanushasanam Part 01
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Mokshaiklakshi Prakashan
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________________ 'श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् 199 पदावदः, घनाघनः, पाटूपटः / पक्षे - चरः, चलः, पतः, वदः, हनः, पाटः // 13 // चिकिद-चक्नसम् / 4 / 1 / 14 // 'एतौ केऽचि च कृतद्वित्वौ निपात्येते' / चिक्किदः, चक्नसः // 14 // दाश्वत्साह्वत्मीदवत् / 4 / 1 / 15 // 'एते क्वसावद्वित्वादयो निपात्यन्ते' / दाश्वांसौ, साह्वांसी, मीढ्वांसौ // 15 // ज्ञप्यापो जीपीप, न च द्विः सि सनि / 4 / 1 / 16 // प्रपेरापेश्च सादौ सनि परे यथासंख्यम् 'ज्ञीपीपौ स्याताम्, नचाऽनयोरेकस्वरोंऽशो द्विः' स्यात् / जीप्सति, ईप्सति / सीति किम् ? जिज्ञपयिषति // ऋध ईर्त / 4 / 1 / 17 // प्रधः सादी सनि परे 'ई स्यात्, न चाऽस्य द्विः' / ईसति / सीत्येवअदिधिषति // 17 // दम्भो धिप्-धीप् / 4 / 1 / 18 // दम्भः सि सनि धिप्-धीपी स्यातां, न चाऽस्य द्विः' / धिप्सति, धीप्सति / सीत्येव- दिदम्भिषति // 18 // . अव्याप्यस्य मुचेर्मोग्वा / 4 / 119 // मुघेरकर्मणः सि सनि 'मोक् वा स्यात्, न चाऽस्य द्विः' / मोक्षति, मुमुक्षति चैत्रः / अव्याप्यस्येति किम् ? मुमुक्षति वत्सम् // 19 // मि-मी-मा-दामित् स्वरस्य / 4 / 1 / 20 // मि-मी-मा-दासंज्ञानां स्वरस्य सि सनि 'इत् स्यात्, न च द्विः' / मित्सति, मित्सते, मित्सति, दित्सति, धित्सति // 20 // रभ-लभ-शक-पत-पदामिः / 4 / 1 / 21 //
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