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तुं. २
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स्तवन शांति जिनेश्वर साचो साहिब, शांति करण इण कलिमें; हो जिनजी तुं मेरा मनमें तुं मेरा दिलमें, ध्यान धरूं पल पलमें साहेबजी.
तुं.१ भवमा भमतां में दरिशन पायो, आशा पूरो एक पलमें हो. निरमल ज्योत वदन पर सोहे, नीकस्यो ज्युं चंद बादलमें हो. मेरो मन तुम साथे लीनो, मीन वसे ज्युं जलमें हो. तुं. ४ जिनरंग कहे प्रभु शांति जिनेश्वर, दीठोजी देव सकलमें हो.
तुं. ५ (जय वीयराय, अरिहंत चेइयाणं, अन्नत्थ, एक नवकार का काउस्सग्ग, नमोऽर्हत्)
थोय शांति सुंहकर साहिबो, संयम अवधारे, सुमित्र ने घेर पारj, भव पार उतारे, विचरंता अवनी तले, तप उग्र विहारे, ज्ञान ध्यान एक तान थी तिर्यंच ने तारे. तीसरे रायण पादुका की स्तुति, चैत्यवंदन, स्तवन, थोय
स्तुति जेनुं झरंतु क्षीर पुण्ये मस्तके जेने पडे,
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